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Friday, November 15, 2024

'जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मैं पूजता हूं...', जानें एक लाइन में कैसे बिहार से झारखंड को साध गए PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को आदिवासी और जनजातीय स्वाभिमान के प्रतीक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर आयोजित 'जनजातीय गौरव दिवस समारोह' में भले ही बिहार के जमुई में भाग लिया हो, लेकिन वह बिहार की धरती से पड़ोसी राज्य झारखंड को साध गए. PM मोदी ने कहा कि आज आदिवासी समाज के लिए केंद्र की सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिसका उन्हें फायदा मिल रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा, "जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी पूजता है."

झारखंड में विधानसभा चुनाव चल रहा है. 13 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग हो चुकी है. 20 नवंबर को दूसरे फेज के लिए मतदान होने हैं. चुनाव प्रचार के लिए BJP-JMM और कांग्रेस समेत तमाम पार्टियां जोर लगा रही हैं. शुक्रवार (15 नवंबर) को  आदिवासी समाज में भगवान का दर्जा रखने वाले बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर PM मोदी ने पहले देवघर में रैली की. फिर बिहार के जमुई पहुंच कर विकास योजनाओं के जरिए आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश की.

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आदिवासी समाज को नहीं मिला उनका हक
मोदी ने कहा, "आज जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है. मैं पिछले साल आज के दिन धरती आबा बिरसा मुंडा के गांव में था. आज उत्सव का माहौल है. आदिवासी समाज आज देव दीपावली के मौके पर गृह प्रवेश भी कर रहे हैं. ये उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण पल है." पीएम मोदी ने इशारो में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "आजादी के बाद आदिवासी समाज को उनका हक नहीं मिला जिसके वो हकदार हैं. लेकिन, आज उन्हें वो तमाम सम्मान मिल रहे है जिसका वो हकदार हैं. 

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आजादी में सिर्फ एक ही परिवार का योगदान नहीं
PM मोदी ने कहा, "आदिवासी समाज के योगदान को मिटाने की भी कोशिश की गई. आजादी में सिर्फ एक ही परिवार और एक ही दल के योगदान को दिखाया और बताया गया. लेकिन, आज ऐसा नहीं होगा." बता दें कि पिछली बार पीएम बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर उनकी जन्मस्थली उलिहातू पहुंचे थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आदिवासी समाज के विकास के लिए ग्राम उत्कर्ष योजना शुरू की गयी है. इसके तहत 80 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी. यह बड़ी योजना है, जिसका उपयोग आदिवासी समाज के विकास के लिए किया जाएगा. जब आदिवासी इलाको का विकास हो जाएगा, तब ना सिर्फ़ उनका विकास होगा बल्कि उन इलाकों से पलायन भी रुकेगा.

झारखंड की राजनीति में आदिवासी समाज का दबदबा रहा है. आदिवासी समाज के मतदाता सरकार का रुख तय करते हैं. राज्य की 81 में से 43 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी आबादी 25 फीसदी से ज्यादा है. वहीं, इन 43 में से 22 सीटें ऐसी हैं, जहां आधी से ज्यादा आबादी तो आदिवासियों की है. आदिवासियों के लिए जल, जमीन और जंगल ये अहम मुद्दे हैं. BJP ने इन्हें अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया है.

PM ने सठीक चला राजनीतिक दांव
BJP के नेतृत्व वाला NDA झारखंड चुनाव में आदिवासी मतदाताओं को रिझाने के लिए हर दांव पेंच को अपना रहा है. ऐसे में PM मोदी जमुई में चला गया राजनीतिक दांव काफी सधा माना जा रहा है. इस समारोह के लिए बनाए गए मंच पर बिरसा मुंडा और सिद्धू कान्हू के वंशज की मौजूदगी से BJP ये मैसेज भी देने में सफल रही कि वह स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की वीरगाथा को नहीं भूलने देगी.

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BJP को क्या होगा फायदा?
PM मोदी कई मौकों पर आदिवासियों के हक और उनके विकास की बात कर चुके हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन मांझी आदिवासी समाज से आते हैं. BJP ने कई बार अपनी योजनाओं के जरिए आदिवासी समाज के विकास की बात कही है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाजपा आदिवासी समुदाय पर विशेष ध्यान दे रही है और अपनी पकड़ को लगातार मजबूत कर रही है. 

JMM भी लगा रही जोर
BJP के मुकाबले JMM भी पीछे नहीं है. झारखंड के CM हेमंत सोरेन आदिवासी समाज से आते हैं. जब हेमंत सोरेन जेल गए, तो उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि BJP ने साजिशन एक आदिवासी मुख्यमंत्री को फंसाया है.
ऐसे में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भावनात्मक तौर पर आदिवासी समाज के लोग हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के साथ खड़े हो सकते हैं. क्योंकि राज्य में JMM की जड़ें मजबूत हैं.

हालांकि, चुनाव से पहले JMM को कई झटके भी लगे हैं. सीता सोरेन, चंपाई सोरेन समेत कई कद्दावर नेता JMM से अलग हो चुके हैं. बाबूलाल मरांडी जैसे आदिवासी समाज के कई बड़े चेहरे भी हाल ही BJP में शामिल हुए हैं. ऐसे में JMM     को इसका थोड़ा-बहुत नुकसान भी हो सकता है.

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