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Saturday, November 14, 2020

24 घंटे में 41 हजार केस आए और 42 हजार ठीक हुए, एक्टिव केस में बीते 45 दिनों में सबसे कम 1027 केस की गिरावट

देश में कोरोना के एक्टिव केस में तेजी से आ रही गिरावट दिवाली के दिन धीमी रही। 41 हजार 658 केस आए और इसके मुकाबले सिर्फ 42 हजार 215 मरीज ठीक हुए। 449 मरीजों की मौत हो गई। ऐसे में एक्टिव केस में सिर्फ 1027 एक्टिव केस कम हुए। यह बीते 45 दिनों में सबसे कम है। एक्टिव केसों में 3 अक्टूबर से लगातार कमी आ रही है।

देश में अब तब 88.14 लाख मरीज कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 82.03 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.29 लाख की मौत हो चुकी है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

राज्य में शुक्रवार को 1048 नए केस मिले। 833 लोग रिकवर हुए और 11 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 82 हजार 45 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8876 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 70 हजार 93 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते जान गंवाने वालों का आंकड़ा अब 3076 हो गया है।

2. राजस्थान

राज्य में शुक्रवार को 2144 लोग संक्रमित मिले। 1827 लोग ठीक हुए और 12 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 21 हजार 471 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 17 हजार 657 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 1 हजार 770 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2044 हो गई है।

3. बिहार

पिछले 24 घंटे के अंदर राज्य में 581 लोग संक्रमित मिले। 870 लोग रिकवर हुए और 7 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 26 हजार 81 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 6078 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 18 हजार 828 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से 1174 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

पिछले 24 घंटे में 4132 लोग संक्रमित मिले। 4543 लोग रिकवर हुए और 127 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 40 हजार 461 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 84 हजार 82 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 9 हजार 607 लोग ठीक हो चुके हैं। मरने वालों की संख्या अब 45 हजार 809 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

प्रदेश में शुक्रवार को 2178 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। 2005 लोग रिकवर हुए और 25 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 7 हजार 602 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 23 हजार 95 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 77 हजार 180 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 7327 हो गई है।



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त्योहार का मौका है, बाजारों में भीड़ है। दिल्ली में इस मौके पर भी लोगों को ऐहतियात बरतने की नसीहत दी जा रही है।


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करीना कपूर मलाइका अरोड़ा संग धर्मशाला की सड़कों पर घूमतीं आईं नजर, अर्जुन कपूर भी दिखे साथ- देखें Video

 करीना कपूर (Kareena Kapoor) की यह दिवाली बेहद खास है क्योंकि वह जल्द ही अपने दूसरे...

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MP: सालों पहले लापता हुआ पुलिस अधिकारी फुटपाथ पर मिला, कचरे के ढेर में ढूंढ रहे थे खाना 

ग्वालियर पुलिस की अपराध शाखा में डीएसपी तोमर ने कहा, ''इतने सालों में किसी...

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नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत सिंह ने हनीमून के दौरान मनाई दिवाली, होटल रूम से दिखाया दुबई का नजारा- देखें Video

बॉलीवुड की मशहूर सिंगर नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) और उनके पति रोहनप्रीत सिंह (Rohanpreet Singh)...

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औरत यानी जंघाओं और कूल्हों से बना मांसपिंड, जिसे अपना नेता चुनने जैसा दिमागी हक नहीं दिया जा सकता

एक तस्वीर है, जिसमें अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस अपने पति डगलस एमहॉफ के गले लगी हुई हैं। साथ में दो सुर्ख दिल चमक रहे हैं और लिखा है- मुझे तुम पर गर्व है यानी पति डगलस को पत्नी कमला पर गर्व है। गर्व का ये ताज पहने हुए ही जनवरी में डगलस अमेरिका के पहले 'सेकंड जेंटलमैन' बन जाएंगे। इधर, ट्विटर पर तस्वीर आते ही लोग टूट पड़े। एक खेमा तस्वीर के मकसद को सराहता हुआ, तो दूसरा उसके बहाने आम मर्द मानसिकता को लताड़ता हुआ।

छत्ते पर पत्थर लगते ही जैसे बर्र बिदकते हैं, वैसे ही भन्नाए मर्द भी छतरियों से निकल पड़े। युद्ध का बिगुल बज गया। तीर-बर्छियों के बीच एक जनाब अपनी मासूमियत में लबालब राज खोलते हैं- सारे मर्द एक से नहीं होते। बिल्कुल ठीक। सारे मर्द कतई एक जैसे नहीं। अंगुलियों के पोरों की तरह सबकी शक्ल-सूरत और दिल-दिमाग भी अलग-अलग हैं। बस एक ही बात में लगभग सारे पुरुषों की मानसिकता ठहर जाती है, वो है औरतों के आगे बढ़ने को लेकर, खासकर जब बात राजनीति की हो, तब तो बड़े-बड़े शेर खां के दम फूल जाते हैं।

औरतें पढ़-लिख लें, कुछ गा-गवा लें, थोड़े फूल-पत्ते उकेर लें और बहुत हुआ तो कोर्ट-कचहरी कर लें, लेकिन राजनीति! मियां, औरतों की राजनीति रसोई तक ही ठीक है। वो तक तो नहीं संभलती, मुल्क क्या खाक संभालेंगी। वैसे देखा जाए तो ये बात भी ठीक है। मुल्क संभालना कोई कड़ाही-करछी का खेल नहीं कि पल्लू खोंसा और लग गए। उसके लिए तो ढेरों-ढेर किताबें देखनी होती हैं। हजारों लोगों से मिलना होता है और करोड़ों सपने याद रखने होते हैं। औरतें ये जिगरा कहां से पाएंगी। वे तो आपके सपनों को ही पूरा हुआ देखने को होम हुए जाती हैं।

और वैसे भी राजनीति बड़ा गंदा खेल है। औरतें बेचारी सीधी-सी होती हैं। क्या पता कौन धमका दे, कौन मार-कूट दे या कोई बहकाकर नक्शा ही नाम करा ले तो! लिहाजा, राजनीति को मर्दों ने मर्दाना खेल बना डाला। ठीक वैसे ही, जैसे मर्दाना चुटकुले होते हैं। अपने गांवों को देखिए। सरपंच की जगह रामरती देवी का नाम होगा, लेकिन गांव में चलेगी उसके पति की। सबकुछ सरपंच पति तय करेगा। रामरती घर-दुआर संभालेगी और उपले पाथते हुए पति के बताए कागजों पर दस्तखत कर देगी। हद तो ये है कि जिला स्तर के दफ्तरों में भी रामरती की जगह उसका पति ही फाइलें लिए रुआब से खड़ा दिखेगा। अफसरों तक को इसपर कोई ऐतराज नहीं। और होगा भी क्यों, आखिर उनके यहां भी तो यही रीति होगी।

जिस अमेरिका में एक महिला की जीत का जश्न मनाया जा रहा है, वहां साथ में एक सवाल भी उठ रहा है। साल 1804 में उस देश में पहला आम चुनाव हुआ। तब से लेकर 1920 तक केवल पुरुष ही वोट करते रहे। महिलाओं का मुद्दा उठने पर सीनेट के एक सदस्य ने कह दिया- नो ब्रॉड्स प्लीज। तब ब्रॉड अमेरिका में औरतों को अश्लील ढंग से पुकारने का एक तरीका था। औरत यानी जंघाओं और कूल्हों से बना मांसपिंड, जिसे अपना नेता चुनने जैसा दिमागी हक नहीं दिया जा सकता। तब वहां की औरतों को इस हक के लिए लगभग डेढ़ सौ साल रुकना पड़ा। और तो और, जिस स्विट्जरलैंड की मोहक तस्वीरें देखकर आप-हम उसपर फिदा हुए जाते हैं, वहां औरतों को वोटिंग राइट 1974 में मिला।

अमेरिका और स्विस मुल्क की ये हवा हमारे यहां गांव-गांव बहती है। एक कहावत है, 'जिस घर औरत मुखिया, उस घर डूबी लुटिया। अब भला घर की लुटिया कोई क्यों कोई डुबोना चाहेगा। तो लीजिए साहब, औरत को वहां तक पहुंचने ही न दो, जहां वो कोई फैसला ले सके। उन्हें घर-दुआरे के फेर में इतना लगा दो कि सुध ही बिसार दे। और भूले-भटके किसी जनानी को राजनीति का कीड़ा काट ही ले तो टोपी पहनाकर उसे रसोई में नारे बुलंद करने दो। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, शाम को घर लौटकर शिकायतें सुनकर माथा भन्नाएगा। यही न!

अब आप कहिएगा कि तुम औरतें न ढेर किटकिट करती हो। दे तो रहे हैं अधिकार। वोट देती हो। सुविधा मिले तो नेतागिरी भी कर लेना, लेकिन घर के कामों में कोई हील-हुज्जत न हो। औरत मुंडी हिला देती है। कर लूंगी। चक्करघिन्नी बन अपने-तई सब कर भी डालती है, लेकिन आप कहां मानेंगे। वो भागती हुई पार्टी ऑफिस जा रही है। पीछे से आप कहेंगे- सुनो, आज कटहल के कोफ्ते और खीर भी पका जाना। औरत दिमाग में देश के नक्शे उतार रही है, उधर लताड़ आती है कि थोड़ा मुन्नू को भी गिनती सिखा जाओ।

मने गजब है भायाजी। रात तुम मुर्गे का रोस्ट खाओ और सुबह-तड़के उसे अजान के लिए भी झकझोर दो। मारने का इलजाम लिए बिना जायका लेना कोई तुमसे सीखे। ये तुम्हारा हुनर ही है, जो औरत मुल्क संभालते-संभालते गृहस्थी में रम जाती है। या कभी भूले-बिसरे सपना सिर उठाने लगे तो आपका प्यार तो है ही उसे वापस भुलाने के लिए। पता नहीं, कितने साल पहले मर्द-औरत बने। दोनों में दायरों का बंटवारा कब हुआ, कोई नहीं जानता। ये भी नहीं पता कि पहली आवाज किस औरत की थी। लेकिन आवाजें बढ़ रही हैं। अब चाहे शतरंज का खेल हो या राजनीति, औरतें भी पासे चलेंगी। शुरुआत हो चुकी है। जैसा कमला हैरिस कहती हैं- मैं पहली औरत हूं, लेकिन आखिरी नहीं... और यकीन जानिए, ये हादसा नहीं, जो टाला जा सकेगा।



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Kamala Devi Harris is an American politician and attorney who is the vice president-elect of the United States


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44,684 Fresh Cases Take India's Covid Tally To 87.73 Lakh: Updates

India recorded 44,684 fresh coronavirus infections in the last 24 hours, taking its COVID-19 tally till now to 87.73 lakh, government data released on Saturday morning shows.

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मोदी की पाक-चीन को ललकार, मंदिर खोलेगी महाराष्ट्र सरकार; यूपी में फिर साथ होंगे अखिलेश-शिवपाल

नमस्कार!

महीना त्योहारों का है। दिवाली बीत चुकी है और आज गोवर्धन पूजा है। त्योहारों के उल्लास में सावधानी भी जरूरी है, क्योंकि कई राज्यों में कोरोना का संक्रमण तेज हो रहा है। टॉप पर दिल्ली है, जहां 44 हजार 329 एक्टिव केस हैं। चलिए, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • बिहार में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसका फैसला करने के लिए NDA विधायक दलों की बैठक दोपहर 12:30 बजे होगी।
  • द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। गोवर्धन की पूजा भी शुरू करवाई। आज गोवर्धन पूजा है, इसके लिए सुबह 2 और शाम को 1 मुहूर्त है।

देश-विदेश
लगातार 7वीं बार मोदी ने मनाई जवानों के साथ दिवाली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 7वीं बार जवानों के साथ दिवाली मनाई। इस बार वे जैसलमेर में लोंगेवाला पोस्ट पहुंचे। उन्होंने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा से समझौता नहीं होगा। चीन-पाकिस्तान को चेतावनी दी कि किसी ने हमें आजमाने की कोशिश की तो प्रचंड जवाब मिलेगा।

महाराष्ट्र में कल से खुल जाएंगे मंदिर

महाराष्ट्र में 8 महीने बाद सभी धार्मिक स्थल 16 नवंबर यानी सोमवार से खुल जाएंगे। कोरोना के चलते 18 मार्च से सभी मंदिर बंद हैं। हालांकि, मंदिर खोले जाने के मसले पर सीएम उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच चिट्ठी-बाजी भी हो चुकी है।

अब चाचा शिवपाल को साधेंगे अखिलेश
दिवाली के मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी किसी बड़े दल से गठजोड़ नहीं करेगी। अखिलेश ने कहा कि शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया को एडजस्ट किया जाएगा। सरकार बनी तो शिवपाल को मंत्री भी बनाएंगे।

कब हार मानेंगे US के प्रेसिडेंट ट्रम्प
US प्रेसिडेंट इलेक्शन के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को पहली बार मीडिया से बातचीत की। ट्रम्प ने कहा, 'ये वक्त ही बताएगा कि मैं राष्ट्रपति रहूंगा या नहीं।' अब तक ट्रम्प ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिससे लगे कि वो हार स्वीकार करेंगे और जो बाइडेन को जीत की बधाई देंगे। ट्रम्प चुनाव में धांधली के आरोप लगा चुके हैं।

भास्कर एक्सप्लेनर

सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज, फिर भी RBI को मंदी की आशंका

RBI ने लगातार दूसरी तिमाही में भी GDP में 8.6% की गिरावट का अनुमान लगाया है। संकेत साफ है कि भारत की इकोनॉमी गिरती जा रही है। RBI की रिपोर्ट के बाद सरकार ने 2.65 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, सरकार अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे चुकी है।

पढ़ें पूरी खबर...

खुद्दार कहानी
40 रुपए में भरपेट खाना खिलाते हैं, गरीबों से पैसे नहीं लेते

गुजरात के मोरबी शहर में स्थित 'बचुदादा का ढाबा' पर सुबह 11 बजे से ही भीड़ उमड़ने लगती है। बचुदादा पिछले 40 सालों से सिर्फ 40 रुपए में लोगों को खाना खिलाते आ रहे हैं। जिनके पास पैसे नहीं होते, वे मुफ्त खाना खा सकते हैं। अब 72 साल के हो चुके बचुदादा अकेले ही ढाबा चला रहे हैं।

पढ़ें पूरी खबर...

सुर्खियों में और क्या है...

  • BSE पर दिवाली के मौके पर शाम सवा छह से सवा सात तक मुहूर्त ट्रेडिंग हुई। सेंसेक्स 195 प्वाइंट चढ़कर 43,638 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। निफ्टी 12,750 के पार पहुंच गया।
  • टीम इंडिया के पूर्व बैटिंग कोच संजय बांगर ने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी अगले IPL सीजन में CSK की कप्तानी छोड़ देंगे और बतौर खिलाड़ी खेलेंगे।
  • US के पूर्व प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने राहुल को कमजोर नेता बताया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि ओबामा को ऐसा कहने का अधिकार नहीं, क्योंकि वो भारत को जानते ही कितना हैं? हम भी तो ट्रम्प को पागल नहीं कह सकते।


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Modi's challenge to Pak-China; Maharashtra government will open temple; Akhilesh-Shivpal will be together again in UP


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सफलता-असफलता का विचार छोड़कर ईमानदारी से अपना काम करेंगे तो परेशानियां दूर हो सकती हैं

कहानी- महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था। कौरवों की ओर भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, अश्वथामा जैसे महारथी और असंख्य सैनिक थे। जबकि, पांडवों की सेना कौरवों की अपेक्षा बहुत कम थी। अर्जुन-भीम के अलावा कुछ ही महारथी पांडव सेना में थे। उस समय युधिष्ठिर ने भी ये मान लिया था कि पांडव कौरव सेना के सामने ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएंगे।

सेनाओं की स्थिति देखकर तो यही लग रहा था कि इस युद्ध में कौरवों की जीत हो जाएगी। पांडव सेना में उत्साह कम था। इसी वजह से पांडवों की सेना पर नकारात्मकता हावी हो रही थी। तब अर्जुन ने अपनी सेना को समझाया कि हम संख्या में भले ही कम हैं, लेकिन हमें अपना प्रयास पूरी ईमानदारी से करना होगा। हमारे साथ स्वयं श्रीकृष्ण हैं, हम धर्म के लिए युद्ध कर रहे हैं। हमें हार के बारे नहीं सोचना चाहिए। सकारात्मक सोच के साथ युद्ध करना है, फल क्या मिलेगा, ये तो भगवान के हाथ में है।

अर्जुन की इन बातों से पांडव सेना में उत्साह लौट आया। सभी पूरी ईमानदारी के साथ युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद श्रीकृष्ण की रणनीतियों से और पांडवों के पराक्रम से कौरव सेना की हार हो गई। भाग्य पर भरोसा करने वाले लोगों को महाभारत युद्ध की शुरुआत में पांडवों की हार दिख रही थी, लेकिन सकारात्मक सोच ने परिणाम बदल दिए।

सीख - काम कितना भी मुश्किल हो, हमें नकारात्मकता से खुद को बचाना चाहिए। अगर असफलता का डर मन में घर कर गया तो आसान काम भी पूरा नहीं हो पाएगा इसलिए हमेशा सोच पॉजिटिव बनाए रखें और अपने प्रयास करते रहना चाहिए।



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40 रु. में भरपेट खाना खिलाते हैं, गरीबों से पैसे नहीं लेते; कहते हैं- कोई भूखा नहीं लौटना चाहिए

कुछ दिन पहले दिल्ली के एक बुजुर्ग दंपती का वीडियो 'बाबा का ढाबा' नाम से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में बुजुर्ग दंपती लॉकडाउन और उसके बाद की अपनी वेदना बताते नजर आ रहे थे कि उनके यहां लोग खाना खाने नहीं आ रहे। इसके बाद यह वीडियो कुछ सेलिब्रिटीज ने भी अपलोड किया था और उनके ढाबे पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

कुछ ऐसी ही कहानी है गुजरात के मोरबी शहर में स्थित 'बचुदादा का ढाबा' की। जहां, सुबह 11 बजे से ही भीड़ उमड़ने लगती है और वह इसलिए कि बचुदादा पिछले 40 सालों से सिर्फ 40 रुपए में लोगों को भरपेट खाना खिलाते आ रहे हैं। इतना ही नहीं, जिनके पास पैसे नहीं होते, वे यहां मुफ्त में भी खा सकते हैं। 72 साल के हो चुके बचुदादा अकेले ही ढाबा चला रहे हैं। ढाबे पर रोजाना 100 से 150 लोग आते हैं।

कोई 10 रुपए भी दे तो खुशी-खुशी ले लेते हैं
बचुदादा मोरबी के रंगपुर गांव के रहने वाले हैं और 30-40 सालों से मोरबी शहर में ही रह रहे हैं। वे मोरबी शहर के स्टेशन के पास एक झोपड़ी में रहते हैं और पास ही में उनका ढाबा चलता है। ढाबे का साइज तो काफी छोटा है, लेकिन इसका नाम आज बहुत बड़ा हो चुका है, यानी फेमस। वैसे तो खाने की पूरी थाली का रेट 40 रुपए है, लेकिन यह सिर्फ नाम का है। अगर किसी के पास कम हों तो वह 10 या 20 रुपए भी दे सकता है और बचुदादा खुशी-खुशी ये पैसे ले लेते हैं। जिनके पास बिल्कुल भी पैसे न हों तो वे मुफ्त में भी खा सकते हैं।

तीन स्वादिष्ट सब्जियां, रोटी-दाल-चावल, पापड़ और छाछ

पहले ढाबे पर पत्नी के साथ बेटी भी हाथ बंटाया करती थी, लेकिन अब दोनों के न होने के चलते बचुदादा अकेले ही ढाबा संभाल रहे हैं।

बचुदादा बताते हैं कि अपनी थाली का रेट 40 रुपए उन्होंने इसलिए रखा है, जिससे खर्च निकल सके। इसी के चलते तो वे आज तक झोपड़ी में ही रह रहे हैं। बचुदादा की जिंदगी का मकसद सिर्फ गरीब लोगों को पेट भरने का है। इतना ही नहीं, उनकी थाली में तीन स्वादिष्ट सब्जियां, रोटी-दाल-चावल, पापड़ और छाछ भी शामिल रहता है। जबकि, आज के समय में एक सामान्य होटल में भी इतने खाने का रेट कम से कम 100 रुपए तो होता ही है। उनका ढाबा जिस जगह है, उसके आसपास गांवों में गरीब लोग रहते हैं इसलिए रोजाना 10 से 15 लोग यहां पेट भरने चले आते हैं।

इनके लिए सबसे बड़ी बात है बचुदादा का स्वभाव और उनका गरीब लोगों के प्रति प्यार। वो कहते हैं कि उनके यहां आया व्यक्ति भूखा नहीं जाना चाहिए। चाहे उसके पास कम पैसे हों या बिल्कुल भी न हों। बचुदादा के परिवार में एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है और अब वह ससुराल में है। वहीं, 10 महीने पहले पत्नी की मौत हो गई। पहले ढाबे पर पत्नी के साथ बेटी भी हाथ बंटाया करती थी, लेकिन अब दोनों के न होने के चलते बचुदादा अकेले ही ढाबा संभाल रहे हैं।

वैसे तो खाने की पूरी थाली का रेट 40 रुपए है, लेकिन यह सिर्फ नाम का है। अगर किसी के पास कम हों तो वह 10 या 20 रुपए भी दे सकता है।

मोरबी के युवक ने यू-ट्यूब पर बचुदादा का वीडियो अपलोड किया
मोरबी शहर में रहने वाले कमलेश मोदी नाम के एक युवक ने बचुदादा के ढाबे का वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड किया था। यह वीडियो रातों-रात सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। बचुदादा के ढाबे पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने लगी। पहले जहां दिन भर में उनके ढाबे पर 30 से 40 लोग ही आया करते थे। अब वहीं यह संख्या 150 तक पहुंच चुकी है।

35 साल पहले मोरारी बापू ने कहा था- सेवा का काम जारी रखना
भास्कर से बातचीत में 72 साल के बचुदादा ने बताया कि एक बार मोरारी बापू यहां आए थे और मुझसे कहा था कि बचुदादा ये सेवाकार्य हमेशा जारी रखना। यह उनका आशीर्वाद ही है कि मेरा यह काम जारी है। बचुदादा कहते हैं कि अभी मैं एक थाली के 40, 30, 20, और 10 रुपए तक लेता हूं और जिनके पास पैसे नहीं होते, उन्हें फ्री में खिलाता हूं। फ्री में खाने वालों की संख्या रोजाना 10-15 हो जाती है और बाकी के 100 से 150 लोग रोज खाना खाते हैं। एक थाली में जो व्यक्ति जितना भी खाना चाहे, खा सकता है। मुझे तो यह काम तब तक करना है, जब तक कि मैं थक नहीं जाता।

बचुदादा के ढाबे पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने लगी। पहले जहां दिन भर में उनके ढाबे पर 30 से 40 लोग ही आया करते थे। अब वहीं यह संख्या 150 तक पहुंच चुकी है।

खाना स्वादिष्ट होता है, इसलिए आता हूं - ग्राहक
बचुदादा के ढाबे पर अक्सर खाना खाने आने वाले एक ग्राहक अतरसिंह कहते हैं कि मैं कई सालों से यहां खाना खाने आ रहा हूं। यहां खाने का अलग ही आनंद है और खाना भी बहुत स्वादिष्ट होता है। खाने में सब्जियां-साग और दाल इतनी स्वादिष्ट लगती है कि खाना खाते ही रह जाओ। मुझे तो जब भी बाहर खाना होता है तो मैं सीधे यहां चला आता हू्ं।

रमेश सोरठिया यहां रोजाना फ्री में खाना खाने आते हैं, क्योंकि वे बेसहारा हैं। रमेश बताते हैं कि काफी समय से बचुदादा मुझे यह स्वादिष्ट खाना खिला रहे हैं।



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72 साल के बचुदादा गुजरात के मोरबी शहर में अपना ढाबा चलाते हैं। कहते हैं कि जब तक थक नहीं जाता, लोगों को खाना खिलाना चाहता हूूं।


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सबसे पहले बच्चों की फीलिंग्स को समझना होगा, जानिए बच्चों में चिड़चिड़ापन क्यों आता है

कोरोनावायरस का बच्चों के दिमाग पर गलत असर पड़ रहा है। वजह- बच्चे लंबे समय से घर पर ही हैं। उनका स्कूल, एक्सरसाइज, खेलकूद, घूमना-फिरना सब बंद है। इसके चलते बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। ऐसे में पैरेंट्स के सामने बड़ी चुनौती है कि वे बच्चों को कैसे संभालें? उन्हें कैसे खुश रखें? ताकि कोरोना का उनके दिमाग पर असर न पड़े।

इमोशनल इंटेलिजेंस एंड सोशल इंटेलिजेंस किताब के राइटर डेनियल गोलेमन कहते हैं कि एक पैरेंट्स के नाते अगर आप अपने बच्चों में कोई पॉजिटिव चेंज देखना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको उनकी फीलिंग्स को समझना होगा।

बच्चों में चिड़चिड़ापन क्यों आता है?

बच्चों में चिड़चिड़ापन 'मेल्टडाउन' के चलते आता है। मेल्टडाउन एक दिमागी प्रक्रिया के चलते होता है। छोटे बच्चों में मेल्टडाउन बहुत आम है। यह तब होता है, जब बच्चों को किसी चीज से खतरा या सुरक्षा की कमी महसूस होती है। इसी दौरान वे चिड़चिड़ापन जाहिर करते हैं। इस वक्त पैरेंट्स को बच्चों से तब-तक कोई बात नहीं करनी चाहिए, जब-तक वह मिड-फ्रीक आउट स्टेज में न आ जाएं।

मिड-फ्रीक आउट क्या है?

जब बच्चा जिद या गुस्सा करते हुए अचानक शांत हो जाता है तो उसे मिड-फ्रीक आउट स्टेज कहते हैं। यह लगभग सभी बच्चों में कॉमन है। इस स्टेज में बात करने पर पैरेंट्स यह पता लगा सकते हैं कि बच्चा क्यों जिद कर रहा है।

मेल्टडाउन की साइकोलॉजी क्या है?

व्हाय वी स्नैप के राइटर और न्यूरो साइंटिस्ट आर डॉग्लस फील्ड्स के मुताबिक, चिड़चिड़ेपन में दिमाग के दो हिस्से इन्वॉल्व रहते हैं। पहला हिस्सा है अमिग्डाला, जो गुस्से और डर जैसी भावनाओं पर पहले रिएक्ट करता है। दूसरा हिस्सा है हाइपोथैलेमस, जो शरीर के हार्ट रेट और टेम्प्रेचर जैसे फंक्शन को कंट्रोल करता है।

जब आपके बच्चे बेड पर अकेले सोने जैसी जिद करें, तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि उसके दिमाग के पहले हिस्से अमिग्डाला ने कोई थ्रेट या डर डिटेक्ट किया है। इसी वजह से दिमाग के दूसरे हिस्से 'हाइपोथैलेमस’ ने उसे सोने की तरफ आकर्षित करना शुरू कर दिया है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को वही करने देना चाहिए, जो वह करने की जिद कर रहा है।


बच्चों की आंखों में देखकर बात करने से वे जल्दी मान जाते हैं
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर डॉक्टर चार्ल्स नेल्सन के मुताबिक, बच्चे को मनाने के दौरान सबसे अच्छा जैश्चर होता है कि आप उसके सामने घुटनों के बल बैठ जाएं। इसके बाद उनके दोनों हाथों को पकड़ कर उनकी आंखों में देखकर बात करें। ऐसे में बच्चे के जल्दी नॉर्मल होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। बच्चे जल्द खुश हो जाते हैं।

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बच्चों की सोच को समझने की कोशिश करें

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना की वजह से जीने का तौर-तरीका बदला है। आप भी खुद को बदलें। परंपरागत तौर-तरीकों से बाहर आएं। बच्चों की सोच को समझने की कोशिश करें।

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, मोटिवेशन दो तरीके के होते हैं। पहला आंतरिक (Internal) और दूसरा बाहरी (External)। जानते हैं कि दोनों क्या हैं-

इंटरनल मोटिवेशन से किसी काम को करने में हमें ज्यादा मजा आता है। काम के बाद संतुष्टि मिलती है। इसके अलावा सीखने की हमारी ललक और ज्यादा बढ़ जाती है।

एक्सटर्नल मोटिवेशन से किसी काम में हमारा आउटकम यानी परिणाम बेहतर होता है। जैसे- जब हम किसी परीक्षा से पहले कड़ी मेहनत करते हैं और नंबर अच्छा आ जाते हैं तो उसके पीछे हमारी एक्सटर्नल मोटिवेशन होती है।

दुनिया में हर 10 में से 1 बच्चा अपनी भावनाएं शेयर करने में झिझकता है
बचपन सीखने-समझने और चीजों को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा दौर होता है। एक इंसान अपनी पूरी लाइफ में जितना सीख पाता है, उसका 50% अपने बचपन में सीखता है। कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो बहुत कम बोलते हैं। वे इंट्रोवर्ट हो जाते हैं। वे अपने मन की बात को दिल में ही रखते हैं। दुनिया में हर 10 में से 1 बच्चा अपनी भावनाओं, जरूरतों और समस्याओं को किसी से साझा करने में झिझक महसूस करता है।



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First of all, we have to understand the feelings of children, know why irritability occurs in children. बच्चों को कैसे खुश रखें, बच्चों को दो तरीके से मोटिवेट कर सकते हैं, पहला आंतरिक और दूसरा बाहरी


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दिल्ली में लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही, पिछले साल की तुलना में 15% खराब हुई हवा

दिल्ली के दयालपुर इलाके में रहने वाले 59 साल के प्रेम कुमार शर्मा को सांस लेने में तकलीफ होती है और आंखों में जलन रहती हैं। उनके आसपास लोग छतों पर पुराने टायर और तार जलाते हैं, जिससे इलाके में धुआं भर जाता है। प्रेम कुमार और उनके पड़ोस में रहने वाले 50 लोगों ने जुलाई में दिल्ली की प्रदूषण नियंत्रण समिति को लिखित शिकायत दी थी। इस शिकायत पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। प्रेम कुमार कहते हैं, 'कई बार पत्र लिखा, उप-राज्यपाल को भी लिखा, लेकिन कोई नहीं आया। प्रदूषण की वजह से जीना मुश्किल हो गया है। हम अपने घर में भी चैन की सांस नहीं ले सकते।'

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में इस समय जहां देखो 'प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध' के विज्ञापन नजर आएंगे। बड़े-बड़े बिलबोर्ड से झांकते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। रेडलाइट, चौराहों पर 'प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध' लिखी टीशर्ट पहनें और हाथों में पोस्टर थामे वॉलंटियर रेडलाइट होने पर गाड़ी का इंजन बंद करने की गुजारिश करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों की गाड़ियों के इंजन चालू ही रहते हैं। दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई विज्ञापनों तक ही सिमटी नजर आती है। अगर गंभीर प्रयास किए जा रहे होते तो तीन महीने पहले की गई शिकायत पर कोई ना कोई कार्रवाई तो हुई होती। ऐसे शिकायतों पर दफ्तरों में मुहरें लग रही हैं और बाहर टायरों और पुराने सामान का जलाया जाना जारी है।

वॉलंटियर रेडलाइट होने पर गाड़ी का इंजन बंद करने की गुजारिश करते हैं लेकिन अधिकतर लोगों की गाड़ियों के इंजन चालू ही रहते हैं।

दिल्ली के ITO चौराहे पर शाम के वक्त गाड़ी की खिड़की खोलते ही जहरीली हवा फेफड़ों में घुसती है। अब यहां प्रदूषण से निबटने के लिए स्मॉग गन तैनात है, जो पानी का फुहारा हवा में छोड़ती है। इसका असर आसपास के 100 मीटर क्षेत्र में ही रहता है। यहां से अगली लालबत्ती पर फिर वही जहरीली हवा दम घोंटती है। बिजली से चलने वाली ये गन भारी शोर करती है और बड़ी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करती है। देखने में भले ये लगे कि प्रदूषण के खिलाफ सरकार सजग है, लेकिन वास्तविक असर कुछ खास नजर नहीं आता। इस समय राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी 50 गन तैनात हैं।

दिल्ली के सचिवालय पर तैनात स्मॉग गन के आगे कई लोग अपनी गाड़ी रोक देते हैं। उन्हें लगता है कि ये सैनिटाइजर है, लेकिन असल में ये पानी की फुहारें हैं, जो हवा में घुल रहे धुएं के कणों से चिपककर उन्हें जमीन तक लाती हैं। इस स्मॉग गन को चला रहे दीपक रावत बताते हैं, 'हम सुबह भारी ट्रैफिक के समय और शाम को स्मॉग गन चलाते हैं। दिन में भी बीच-बीच में इसे चलाते रहते हैं।'

वो कहते हैं, 'इसका असर हो रहा है या नहीं, वो तो एक्सपर्ट ही बताएंगे, लेकिन ये तो आप देख ही सकते हैं कि जहां तक बौछार जा रही हवा साफ है।' इन स्मॉग गन का असर एक सीमित दायरे में ही दिखाई देता है, लेकिन बिजली और पानी की भारी खपत इनके वास्तविक असर पर सवाल खड़ा कर देती हैं।

25-26 साल के मौहम्मद जैद फोन कॉल पर टायर-पंचर जोड़ने की सेवा देते हैं और अधिकतर समय रोड पर ही रहते हैं। उनका जवान शरीर भी प्रदूषण की मार से बेहाल हो जाता है। जैद कहते हैं, 'आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होती है। देर तक रोड पर रहने की वजह से सर भारी हो जाता है।'

यही हाल ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर योगेंद्र मान का है। करीब 50 साल के योगेंद्र दिन भर रोड पर रहते हैं। वो कहते हैं, 'हम हर समय मास्क लगाए रखते हैं और गुनगुना पानी पीते हैं। आंखों में जलन रहती है, लेकिन अब आदत हो गई है।' प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध हैं। कंस्ट्रक्शन साइटों को लेकर भी कई सख्त नियम हैं। आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जेनरेटर चलाने पर भी रोक है। पराली को जलाने से रोकने के लिए तो कानून तक लाया गया है।

प्रशासन प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव कर रहा है।

बावजूद इसके प्रदूषण की स्थिति में सुधार नजर नहीं आता। अक्टूबर 2020 में दिल्ली का औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 265 रहा है, जबकि साल 2019 में अक्टूबर का औसत AQI 234 था। यानी इस साल हवा और खराब हुई है। बीते साल दीवाली 27 अक्टूबर को थी। दीवाली की पूर्व संध्या दिल्ली का औसत AQI 319 था, जबकि अगले दिन प्रदूषण का स्तर दिल्ली में 400 को पार कर गया था।

बीते तीन साल का डाटा बताता है कि दीवाली के बाद प्रदूषण का स्तर तीन चार दिन तक बढ़ता रहता है। इस बार पटाखों पर सख्त प्रतिबंध हैं। ऐसे में कुछ बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। शुक्रवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में AQI चार सौ के पार था, जबकि औसत 379 था। पड़ोस के नोएडा में ये 374, जबकि गुरुग्राम में 295 रहा। गाजियाबाद में AQI 289 है। प्रदूषण का ये स्तर स्वस्थ लोगों के लिए भी हानिकारक है। बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए तो ये बेहद खतरनाक है। इस हवा में सांस लेने से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा से पीड़ित लोगों को इमरजेंसी हेल्थ सर्विस तक लेनी पड़ सकती है। 2019 में 13 नवंबर को दिल्ली का AQI 500 के पार था, जबकि नोएडा में ये 472 था।

दिल्ली-NCR के हालात अभी खतरनाक हैं और आगे ये स्थिति और बिगड़ सकती है। सरकार के कदमों का भी कुछ खास असर नहीं दिख रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि अभी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है। पर्यावरण जागरुकता के लिए साइकिल यात्रा कर रहे अनुपम त्रिपाठी कहते हैं, 'प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में हम गलती ये कर रहे हैं कि हम सरकार पर निर्भर हो रहे हैं। सिर्फ नियम-कानून बनाकर हवा साफ नहीं की जा सकती। इसके लिए हर व्यक्ति को प्रयास करना होगा। बड़े शहरों में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इन्हें खुद पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।'



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The fight against pollution reduced to posters and banners, deteriorating conditions in Delhi


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7 साल से नहीं मिला नया चैम्पियन; दिल्ली फाइनल तक पहुंची, लेकिन बेंगलुरु फिर चोकर्स

IPL के 13वें सीजन में दिल्ली कैपिटल्स (DC) पहली बार फाइनल में पहुंची थी। इसी के साथ फैंस को उम्मीद जग गई थी कि 7 साल बाद लीग में नया चैम्पियन मिल जाएगा, लेकिन डिफेंडिंग चैम्पियन मुंबई इंडियंस (MI) ने ऐसा नहीं होने दिया। उसने दिल्ली को हराकर 5वीं बार खिताब पर कब्जा जमा लिया।

श्रेयस अय्यर की कप्तानी में लगातार इम्प्रूव कर रही दिल्ली टीम ने इस बार लड़खड़ाते हुए फाइनल में जगह बनाई थी। वहीं, विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) एक बार फिर चोकर्स साबित हुई। एलिमिनेटर में सनराइजर्स हैदराबाद ने उसे बाहर कर दिया। हालांकि, हैदराबाद को क्वालिफायर-2 में दिल्ली ने करारी शिकस्त दी थी।

मुंबई ने 5 और चेन्नई ने 3 बार खिताब जीता
अब तक 13 सीजन में 5 ही ऐसी टीम हैं, जिन्होंने खिताब जीते हैं। इनमें मुंबई ने सबसे ज्यादा 5 और चेन्नई सुपर किंग्स ने 3 बार खिताब अपने नाम किया है। कोलकाता नाइट राइडर्स और हैदराबाद टीम 2-2 बार चैम्पियन रही हैं। राजस्थान रॉयल्स एक बार ट्रॉफी लेकर गई।

लड़खड़ाते हुए पहली बार फाइनल में पहुंची दिल्ली
इस सीजन में दिल्ली ने शुरुआत शानदार की और जल्दी ही 14 पॉइंट के साथ टॉप पर पहुंच गई थी। तब दिग्गजों ने टीम खिताब का दावेदार मान लिया था, लेकिन उसके बाद टीम लगातार मैच हारती गई और फिर एक मैच जीतकर दूसरे नंबर पर काबिज हुई। पहले क्वालिफायर में मुंबई ने दिल्ली को 57 रन से करारी शिकस्त दी।

टॉप-2 में रहने के कारण दिल्ली को क्वालिफायर-2 में दूसरा मौका मिला, जिसमें एलिमिनेटर जीतकर आई सनराइजर्स हैदराबाद को 17 रन से शिकस्त दी और लड़खड़ाते हुए पहली बार फाइनल में जगह बनाई। इस मैच में पहली बार मार्कस स्टोइनिस को ओपनिंग भेजा था, जिन्होंने 38 रन की पारी खेली और 3 विकेट भी लिए थे। हालांकि फाइनल में वे मैच की पहली बॉल पर आउट हो गए थे।

पहला खिताब जीतने वाली राजस्थान का पिछले साल से भी ज्यादा खराब प्रदर्शन
IPL का पहला खिताब 2008 में राजस्थान रॉयल्स ने अपने नाम किया था। इसके बाद टीम कभी फाइनल नहीं खेली और हर सीजन में जूझती हुई दिखी। पिछले साल टीम 7वें नंबर पर थी। इस बार टीम का प्रदर्शन उससे भी ज्यादा खराब रहा और 8वें नंबर पर रहते हुए वापस लौटी।

जबकि टीम की कमान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ के हाथ में थी। साथ ही टीम में इंग्लैंड को 2019 वनडे वर्ल्ड कप जिताने वाले जोस बटलर, जोफ्रा आर्चर, बेन स्टोक्स और टॉम करन मौजूद थे। इन दिग्गजों के बावजूद यूएई के मैदान पर राजस्थान पूरी तरह बेअसर दिखी।

RCB में कोहली-डिविलियर्स और फिंच, फिर भी टीम चोकर्स
लीग के दूसरे सीजन में ही फाइनल खेलने वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) एक बार फिर चोकर्स साबित हुई। टीम की कमान 2013 से विराट कोहली के हाथ में है, लेकिन फ्रेंचाइजी को अब तक खिताब नसीब नहीं हुआ। कोहली के अलावा मौजूदा टीम में एबी डिविलियर्स और एरॉन फिंच जैसे बड़े खिलाड़ी थे। गेंदबाजी में युजवेंद्र चहल, क्रिस वोक्स, डेल स्टेन, उमेश यादव और नवदीप सैनी थे।

सभी ने टीम को प्ले-ऑफ में पहुंचाया। यहां से फैंस को लगा कि टीम इस बार अपना पहला खिताब जीत लेगी, लेकिन टीम फिर चोकर्स साबित हुई। एलिमिनेटर में सनराइजर्स हैदराबाद ने उसे 6 विकेट से करारी शिकस्त दी। इस मैच से एक दिन पहले ही कप्तान कोहली ने अपना 32वां जन्म दिन भी मनाया था। फैंस को लगा था कि कोहली उन्हें खिताब के रूप में गिफ्ट देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

ऑरेंज कैप विनर राहुल की टीम किंग्स इलेवन की हालत सबसे खराब
क्रिस गेल, कप्तान लोकेश राहुल और मयंक अग्रवाल जैसे प्लेयर होने के बावजूद किंग्स इलेवन पंजाब 6 साल से प्ले-ऑफ में जगह नहीं बना सकी। पिछली बार टीम 2014 में रनरअप रही थी। इससे पहले टीम एक ही बार 2008 में प्ले-ऑफ खेल सकी है। आंकड़ों को देखा जाए तो दिल्ली से ज्यादा खराब हालत इसी टीम की है।

इस टीम का इतिहास देखा जाए, तो टीम में डेविड वॉर्नर, युवराज सिंह, ग्लेन मैक्सवेल, हाशिम अमला, डेविड मिलर, शॉन मार्श और महेला जयवर्धने जैसे दिग्गज खेल चुके हैं। गेंदबाजी में मोहम्मद शमी, संदीप शर्मा, एंड्र्यू टाई, इरफान पठान और एस श्रीसंत जैसे खिलाड़ी रहे हैं। बावजूद टीम अब तक एक फाइनल और एक बार प्ले-ऑफ खेल सकी है। टीम की मालकिन प्रिटी जिंटा हैं।



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Virat Kohli: IPL 2020 Chokers Team | Delhi Capitals, Kings XI Punjab (KXIP) and Royal Challengers Bangalore (RCB)


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