from NDTV Khabar - Latest https://ift.tt/2KbKSkp
via IFTTT
Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
नमस्कार!
किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटेन के सिखों ने प्रधानमंत्री मोदी की मां को चिट्ठी लिखी है। फारूक अब्दुल्ला की प्रॉपर्टी ED ने अटैच कर ली है। सर्दी का सितम पहाड़ों से लेकर मैदानों तक जारी है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
देश-विदेश
ममता के किले में शाह की सेंध
दो दिन के बंगाल दौरे पर गए अमित शाह शनिवार को मिदनापुर पहुंचे। यहां उनकी रैली के दौरान TMC छोड़ चुके और ममता के खास रहे पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ सांसद सुनील मंडल, पूर्व सांसद दशरथ तिर्की और 10 MLA ने भी भाजपा जॉइन की। इनमें 5 विधायक तृणमूल हैं। शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते दीदी (ममता बनर्जी) अकेली रह जाएंगी। शाह ने बंगाल के लोगों से कहा- आपने तीन दशक कांग्रेस को मौका दिया। कम्युनिस्टों को 27 साल दिए। ममता को 10 साल दिए। हमें एक मौका दीजिए, हम बंगाल को सोनार बांग्ला बना देंगे।
फारुख अब्दुल्ला पर ED का शिकंजा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला (83) पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसा है। अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ की संपत्तियां ED ने शनिवार को अटैच कर दीं। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में यह कार्रवाई की गई। जम्मू और श्रीनगर में अब्दुल्ला की 2 रिहायशी, एक कमर्शियल प्रॉपर्टी और 3 प्लॉट अटैच किए गए हैं। इनकी बुक वैल्यू 11.86 करोड़ दिखाई गई है, लेकिन इनकी मार्केट वैल्यू 60-70 करोड़ है।
सोनिया की नाराज नेताओं से 5 घंटे चर्चा
सोनिया गांधी ने शनिवार को कांग्रेस के नाराज नेताओं के साथ करीब 5 घंटे चर्चा की। इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहे। मीटिंग में पार्टी नेताओं की शिकायतें, आने वाले चुनावों की रणनीति और नए पार्टी अध्यक्ष पर चर्चा हुई। इसमें आम राय बनी कि जल्द ही एक चिंतन शिविर रखा जाएगा। इसमें पार्टी नेता आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे। मीटिंग के दौरान राहुल गांधी ने नाराज नेताओं को मनाने की पूरी कोशिश की। मीटिंग के बाद पवन बंसल ने कहा कि पार्टी को राहुल गांधी की लीडरशिप की जरूरत है।
अयोध्या में मस्जिद की डिजाइन लॉन्च
अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की डिजाइन शनिवार को लॉन्च हुई। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने वर्चुअल मीटिंग में डिजाइन की लॉन्चिंग की। खास बात यह है कि मस्जिद में गुम्बद नहीं होगा। वहीं, इसका नाम किसी बादशाह के नाम पर नहीं रखा जाएगा। कैंपस में म्यूजियम, लाइब्रेरी और एक कम्युनिटी किचन भी बनेगा। 200 से 300 बेड का एक हॉस्पिटल भी यहां रहेगा। निर्माण की शुरुआत 26 जनवरी या 15 अगस्त से होगी।
मोदी की मां को ब्रिटेन के सिखों की चिट्ठी
ब्रिटेन की एक सिख एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा को खत लिखा है। ब्रिटिश एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन ऑफ सिख (BECAS) ने 14 दिसंबर को लिखे खत में कहा कि किसान आंदोलन को लेकर कुछ लोग पंजाब की माताओं को बदनाम कर रहे हैं। आपको अपने बेटे से इस बारे में बात करनी चाहिए। भास्कर ने BECAS के अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह दुग्गल से बात की, तो उन्होंने कहा- कुछ महिलाएं पंजाब की मांओं के बारे में गलत प्रचार कर रही हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट भी इनके बारे में गलत शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
एक्सप्लेनर
भारत करेंसी मैनिपुलेशन मॉनिटरिंग लिस्ट में
अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करेंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है। करेंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से फर्क क्या पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? इन सवालों के जवाब जानिए।
खुद्दार कहानी
तंदूरी चाय से 15 हजार रु महीने की कमाई
राजकोट की रहने वाली रुखसाना हुसैन को लोग चायवाली के नाम से पहचानते हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ीं रुखसाना द चायवाली के नाम से टी स्टॉल चलाती हैं। इससे पहले वे रजिस्ट्रार ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर थीं। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर टी स्टॉल लगाना शुरू किया। आज रुखसाना तंदूरी चाय बनाने में एक्सपर्ट हैं और अब वो रोजाना 1 हजार रुपए की चाय बेच लेती हैं। उनकी महीने की कमाई 15 हजार रु. है, जबकि नौकरी करते हुए महीने के महज चार हजार रु. ही मिलते थे।
टेस्ट में टीम इंडिया का लोएस्ट स्कोर
ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में भारत को 8 विकेट से हरा दिया। भारत ने अपनी दूसरी पारी में 9 विकेट पर 36 रन बनाए। ये भारत के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे छोटा स्कोर रहा। इससे पहले भारतीय टीम का टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम स्कोर 42 रन का था, जो इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में 1974 में बना था। इधर, 4 साल पहले यानी 2016 में 19 दिसंबर को ही भारत ने अपने टेस्ट इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर बनाया था। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में खेले गए टेस्ट में टीम इंडिया ने 7 विकेट पर 759 रन बनाए थे। दोनों बार विराट कोहली ही टीम के कप्तान थे।
कोरोना पॉजिटिव-निगेटिव का झमेला
नासिक के मनमाड़ में कोरोना पॉजिटिव और निगेटिव होने के चक्कर में एक महिला का शव दो बार दफनाया गया। मनमाड़ की मंजूलता वसंत क्षीरसागर (76) का 21 सितंबर को निधन हुआ था। शव का RT-PCR टेस्ट कराया गया। लेकिन, प्रशासन ने रिपोर्ट आने से पहले ही शव मालेगांव के कब्रिस्तान में दफना दिया। 22 सितंबर को रिपोर्ट निगेटिव आई, तो बेटे सुहास ने शव को कब्र से निकालने की गुहार लगाई। 64 दिन बाद यानी 23 नवंबर को आखिरकार सरकार ने शव निकालने की इजाजत दी। इसके बाद सुहास ने मंजूलता को उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक, पति के ठीक बगल में पूरे रस्मो-रिवाज के साथ दफनाया।
ठंड से कांपा उत्तर भारत
शिमला और कश्मीर में बर्फबारी के बाद अब दिल्ली में भी कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। दिल्ली के जाफरपुर में पारा शिमला के बराबर पहुंच गया है। यहां तापमान सामान्य से 6 डिग्री कम रिकॉर्ड किया गया। वहीं पंजाब के अमृतसर में ठंड ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां पारा 0.4 डिग्री पर पहुंच गया है। जालंधर में तापमान 1.6 डिग्री रहा। बर्फीली हवाओं ने बिहार की राजधानी पटना में भी कोल्ड डे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। यहां एक दिन में पारा 4 डिग्री तक गिर गया। राजस्थान के सभी 33 जिलों में पारा 7 से नीचे पहुंच गया। वहीं, एमपी में राजधानी भोपाल समेत सभी शहरों में सर्दी बढ़ गई है।
सुर्खियों में और क्या है...
राजकोट की रहने वाली रुखसाना हुसैन को लोग चायवाली के नाम से पहचानते हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ाई करने वाली रुखसाना द चायवाली के नाम से टी स्टॉल चलाती हैं। इससे पहले वे रजिस्ट्रार ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर थीं। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर टी स्टॉल शुरू किया। आज रुखसाना तंदूरी चाय बनाने में एक्सपर्ट हैं। अब वे रोजाना 1 हजार रुपए की चाय बेच लेती हैं।
रुखसाना जब रजिस्ट्रार के ऑफिस में नौकरी करती थीं, तब उनकी महीने की सैलरी सिर्फ 4 हजार रुपए थी। इस तनख्वाह में अपना और घर का खर्च निकालना बेहद मुश्किल था। लेकिन, अब इस स्टॉल से वे महीने के 15 हजार रुपए से ज्यादा कमा लेती हैं। रोजाना सिर्फ चार घंटे में वे 500 रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं।
बचपन से घर में चाय बनाती आ रही हैं
रुखसाना कहती हैं- मैं घर में बचपन से ही चाय बनाती आ रही हूं। घर में सबको मेरे हाथ की चाय इतनी पसंद थी कि सिर्फ मुझे ही चाय बनाने के लिए कहा जाता था। इसी के चलते, अक्सर मेरे मन में यही ख्याल आता था कि क्यों न अपना रेस्टोरेंट खोल लूं। हालांकि, रेस्टोरेंट खोलने लायक पैसे तो थे नहीं, इसलिए एक छोटे केबिन से ही काम शुरू कर दिया। आगे जाकर एक रेस्टोरेंट जरूर खोलूंगी।
टी स्टॉल खोलने के बारे में जब रुखसाना ने पहली बार घर में बात की, तो सभी नाराज होने लगे। घर के लोगों ने कहा कि लड़की होकर चाय का स्टॉल चलाओगी। तुम्हें पता भी है वहां किस-किस तरह के लोग आते हैं। लेकिन रुखसाना अपनी जिद पर अड़ी रहीं। वे कहती हैं- घरवालों के विरोध के बावजूद मैंने चाय की दुकान लगाने की कोशिश शुरू कर दी थी। कुछ ही दिनों में मेरी कामयाबी देखकर परिवार वालों ने मेरे फैसले की तारीफ करनी शुरू कर दी। अब तो मुझे उनसे हर तरह का सपोर्ट मिलने लगा है।
चाय पसंद आई, तो बढ़ते गए ग्राहक
रुखसाना कहती हैं- मैंने चाय का बिजनेस 2018 में शुरू किया। शुरुआत में मैं सिर्फ आधे लीटर दूध की चाय बनाती थी। लेकिन, ग्राहक बढ़ते चले गए और अब तो रोजाना 10 लीटर दूध लग जाता है। एक बार ग्राहकों ने दुकान पर आना शुरू किया और उन्हें चाय पसंद आई, तो फिर वे ही रेग्युलर ग्राहक बन गए। लोग अपने साथ और ग्राहकों को भी लाने लगे। आज रुखसाना का टी स्टॉल द चायवाली के नाम से फेमस हो चुका है। वे अब इसकी चेन शुरू करना चाहती हैं।
सीक्रेट मसाले हैं तंदूरी चाय की खासियत
रुखसाना की तंदूरी चाय इसलिए खास है, क्योंकि वे इसके लिए सीक्रेट मसाले का इस्तेमाल करती हैं। स्मोकी फ्लेवर की इस चाय का मसाला वे खुद ही तैयार करती हैं। ऑर्डर पर तुरंत मिट्टी के कुल्हड़ में चाय गर्म करती हैं, जिसका स्वाद लोगों को बेहद पसंद आता है। मिट्टी के कुल्हड़ में गर्मागर्म चाय देने के चलते ही वे चाय पार्सल नहीं करतीं।
रुखसाना बताती हैं कि शुरुआत में यह अजीब लगता था कि एक लड़की चाय की दुकान चलाए, क्योंकि ज्यादातर यह काम लड़के ही करते हैं। लेकिन, यह मेरी गलतफहमी थी। आज ढेरों ग्राहक मेरे काम की तारीफ कर मुझे प्रोत्साहित करते हैं। वे मेरी बनाई चाय की तारीफ किए भी नहीं थकते। मैं रोजाना शाम 5.30 बजे टी स्टॉल खोलती हूं और रात के 9 बजे तक काम करती हूं। अब तो कई रेगुलर कस्टमर हैं, जिन्हें दुकान खुलने और बंद होने का समय पता है। इनमें से कई ग्राहक तो इस चाय के बारे में सोशल मीडिया पर भी कई पोस्ट कर चुके हैं।
ग्राहक बोले- इस चाय का टेस्ट लाजवाब
रुखसाना के टी स्टॉल पर रोजाना चाय पीने आने वाले मनसुखभाई बताते हैं- मैं यहां पिछले डेढ़ महीने से रोजाना चाय पीने आता हूं। एक भी दिन चाय का टेस्ट नहीं बदला। बेटी इतनी टेस्टी चाय बनाती है कि अब इसकी लत लग गई है। चाय की खासियत के बारे में बात करते हुए मनसुखभाई कहते हैं कि रुखसाना ऑर्गेनिक तरीके से चाय बनाती है। इसीलिए इसका टेस्ट इतना अच्छा है।
17 दिसंबर को ब्रिटेन की एक हाईकोर्ट ने 9 साल की बच्ची की मौत के लिए एयर पॉल्यूशन को जिम्मेदार ठहराया। बच्ची का नाम एला किस्सी डेब्रह (Ella Kissi-Debrah) था। यह दुनिया का पहला मामला है, जब किसी बच्ची की मौत एयर पॉल्यूशन से हुई है। एला लंदन के साउथ ईस्ट में जहां रहती थी, वहां एयर क्वालिटी बहुत खराब थी और एक बिजी रोड थी। एला की मौत साल 2013 में अस्थमा के गंभीर अटैक की वजह से हुई थी। वह कई बार कार्डियक अरेस्ट से जूझ चुकी थी और सांस से जुड़ी बीमारी से परेशान थी। मौत के बाद आई रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि एला ने एयर पॉल्यूशन और अस्थमा के कारण दम तोड़ा था।
इस घटना ने अब एयर पॉल्यूशन से होने वाले हेल्थ रिस्क को लेकर सतर्क किया है। भारत में एयर पॉल्यूशन एक बड़ी समस्या है। 2019 में सभी रिस्क फैक्टर्स में जहरीली या प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुई है।
दुनिया के 30 पॉल्यूटेड शहरों में भारत के 21 शहर शामिल
दुनिया के सबसे पॉल्यूटेड 30 शहरों में से भारत के 21 शहर शामिल हैं। एक स्टडी की मानें तो भारत में 14 करोड़ लोग जिस हवा में सांस लेते हैं, वह WHO की सेफ लिमिट से 10 गुना ज्यादा प्रदूषित है। इसमें सबसे ज्यादा 51% इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन, 27% वाहनों से, 17% पराली जलाने और 5% पटाखों की वजह से होता है। ऐसे में सबसे बड़ा चैलेंज भारतीयों के सामने अपने हेल्थ रिस्क को लेकर है।
रायपुर से हेल्थ एक्सपर्ट निधि पांडे कहती हैं कि बढ़ते प्रदूषण और कोरोनावायरस ने लोगों के हेल्थ रिस्क को बढ़ा दिया है। इससे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे ब्रीदिंग प्रॉब्लम, फेफड़ों पर असर, इम्युनिटी पर असर और कई तरह की मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
एक्सपर्ट्स की मानें तो हम एयर पॉल्यूशन से पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते हैं, लेकिन कुछ जरूरी बदलाव करके बचाव कर सकते है। ऐसे में हम आपको कुछ फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल कर एयर पॉल्यूशन से बचाव कर सकते हैं।
डाइट में इन चीजों को शामिल करें तो एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारी से बच सकते हैं
एक्सपर्ट कहती हैं कि अगर हम अपनी डाइट में विटामिन-C वाले फ्रूट, सब्जियों में रूट वेजिटेबल, फूडग्रेन, दूध, केसर और लहसुन-अदरक शामिल करते हैं, तो हम अपने शरीर पर एयर पॉल्यूशन के खतरे को कम कर सकते हैं। इन सभी में हमें यह जानना जरूरी है कि अगर हम विटामिन-C वाले फ्रूट ले रहें हैं, तो इनमें किन फलों को शामिल कर सकते हैं?
इन 5 ग्राफिक्स से समझते हैं कि किस तरह की डाइट हमें एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारियों से बचा सकती है?
मेरी दो आंखें थीं, एक चली गई अब बस एक ही रह गई है, ये कहते-कहते हरचरण सिंह की आंखों में ठहरे आंसू उनके गालों तक चले आए। दिसंबर की सर्द रात में उनका चेहरा भीग गया। पंजाब के संगरूर के रहने वाले हरचरण सिंह टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल हैं। पांच साल पहले उनके तीस साल के बेटे ने सल्फास खाकर खुदकुशी कर ली थी।
हरचरण सिंह को वो मंजर आज भी याद है जब उनके बेटे ने सल्फास की डेढ़ गोली घोलकर पी ली थी। उनका जवान बेटा घर के आंगन में बेसुध पड़ा था। पड़ोसियों की भीड़ इकट्ठा थी। वो खबर सुनकर दौड़कर घर पहुंचे थे, लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी अपने बेटे को बचा नहीं पाए थे।
चार किल्ले जमीन के मालिक हरचरण सिंह ने खेती करने के लिए कर्ज लिया जो ब्याज के साथ बढ़ता ही चला गया। वो याद करते हैं, 'आढ़तियों के 3 लाख रुपए देने थे। 1.60 लाख का लोन था, एक लाख रुपए किसान क्रेडिट कार्ड के थे, 90 हजार रुपए और थे। कुल मिलाकर 7 लाख रुपए के करीब कर्ज था।'
हरचरण सिंह का समाजसेवी बेटा कर्ज उतारने के लिए जो काम मिल रहा था, वह कर रहा था। लेकिन कर्ज था कि बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन जब परिवार सुबह चाय पी रहा था तो उनके बेटे ने पूछा कितना कर्ज बाकी रह गया है। हरचरण बोले, 'सात लाख'। ये सुनते ही सकते में आए बेटे ने कहा, 'बापू तू तो कह रहा था कि लोन खत्म हो जाएगा, ये तो बढ़े ही जा रहा है।' उस दिन के बाद से हरचरण सिंह ने कभी अपने बेटे को खुश नहीं देखा और आखिरकार एक दिन उसने खुदकुशी कर ली। हरचरण सिंह का बड़ा बेटा चला गया है, लेकिन कर्ज अभी बाकी है।
वो कहते हैं, 'बड़ा परिवार है। घर में शादी हुई तो कर्ज ले ले लिया, कोई बीमार पड़ गया तो कर्ज लिया, खेतों में पैसा लगा, मशीनरी में लगा। कर्ज बढ़ता ही गया।' वो ज्यादातर गेहूं की खेती करते हैं। कहते हैं, 'खाने के लिए भी गेहूं रोकना पड़ता है। सारा बेच नहीं पाते। जो गेहूं बेचते थे उससे खर्च पूरा नहीं हो पाता था।' हरचरण सिंह अपनी झुकी कमर लिए लंगड़ाते हुए भारी कदमों से ट्रॉलियों की भीड़ की तरफ मुड़े और दिसंबर की सर्द रात के धुंधलके में खो गए।
पंजाब सरकार के मुताबिक 2000 से अक्टूबर 2019 तक 3300 से ज्यादा किसानों ने कर्ज की वजह से आत्महत्या की है। इनमें से 97 फीसदी किसान मालवा इलाके के ही हैं। सतलुज के दक्षिण में बसे मालवा में पंजाब के 22 में से 14 जिले आते हैं। यहां ज्यादातर किसानों के पास एक से पांच एकड़ तक जमीन है। संगरुर जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है।
संगरुर से ही आई गुरमील कौर महिलाओं के एक समूह के साथ बैठी हैं। ये सब सुनाम तहसील के जखेपल हम्बलवास गांव की रहने वाली हैं। ये गांव किसानों की आत्महत्या के लिए बदनाम है। गुरमील कौर के पति ने 6 लाख रुपए के कर्ज के चलते 2007 में खुदकुशी कर ली थी। तब उनका बेटा सिर्फ पांच साल का था। गुरमील के पास दो किल्ले जमीन हैं जो उन्होंने बंटाई पर दे रखी है। वो बताती हैं, 'हर वक्त कर्ज उतारने की टेंशन लगी रहती थी। आखिरकार पति ने पेस्टीसाइड पीकर जान दे दी।'
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 25 दिनों से जारी प्रदर्शन में शामिल गुरमील कौर कहती हैं कि उनके पति ने तो आत्महत्या कर ली, वो नहीं चाहती कि उनके बेटे के सामने भी ऐसे ही मुश्किल हालात हों और इसलिए ही वो किसान आंदोलन में शामिल होने आई हैं। पति की आत्महत्या के बाद किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की। वो कहती हैं, 'मैंने बहुत ही मुश्किल हालात में अपने बेटे को पाला है। अब सरकार ऐसे कानून बना रही है जो किसानों के लिए और मुश्किलें पैदा करेंगे।'
हरमिंदर कौर के पति ने खेत में ही फांसी लगा ली थी। उनके दो बच्चे हैं जिनमें से एक अपाहिज है। हरमिंदर कौर कहती हैं, 'पति ने तो दस साल पहले जान दे दी, लेकिन कर्ज अभी भी चल रहा है। खेती करने के लिए कर्ज लिया था। कर्ज कम नहीं हुआ बढ़ता ही गया। वो टेंशन में रहने लगे थे, टेंशन की दवा भी ली लेकिन, कुछ अच्छा नहीं हुआ। फिर एक दिन वो खेत पर गए और वहीं लटक गए।'
हरमिंदर कौर अब किसानों के धरने में शामिल हैं। वो कहती हैं, 'दस साल से हम नरक में रह रहे हैं, लेकिन कोई हमारी सुध लेने नहीं आया, कर्ज का एक पैसा भी माफ नहीं हुआ।' बलजीत कौर के पति गुरचरण सिंह ने भी पांच लाख रुपए के कर्ज की वजह से खेत में ही जहर पीकर जान दे दी थी। बलजीत कौर 26 नवंबर से ही किसानों के धरने में शामिल हैं। वो कहती हैं, 'हमारे आदमियों ने खुदकुशी कर ली। दिन रात टेंशन में नींद नहीं आती। अब हम यहां अपने बच्चों के लिए बैठे हैं। कम से कम बच्चों का तो जीवन बचा रहे।'
वो कहती हैं, 'हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसे सड़कों पर चूल्हे लगाने पड़ेंगे। हम यहां इतनी ठंड में सड़क पर सो रहे हैं। हम दुखियारी औरतें हैं, उन्हें हमारा दर्द भी नहीं दिख रहा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारी आमदनी दोगुनी करेंगे। लेकिन कोरोना की आड़ लेकर ये काले कानून पास कर दिए। हमने प्रधानमंत्री को वोट दिया था, कुर्सी पर बिठाया था। हमें पता नहीं था कि हमारे वोट लेकर अडानी-अंबानी के लिए काम करेगा। अडानी-अंबानी का हमें ना नाम पता है ना शक्ल, हम बस प्रधानमंत्री को जानते हैं।'
जखेपल गांव से ही आए हरनेक सिंह अपना दर्द सुनाना चाहते हैं। एक एकड़ जमीन के मालिक उनके भाई ने इसी साल अप्रैल में आत्महत्या कर ली थी। उस पर छह लाख का कर्ज था। हरनेक सिंह कहते हैं, 'कर्ज में दबे भाई ने फंदा लगाकर जान दे दी। उसने कर्ज उतारने की बहुत कोशिश की लेकिन, उतार नहीं पाया। अब पीछे दो बेटे रह गए हैं, बस उनका कुछ हो जाए।' हरनेक सिंह इस उम्मीद में आंदोलन में शामिल होने आए हैं कि कोई उनका दर्द सुनेगा और उनके भतीजों के लिए कुछ करेगा। भाई को याद करते-करते उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।
जखेपल के जत्थे में शामिल लोगों के मुताबिक उनके गांव में बीते दस सालों में कर्ज में दबे डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की है। इनके परिवारों को नए कृषि कानूनों से कोई उम्मीद नहीं है। अपनी दर्दनाक कहानियां सुनाते-सुनाते इनके दिल अब ठंडे हो गए हैं और शायद इनसे ज्यादा दिल उनके ठंडे हैं जो इनके गम की तरफ देखना भी नहीं चाहते। बलजीत कहती हैं, 'हमने अपने पति खोए हैं लेकिन अपने बेटों को नहीं खोने देंगे। जब तक ये कानून वापस नहीं होते, यहीं दिल्ली की सड़कों पर सोएंगे।'
अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है।
आखिर करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से क्या फर्क पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? आइये जानते हैं...
करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या है?
यह अमेरिकी सरकार के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की ओर से दिया जाने वाला एक लेबल है। जब अमेरिका को ऐसा लगता है कि कोई देश अनुचित करंसी प्रैक्टिस में शामिल है और इससे अमेरिकी डॉलर की वैल्यू कम होती है, तो उस देश के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कहने का मतलब है कि जब कोई देश जानबूझकर अपनी करंसी की वैल्यू किसी न किसी तरीके से कम करता है, तो उससे दूसरे देशों की करंसी के मुकाबले उसे फायदा होता है। विदेशी करंसी को डी-वैल्यू करने से उस देश की एक्सपोर्ट कॉस्ट घट जाती है।
इसके लिए अमेरिका ने तीन पैरामीटर तय किए हैं। इन तीन में से जिन देशों पर दो पैरामीटर लागू होते हैं, उसे अमेरिका अपनी मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल देता है। और जिन देशों पर तीनों पैरामीटर लागू होते हैं, उन्हें करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर देता है। इस बार अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में 8 देश हैं, जबकि दो देशों को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित किया है।
करंसी मैनिपुलेटर के लिए कौन-से पैरामीटर हैं?
अमेरिका से उस देश के बायलैटरल ट्रेड सरप्लस 12 महीने के दौरान 20 अरब डॉलर से ज्यादा होना।
करंट अकाउंट सरप्लस का एक साल के भीतर देश की जीडीपी का कम से कम 2% होना।
12 महीन में कम से कम 6 बार फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज का जीडीपी का 2% होना।
इस लिस्ट से क्या फर्क पड़ता है?
जो देश इस लिस्ट में डाला जाता है, उस समय उस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उस देश को लेकर सेंटिमेंट नेगेटिव हो सकता है।
भारत को इस लिस्ट में दोबारा क्यों डाला गया?
अमेरिका ने मई 2019 में भारत को इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। उस वक्त अमेरिका की ओर से तय तीन पैरामीटर्स में से दो पैरामीटर भारत पर लागू नहीं होते थे। उस वक्त भारत का सिर्फ बाइलेटरल ट्रेड सरप्लस 20 अरब डॉलर से अधिक था।
अमेरिकी ट्रेड डिपार्टमेंट के रिव्यू में इस बार भी भारत का बाइलेटरल ट्रेड 20 अरब डॉलर से ज्यादा है। जून 2020 तक के पहले चार क्वार्टर में ये 22 अरब डॉलर रहा। वहीं, भारत का फॉरेन एक्सचेंज का नेट परचेज 64 अरब डॉलर का रहा, जो जीडीपी का 2.4% है। पिछले 12 में से 10 महीने ऐसे रहे जब भारत का फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज जीडीपी का 2% से ज्यादा रहा।
इन दो पैरामीटर्स के कारण एक बार फिर भारत अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में आ गया है।
भारत के अलावा और कौन से देश इस लिस्ट में हैं?
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की ताजा रिपोर्ट में भारत के साथ ताइवान और थाईलैंड को इस लिस्ट में डाला है। इसके अलावा चीन, जापान, साउथ कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और मलेशिया भी इस लिस्ट में हैं। ये देश पहले से ही इस लिस्ट में थे।
अमेरिका ने भारत को अक्टूबर 2018 में इस लिस्ट में डाला था। मई 2019 में उसे इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। डेढ़ साल बाद एक बार फिर भारत को इस लिस्ट में डाल दिया गया है।
वियतनाम और स्विट्जरलैंड को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर दिया है। इन दोनों देशों पर अमेरिका द्वारा तय तीनों पैरामीटर लागू होते हैं।
कोई देश इस लिस्ट से कैसे बाहर आएगा?
जो देश एक बार मॉनिटरिंग लिस्ट में आ जाता है, उसे कम से कम दो बार लगातार इससे बाहर रहना होता है। तभी अमेरिका उसे इस लिस्ट बाहर करता है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे यह तय हो सके कि उसकी इकोनॉमी में जो सुधार हो रहे हैं, वे टैम्परेरी नहीं हैं।
हरदोई के सुमित गुप्ता ने 2014 में नोएडा में स्टार्टअप शुरू किया- ऑडियो ब्रिज। पांच-छह साल में जैसे-तैसे अपना बिजनेस जमाया। कई मल्टीनेशनल कंपनियों को सर्विस भी देने लगे। लेकिन, फिर कोरोना आ गया। लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद हो गया। सुमित के लिए नोएडा में रहना और बिजनेस जारी रखना मुश्किल हो गया। वे घर लौटे और वहीं से काम करने लगे। उन्होंने हरदोई के लोगों को ही काम पर रखा।
सुमित कहते हैं कि मजबूरी में उठाया गया कदम अब रिटर्न दे रहा है। नोएडा के मुकाबले हरदोई में लागत कम है। स्किल्ड लेबर सस्ती है। लोकल साथी ज्यादा मन लगाकर काम कर रहे हैं। जिससे रिजल्ट अचीव हो रहे हैं। प्रोडक्शन भी बढ़ गया है।
बीते आठ महीने में सुमित जैसे कई लोगों को अपना बेस बदलना पड़ा है। लॉकडाउन की सख्ती ने उन्हें घर लौटने और वहीं पर कुछ करने को प्रेरित किया। केवल छोटी नहीं, बल्कि बड़ी कंपनियां भी बड़े शहरों से छोटे शहरों यानी टियर-2 और टियर-3 शहरों तक जा रही है। यह ट्रेंड नया नहीं है। लेकिन, यह बात जरूर है कि कोविड-19 के लॉकडाउन ने इसकी रफ्तार तेज कर दी है।
बात यहां सिर्फ लागत की नहीं है, लाइफस्टाइल की भी है। बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा का कहना है कि यह बिजनेस और स्थानीय लोगों, दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन है। न केवल छोटे शहरों में रोजगार के अवसर बन रहे हैं, बल्कि कंपनियों की लागत भी घट रही है। इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ रही है और वे तेजी से अपना कारोबार बढ़ाने पर फोकस कर पा रही हैं।
छोटे शहरों की तरफ लौटने का यह ट्रेंड सिर्फ उत्तरप्रदेश तक सीमित नहीं है। नॉर्थ-ईस्ट में गुवाहाटी से लेकर इंफाल तक और दक्षिण में कोयम्बटूर से लेकर कोच्चि तक यही ट्रेंड दिखा है। टियर-2 और टियर-3 के ये शहर नए भारत में बिजनेस हब बनकर उभर रहे हैं। औरंगाबाद और भुवनेश्वर जैसे शहर मुंबई और कोलकाता से अलग अपनी पहचान बना रहे हैं।
फोर्ब्स की एक स्टडी कहती है कि भारत में स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम तेजी से बदल रहा है। बड़े शहर परेशानी में हैं, जबकि छोटे शहर फल-फूल रहे हैं। कई मार्केट गुरु कहते हैं कि आने वाले दशकों में कई चमत्कार हो सकते हैं। भारत का द ग्रेट मिडिल क्लास ही यहां स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम की ग्रोथ का इंजिन बन रहा है। यह मजबूती से अपनी भूमिका भी निभाएगा।
नए भारत की नई पहचानः
नए बिजनेस हब्स बनने की 6 वजहें-
छोटे शहरों में इन सेक्टर में देखी जा रही सबसे तेज ग्रोथ-
छोटे शहर के बिजनेस से MNC तक का सफर
बड़ा बिजनेस करने के लिए कई बार बड़े शहर का रुख करने की सलाह दी जाती है। लेकिन, हौसला हो तो कुछ मुश्किल नहीं होता। कई बिजनेसमैन छोटे शहरों से बिजनेस शुरू कर अपनी कंपनी को पूरी दुनिया के मुकाम तक ले जाने में सफल रहे हैं। ऐसी ही एक कंपनी है SIS ग्रुप। पिछले साल यह एक बिलियन अमेरिकी डॉलर वाली MNC बनी। इसका हेड ऑफिस आज भी बिहार में है। अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद कंपनी ने विदेशों में प्राइवेट सिक्योरिटी देने के काम पर फोकस किया। अब यह कंपनी सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी प्रमुख निजी सुरक्षा एजेंसी के तौर पर काम करती है।
कंपनी के बारे में चेयरमैन आरके सिन्हा कहते हैं- छोटे शहर से शुरू कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाने में हमेशा उन्होंने अपने कर्मचारियों को सबसे ज्यादा महत्व दिया। शुरुआत में लोग प्राइवेट गार्ड्स को चौकीदार मानते थे लेकिन अब मुश्किल काम के लिए उन्हें सम्मान मिलता है। इसकी वजह है इन गार्ड्स की प्रोफेशनल ट्रेनिंग। अलग-अलग मुसीबतों से निपटने के लिए गार्ड्स को एक महीने की अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के बाद भर्ती किया जाता है।
बिजनेस के इन नए हब के कुछ नुकसान भी
नए बिजनेस हब्स बनने से सब कुछ अच्छा ही हो रहा है, यह कहना सही नहीं है। जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा की माने तो नए बिजनेस हब बनने से लोकल माइग्रेशन रुका है और यह फायदेमंद है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में तेजी से होने वाला विकास लोगों के लिए अवसर, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की तेजी से तरक्की लाता है। लेकिन, लोगों की सोच, नजरिया और सामाजिक संरचना उतनी तेजी से नहीं बदलती। गुरुग्राम जैसे शहर का विकास ऐसा ही उदाहरण है। यहां तेज औद्योगिक विकास के साथ अपराधों में भी बढ़ोतरी देखी है। जिन्होंने गुरुग्राम और गेम ओवर जैसी फिल्में देखी हैं, वे यहां के अपराध से जुड़े डर को समझ सकते हैं।
एक नुकसान यह भी है कि ऐसे किसी शहर में अवसरों के बढ़ने के साथ ही प्रॉपर्टी के दाम और जनसंख्या तेजी से बढ़ जाते हैं। जिससे, धीरे-धीरे इन शहरों में भी टियर-1 के शहरों वाली समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। साथ ही, दूसरी-तीसरी श्रेणी के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हाईवे, एयरपोर्ट भी नहीं होते।
दिल्ली हाईकोर्ट के एक कमेंट को लेकर सोशल मीडिया पर डुगडुगी बज रही है। कोर्ट की टिप्पणी औरतों को लेकर है, तो जाहिर तौर पर मर्दाना आवाजें बैंक बैलेंस जितनी खनक और वजन लिए हैं। दरअसल एक मामले की सुनवाई के दौरान फैसला-पसंद पुरुषों की कोर्ट ने एलान कर दिया कि शादी के वादे पर जिस्मानी रिश्ते बनाना कोई समझदारी नहीं। औरतें अगर ऐसा करती हैं तो वादा टूटने पर वे इसे रेप नहीं कह सकतीं।
कोर्ट की ये बात धड़ल्ले से शेयर हो रही है। 'जागो औरत, जागो' की तर्ज पर हिदायतों का पुलिंदा खुल पड़ा। बहुतेरे कमेंट्स मर्दों को दिलासा दे रहे हैं कि डरो मत, अब रिश्ते से बचाने के लिए तुम्हारे साथ खुद कोर्ट खड़ी है। आखिर कौन मर्द किसी 'जूठी' औरत से शादी करना चाहेगा, भले ही वो उसकी खुद की जूठन हो!
अब एक साल पीछे लौटते हैं। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पुरुष किसी औरत से शादी का वादा कर यौन संबंध बनाए और फिर वादा खिलाफी करे तो वो बलात्कारी है। कोर्ट ने ये बात छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर को घेरे में लेते हुए कही, जो इसी वादे पर एक औरत के करीब गया और फिर शादी कहीं और कर ली। जांच में पाया गया कि डॉक्टर का उस औरत से शादी का कोई इरादा ही नहीं था।
सफेद चोगा पहने ये डॉक्टर साहब अकेले नहीं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का साल 2016 का डेटा बताता है कि उनके पास 10,068 ऐसे मामले आए, जिनमें रेप के पीछे शादी का भरोसा था। साल 2015 में ये संख्या 7,655 रही। मामले देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट्स को बारीकी से जांच करने की हिदायत दी।
कोर्ट के मुताबिक- ये देखना जरूरी है कि क्या मर्द वाकई औरत से शादी करने का 'इरादा' रखता था। या फिर केवल यौन सुख के लिए उससे जुड़ा। गौर करें- इरादा! अगर मर्द अपने इरादे नेक साबित कर सके, तो वो रेप का दोषी नहीं रहेगा। तब ये धोखा प्यार से मन भर जाने की श्रेणी में आएगा और फिलहाल प्यार में ऊब या धोखे के लिए कोर्ट के पास कोई सजा नहीं।
कानूनी दांवपेंच में न उलझें तो भी एक बात यहां बार-बार आती है, औरत इस भरोसे के साथ मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात बनाती है कि आगे चलकर वे शादी करेंगे। वहीं मर्दों के लिए शरीर का जुड़ना शादी के लिए खास वजह नहीं। हां, लेकिन बीवी उन्हें कुंआरी ही चाहिए। ऐसी कि जिसे मर्द तो दूर, सूरज की किरणों ने भी न छुआ हो। सारी ही दुनियावी-आसमानी किताबें भी सीख देती हैं कि बीवी अपने खाविंद को जो सबसे प्यारा तोहफा दे सकती है, वो है उसका अनछुआ होना। औरत की यौनिक शुद्धता को उसका अकेला धर्म बताने वाली 'प्योरिटी इंडस्ट्री' खड़ी हो चुकी है, जो जूठी औरतों को दोबारा जोड़ने की मोटी रकम वसूलती है।
लड़कों को पाल-पोसकर बड़ा करते हुए उन्हें भला मर्द बनने की ट्रेनिंग नहीं मिलती, लेकिन लड़कियों के लिए नीति-ज्ञान की ढेर किताबें हैं। सारी किताबों में एक ही बात कि लड़की की नैतिकता, उसके दिल-दिमाग नहीं, बल्कि उसकी छातियों या पैरों के आसपास बसती है।
ये सीख दुनियाभर की लड़कियों के बचपन का हिस्सा है। बीते दिनों सऊदी की अपनी एक दोस्त से बात हो रही थी। बेहद हसीन। गहरे भूरे बाल और भेद देने वाली कत्थई आंखें मानो एक-दूसरे के लिए ही बनी हों। चाहने वालों का हुजूम मुश्किल से ही साथ छोड़ता। उसने अपनी शादी की खबर दी। बधाई देती, उससे पहले ही हिचकियों ने रोक लिया। पता चला कि होने वाला पति उसे वर्जिनिटी को लेकर कुरेदता है।
खूब पढ़ी-लिखी और वजीफा पा चुकी दोस्त को भावी पति पर गुस्सा नहीं, बल्कि खुद को लेकर डर था कि कहीं वो समझ न जाए। फोन रखते-रखते मैंने पूछ ही डाला, क्या तुम लड़के की प्योरिटी को लेकर पक्का हो! वो हंसने लगी, जैसे कोई बचकाना सवाल सुन लिया।
औरतों को बड़ा ही ऐसे किया जाता है कि वे अपने शरीर को लेकर संकोच और शर्मिंदगी से भरी रहें। जहां कपड़ों को तौलिए से छिपाकर सुखाया जाता हो, वहां शादी से पहले यौन संबंध जैसी बात ही कहां आती है। सोच की इस सीली कोठरी में पली लड़कियां घर से बाहर निकलती हैं। पढ़ती हैं। नौकरी करती हैं। लेकिन रुतबेदार काम भी उन्हें बचपन की सीख भुला नहीं पाता। यही कारण है कि वे प्यार या फिर जिस्मानी जरूरत के लिए भी शादी जैसी बड़ी बात का मुंह जोहती हैं। किसी औरत में ये जरूरत समझने के लिए मर्द को माइंड मॉनिटर लगाने की जरूरत नहीं। वो फटाक से शादी की कैंडी थमा देता है।
औरत की सुख में भरी आंखें जब खुलती हैं तो साथी जा चुका होता है, भरोसा छीज चुका होता है। भरोसा और तथाकथित शुद्धता दोनों ही खो चुकी इन औरतों पर समाज टूट पड़ता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष ने ऐसी ही एक बात कह दी। वे कहती हैं कि लड़कियां राजी-खुशी रिश्ता बनाती हैं, लिव-इन में रहती हैं और फिर रिश्ता टूटने पर FIR करने पहुंच जाती हैं। अध्यक्ष के बयान पर राजनेता आपस में गुत्थमगुत्था हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की जज प्रतिभा रानी ने भी बयान दिया था कि धोखा खाई औरतें बदला लेने के लिए मर्दों को रेपिस्ट कह देती हैं।
हो सकता है, इक्का-दुक्का औरतें इतने दम-खम वाली हों कि बदले के लिए खुद का रेप विक्टिम कहलाना मंजूर कर सकें। लेकिन बाकी औरतों का क्या? शरीर की शुद्धता को डरी हुई औरतें असल रेप को भी सामने नहीं ला पातीं। वे मान लेती हैं कि रेप ने उन्हें किसी लायक नहीं छोड़ा। मानो औरत का शरीर न हुआ, चिप्स का पैकेट हो गया, जिसे मर्द मालिक आराम से बैठकर चुभलाने वाला था। अब पैकेट से बाहर पड़ी चिप्स को भला कौन पूछे। बस्स। वे ठहर जाती हैं। सारी पढ़ाई, सारे तजुर्बे एक तरफ, औरत की इज्जत एक तरफ।
अब कल्पना करें, ऐसी दुनिया की जहां औरत को जांघों की नैतिकता की बजाए खुद पर भरोसे का पाठ सिखाया जाए। जहां वे अपने शरीर को अपनी जायदाद मान सकें, किसी प्रेमी या पति की नहीं। ऐसी दुनिया में कोई मर्द, किसी औरत का रेप शादी के बहाने तो नहीं ही कर सकेगा। और न ही रेप से औरत की आत्मा तार-तार होगी। बल्कि इस जुर्म को खुली आवाज में वो वैसे ही बता सकेगी, जैसे कोई जमीन पर हकमारी की बात बताता है।
बाजार में भारी विदेशी निवेश के चलते लगातार बढ़त दर्ज की जा रही है। शुक्रवार को सेंसेक्स इंडेक्स ने 47 हजार के रिकॉर्ड स्तर को छुआ। इंडेक्स लगातार 7वें हफ्ते बढ़त के साथ 46,960 के स्तर पर बंद हुआ। इस दौरान निवेशकों ने चुनिंदा क्वालिटी और रिस्की दोनों तरह के शेयरों में निवेश किए।
फार्मा, रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल शेयरों में तेजी
इस हफ्ते फार्मा, रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर के शेयरों में तेजी के चलते बाजार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान सेंसेक्स कुल 861 अंक (1.87%) और निफ्टी 246 अंक (1.83%) ऊपर चढ़ा। इसमें खास बात यह है कि निवेशक क्वालिटी शेयरों के साथ-साथ जेट एयरवेज, सुजलॉन एनर्जी, मजेस्को और यस बैंक जैसे रिस्की शेयरों पर भी दांव लगा रहे हैं। दूसरी ओर बाजार के जानकारों का मानना है कि इन कंपनियों की असेट क्वालिटी अच्छी नहीं है। ऐसे में निवेशकों को इनमें निवेश करने से बचना चाहिए।
यस बैंक के शेयर में अपर सर्किट
यस बैंक के शेयर में बीते दो कारोबारी हफ्तों में कई बार अपर सर्किट लगा। शेयर शुक्रवार को भी 3.45% ऊपर 18.88 रुपए के भाव पर बंद हुआ। इसी तरह जेट एयरवेज के शेयरों में भी इस हफ्ते हर दिन अपर सर्किट लगा। BSE में शेयर 5% की बढ़त के साथ 111.50 रुपए के भाव पर बंद हुआ है। दरअसल खबर है कि अगले साल कंपनी की उड़ानें दोबारा शुरु होने वाली हैं। ऐसे में निवेशक शेयर पर बुलिश हैं, जबकि बाजार के जानकार कंपनी के मौजूदा हालत के चलते बिकवाली की सलाह दे रहे हैं।
सुजलॉन एनर्जी का शेयर 25% ऊपर
सुजलॉन एनर्जी का शेयर इस हफ्ते करीब 25% चढ़कर 4.90 रुपए के भाव पर बंद हुआ है। मजेस्को का शेयर भी 52 हफ्तों के निचले स्तर से 472% ऊपर 973 रुपए के भाव पर कारोबार कर रहा है। कंपनी ने प्रति शेयर 974 रुपए का डिविडेंट देने का ऐलान किया है। लेकिन, इस भारी डिविडेंड के बाद भी ब्रोकरेज हाउसेस बिकवाली की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, ज्यादा संभावना है कि कंपनी पर मार्केट रेगुलेटर जल्द कार्रवाई कर सकता है।
क्वालिटी शेयरों में डिक्सन टेक्नोलॉजी, बजाज फाइनेंस, HDFC, लार्सन एंड टूब्रो और टाइटन के शेयर हैं, जिन्होंने बढ़ते बाजार को सपोर्ट किया और निवेशकों की जेब भी भरी। इस हफ्ते बजाज फाइनेंस और HDFC के शेयरों में 8-8% की बढ़त दर्ज की गई। L&T का शेयर भी 7% ऊपर बंद हुआ।
टाइटन, डिक्सन के शेयरों में 5% बढ़त
टाइटन और डिक्सन टेक के शेयरों ने 5-5% से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई। डिक्सन टेक के शेयर ने निवेशकों को भारी रिटर्न दिया। इन शेयरों पर कई ब्रोकरेज हाउसेस आगे भी तेजी का अनुमान दे रहे हैं। डिक्सन टेक्नोलॉजी पर 18 हजार तक का लक्ष्य दिया जा रहा है। शेयर 2020 में अब तक 241% का रिटर्न दे चुका है।
बाजार की अब तक की बढ़त में मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों का बड़ा योगदान रहा। इस हफ्ते BSE स्मॉल कैप 1.23% और मिड कैप 1.60% ऊपर चढ़े हैं। मिड कैप इंडेक्स का टॉप गेनर पेज इंडस्ट्रीज का शेयर रहा। शेयर इस हफ्ते 19.33% ऊपर चढ़ा। इसी तरह स्मॉल कैप इंडेक्स में सरकारी कंपनी हिंदुस्तान कॉपर का शेयर रहा। शेयर हफ्तेभर में करीब 44% चढ़ा।
बात 1942 की है। दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। ब्रिटेन, अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का गठबंधन जापान, जर्मनी जैसे देशों के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था। भारत ब्रिटेन का उप-निवेश था। ब्रिटेन भारत की जमीन का इस्तेमाल युद्ध के दौरान अपने सहयोगियों तक मदद पहुंचाने में कर रहा था। इसका नतीजा ये रहा कि आज ही के दिन 1942 में जापान की इंपीरियल आर्मी एयरफोर्स ने कोलकाता पर बम गिराए थे। आधी रात को की गई बमबारी की वजह से शहर की कई अहम इमारतें तबाह हो गईं थीं।
दरअसल, जापान से चीन लोहा ले रहा था। चीन को युद्ध का सामान ब्रिटेन, अमेरिका पहुंचाते थे। और उसके लिए एक ही रास्ता था, जो भारत से होकर जाता था। जापान इस सप्लाई चेन को तोड़ना चाहता था। इसलिए उसने कोलकाता पर हमला कर दिया। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम दिन में बहुत मजबूत था। इसलिए जापान ने बम गिराने के लिए रात का समय चुना। इस हमले में जापानी एयरफोर्स ने हावड़ा ब्रिज और बंदरगाह को निशाना बनाया था, जो उस वक्त दुनिया के सबसे बड़े पुल की लिस्ट में तीसरे नंबर पर था।
हालांकि, अंधेरा होने की वजह से यह बम हावड़ा ब्रिज पर नहीं गिरे, बल्कि एक होटल के ऊपर गिरे थे। उस दौर में रात में कोलकाता की लाइट काट दी जाती थी और कई अहम बिल्डिंग्स को काले रंग से रंग दिया गया था। 1942 से 1944 के बीच जापान ने कोलकाता पर कई बार हमले किए थे।
जब भारतीय स्पिनर ने टेस्ट की एक इनिंग में 9 विकेट लिए
1959 में आज ही दिन भारत के जस्सू पटेल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 विकेट लिए थे। पटेल का यह रिकॉर्ड लंबे समय तक बरकरार रहा। 1983 में कपिल देव ने एक इनिंग में 9 विकेट लेकर उनके रिकॉर्ड की बराबरी की। 40 साल बाद फरवरी 1999 में अनिल कुंबले ने एक इनिंग में सभी 10 विकेट लेकर जस्सू पटेल का रिकॉर्ड तोड़ा। कुंबले एक इनिंग के सभी 10 विकेट लेने वाले दुनिया के दूसरे खिलाड़ी थे। उनसे पहले जुलाई 1956 में इंग्लैंड के जिम लेकर एक इनिंग में 10 विकेट ले चुके थे।
भारत और दुनिया में 20 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः
1999: चीन और पुर्तगाल के समझौते के बाद मकाउ का चीन का हिस्सा बना ।
1998: बिल क्लिंटन और कैनेथ स्टार को टाइम मैगजीन ने पर्सन ऑफ द इयर घोषित किया।
1988: वोटिंग की उम्र 21 से घटाकर 18 साल करने का बिल राज्यसभा में पास हुआ। इसके बाद 28 मार्च 1989 को राष्ट्रपति के साइन करने बाद ये बिल कानून बना।
1971: जरनल याह्या खान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति का पद छोड़ा। उनकी जगह जुल्फिकार अली भुट्टो राष्ट्रपति बने।
1963: जर्मनी में बर्लिन की दीवार को पहली बार पश्चिमी बर्लिन के लोगों के लिए खोला गया।
1960: उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्मदिन।
1951: पहली बार न्यूक्लियर पावर रिएक्टर से अमेरिका में बिजली बनाई गई।
लोगों को अब कोरोना महामारी से निजात मिलने की उम्मीद दिखाई देने लगी है। अमेरिका के साथ लगभग 6 देशों में टीकाकरण शुरू हो गया है। इसके पहले, ब्रिटेन ने 8 दिसंबर को दुनिया में सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन की शुरुआत की थी। रूस, चीन, यूएई जैसे देशों में पहले ही कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी मंजूरी दी जा चुकी है। दुनियाभर में शुरू हो रहे वैक्सीनेशन के साथ ही इससे जुड़ी कई बातें भी सामने आ रही हैं।
वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन, रख-रखाव के अलावा एशियाई और अफ्रीकी देशों में ट्रेंड स्टाफ की कमी और इसकी सुरक्षा बड़ी समस्या है। वहीं, वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों में इसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिले रहे हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर वैक्सीन के असर का डेटा नहीं
यूनाईटेड किंगडम की ज्वाइंट कमेटी ऑन वैक्सीनेशन एंड इम्यूनाइजेशन (JCVI) ने 2 दिसंबर को जारी एक बयान में कहा कि हमें नहीं पता कि फाइजर कंपनी की वैक्सीन लेने के बाद गर्भवती महिला और उसके बच्चे पर क्या असर पड़ेगा। इसे लेकर पूरी दुनिया में कोई पुख्ता डेटा भी उपलब्ध नहीं है। न ही इसे लेकर किसी इंसान या जानवर पर अध्ययन किया गया है। इसलिए फिलहाल गर्भवती महिलाओं और जो महिलाएं मां बनना चाहती हैं, उनके लिए फाइजर कोरोना वैक्सीन लगाने पर रोक है।
वहीं अमेरिका के फूड एंड ड्रग के सेंटर फॉर बायोलॉजिक्स इवैल्यूएशन एंड रिसर्च के निदेशक डॉ.पीटर मार्क्स ने कहा है कि अमेरिका में किसी भी चीज से एलर्जी वाले लोगों को वैक्सीन नहीं दी जाएगी। आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के लिए बड़े इंतजाम किए जा रहे हैं।
स्टोरेज और हैंडलिंग बड़ी समस्या रहेगी
अमेरिका में फाइजर की कोविड वैक्सीन के रोलआउट का पहला दिन काफी दिक्कतों से भरा रहा। वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री पर स्टोर करने की बाध्यता के चलते पहले दिन ही वैक्सीन की दो ट्रे कंपनी को वापस करनी पड़ी। कैलिफोर्निया में पहले दिन जो वैक्सीन डिलीवर हुई वो माइनस 70 से भी ज्यादा यानी माइनस 80 डिग्री पर स्टोर की गई थी। इसके चलते स्वास्थ्य कर्मियों ने वैक्सीन फाइजर को लौटा दी। माइनस 80 डिग्री पर वैक्सीन के असर का अभी अध्ययन नहीं किया गया है। वहीं, एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हमारे देश में कोल्ड चेन सप्लाई को बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।
ट्रेंड स्टाफ की कमी से समस्या हो सकती है
कोरोना संक्रमण के कारण कई देश पहले से ही ट्रेंड स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में एक साथ बड़ी संख्या मे इस टीकाकरण के लिए ट्रेंड स्टॉफ की कमी बड़ी बाधा बन सकती है। हालांकि सरकार निजी संस्थाओं की मदद ले सकती है। लेकिन, उन्हें इतनी जल्दी प्रशिक्षित करना, उनकी पड़ताल करना कठिन काम होगा।
भारत में पहले ही 6 लाख डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी है। भारत में 10,189 लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह अनुपात 1:1000 होना चाहिए। इसी तरह, नर्स पेशेंट अनुपात 1:483 होना चाहिए, जबकि भारत में 1000 जनसंख्या पर 1.7 नर्स ही हैं।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम और लोगों में वैक्सीन को लेकर डर
मॉडर्ना, फाइजर-बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के दो डोज, तीन से चार सप्ताह के अंतर पर लगाना जरूरी हैं। ऐसे में लोगों की स्क्रीनिंग, शेड्यूलिंग, रजिस्ट्रेशन और वैक्सीन लगाने के लिए जगहों का चुनाव भी बड़ा टॉस्क होगा।
अमेरिका में भी लोग वैक्सीन को लेकर डरे हुए हैं। न्यूयार्क टाइम्स में की खबर के अनुसार, 40% से अधिक अमेरिकी ऐसे हैं, जो कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते। इनमें से अधिकतर वैक्सीन के सुरक्षित होने को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा बुजुर्गो में भी वैक्सीनेशन को लेकर बहुत ज्यादा रुचि नहीं है।
वैक्सीन का रिएक्शन, साइड इफेक्ट्स भी खतरा होंगे
अमेरिका में शुरू हुए कोविड-19 वैक्सीनेशन के साथ ही इसके साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं। अलास्का में दो नर्सिंग स्टाफ में एलर्जी के गंभीर लक्षण दिखाई दिए। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एजलीक रेमिरेज के अनुसार, गुरुवार को एक महिला नर्सिंग स्टाफ को वैक्सीनेशन के 10 मिनट बाद ही जीभ में सूजन, सांस लेने में दिक्कत और आवाज भारी होने की शिकायत हुई।
इसके बाद उसे एपिनेफ्रिन की दो डोज दी गई। लगभग 6 घंटे बाद उसे डिस्चार्ज किया गया। पहले भी एक नर्सिंग स्टाफ को ऐसी ही शिकायत हुई थी। इसे एनाफिलेक्टिक सिम्टम्स कहा जाता है। भारत में भी इस तरह के खतरे बने रहेंगे। इन पर निगरानी रखनी होगी।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट, हार्ट या ब्रेन की सर्जरी और दूसरी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को बड़े शहरों की ओर भागना पड़ता है। लेकिन बड़े अस्पतालों में मरीजों की इतनी भीड़ होती है कि सर्जरी के लिए लंबी तारीख मिलती है, क्योंकि देश में एक्सपर्ट डॉक्टर्स की भारी कमी है। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ छह बड़े विभागों में ही 3 लाख से ज्यादा एक्सपर्ट डॉक्टर्स की कमी है। ग्रामीण इलाकों की स्थिति तो और भी खराब है।
संसद की एस्टीमेट कमेटी ने एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कहा गया है कि बताने के बाद भी केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस बात का अध्ययन नहीं किया गया कि देश में एक्सपर्ट डॉक्टर्स की कितनी कमी है। देश में डॉक्टर्स खासकर एक्सपर्ट्स की कमी को दूर करने के लिए खासकर ग्रामीण इलाकों की जरूरतों को देखते हुए महाराष्ट्र मॉडल का अध्ययन करने के लिए कहा है। लेकिन इस पर अब तक मंत्रालय की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
पीडियाट्रिक में 2 लाख 30 हजार एक्सपर्ट की कमी
देश के प्रमुख विशेषज्ञों ने एस्टीमेट कमेटी के सामने विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्थिति रखी, जो चौंकाने वाली है। कमेटी से कहा गया है कि कार्डियोलॉजी में 8800, चेस्ट मेडिसिन में 23 हजार, न्यूरोलॉजी में 5200, पीडियाट्रिक में 2 लाख 30 हजार, एंडोक्रिनोलॉजी में 27 हजार 900 और नेफ्रोलॉजी में 40 हजार से ज्यादा विशेषज्ञों की कमी हैं।
कमेटी ने पाया कि इतने बड़े स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होने के बाद भी पिछले पांच साल में 3 हजार 270 स्पेशलिस्ट और 6 हजार 640 जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर की नई नियुक्ति हो पाईं। इस दौरान दिल्ली में सिर्फ 2 नए विशेषज्ञों की नियुक्ति हुई।
कमेटी ने ये सुझाव दिया
विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और स्टूडेंट्स के औसत को 1:2 से बढ़ा कर 1:3 किया जाए। इसके अलावा एसोसिएट प्रोफेसर और स्टूडेंट्स के औसत को 1:1 से बढ़ा कर 1:2 किया जाए। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में इंटर्नशिप जरूरी की जाए।
महाराष्ट्र मॉडल का जिक्र क्यों?
महाराष्ट्र मॉडल कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन (सीपीएस) सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. गिरधर ज्ञानी के मुताबिक देश में पांच हजार से ज्यादा कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं, इनमें 80 फीसदी सीटें खाली पड़ी हैं। लेकिन, महाराष्ट्र में ऐसा नहीं हैं। यहां MBBS डॉक्टर्स को गाइनोकोलॉजी एनेस्थीसिया, पीडियाट्रिक्स और रेडियोलॉजी में डिप्लोमा दिया जाता है।
इन तीनों विभागों में डॉक्टर्स की कमी दूर कर मां और शिशु मृत्यु दर में बहुत हद तक कमी लाई जा सकती है। यहां इस व्यवस्था के तहत MBBS डॉक्टर सरकारी अस्पताल में 2 साल तक सीनियर्स की देख-रेख में काम करते हैं। इसके बाद उन्हें बतौर एक्सपर्ट डॉक्टर मान्यता मिल जाती है, लेकिन वे सिर्फ महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में ही काम कर सकते हैं।
कोरोना का असर 2021 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेले पर भी रहेगा। महामारी के कारण मेले में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लाखों लोगों को स्नान कराने के लिए पहली बार सामान्य घाटों के साथ प्राकृतिक घाटों का भी इस्तेमाल होगा। अस्थायी रूप से प्लास्टिक से इन घाटों को शेप दिया जाएगा। मेले में तीन बड़े कोविड केयर सेंटर (CCC) भी बनाए जाएंगे।
अस्थायी घाटों पर सुरक्षा के लिए डीप वॉटर बेरिकेडिंग होगी। प्रत्येक बेरिकेडिंग चार मीटर के दायरे में होगी। इनमें पानी का स्तर चार फीट से ज्यादा नहीं रहेगा, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रहकर आसानी से स्नान कर सकें। वहीं, मेला क्षेत्र को आपस में जोड़ने के लिए इस बार तीन जगहों पर सिर्फ पांच अस्थायी लिंक ब्रिज बनाए जाएंगे। पिछले कुंभ मेले में 18 जगह पर 32 पुल बनाए गए थे।
जनवरी तक बन जाएंगे अस्थायी पुल
मेले में बनने वाले अस्थायी पुल मेला क्षेत्र की मुख्य पार्किंगों को अलग-अलग स्थानों से जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं। अब दो मोटर पुल बैरागी कैंप से गौरीशंकर को जोड़ने के लिए बनेंगे और दो पुल नीलधारा से चंडीघाट को जोड़ने के लिए। चंडी देवी रोपवे के पास से गौरीशंकर को जोड़ने के लिए पैदल पुल बनाया जाएगा। सभी पुल जनवरी तक बना लिए जाएंगे।
कुंभ मेला के आईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि नीलधारा और बैरागी कैंप में कुंभ मेला भरेगा। मेला क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली के काम शुरू हो गए हैं। पुल वहीं बनेंगे जहां उन्हें बनाया जाना जरूरी है। कोरोना संक्रमितों के लिए पार्किंग क्षेत्र में सीसीसी भी बनाने की तैयारी है। घाटों पर प्लास्टिक से बने पानी पर तैरने वाले रेस्क्यू स्टेशन बनेंगे। इन पर पुलिस, लाइफ बोट आदि की व्यवस्था होगी।
मेले में तंबू भी सीमित संख्या में लगेंगे
कुंभ का प्रमुख आकर्षण सैकड़ों वर्गमीटर में लगे तंबूओं में लगे कैंप्स का रहता है। इनमें अखाड़ों के साथ यात्री रुकते हैं। वहीं प्रशासन, पुलिस, अस्पताल और वीआईपी के लिए भी तंबू भी बनाए जाते हैं। लेकिन, इस बार कोरोना के चलते तंबू सीमित संख्या में लगेंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज के अनुसार, पहले उत्तराखंड सरकार तंबुओं के लिए राजी नहीं थी, लेकिन अब सहमति बन गई है।
हालांकि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष यह भी कहते हैं कि अगर फरवरी में कोरोना का प्रकोप बढ़ा, तो स्थिति के हिसाब से आगे निर्णय लेंगे। वहीं, सरकार की तरफ से कहा गया है कि कुंभ में अखाड़ों के तंबुओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
कुंभ मेले में होंगे कुल चार शाही स्नान
दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठन फसल पर MSP की गारंटी चाहते हैं... आखिर क्यों? दरअसल, किसान तमाम प्राकृतिक आपदाओं को झेलकर फसल उपजाता है, लेकिन उसे उपज की सही नहीं मिलती। बाजार में 20 रुपए किलो बिकने वाला आलू किसान से 10 रुपए किलो में लिया जाता है। कुछ ऐसा ही हाल प्याज का है, यह किसान से 20 रुपए किलो में लेकर 50 रुपए किलो तक बाजार में बिकता है।
सब्जियों के अलावा अनाज का हाल भी कुछ ऐसा ही है। देश में गेहूं-चावल की पैदावार की महज 33% सरकारी खरीदी होती है। किसान जब अपनी उपज लेकर व्यापारी के पास जाता है, तो वहां क्वालिटी खराब बता उसे मनमाने दाम थमा दिए जाते हैं।
MSP लीगल राइट बने
कृषि एक्सपर्ट देवेन्द्र शर्मा बताते हैं कि किसान अभी पूरी उपज MSP पर नहीं बेच पाता, इसलिए उसे घाटे में व्यापारियों को फसल बेचनी पड़ती है। सरकार MSP को अगर लीगल राइट बना दे, तो व्यापारी भी कम दाम पर खरीदी नहीं कर सकेंगे।
गेहूं: खराब बता 15 रु. किलो तक खरीदते हैं व्यापारी
पंजाब, हरियाणा, यूपी, मप्र और बिहार गेहूं के प्रमुख उत्पादक हैं। यूपी किसान शक्ति संघ अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह के अनुसार व्यापारी क्वालिटी में कमी बताकर 1500 रु. क्विंटल में गेहूं खरीदते हैं। इससे किसानों को नुकसान होता है।
चावल: 3 किलो धान में 2 किलाे चावल निकलता है
चावल के प्रमुख उत्पादक हैं बंगाल, यूपी, आंध्र, पंजाब और हरियाणा। करनाल, हरियाणा के किसान मेहताब कादियान बताते हैं 3 किलो धान में 2 किलाे चावल निकलता है। व्यापारी किसान से 15 रु. में लेकर 45 रु. में बेचते हैं।
प्याज: खराब मौसम से लागत नहीं निकल रही
प्याज के प्रमुख उत्पादक महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, यूपी और तमिलनाडु हैं। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक किसान संगठन के अध्यक्ष भरत डिगोडे बताते हैं खराब मौसम से प्याज की लागत तक नहीं निकल रही है। उपज भी घटी है।
आलू: सभी सब्जियों की MSP 20 रु. होनी चाहिए
यूपी, बंगाल, बिहार, गुजरात, मप्र, पंजाब व हरियाणा प्रमुख आलू उत्पादक हैं। आगरा के किसान संतोष कुमार के अनुसार, सरकार को सभी सब्जियों की MSP 20 रुपए कर देनी चाहिए। इससे नुकसान नहीं होगा।
टमाटर: प्रोसेसिंग यूनिट और कोल्ड स्टोरेज जरूरी
जयपुर, राजस्थान के किसान गणेश राम शर्मा बताते हैं कि टमाटर की अधिक पैदावार वाले क्षेत्रों में प्रोसेसिंग यूनिट और कोल्ड स्टोरेज बनने चाहिए। इससे किसानों को नुकसान नहीं होगा। पाला पड़ने से फसल कम हुई है. लागत बढ़ी है।
गोभी: बीज से लेकर मजदूरी तक मिलाकर 5 रुपए में बिक्री
गाजियाबाद के किसान अमित त्यागी बताते हैं कि किसान से औसतन गोभी 5 रु. किलो खरीदी जाती है। इसमें बीज से लेकर तुड़ाई, ढुलाई और मजदूरी शामिल है। फूल गोभी और पत्ता गोभी में लागत तक नहीं निकल रही है।
बात 1942 की है। दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। ब्रिटेन, अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का गठबंधन जापान, जर्मनी जैसे देशों के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था। भारत ब्रिटेन का उप-निवेश था। ब्रिटेन भारत की जमीन का इस्तेमाल युद्ध के दौरान अपने सहयोगियों तक मदद पहुंचाने में कर रहा था। इसका नतीजा ये रहा कि आज ही के दिन 1942 में जापान की इंपीरियल आर्मी एयरफोर्स ने कोलकाता पर बम गिराए थे। आधी रात को की गई बमबारी की वजह से शहर की कई अहम इमारतें तबाह हो गईं थीं।
दरअसल, जापान से चीन लोहा ले रहा था। चीन को युद्ध का सामान ब्रिटेन, अमेरिका पहुंचाते थे। और उसके लिए एक ही रास्ता था, जो भारत से होकर जाता था। जापान इस सप्लाई चेन को तोड़ना चाहता था। इसलिए उसने कोलकाता पर हमला कर दिया। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम दिन में बहुत मजबूत था। इसलिए जापान ने बम गिराने के लिए रात का समय चुना। इस हमले में जापानी एयरफोर्स ने हावड़ा ब्रिज और बंदरगाह को निशाना बनाया था, जो उस वक्त दुनिया के सबसे बड़े पुल की लिस्ट में तीसरे नंबर पर था।
हालांकि, अंधेरा होने की वजह से यह बम हावड़ा ब्रिज पर नहीं गिरे, बल्कि एक होटल के ऊपर गिरे थे। उस दौर में रात में कोलकाता की लाइट काट दी जाती थी और कई अहम बिल्डिंग्स को काले रंग से रंग दिया गया था। 1942 से 1944 के बीच जापान ने कोलकाता पर कई बार हमले किए थे।
जब भारतीय स्पिनर ने टेस्ट की एक इनिंग में 9 विकेट लिए
1959 में आज ही दिन भारत के जस्सू पटेल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 विकेट लिए थे। पटेल का यह रिकॉर्ड लंबे समय तक बरकरार रहा। 1983 में कपिल देव ने एक इनिंग में 9 विकेट लेकर उनके रिकॉर्ड की बराबरी की। 40 साल बाद फरवरी 1999 में अनिल कुंबले ने एक इनिंग में सभी 10 विकेट लेकर जस्सू पटेल का रिकॉर्ड तोड़ा। कुंबले एक इनिंग के सभी 10 विकेट लेने वाले दुनिया के दूसरे खिलाड़ी थे। उनसे पहले जुलाई 1956 में इंग्लैंड के जिम लेकर एक इनिंग में 10 विकेट ले चुके थे।
भारत और दुनिया में 20 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः
1999: चीन और पुर्तगाल के समझौते के बाद मकाउ का चीन का हिस्सा बना ।
1998: बिल क्लिंटन और कैनेथ स्टार को टाइम मैगजीन ने पर्सन ऑफ द इयर घोषित किया।
1988: वोटिंग की उम्र 21 से घटाकर 18 साल करने का बिल राज्यसभा में पास हुआ। इसके बाद 28 मार्च 1989 को राष्ट्रपति के साइन करने बाद ये बिल कानून बना।
1971: जरनल याह्या खान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति का पद छोड़ा। उनकी जगह जुल्फिकार अली भुट्टो राष्ट्रपति बने।
1963: जर्मनी में बर्लिन की दीवार को पहली बार पश्चिमी बर्लिन के लोगों के लिए खोला गया।
1960: उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्मदिन।
1951: पहली बार न्यूक्लियर पावर रिएक्टर से अमेरिका में बिजली बनाई गई।
नमस्कार!
किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटेन के सिखों ने प्रधानमंत्री मोदी की मां को चिट्ठी लिखी है। फारूक अब्दुल्ला की प्रॉपर्टी ED ने अटैच कर ली है। सर्दी का सितम पहाड़ों से लेकर मैदानों तक जारी है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
देश-विदेश
ममता के किले में शाह की सेंध
दो दिन के बंगाल दौरे पर गए अमित शाह शनिवार को मिदनापुर पहुंचे। यहां उनकी रैली के दौरान TMC छोड़ चुके और ममता के खास रहे पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ सांसद सुनील मंडल, पूर्व सांसद दशरथ तिर्की और 10 MLA ने भी भाजपा जॉइन की। इनमें 5 विधायक तृणमूल हैं। शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते दीदी (ममता बनर्जी) अकेली रह जाएंगी। शाह ने बंगाल के लोगों से कहा- आपने तीन दशक कांग्रेस को मौका दिया। कम्युनिस्टों को 27 साल दिए। ममता को 10 साल दिए। हमें एक मौका दीजिए, हम बंगाल को सोनार बांग्ला बना देंगे।
फारुख अब्दुल्ला पर ED का शिकंजा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला (83) पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसा है। अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ की संपत्तियां ED ने शनिवार को अटैच कर दीं। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में यह कार्रवाई की गई। जम्मू और श्रीनगर में अब्दुल्ला की 2 रिहायशी, एक कमर्शियल प्रॉपर्टी और 3 प्लॉट अटैच किए गए हैं। इनकी बुक वैल्यू 11.86 करोड़ दिखाई गई है, लेकिन इनकी मार्केट वैल्यू 60-70 करोड़ है।
सोनिया की नाराज नेताओं से 5 घंटे चर्चा
सोनिया गांधी ने शनिवार को कांग्रेस के नाराज नेताओं के साथ करीब 5 घंटे चर्चा की। इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहे। मीटिंग में पार्टी नेताओं की शिकायतें, आने वाले चुनावों की रणनीति और नए पार्टी अध्यक्ष पर चर्चा हुई। इसमें आम राय बनी कि जल्द ही एक चिंतन शिविर रखा जाएगा। इसमें पार्टी नेता आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे। मीटिंग के दौरान राहुल गांधी ने नाराज नेताओं को मनाने की पूरी कोशिश की। मीटिंग के बाद पवन बंसल ने कहा कि पार्टी को राहुल गांधी की लीडरशिप की जरूरत है।
अयोध्या में मस्जिद की डिजाइन लॉन्च
अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की डिजाइन शनिवार को लॉन्च हुई। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने वर्चुअल मीटिंग में डिजाइन की लॉन्चिंग की। खास बात यह है कि मस्जिद में गुम्बद नहीं होगा। वहीं, इसका नाम किसी बादशाह के नाम पर नहीं रखा जाएगा। कैंपस में म्यूजियम, लाइब्रेरी और एक कम्युनिटी किचन भी बनेगा। 200 से 300 बेड का एक हॉस्पिटल भी यहां रहेगा। निर्माण की शुरुआत 26 जनवरी या 15 अगस्त से होगी।
मोदी की मां को ब्रिटेन के सिखों की चिट्ठी
ब्रिटेन की एक सिख एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा को खत लिखा है। ब्रिटिश एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन ऑफ सिख (BECAS) ने 14 दिसंबर को लिखे खत में कहा कि किसान आंदोलन को लेकर कुछ लोग पंजाब की माताओं को बदनाम कर रहे हैं। आपको अपने बेटे से इस बारे में बात करनी चाहिए। भास्कर ने BECAS के अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह दुग्गल से बात की, तो उन्होंने कहा- कुछ महिलाएं पंजाब की मांओं के बारे में गलत प्रचार कर रही हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट भी इनके बारे में गलत शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
एक्सप्लेनर
भारत करेंसी मैनिपुलेशन मॉनिटरिंग लिस्ट में
अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करेंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है। करेंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से फर्क क्या पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? इन सवालों के जवाब जानिए।
खुद्दार कहानी
तंदूरी चाय से 15 हजार रु महीने की कमाई
राजकोट की रहने वाली रुखसाना हुसैन को लोग चायवाली के नाम से पहचानते हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ीं रुखसाना द चायवाली के नाम से टी स्टॉल चलाती हैं। इससे पहले वे रजिस्ट्रार ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर थीं। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर टी स्टॉल लगाना शुरू किया। आज रुखसाना तंदूरी चाय बनाने में एक्सपर्ट हैं और अब वो रोजाना 1 हजार रुपए की चाय बेच लेती हैं। उनकी महीने की कमाई 15 हजार रु. है, जबकि नौकरी करते हुए महीने के महज चार हजार रु. ही मिलते थे।
टेस्ट में टीम इंडिया का लोएस्ट स्कोर
ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में भारत को 8 विकेट से हरा दिया। भारत ने अपनी दूसरी पारी में 9 विकेट पर 36 रन बनाए। ये भारत के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे छोटा स्कोर रहा। इससे पहले भारतीय टीम का टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम स्कोर 42 रन का था, जो इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में 1974 में बना था। इधर, 4 साल पहले यानी 2016 में 19 दिसंबर को ही भारत ने अपने टेस्ट इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर बनाया था। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में खेले गए टेस्ट में टीम इंडिया ने 7 विकेट पर 759 रन बनाए थे। दोनों बार विराट कोहली ही टीम के कप्तान थे।
कोरोना पॉजिटिव-निगेटिव का झमेला
नासिक के मनमाड़ में कोरोना पॉजिटिव और निगेटिव होने के चक्कर में एक महिला का शव दो बार दफनाया गया। मनमाड़ की मंजूलता वसंत क्षीरसागर (76) का 21 सितंबर को निधन हुआ था। शव का RT-PCR टेस्ट कराया गया। लेकिन, प्रशासन ने रिपोर्ट आने से पहले ही शव मालेगांव के कब्रिस्तान में दफना दिया। 22 सितंबर को रिपोर्ट निगेटिव आई, तो बेटे सुहास ने शव को कब्र से निकालने की गुहार लगाई। 64 दिन बाद यानी 23 नवंबर को आखिरकार सरकार ने शव निकालने की इजाजत दी। इसके बाद सुहास ने मंजूलता को उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक, पति के ठीक बगल में पूरे रस्मो-रिवाज के साथ दफनाया।
ठंड से कांपा उत्तर भारत
शिमला और कश्मीर में बर्फबारी के बाद अब दिल्ली में भी कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। दिल्ली के जाफरपुर में पारा शिमला के बराबर पहुंच गया है। यहां तापमान सामान्य से 6 डिग्री कम रिकॉर्ड किया गया। वहीं पंजाब के अमृतसर में ठंड ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां पारा 0.4 डिग्री पर पहुंच गया है। जालंधर में तापमान 1.6 डिग्री रहा। बर्फीली हवाओं ने बिहार की राजधानी पटना में भी कोल्ड डे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। यहां एक दिन में पारा 4 डिग्री तक गिर गया। राजस्थान के सभी 33 जिलों में पारा 7 से नीचे पहुंच गया। वहीं, एमपी में राजधानी भोपाल समेत सभी शहरों में सर्दी बढ़ गई है।
सुर्खियों में और क्या है...