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Saturday, November 21, 2020

मर्दों को लगता है औरत नर्स बन उल्टियां तो साफ कर सकती हैं, लेकिन डॉक्टर बन ब्रेन सर्जरी नहीं कर सकतीं

साल 2020 जाते-जाते काफी उठापटक में मूड में है। लगभग ढाई सौ बरस पुराने लोकतंत्र अमेरिका में पहली बार महिला उप-राष्ट्रपति बनी। मानो इतना ही काफी न हो, उनके पति ने पत्नी का हाथ बंटाने के लिए नौकरी छोड़ने का ऐलान कर दिया। इधर हमारे यहां भी जानलेवा मंजर दिख रहे हैं। टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के 12वें सीजन में अब तक दो करोड़पति बने। दोनों ही महिलाएं। हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन के सामने बैठी वे औरतें अपनी मालूमात के साथ एकदम सहज थीं। जैसे अलग-अलग विषयों की जानकारी रखना उनके लिए सांस लेने जितना स्वाभाविक हो।

उनके पास जवाब थे- सवाल चाहे राजनीति का हो, फिल्म, या फिर किसी मजहब का। जीतकर लौटती उन विजेताओं के चेहरे पर नक्काशीदार घमंड नहीं था, बल्कि भरपूर खेलकर लौटने का सुख था। टीवी पर एपिसोड का प्रोमो आते ही मानो पैर के नीचे सुरसुरी छूट गई। एक के बाद एक खबरें लिखी गईं। पढ़िए तो लगेगा, जैसे उनकी जीत मर्द जात के चेहरे पर तमाचा हो। मानो सोई मर्दानगी को झकझोरा जा रहा हो कि देखो, अब तो औरतें भी जीतने लगीं। मियां, अब तो होश में आओ।

ये पहली दफा नहीं, हर साल बोर्ड के नतीजे आते ही यही हाल होता है। अखबारी हेडलाइंस गाती हैं- लड़कियों ने लड़कों से मारी बाजी... पहली नजर में ये एकदम उजली हेडलाइन है। लड़कियों को मजबूत दिखाती हुई। लेकिन नजरों में जरा-भी तजुर्बा हो तो तुरंत समझ आता है कि ये हेडलाइन लड़कियों की जीत का जश्न कम, लड़कों की हार पर शर्म ज्यादा है। पुरुषों से खचाखच भरा मीडिया औरतों की जीत पर अक्सर उनके निजी दर्द उड़ेलने लगता है।

वैसे देखा जाए तो अब तक पुरुषों की जीत ठीक वैसी ही थी, जैसे मुकाबले में केवल एक खिलाड़ी का उतरना। बिना किसी रुकावट वो जीतता चला गया और इतना जीता कि जीत उसके शरीर का हिस्सा हो गई। गांव के चौराहों से लेकर शहरों के चमचमाते ड्रॉइंग रूम तक हर जगह पुरुष काबिज रहे, जो राजनीति पर चर्चा करते...क्रिकेट के छक्के-चौके पर सीटियां बजाते और किसी कानून पर ज्ञान-गंगा बहाते। इतना ज्ञान कि नील नदी के किनारे पसरे मगरमच्छ को देखकर उसकी नस्ल तक बता दें।

इधर जानकार मर्दों की नासमझ जनानियां पल्लू कमर में खोंचे सरपट यहां से वहां भागतीं कि चौका निपटे तो खेत का काम कर डालें। या फिर खेत खाली हो तो त्यौहार मुंह फाड़े इंतजार करते होते। अब ऐसी औरत जाने भी तो भला क्या! उसका सारा गणित रसोई की घट-बढ़ में चुक जाता। सारा सामान्य ज्ञान फलाने गांव के ढिकाने नातेदारों में खपता। नतीजा, ज्ञानी मर्द ने तपाक से ऐलान कर दिया कि औरतों को न तो देश-दुनिया की मालूमात है, और न राजनीति की। विज्ञान-गणित की तो क्या ही कहें।

फिर वैसा ही हुआ भी। हल्दी-मसालों से महमहाती औरत ने किताबें शादी में मिली रेशमी साड़ी में लपेटकर रख दीं और बिसार दी गईं। बस, तब से यही सिलसिला चला आ रहा है। औरत को पहली नजर में कमजोर ही माना जाता है, जब तक कि वो खुद को साबित न कर दे। इसके उलट, पुरुष को तब तक मजबूत या जानकार माना जाता है, जब तक कि वो इस बात को गलत न साबित कर दे।

ये दोहरापन केवल मर्दों के भीतर नहीं, बदकिस्मती से औरतों के खून में भी खुद अपने ही लिए ये डर बहने लगा। इसे रिसर्च की भाषा में Goldberg paradigm कहते हैं। इसके तहत पूरी दुनिया के मर्दों और औरतों को कुछ पढ़ाया गया। पढ़ाने से पहले बता दिया गया कि लेख फलां पुरुष का है। एक दूसरे ग्रुप को वही लेख फलां महिला का कहकर पढ़ने को दिया गया। पढ़ने के बाद दोनों समूहों की राय एकदम अलग थी। एक ही आर्टिकल को उन लोगों ने शानदार कहा, जिन्हें वो किसी मर्द का लिखा लगा था। वहीं औरत के लिखे पर उन्हीं शब्दों ने बेहद कम नंबर पाए।

यानी मसला जानकारी का नहीं, बल्कि इस बात का है कि काम किसने किया- मर्द ने या औरत ने। खुद को पारदर्शी बताने के फेर में मर्द जमात ने कई शोध किए। जनाना-मर्दाना दिमाग की तस्वीर तक निकाल डाली। भारी-मोटे शब्दों में खूब संभलते हुए बताया कि औरत दरअसल गाने-बजाने, खुशबूदार खाना पकाने और बच्चे संभालने में ही मर्द से बेहतर है। औरत में किडनी, लीवर की तरह ही एक अंग ममता का होता है। वो नर्स बन उल्टियां तो साफ कर सकती है, लेकिन डॉक्टर बन ब्रेन सर्जरी नहीं कर सकती।

दरियादिली से छलछलाते कई मर्दों ने लगभग पुचकारते हुए बताया कि औरत नक्शे भूलती हैं तो ये उनका नहीं, कुदरत का दोष है। उसने औरत को दिमाग ही वैसा नहीं दिया। कुल मिलाकर बची-खुची तार्किक औरतों का पानी उतारने की गरज से ये सारी खोजें हुईं। अब सवाल ये आता है कि अगर औरत के दिमाग का बायां हिस्सा ज्यादा तेज है तो आर्ट गैलरी में पुरुष कलाकारों की भीड़ कैसे है। खुद की किताबें लिख सकने वाली औरत किताबों का विषय बनकर ही क्यों रह गई। सवाल तो ढेर सारे हैं। अनाम औरत कलाकारों के एक ग्रुप गुरिल्ला गर्ल्स ने एक स्टडी की। इसमें पाया गया कि मॉडर्न आर्ट में केवल 4 फीसदी ही महिला कलाकार हैं। इसके बाद भी नंगी तस्वीरों के जखीरे का 76 फीसदी औरतों की तस्वीरों से अटा पड़ा है।

अब धीरे-धीरे ही सही सवालों का कुकुरमुत्ता उगने लगा है। बहुत-धीरे सही, औरतें संदूक खोल रेशमी साड़ी में दबी वो बिसरी किताब निकाल रही हैं। अब आपकी बारी है। जनरल नॉलेज में जीत को औरतों की किस्मत कहने की बजाए खुलकर बधाई दें। गणित या विज्ञान को पुरुषों का विषय कहना बंद कर दें और किडनी के बगल में ममता नाम का अंग आप भी ट्रांसप्लांट करवा लें। तब दायरे दोनों के बढ़ेंगे।



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A woman can be a nurse to clean up vomiting, but a doctor cannot do brain surgery


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20% तक बढ़ने वाला है मोबाइल बिल; जानें क्या हैं इसके कारण और आप पर क्या होगा असर?

आपका मोबाइल बिल हर महीने अब महंगा हो सकता है। देश की तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनियां वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो टैरिफ में 20% की बढ़ोतरी करने की तैयारी में हैं। सबसे पहले वोडाफोन-आइडिया टैरिफ बढ़ा सकती हैं। उसके बाद एयरटेल और जियो भी टैरिफ प्लान महंगा कर सकती हैं। टैरिफ बढ़ने का मतलब ये हुआ कि अगर आप पहले हर महीने मोबाइल बिल पर 100 रुपए खर्च करते थे, तो अब आपको 120 रुपए खर्च करने होंगे। लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि कंपनियां टैरिफ बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं? आइए जानते हैं...

ऐसा इसलिए, ताकि यूजर से होने वाली कमाई बढ़ सके

रिलायंस जियो के आने के बाद से टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा नुकसान हुआ है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि जियो के आने से पहले तक देश में 9 प्राइवेट कंपनियां थीं, लेकिन अब सिर्फ जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ही बचीं।

जियो के आने से टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्राइस वॉर छिड़ गया। नतीजा ये हुआ कि कंपनियों को अपने टैरिफ की कीमतें घटानी पड़ीं। इससे उनके रेवेन्यू पर तो असर पड़ा ही, साथ ही एक यूजर से होने वाली कमाई भी कम हो गई।

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के मुताबिक, जियो के आने से पहले जून 2016 में कंपनियां एक यूजर से हर महीने औसतन 155 रुपए कमाती थीं। इसमें से 126 रुपये कॉलिंग और दूसरी सर्विसेस से, जबकि 29 रुपये इंटरनेट डेटा से कमाती थीं। इसे एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) कहते हैं। जून 2020 में कंपनियों का औसत ARPU 90 रुपये पहुंच गया है। वह भी इसलिए क्योंकि कंपनियों ने बीच में टैरिफ बढ़ा दिया था। वरना जून 2018 में कंपनियों को ARPU तो 69 रुपये हो गया था।

20% बढ़ोतरी से आप पर और कंपनियों पर क्या असर होगा?

आप यानी यूजर परः जाहिर है 20% टैरिफ बढ़ने से आपका मोबाइल रिचार्ज भी 20% महंगा हो जाएगा। अगर अभी आप महीनेभर में 100 रुपये का रिचार्ज कराते हैं, तो बढ़ोतरी के बाद आपको 120 रुपये का रिचार्ज कराना होगा।

कंपनियों परः 20% टैरिफ बढ़ने से कंपनियों का ARPU बढ़ जाएगा। इससे इनकी कमाई भी बढ़ेगी। जैसे- सितंबर 2020 में जियो का ARPU 145 रुपये रहा। 20% बढ़ोतरी के बाद ये 174 रुपये तक हो सकता है। यानी, जियो एक यूजर से हर महीने औसतन 174 रुपये कमाएगी। सितंबर 2020 तक जियो के पास 40.56 करोड़ यूजर हैं। यानी, उसे 7,057 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हो सकती है। हालांकि, ये आंकड़ा अनुमानित है और कम या ज्यादा हो सकता है। ये कंपनियां सर्विस पर क्या और कितना चार्ज बढ़ाएंगी, उस हिसाब से ये बढ़ या घट सकता है।

टैरिफ बढ़ाने को क्यों मजबूर हुईं कंपनियां? इसके दो कारण हैं

पहलाः जियो को छोड़ बाकी दो कंपनियां घाटे में

सितंबर तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक, जियो ही इकलौती ऐसी टेलीकॉम कंपनी है, जो फायदे में रही। सितंबर तिमाही यानी जुलाई से सितंबर तक उसे 2,844 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। वोडाफोन-आइडिया को इस तिमाही में 7,218 और एयरटेल को 763 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

दूसराः बकाया AGR भी चुकाना है

टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया AGR चुकाने के मामले में सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, कंपनियों को अगले 10 साल में बकाया AGR चुकाना है। जबकि, 31 मार्च 2021 तक कुल बकाये का 10% देना है। सितंबर 2020 तक एयरटेल पर 88,251 करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 1.14 लाख करोड़ रुपये का कर्ज भी है। इन्हीं दोनों कंपनियों के ऊपर सबसे ज्यादा AGR है।

AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू टेलीकॉम कंपनियां सरकार को यूजेज और लाइसेंसिंग फीस के लिए चुकाती हैं।



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Mobile Bill Calling Tariffs Rise Again News; What Is Average Revenue Per User (Arpu) Reliance Jio Vodafone Idea Airtel


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घर बैठे पूरी दुनिया घूमने का नया तरीका, जानिए ऑनलाइन टूर के 5 रास्ते

कोरोना का असर हमारी सेहत के साथ घूमने-फिरने पर भी पड़ा है। फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म ऐंड हॉस्पिटैलिटी (FAITH) के मुताबिक सिर्फ टूरिज्म सेक्टर को 15 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान है। कुछ ट्रैवल एजेंसियों ने इसे ट्रैक पर लाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का फॉर्मूला भी अपनाया, लेकिन ये कामयाब नहीं हुआ।

ऐसे में अब ट्रैवल कंपनियों ने वर्चुअल ट्रैवलिंग की नया तरीका पेश किया है। कंपनियों का मानना है कि इसके जरिए टूरिज्म बढ़ेगा और उन्हें हो रहे नुकसान की भरपाई हो सकेगी।

वर्चुअल ट्रैवलिंग क्या है?

वर्चुअल ट्रैवलिंग का मतलब घर बैठे देश-दुनिया घूमना। आप अपने मोबाइल, स्मार्ट टीवी और लैपटॉप के जरिए दुनिया के किसी भी जगह का लाइव व्यू ले सकते हैं। इसके जरिए गाइड डिजिटली इक्विप्ड होकर आपको जगहों का लाइव-व्यू देता है। साथ ही उस जगह की बारीकियों और खूबियों के बारे में भी जानकारी देता है।

वर्चुअल ट्रैवलिंग कैसे करें?

ऑनलाइन विजिटर बनकर आप वर्चुअल ट्रैवलिंग का आनंद उठा सकते हैं। मोबाइल पर ऐसे कई ऐप मौजूद हैं, जो वर्चुअल ट्रैवलिंग को आसान बनाते हैं।

जानिए वर्चुअल ट्रैवलिंग करने के 5 खास तरीके-

1. डिजनी वर्ल्ड के जरिए

डिजनी वर्ल्ड वर्चुअल ट्रैवलिंग की सर्विस प्रोवाइड कर रहा है। यह आमतौर पर बच्चों की टूर और ट्रैवल साइट्स को अपनी वेबसाइट पर ऑफर करता है। आप इसके वेबसाइट पर साइन-अप कर वर्चुअल ट्रैवलिंग एक्सेस कर सकते हैं।

2. ऑनलाइन म्यूजियम विजिट के जरिए

ब्रिटिश म्यूजियम लंदन समेत दुनिया के कई म्यूजियम में आप ऑनलाइन विजिट कर सकते हैं। वहां पर मौजूद गाइड वेबकैम के जरिए आपको उसकी बारीकियां और खूबियां बताएगा। टूर कंपनी ट्रैवल लेजर अपनी वेबसाइट पर यह सुविधा उपलब्ध करा रही है।

3. गूगल स्ट्रीट व्यू के जरिए

गूगल स्ट्रीट व्यू से आप दुनिया की किसी बाजार और टूरिज्म साइट पर घर बैठे ही विजिट कर सकते हैं। इसके लिए आपको बस एक अच्छे फोन और बेहतर इंटरनेट नेटवर्क की जरूरत होगी। यह ऐप एंड्रॉइड और IOS पर उपलब्ध है।

4. VR ट्रैवल ऐप के जरिए

VR ट्रैवलिंग के कई मोबाइल ऐप्लिकेशन उपलब्ध हैं। इन्हें एंड्रॉइड और IOS पर डाउनलोड किया जा सकता है। आप इन्हें डाउनलोड कर 3D व्यू में दुनिया की 10 हजार ट्रैवल और टूरिस्ट प्लेस पर विजिट कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- दवाएं, एक्स्ट्रा कपड़े, चार्जर रखना बिल्कुल न भूलें, इन 8 तरीकों से अपने सफर को आरामदायक बना सकते हैं...

5. ऑनलाइन होटल, जू और पार्क विजिट के जरिए

दुनिया में ऐसे बहुत होटल, पार्क और जू हैं, जहां इंसान लाइफ में एक बार जरूर विजिट करना चाहता है। ऐसी बहुत सारी वेबसाइट्स हैं, जो ऑनलाइन होटल, जू और पार्क विजिट करा रही हैं। आप घर बैठे बहुत कम पैसों को खर्च कर अपनी यह ख्वाहिश पूरी कर सकते है।

वर्चुअल ट्रैवलिंग को ऐसे करें एक्सेस

वर्चुअल ट्रैवलिंग एक नया कॉन्सेप्ट है। इसे एक्सेस करने के लिए बहुत से मोबाइल ऐप और वेबसाइट मौजूद हैं। आप ऐप डाउनलोड कर या वेबसाइट पर जाकर इसके लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसमें रजिस्ट्रेशन करने का प्रॉसेस सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने जैसा आसान है।



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Virtual travel remains a topic of discussion in the coronary, what is virtual travel? Learn 5 ways


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हाथ के बिना दांत साफ करने वाला ब्रश, पानी बनाने के जनरेटर जैसे गैजेट जीवन को आसान बनाएंगे

टाइम मैग्जीन हर साल दुनिया को बेहतर, स्मार्ट बनाने वाले आविष्कारों की घोषणा करती है। इस बार 100 बेस्ट इनोवेशन चुने गए हैं। इनका चयन मौलिकता, उपयोगिता, महत्वाकांक्षा और प्रभाव जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर किया गया है। इनमें बच्चों की मदद करने वाला रोबोट, टूथपेस्ट का नया ट्यूब, सेहत पर नजर रखने वाले एप सहित कई अनूठे गैजेट शामिल हैं। पेश हैं, दस ऐसे इनोवेशन...

बच्चों का सहायक रोबोट

मॉक्सी रोबोट किसी पड़ोसी के समान है। पिक्सर, जिम हेंसन प्रोडक्शन और शिक्षा, बाल विकास से जुड़े विशेषज्ञों ने इसे डिजाइन किया है। यह 5 से 10 साल के बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक व्यवहार सिखाता है। पढ़ने, ड्रॉइंग बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। बड़ों और हमउम्र बच्चों से बात करना सिखाता है। बताता है कि दोस्त को पत्र कैसे लिखा जाए। मॉक्सी बनाने वाली कंपनी एमबॉडीड के सीईओ पावलो परिजनियन कहते हैं कि यह वास्तविक दुनिया में जाने के लिए बच्चों की मदद करता है।

नाखूनों की देखभाल

महामारी के दौर में मेनिक्योर के लिए किसी सैलून में एकाध घंटा बिताना भी बहुत होता है। मेनिमी कंपनी ने घर बैठे यह सुविधा मुहैया कराई है। यूजर को कंपनी की वेबसाइट पर अपने नाखूनों के फोटोज भेजने पड़ते हैं। कंपनी थ्री-डी मॉडलिंग टेक्नोलॉजी से नाखून की पोर में फिट होने वाले जैल पॉलिश स्टिकर भेजती है। मेनिक्योर के लिए स्टिकर को नाखून पर लगाएं और उसका गैरजरूरी हिस्सा अलग कर दें। हर मेनिक्योर दो सप्ताह तक चलता है। अगला मेनिक्योर करने से पहले स्टिकर हटा दीजिए।

रिसाइक्लेबल ट्यूब

कई बार छोटी चीजों से बड़े बदलाव का रास्ता खुलता है। दुनियाभर में टूथपेस्ट के अरबों ट्यूब हर साल फेंके जाते हैं। इनमें से अधिकतर प्लास्टिक और एल्यूमीनियम से बनते हैं। इसलिए इनका दोबारा उपयोग मुश्किल रहता है। टॉम्स मैने के नए ट्यूब में रिसाइकल पॉलीएथिलीन का उपयोग किया गया है। किसी अन्य ट्यूब में अब तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। इससे रिसाइकल होने वाली प्लास्टिक बनती हैं। कोलगेट पॉमऑलिव कंपनी अपने टूथपेस्ट में नए ट्यूब का उपयोग शुरू करेगी।

पानी का नया स्रोत

हवा से पानी बनाने की टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ रहा है। स्काईसोर्स के वीड्यू जनरेटर ने पीने का पानी बनाने वाला मोबाइल जनरेटर वीड्यू पेश किया है। इसमें लकड़ी के टुकड़े, नारियल, मूंगफली के खोल जैसी चीजों को डालकर गर्म करते हैं। इस तरह निकलने वाली भाप को जनरेटर पानी में बदल देता है। बैटरी से चलने वाले पूरे सिस्टम को 40 फुट के कंटेनर में रख सकते हैं। वीड्यू और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने इस साल युगांडा में एक शरणार्थी शिविर में जनरेटर लगाया है। तंजानिया में भी यह चल रहा है।

सेहत की रिंग

अमेरिका की नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन के सीजन में खिलाड़ियों और स्टाफ का कोई सदस्य कोरोना वायरस से बीमार नहीं पड़ा है। खिलाड़ी और स्टाफ एक सुरक्षा घेरे में महफूज रहे। एनबीए ने सबकी सेहत पर नजर रखने के लिए औरा रिंग का उपयोग किया है। उंगली में पहनने पर सेंसर से लैस अंगूठी दिल की धड़कन, सक्रियता का स्तर, नींद की स्थिति और शरीर का तापमान बताती है। कंपनी के सीईओ हरप्रीत सिंह बताते हैं कि औरा का एप आपके स्वास्थ्य की पूरी तस्वीर पेश करता है। औरा ने एनबीए के अलावा कुछ अन्य लीग और कंपनियों से एप की सप्लाई का करार किया है।

सुरक्षित साइक्लिंग

दुनियाभर में हजारों साइकल सवार गंभीर दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं। अकेले अमेरिका में 2019 में 60 हजार लोगों को साइकल दुर्घटना के बाद दिमाग में गंभीर चोट आई। कोई भी साइकल हेलमेट सिर में गंभीर चोट से बचाव की गारंटी नहीं देता है। लेकिन, बॉनट्रेजर के नए वेवसैल हेलमेट के अंदर एडजस्ट होने वाला पॉलीमर घेरा रहता है। यह बाहर से लगने वाले किसी भी आघात के प्रभाव को बेअसर करता है। परंपरागत हेलमेट में ऐसी कोई सुरक्षा परत नहीं होती है। वर्जीनिया टेक ने वेवसैल को सर्वोच्च रैंकिंग-पांच स्टार दी है। हेलमेट का मूल्य 99 से लेकर 299 डॉलर तक है।

हाथ के बिना मुंह की सफाई

फ्रांसीसी डेंटिस्ट द्वारा निर्मित विलो के सामने इलेक्ट्रिक टूथब्रश भी फीके लगते हैं। नायलॉन के ब्रिसल वाले सिलिकॉन ब्रश सिस्टम को मुंह में डालने के बाद होंठ बंद कर लीजिए। सिस्टम चालू करने पर मुंह में पानी पहुंच जाएगा और खास फार्मूले का टूथपेस्ट दांतों की सफाई करेगा। सिस्टम स्वयं अपनी धुलाई करता है। ब्रश और टूथपेस्ट मिलकर मसूड़ों की मसाज का अहसास कराते हैं। यह दांतों से मैल की परत को हटाता है। विलो के साथ एक एप जुड़ा है। यह बताता है कि आप दांत साफ करते हैं या नहीं। अगर किसी दिन दांत साफ नहीं कर पाए, तो अगले दिन उसकी भरपाई हो जाती है। दांतों की सफाई का सिस्टम 2021 में आने वाला है।

भविष्य की खेती

ऑर्गेनिक खेती को टेक्नोलॉजी के हिसाब से पिछड़ा मानते हैं। लेकिन, खरपतवार नष्ट करने वाला रोबोट नई कहानी कहता है। फार्म वाइस टाइटन एफटी-35 एक ड्राइवर विहीन ट्रैक्टर है। यह खेतों से बेकार पौधों को हटाने के लिए मशीन लर्निंग और कंप्यूटर विजन का इस्तेमाल करता है। परंपरागत ट्रैक्टर द्वारा बनाए रास्ते पर चलने वाली मशीन खेत में लगी फसलों और खरपतवार की पहचान कर लेती है। यह मिनटों में खरपतवार को उखाड़ फेंकती है। एफटी-35 का अमेरिका में इस्तेमाल शुरू हो गया है।

कुछ इन्वेंशन कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित हैं।

वायरस से बचाव के तरीके...

जीवाणुओं से रक्षा

हर दिन सांस के जरिये संक्रमण फैलाने वाले असंख्य कण हमारे शरीर में पहुंचते हैं। यदि इनमें से कोई फेफड़ों में जाता है, तो हम बीमार पड़ जाते हैं। हार्वर्ड के एरोसॉल विशेषज्ञ डेविड एडवर्ड्स दस साल से इस खतरे को कम करने के लिए हाथ धोने जैसे किसी अन्य उपाय की खोज में लगे हैं। वे सोचते हैं कि फेंड नामक मिश्रण से यह तरीका हासिल किया जा सकता है। कैल्शियम और नमक से बना झाग और धुआं नाक की म्यूकस परत को मजबूत करता है। सूक्ष्म जीवाणुओं को बाहर निकालता है। एक स्टडी में पाया गया कि फेंड का इस्तेमाल करने वाले लोगों की नाक और फेफड़ों में लगभग 75 प्रतिशत कम एरोसॉल कण गए। इस मिश्रण को हाथ धोने, मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बीमारी रोकने के तरीकों में शामिल कर सकते हैं।

डेटा रिसोर्स सेंटर

कोरोना वायरस महामारी के दौर में जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। उसका कोरोना वायरस रिसोर्स सेंटर महामारी के आंकड़ों का क्लीयरिंग हाउस है। सेंटर के डेटा अरबों बार डाउनलोड किए गए होंगे। इनकी सहायता से सरकारों ने बीमारी से निपटने के लिए जरूरी संसाधन प्रभावित स्थानों पर भेजे होंगे। सेंटर के डेटा को देखकर लोगों ने अपने घर से बाहर जाने के कार्यक्रम तय किए होंगे।

बच्चों को सुलाने वाला क्रिब

छह माह से कम आयु के 60 प्रतिशत बच्चे ही रात भर सो पाते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से चलने वाला क्रेडलवाइस स्मार्ट क्रिब सेंसर के माध्यम से बच्चे की हलचल का पता लगा लेता है। अधिक स्वचालित क्रिब शिशु के रोने पर सक्रिय होते हैं। बच्चे की नींद के समय पर आधारित क्रिब तय करता है कि बच्चे को हिला-डुलाकर कब सुलाया जाए या उसे जागने दिया जाए। सब कुछ सेंसर के हिसाब से चलता है।

जिंदगी भर की दोस्ती

अकेलेपन से जूझते बुजुर्ग मानसिक बीमारियों के घेरे में आ जाते हैं। टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री से जुड़े टॉम स्टीवंस ने अपनी मां की स्थिति को देखकर टेक्नोलॉजी में इसका इलाज खोजा है। स्टीवंस ने भावनात्मक सहारा देने वाला रोबोट टॉमबोट जैनी तैयार कराया है। यह असली कुत्ते के समान व्यवहार करता है। जिम हेंसन की क्रीचर शॉप द्वारा डिजाइन जेनी छह-सात किलो के पपी जैसा लगता है। इसमें दर्जनों सेंसर लगे हैं। पीठ थपथपाने पर पूंछ हिलाता है, आदेश के हिसाब से चलता है और जरूरत पड़ने पर भौंकता है। टॉमबोट जेनी को अपने साथी के स्वास्थ्य की जानकारी देने की सुविधाओं से भी लैस करेंगे। कंपनी 2022 में रोबो डॉग की सप्लाई पांच हजार लोगों को करेगी।

जिंदगी से जुड़े मास्क

कोविड-19 वायरस को फैलने से रोकने का सबसे महत्वपूर्ण साधन फेस मास्क है। यह 2020 के वर्ष को पहचान दिलाने वाला कंज्यूमर प्रोडक्ट है। किसी भी तरह के मास्क को सर्वश्रेष्ठ इनोवेशन की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। लेकिन, यहां तीन मास्क का जिक्र हो रहा है।

1. ब्रीद 99 का बी2 मास्क लचीला है। रबर के टुकड़े जैसे मास्क में दो बदले जाने वाले फिल्टर हैं। ये लगभग 99.6 प्रतिशत कणों को हटा देते हैं। मास्क धो सकते हैं।

2. पेटिट प्ली का एमएसके रिसाइकल प्लास्टिक के धागे से बना है। यह चेहरे के हर कोण पर फिट हो जाता है।

3. आईएमरनबॉक्स के रनमास्क कपड़े और पोलिस्टर से बना है। यह वर्कआउट के समय सुविधाजनक रहता है।



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कश्मीरियों ने गाय काटी और तिरंगा जलाया? फोटो के साथ वायरल हो रहे मैसेज का सच जानिए

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर चार फोटोज का एक कोलाज वायरल हो रहा है। एक फोटो में मृत गाय और जलता हुआ तिरंगा दिख रहा है। बाकी 3 फोटोज में जख्मी पुलिसकर्मी नजर आ रहे हैं।

वायरल हो रहे मैसेज में दावा किया जा रहा है कि ये सभी फोटो कश्मीर की हैं। जहां गाय को काटकर तिरंगा जलाया गया। साथ ही पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की गई।

दैनिक भास्कर की ‘फेक न्यूज एक्सपोज’ टीम के ईमेल और वॉट्सऐप हेल्पलाइन पर कई रीडर्स ने ये फोटो कोलाज पड़ताल के लिए भेजा।

और सच क्या है?

  • वायरल मैसेज के की-वर्ड को गूगल सर्च करने से पता चलता है कि चारों फोटो इसी दावे के साथ 2015 से ही शेयर की जा रही हैं। जाहिर है फोटो किसी हालिया घटना की नहीं हैं। हमने चारों फोटोज की एक-एक कर सत्यता जांचनी शुरू की।
  • पहली फोटो जिसमें दोनों हाथ उठाए एक पुलिसकर्मी खून से लथपथ दिख रहा है। ये फोटो त्रिपुरा की है। यह 13 जुलाई 2011 के एक आर्टिकल से पता चलता है। फोटो तब की है, जब अगरतला में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच ये झड़प हुई थी।
  • दूसरी फोटो जिसमें कुछ लोग तिरंगा जलाते दिख रहे हैं। साथ ही मृत गाय है। फोटो को ध्यान से देखने पर कुछ लोगों के हाथों में पाकिस्तान का झंडा हमें दिखाई दिया। इससे क्लू मिला कि फोटो पाकिस्तान की हो सकती है।
  • दूसरी फोटो में बाईं तरफ एक ब्रांड का लोगो दिखा। लोगो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से पता चलता है कि ये पाकिस्तान के ही एक ब्रांड nishantLinen का लोगो है।
  • जलते हुए तिरंगे की दूसरे एंगल से ली गई यही फोटो अफ्रीकन प्रेस की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी हमें मिली। यहां दी गई जानकारी से पुष्टि होती है कि फोटो कश्मीर नहीं, बल्कि पाकिस्तान की है ।
  • तीसरी फोटो जिसमें घायल पुलिसकर्मी दिख रहा है। Deccan Chronicle की खबर से पता चलता है कि फोटो 6 साल पुरानी उत्तर प्रदेश की घटना की है। जख्मी हालत में यूपी पुलिस के डीआईजी विजय सिंह मीणा हैं, जो प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में घायल हो गए थे।
  • मुंह पर रुमाल बांधे जख्मी पुलिसकर्मी की चौथी फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से 2015 की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं। जिनसे पता चलता है कि ये फोटो जम्मू में हुए सिखों के एक प्रदर्शन की है। फोटो में सब इंस्पेक्टर अरुण शर्मा नजर आ रहे हैं, जिन पर उग्र प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया था।
  • साफ है चारों फोटोज का आपस में कोई संबंध नहीं है। सोशल मीडिया पर फोटो कोलाज के साथ वायरल हो रहा मैसेज पूरी तरह से फेक है।

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Cow killed in Kashmir, Police injured by protestors


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अमेरिका के दूसरे सबसे युवा राष्ट्रपति की कहानी, जो विश्वयुद्ध के वक्त नेवी में थे

वे महज दो साल, 10 महीने और दो दिन के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति रहे। लेकिन आज भी अमेरिका के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति में से एक हैं। महज 43 साल की उम्र में देश के प्रेसिडेंट बने। अमेरिका के सबसे युवा राष्ट्रपतियों की लिस्ट में उनका नंबर दूसरा है। हम बात कर रहे हैं अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की। उनकी हत्या 1963 में आज ही के दिन अमेरिका के टैक्सास राज्य के डलास में उस वक्त कर दी गई, जब वे एक ओपन कार से जा रहे थे। कैनेडी को गोली मारने वाला पूर्व मरीन ली हार्वी ओसवाल्ड था। ओसवाल्ड को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन दो दिन बाद ही कैनेडी के एक समर्थक ने ओसवाल्ड की भी हत्या कर दी। इस घटना ने अमेरिका के साथ पूरी दुनिया में खलबली मचा दी थी।

29 मई 1917 में अमेरिका के ब्रुकलिन में जन्मे कैनेडी अपने माता-पिता की 9 संतानों में दूसरे नंबर पर थे। उनके पिता अमेरिका के बेहद सफल लोगों में से एक थे। उनका व्यापार फिल्म इंडस्ट्री से लेकर स्टॉक मार्केट तक, शिप बिल्डिंग से लेकर बैंकिंग तक फैला था। 1938 में कैनेडी के पिता अमेरिका के एम्बेसडर बनकर ब्रिटेन गए, तो 21 साल के कैनेडी उनके सेक्रेटरी के तौर पर वहां गए।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद 1941 में उन्होंने नेवी ज्वॉइन कर ली। उस वक्त दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। युद्ध के दौरान उनके बड़े भाई की मौत हो गई। खुद कैनेडी भी युद्ध के दौरान मरते-मरते बचे थे। 1945 में नेवी छोड़ने के बाद वे राजनीति में आए। बड़े भाई की मौत के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत कैनेडी के हाथ में आ गई। 1946 में अपना पहला चुनाव जीतने वाले कैनेडी जीवन में कभी चुनाव नहीं हारे।

1997 में भारत की डायना हेडन मिस वर्ल्ड बनीं
आज ही के दिन भारत की डायना हेडन ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था। उनका जन्म हैदराबाद में हुआ और उन्होंने यूके की रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में पढ़ाई की थी। मिस वर्ल्ड बनने वाली डायना तीसरी भारतीय महिला थीं। उनसे पहले 1966 में रीता फारिया और 1994 में ऐश्वर्या राय ने यह खिताब जीता था। डायना के बाद तीन और भारतीय महिलाएं मिस वर्ल्ड बन चुकी हैं। 1999 में युक्ता मुखी, 2000 में प्रियंका चोपड़ा और 2017 में हरियाणा की मानुषी छिल्लर ने यह खिताब अपने नाम किया।

डायना हेडन ने 2003 में आई 'तहजीब' फिल्म से डेब्यू किया था। हालांकि, उनका फिल्मी करियर बहुत सफल नहीं रहा।

भारत और दुनिया में 22 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

  • 1939: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का जन्म
  • 1948: कोरियोग्राफर सरोज खान का जन्म।
  • 1971: भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे की हवाई सीमाओं का उल्लंघन किया और दोनों देशों के बीच हवाई संघर्ष शुरू हुआ। 11 दिन बाद बांग्लादेश मुक्ति युद्ध शुरू हुआ।
  • 1990: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को दूसरी बार पार्टी नेता बनने के चुनाव में कैबिनेट ने समर्थन नहीं दिया। इसके बाद थैचर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
  • 2002: मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजन के विरोध में नाइजीरिया में भड़के दंगे में सैकड़ों लोग मारे गए।
  • 2005: एंजेला मर्केल जर्मनी की चांसलर बनीं। इस पद पर पहुंचने वाली जर्मनी की पहली महिला थीं मर्केल। वह पिछले 15 साल से इस पद पर हैं।


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