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Saturday, November 9, 2024

उत्तराखंड का स्थापना दिवस : आज किन स्थितियों में है यह राज्य

उत्तराखंड का आज 25वां स्थापना दिवस है और इस अवसर पर हमने राज्य की वर्तमान स्थिति जानने के लिए प्रदेश के भौगोलिक, सामाजिक, राजनीतिक घटनाक्रमों पर करीब से नजर रखने वाले कुछ लोगों से बातचीत की.

अस्कोट आराकोट यात्रा के एक यात्री की नजरों में आज का उत्तराखंड

उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति पर सबसे पहले हमने चंदन डांगी के साथ विस्तार से बातचीत की. चंदन डांगी उत्तराखंड के भौगोलिक और सामाजिक बदलावों पर साल 1974 से हर 10 सालों में पैदल चलकर ही जानकारी जुटाने वाली लगभग 1200 किलोमीटर लंबी अस्कोट आराकोट यात्रा में तीन बार शामिल हुए हैं. वह कहते हैं हाल ही में उत्तराखंड में उद्यमिता से जुड़े अनेक सफल प्रयोग हुए हैं, जैसे मुनस्यारी में महिलाओं द्वारा संचालित सरमोली होम स्टे, उत्तरकाशी के नौगांव में टमाटर की खेती और इसी के ऊपरी इलाकों में सेब की बागवानी. हिमाचल प्रदेश से तुलना की जाए तो यहां पैदावार और आमदनी अब भी कम है और उत्तराखंड में वहां से ज्यादा मेहनत और जोखिम है.

उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन से सामने आ रहे बदलावों पर चंदन ने आगे बताया कि साल 2004 की अस्कोट आराकोट यात्रा के दौरान, जब हम जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान, मण्डल, गोपेश्वर से चोपता की तरफ बढ़े तो हमें कांचुला खरक कस्तूरी मृग परियोजना देखने को मिली थी. हमें बताया गया था कि यहां अभी लगभग 18 कस्तूरी मृग हैं और एक दर्जन कस्तूरी मृग हमें वहां दिखे भी थे. साल 2014 में जब हम उस जगह पर फिर से गए तो वहां कुछ भी नही बचा था.

पिछले 20 सालों के दौरान भुलकन बड़े कंक्रीट जंगल में बदल गया है, उन्हें समझ नही आता कि पर्यावरण को लेकर इतनी संवेदनशील जगह में कैसे डीजल से चलने वाले बिजली संयंत्र के निर्माण को मंजूरी मिल गई होगी जबकि सालों पहले चोपता में ही होने वाले एक निर्माण कार्य को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद रोक दिया गया था.

उत्तराखंड की महिलाओं पर औद्योगिक क्षेत्र में लगभग चार दशकों का अनुभव प्राप्त चंदन कहते हैं कि उत्तराखंड की महिलाओं के सर और पीठ के बोझ को कम करने में दुनिया भर के डिजाइन क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों का लाभ कतई नहीं मिला है. आज के जमाने में भी पीरियड के दौरान उत्तराखंड के अनेक गावों की महिलाएं, घर से अलग रहने के लिए बाध्य हैं. यही स्थिति यात्रा के दौरान हमने जातियों को लेकर होने वाले भेदभाव की भी देखी, जिसे आधुनिकता के साथ समाप्त हो जाना चाहिए था.

चंदन डांगी अस्कोट आराकोट यात्रा के अनुभवों से आज के उत्तराखंड पर बात करते आगे कहते हैं कि कोरोना काल के दौरान उत्तराखंड के युवाओं ने प्रदेश में वापस लौट कर स्वरोजगार के कई प्रयोग किए हैं, उदाहरण के लिए बागेश्वर जिले में कीवी का उत्पादन बढ़ा है. 

हिमालय के गांवों में कोदा, मडुवा, झंगोरा जैसे मिलेट उगाए जा रहे है, इनकी मांग देशभर में बहुत अधिक है लेकिन बड़े व्यापारी किसानों से पूरी फसल बहुत ही सस्ते दामों में खरीद रहे हैं. पहाड़ का उद्यमी कम संसाधनों के कारण पिछड़ जाता है क्योंकि उसके पास भंडारण, पैकेजिंग और उचित मार्केटिंग का सपोर्ट नहीं है. कीड़ा जड़ी की खोज में लोग उसको ढूंढने के लिए जान का जोखिम उठा रहे हैं, किंतु इसका क्या बनता है, कैसे बनता है, तैयार उत्पाद कहां बिकते हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. सरकार यदि युवाओं के लिए उनके उत्पाद आसानी से बिकने के मार्ग खोले और पहाड़ में खेती के विकास को लेकर गंभीर हो तो इन युवाओं को आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता.

पहले घर में रहने वाली लड़कियां अब स्कूल जाने लगीं

चंद्रा भंडारी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए बेहद महत्वपूर्ण रहे कार्यक्रम, महिला समाख्या कार्यक्रम से लंबे समय तक जुड़ी रहीं और उन्होंने उत्तराखंड में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काफी महत्वपूर्ण कार्य किए थे. इस साल उन्होंने साल 2004 के बाद दूसरी बाद अस्कोट आराकोट यात्रा की. चंद्रा कहती हैं जिस कल्पना के साथ उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया गया था, वह आज राज्य बनने के 24 साल पूरे होने के बाद आज भी कल्पना ही है. इसमें राज्य के जल, जंगल, जमीन को बचाना शामिल था और साथ ही राज्य से पलायन रोकने के साथ महिला हिंसा को रोकने की कल्पना की गई थी. वह कहती हैं कि अस्कोट आराकोट यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य में लड़कियों की शिक्षा के स्तर में विकास देखा है. साल 2004 में यात्रा करते हमने देखा था कि पहाड़ों में लड़कियां ज्यादा नही पढ़ती थीं और कक्षा तीन, चार के बाद स्कूल छोड़ देती थीं लेकिन इस बार हमने कई जगह देखा कि लड़कियां घरों में खेती का काम भी करती हैं और साथ ही स्कूल भी जाती हैं, उच्च शिक्षा के लिए भी माता पिता अब अपनी लड़कियों को देहरादून, दिल्ली, हल्द्वानी जैसे शहरों में भेजने लगे हैं.

पांच दशकों का अनुभव प्राप्त पत्रकार की नजरों में उत्तराखंड

इस साल ही पत्रकारिता में प्रतिष्ठित पुरस्कार पण्डित भैरव दत्त धूलिया पत्रकार पुरस्कार प्राप्त राजीव लोचन साह को पत्रकारिता का लगभग पांच दशकों का अनुभव है. उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति पर वह कहते हैं कि मैदानी प्रदेश के साथ लगा पर्वतीय हिस्सा ठीक से विकास नही कर पा रहा था इसलिए पृथक राज्य की मांग उठी. चालीस पचास साल तक लगातार कोशिश हुई कि यह राज्य बने लेकिन इसका चरम आया साल 1994 में, जब उत्तराखंड की सारी जनता सड़क पर उतर आई थी. उनकी मांगें ज्यादा बड़ी नहीं थीं, वह यही थी कि यहां जिंदगी शांत हो, शराब का ज्यादा प्रभाव न हो, रोजगार हो, किसानी पनपे, गैरसैंण राजधानी हो, भू कानून बने. लेकिन इन चौबीस सालों में हमें इसमें से कुछ भी नही मिला, प्रदेश की खेती नष्ट हो रही है, भू कानून अब तक लागू नहीं हुआ, गर्भवती सड़क में प्रसव कर रही हैं, गैरसैंण अब तक राजधानी नहीं बनी, बेरोजगारी बढ़ रही है. प्रदेश की छवि साम्प्रदायिक रुप से तनावग्रस्त प्रदेश की हो गई है, लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर सामाजिक समरसता खत्म की जा रही है. उत्तराखंड की जनता को इन्हीं मूल प्रश्नों पर फिर से केंद्रित होना होगा.

बिना व्यापक तैयारी के पृथक राज्य की घोषणा

इतिहास के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अनिल जोशी उत्तराखंड के गठन से लेकर वर्तमान हालातों पर कहते हैं कि जब उत्तराखंड राज्य का आंदोलन चरम पर था तब मैं उन चंद लोगों में था जो तत्काल राज्य बनने के पक्ष में नहीं थे. मेरा मानना था कि हिमाचल की तर्ज में पहले कुछ वर्षों के लिए केंद्र शासित प्रदेश का दर्ज़ा मिले तो बेहतर होगा. केन्द्र की योजनाओं का तथा वहां से मिलने वाले अनुदानों का भरपूर उपभोग करके इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के बाद यदि राज्य बनता तो विकास की एक योजना बनी होती और राज्य के पास एक मज़बूत ढांचा पहले से मौजूद रहता, साथ ही तक स्थानीय नेतृत्व भी विकसित हो जाता. लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ, आंदोलनकारियों और सरकार दोनों को ही राज्य बनाने की जल्दी थी.

बिना व्यापक तैयारी के पृथक राज्य की घोषणा तो हो गई मगर धरातल पर तो कुछ था ही नहीं. राज्य ऐसे लोग चला रहे थे जिनको राज्य की परिकल्पना से कुछ लेना देना नहीं था और न ही यहां की परिस्थिति के अनुरूप विकास से उन्हें मतलब था, अब नतीजा सबके सामने है. पच्चीस साल होने को आए लेकिन कोई भी सरकार सही से राज्य की प्राथमिकताएं तय नहीं कर पाई है.

सतत विकास किसे कहते हैं, यह बुनियादी सवाल जस का तस 

यहां हमें हिमाचल प्रदेश से सीख लेनी चाहिए थी, उनके पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर यशवंत सिंह परमार उच्च कोटि के विद्वान थे और अपने पर्वतीय राज्य की भौगोलिक विशेषताओं और विषमताओं दोनों से भली भांति अवगत थे और वे लंबे समय तक पद पर रहे. जिससे वह हिमाचल में विकास के मॉडल को अमलीजामा पहना सके. उनके उत्तराधिकारियों ने उनके विजन को ही आगे बढ़ाया चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो.

सपनों के विपरीत मिला उत्तराखंड

वरिष्ठ पत्रकार गोविंद पंत राजू से हमने सवाल पूछा कि क्या यह उत्तराखंड वही है, जैसा हमने सोचा था. इस पर वह कहते हैं नहीं कतई नहीं. हमें जो राज्य मिला वह एक पृथक प्रदेश अवश्य है लेकिन हमने ऐसे राज्य के सपने नहीं देखे थे. पृथक पर्वतीय राज्य के सपने पर्वतीय आकांक्षाओं के सपने थे, पर्वतीय सामाजिक परिवेश, संस्कृति और परिस्थितियों से उपजी समस्याओं के समाधान के सपने थे. उन सपनों में आम पर्वतीय इंसान के कष्टों के निवारण की बात थी, उसकी तरक्की की बात थी, उनकी बेहतरी की बात थी. बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य और बेहतर जीवन स्तर के साथ-साथ हरे-भरे और पर्यावरण अनुकूल विकास योजनाओं वाले उत्तराखंड की बात थी. उस सपने में राज्य के समस्त निवासियों के बीच भाईचारे और एक दूसरे के कष्टों में बढ़ चढ़कर शामिल होने की बात भी थी तथा मेलों ठेलों, उत्सवों एवं खेती पाती में परंपरागत सामूहिकता के विकास की बात भी थी. चिंतन मनन के साथ बौद्धिक, राजनीतिक और जमीनी आंदोलन के लंबे संघर्षों के बाद राज्य के रूप में उत्तराखंड की जनता को जो मिला, दुर्भाग्य से वह यहां की जनता के सपनों के एकदम विपरीत हमें हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी के खिलाफ चलाई जाने वाली हमलावर विकास योजनाएं मिलीं. 

इस राज्य ने उत्तराखंड के आम आदमी की संघर्ष क्षमता को कुंद किया, उसको दलाल और भ्रष्ट बनने की दिशा में आगे बढ़ाने का काम किया और अपनी संस्कृति तथा परंपराओं को बाजार के हवाले करने के लिए मजबूर कर दिया. पच्चीस साल में पहुंचे इस राज्य के पास आज न अपनी संस्कृति बची है न अपनी परंपरागत कृषि विशेषज्ञता बची है न अपना पर्यावरण संरक्षित बचा है. न उसकी नदियां सुरक्षित हैं न उसके गांव सुरक्षित हैं और न ही उसका आम आदमी सुरक्षित हैं. बेरोजगारी, खराब स्वास्थ्य सेवाएं और तार-तार होती शिक्षा व्यवस्था आज के उत्तराखंड का सबसे बड़ा सच है. ऐसे उत्तराखंड का सपना तो किसी ने भी नहीं देखा था.

(हिमांशु जोशी उत्तराखंड से हैं और प्रतिष्ठित उमेश डोभाल स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त हैं. वह कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं और वेब पोर्टलों के लिए लिखते रहे हैं.)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.



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"Made Mistake Twice": Nitish Kumar Says He Will Stay With NDA 'Permanently'

Maintaining that he "made a mistake twice" in the past by joining hands with RJD, Bihar Chief Minister Nitish Kumar on Saturday said that now he would stay permanently with the National Democratic Alliance (NDA).

Addressing a public meeting in favour of NDA nominee, Vishal Prashant of BJP for the Tarari assembly byelection, Kumar said, "I have said it earlier also...I am once again saying that we (BJP-JDU) were together earlier. I made a mistake twice in the past by joining hands with the RJD...I went 'idhar udhar' twice in the past...But now, I have again come to the NDA. I will remain permanently with the NDA".

He said, "We have been working for the development of Bihar since 2005. Several infrastructural and development works have been done in Bihar after 2005.....and it will continue further under the NDA rule".

Kumar accused RJD of trying to "polarise" votes on "communal lines" in the upcoming bypolls in the state.

"They (RJD) always try to create a divide on communal lines. When RJD was in power in Bihar, the state witnessed several communal clashes. But, now the situation is totally different when the NDA is in power. I am sure that people will give a befitting reply to the INDIA bloc in the coming bypolls in the state", he said.

By-polls on four Bihar assembly seats will be held on November 13 for which results will be out on November 23.

All four assembly seats had fallen vacant after MLAs representing them were elected to the Lok Sabha. The four seats where by-polls will be held are Ramgarh, Tarari, Belaganj, and Imamganj.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Friday, November 8, 2024

AMU पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : छात्रों ने कहा- यह हमेशा से अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी, अदालत ने भी माना

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने AMU का अल्पसंख्यक का दर्जा फिलहाल बरकरार रखा है, लेकिन साथ में यह भी साफ किया कि एक नई बेंच इसको लेकर गाइडलाइंस बनाएगी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि एक 3 सदस्यीय नियमित बेंच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर फाइनल फैसला करेगी. यह बेंच 7 जजों की बेंच के फैसले के निष्कर्षों और मानदंड के आधार पर एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के बारे में अंतिम फैसला लेगी.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस के मामले में 7 जजों की बेंच का फैसला शुक्रवार को आया. हालांकि यह फैसला सर्वसम्मति से नहीं बल्कि 4:3 के अनुपात में आया है. फैसले के पक्ष में सीजेआई, जस्टिस खन्ना, जस्टिस पारदीवाला जस्टिस मनोज मिश्रा एकमत रहे. वहीं जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एससी शर्मा का फैसला अलग रहा.

इस फैसले का यह असर होगा कि मुस्लिम छात्रों को 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी, एससी,एसटी छात्रों को आरक्षण नहीं मिलेगा. जामिया सहित अन्य अल्पसंख्यक विश्वविद्यालयों पर इसका असर पड़ेगा. 

एनडीटीवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्रों के विचार जाने. एक छात्र ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी माइनारिटी संस्थान है. यह अल्पसंख्यक संस्थान ही रहा है और आगे भी रहेगा. एक छात्र ने कहा कि, ''यह यूनिवर्सिटी उस समय बनी थी जब बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सहित तीन-चार अन्य विश्वविद्यालय बने थे. देश में सिर्फ यही एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. कई संस्थान हैं, अलग-अलग धर्मों के हैं. एएमयू देश के पिछड़े हुए मुसलमान तबके को ऊपर लाता रहा है.'' 

एक छात्र ने कहा कि, ''सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने यह मामला तीन जजों की बैंच को रिफर किया है. इससे यह साबित होता है कि कोर्ट ने आगे हमारे लिए रास्ता दिखा दिया है. कोर्ट ने माना है कि यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है. सर सैयद अहमद खान ने 1875 में यह संस्थान बनाया था. यह तभी से एक अल्पसंख्यक संस्थान है.'' 

एक छात्र ने कहा कि, ''करीब 4000 से अधिक नॉन मुस्लिम छात्र यहां पढ़ते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी दुनिया में यह पैगाम गया कि भारत और यहां की अदालतें अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण करती हैं. सबको रिजर्वेशन दीजिए कोई तकलीफ नहीं है लेकिन माइनारिटी भी एक तबका है.''



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Yoga Teacher Buried Alive, Escapes Death Using Breathing Techniques

A 34-year-old Yoga teacher faked her death using breathing techniques and saved herself after allegedly being assaulted, strangled and then buried by a group of people who assumed she was dead, police said on Friday.

Five people, including a woman identified as Bindu and her friend named Satish Reddy who runs a detective agency in Bengaluru, have been arrested in connection with the incident, they said.

"Bindu suspected her husband of having an affair with the Yoga teacher and asked Reddy to keep a tab on the woman and her proximity to him. As part of the plan, Reddy allegedly befriended the victim some three months ago on the pretext of taking Yoga classes from her and during this period, he managed to gain her confidence," a police official said.

In her complaint, the victim alleged that on the pretext of showing some places around the city on October 23, he came to her house near Dibburahalli and took her in a car in which three other men were also present.

She alleged that they took her to a secluded spot on the outskirts of the city and allegedly stripped and assaulted her.

According to her, she was thrashed, threatened and strangled using a cable. She claimed that she played along, pretended to be unconscious and faked her death using breathing techniques.

"Assuming the woman died, the accused allegedly dug a pit and covered her body with thin layers of soil because they were in a hurry and feared to be caught. But before leaving, they took away all her gold jewellery," a senior police officer said.

She claimed that she later managed to wriggle out of the pit and with the help of some villagers, got clothes and managed to reach the police station to file a complaint, he said.

The woman was sent for a medical examination as per procedure and admitted to a hospital.

"Based on the complaint, we registered a case under sections of kidnapping, attempt to murder and other appropriate sections of the Bharatiya Nyaya Sanhita. Based on the investigation, we arrested five people, including Reddy and Bindu, on November 6," the officer said.

The vehicle in which the victim was kidnapped was allegedly stolen from Bengaluru, police said, adding, the victim's jewellery has also been recovered with the arrests.

"We are trying to verify all the claims made by the victim. There were also some online money transactions between Bindu and the associates and we are investigating the money trail also," he added.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Sinclair, IIT Bombay Partner For Next Gen Wireless Broadcast-To-Everything Research

The Indian Institute of Technology Bombay and Sinclair Inc have recently signed a Memorandum of Understanding (MoU) for "collaboration of technology and standards development in wireless broadcast services over next generation telecom and broadcast networks." 

Sinclair, a diversified media company and a leading provider of local broadcast television, in a statement said, "Research efforts will focus on enhancements to the international ATSC (Advanced Television Systems Committee) 3.0 wireless broadcast standard for a variety of mobile, television and other fixed applications that can benefit India and the world." 

The new capabilities of ATSC 3.0, they said, will advance "Broadcast-to-Everything (B2X) use cases to provide dynamic traffic management and fast interworking with 5G networks, efficient spectrum utilization, low-latency datacasting, edge content distribution and improved battery life for smartphones, featurephones, wearables and IoT devices."

How Will IIT Bombay Contribute? 

IIT Bombay will also contribute directly to the B2X release standardization work under way as a member of ATSC, Sinclair said.

"B2X will help relieve network congestion, provide a high quality of service for concurrent and popular content, and promote sustainability. B2X further improves upon Direct-to-Mobile (D2M), extending broadcast into the IMT-2030 (6G) ecosystem," they added.

India has over 1 billion mobile subscribers, over 200 million homes with TV, high per-capita mobile data consumption and proliferation of news, sports and other TV and radio channels. 

In the long term, Sinclair says, "B2X will drive progress in emergency and disaster management, remote education and skilling, advanced agricultural techniques, augmentation of satellite positioning and timing, vehicular communications and open AI-based applications for broadcasting and datacasting." 

'Excited To Partner'

Professor Shireesh Kedare, Director of IIT Bombay, said, "We are excited to partner with Sinclair in wireless telecom transformation and promote academic excellence, joint projects, and joint intellectual property development including Make in India initiatives to drive B2X adoption in India. It touches IIT Bombay's mission to address the needs of society and country at large and develop technologies and products that improve the quality of life for both urban and rural population." 

Chris Ripley, President and CEO, Sinclair, Inc, said, "We consider the collaboration work with IIT Bombay to be of the utmost importance in establishing ATSC 3.0-based B2X as the preferred technology for broadcasting and multicasting for diverse applications, not just in India, but ultimately across the globe. Sinclair is proud to have IIT Bombay reinforce our foundational role in advancing next generation broadcast."  

Mark Aitken, Senior Vice President, Sinclair, Inc. and the guiding architect of the ATSC 3.0 standard, said "ATSC 3.0's high bandwidth efficiency, and time and frequency interleaving features make it undisputedly the best mobile broadcast standard. ATSC 3.0 also stands alone with its bootstrap "blanking" feature that facilitates the introduction of B2X release enhancements without disrupting the operation of earlier releases." 

Madeleine Noland, President of ATSC, said, "Telecom networks focus on unicast (one-to-one) communications, while B2X adds ATSC 3.0's high performance broadcast (one-to-many) distribution aligned with mobile specifications. ATSC applauds Sinclair's and IIT Bombay's participation in B2X standards and technology development, which has the potential to revolutionize data distribution efficiency across multiple networks. IIT Bombay joins other world class academic and research institutions as ATSC's newest member." 

Shashi Shekhar Vempati, former CEO Prasar Bharati, and member of the ATSC Business Advisory Council, said, "The recent decision by Brazil to adopt the ATSC 3.0 standard for broadcast services, based on extensive testing of multiple systems, paves the way for B2X to further advance the standard's broadcast resilience for the greater public good. This collaboration furthers the developmental goals of a Viksit Bharat (Developed Bharat) as envisioned by Prime Minister Narendra Modi." 



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"Wanted To Be A Militant After Torture By Army Officer," Claims J&K MLA

National Conference MLA Qaiser Jamshaid Lone on Friday said he wanted to become a militant after he was "tortured and humiliated" by an army officer during a crackdown when he was a teenager but a senior officer's action restored his faith in the system.

The senior army officer spoke to him and then reprimanded the junior officer for his conduct, Mr Lone said while participating in the Motion of Thanks to the Lieutenant Governor's address in the Jammu and Kashmir Legislative Assembly.

The incident showed how dialogue can resolve issues, the Lolab MLA said.

"There was a crackdown in my area when I was a youngster. I must have been a student of the 10th standard. There were 32 youths, including me, who were singled out for questioning," he said.

Mr Lone claimed that he was asked by an army officer about a youth who had joined terrorist ranks. "I said yes I know him because he lived in our area. I was beaten up for that. Then he asked me if the terrorist was present in the crackdown. I replied in the negative and I was beaten up again," the ruling party MLA said.

He said later a senior officer came to the spot and spoke to him.

"He asked me 'what do you want to become in life?' I told him I want to be a militant. He asked me the reason and I told him about the torture I had gone through," the NC leader said.

Mr Lone said the senior officer rebuked his junior publicly, which reinstated his "faith in the system". He said that he later learnt that out of the 32 youths who were questioned, 27 joined the militancy. 

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Thursday, November 7, 2024

"Have To Presume...": Court On Order Banning Import Of 'The Satanic Verses'

The Delhi High Court has closed the proceedings on a petition challenging the Rajiv Gandhi government's decision to ban the import of Salman Rushdie's controversial novel "The Satanic Verses" in 1988, saying since authorities have failed to produce the relevant notification, it has to be presumed that it does not exist.

In an order passed on November 5, a bench headed by Justice Rekha Palli observed that the petition, which was pending since 2019, was therefore infructuous and the petitioner would be entitled to take all actions in respect of the book as available in law.

The Centre banned the import of the Booker Prize-winning author's "The Satanic Verses" for law-and-order reasons in 1988, after Muslims across the world viewed it as blasphemous.

Petitioner Sandipan Khan had argued in court that he was unable to import the book on account of a notification issued by the Central Board of Indirect Taxes and Customs on October 5, 1988, banning its import into the country in accordance with the Customs Act, but the same was neither available on any official website nor with any of the authorities concerned.

"What emerges is that none of the respondents could produce the said notification dated 05.10.1988 with which the petitioner is purportedly aggrieved and, in fact, the purported author of the said notification has also shown his helplessness in producing a copy of the said notification during the pendency of the present writ petition since its filing way back in 2019," the bench, also comprising Justice Saurabh Banerjee, observed.

"In the light of the aforesaid circumstances, we have no other option except to presume that no such notification exists, and therefore, we cannot examine the validity thereof and dispose of the writ petition as infructuous," it concluded.

Besides assailing the ban notification, the petitioner had sought a direction to set aside other related directions issued by the Ministry of Home Affairs in 1988.

The petition had also sought directions to enable him to import the book from its publisher or international e-commerce websites.

During the course of the proceedings in the court, authorities had said the notification was untraceable, and therefore, could not be produced.

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Wednesday, November 6, 2024

In Maharashtra, Ruling Alliance's 10 Guarantees Vs Opposition's "Panch Sutra"

It is raining poll promises in Maharashtra, with around two weeks to go before the assembly election. The ruling alliance Mahayuti and the Opposition Maha Vikas Aghadi, have both released their manifestos which make tall promises, especially to the women, farmers and the young people of the state.

Given the do-or-die nature of the coming battle, parties like Shiv Sena of Uddhav Thackeray or Sharad Pawar's faction of the Nationalist Congress Party, released individual manifestos and made election announcements for every seat. 

While the ruling alliance is wooing voters with its 10 guarantees, the opposition has gone to the people with a "Panchsutra" (Letter of five promises) in its joint manifesto.

The Mahayuti's 10 guarantees include:

  1. . Increasing the amount of Ladli Behan Yojana from Rs 1,500 to 2,100 and a promise to deploy 25,000 women in the police force.
  2. . Farmers guaranteed loan waiver and under the Kisan Samman Yojana, the amount to increase from Rs 12,000 to Rs 15,000 per year
  3. . A 20% subsidy on MSP
  4. . Old-age pension increase from Rs 1,500 to Rs 2,100 per month
  5. . Stability in prices of essential commodities 
  6. . 25 lakh jobs and education allowance of Rs 10,000 per month promised, training for 10 lakh students 
  7. . Anganwadi and Asha workers promised a salary of Rs 15,000 and insurance protection
  8. . 45,000 connecting roads in rural areas
  9. . 30 per cent reduction in electricity bill
  10.  Vision Maharashtra 2029 to be completed within 100 days

"Opposition parties were making fun of Ladli Behan Yojana. What will Rs. 1500 do?" said Chief Minister Eknath Shinde. "I promise that the scheme will never be stopped. Many more important decisions will be taken as soon as the government is formed," he added.

Congress's Rahul Gandhi, meanwhile, held a "Swabhiman Sabha" in Mumbai and released the five promises of the Maha Vikas Aghadi. 

The "Panch Sutra" promise of Mahavikas Aghadi includes:

  1.  Under the Mahalaxmi Yojana, women will get Rs. 3,000 per month and free bus travel 
  2.  Farmers will get loans up to Rs. 3 lakh, and an incentive of Rs 50,000 for repaying the loan on time.
  3.  Caste-based census will be conducted, in which an attempt will be made to remove the 50% reservation limit.
  4.  Health insurance up to Rs 25 lakh and free medicines 
  5.  Financial assistance of up to Rs 4,000 per month for unemployed young people.

In the Lok Sabha elections, the "Constitution in danger" narrative had given a big advantage to the Maha Vikas Aghadi. This time too, Rahul Gandhi was seen waving the Red Book of the Constitution in Nagpur and Mumbai. 

He was joined by Uddhav Thackeray and Sharad Pawar.

The BJP, however, claimed the Red Book Mr Gandhi had brought was completely blank, and called it an insult to Baba Saheb Ambedkar's Constitution.



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Tuesday, November 5, 2024

'Thadou Inpi GHQ' Says Won't Recognise New Body; 'Thadou Inpi Manipur' Pushes Ahead

The Thadou Inpi General Headquarters (TI-GHQ) which says it is the top body of the Thadou tribe has rejected the formation of another body, called the 'Thadou Inpi Manipur', or TIM. The new Thadou body was formed at the two-day Thadou Convention held on November 1 and 2 in Assam's Guwahati, an event which the organising committee billed as "historic" for the tribe.

"... The formation of the 'Thadou Inpi Manipur' and other bodies in the Thadou Convention held at Guwahati... under the aegis of the Thadou Community International is invalid," TI-GHQ said in a statement.

The TI-GHQ said the 'Thadou Inpi Manipur' and other bodies were formed "without the knowledge and consent of the TI-GHQ, [and] it is contrary to the principles or provisions of the constitution of the Thadou Inpi."

The TI-GHQ in the statement appealed to "all sensible members of our community" to consider the 'Thadou Inpi Manipur' and declarations at the Guwahati event "null and void".

The newly-formed TIM in a statement on Tuesday said it will have a three-year tenure. H James Thadou, Michael Lamjathang Haokip, and seven others have been unanimously elected as president, general secretary, and executive members, respectively, it said, adding three advisers have also been appointed.

"TIM shall function as the legitimate peak body of Thadou tribe for Manipur, providing strategic leadership, coordination and advocacy. TIM will also spearhead, be responsible for, and coordinate movements and representation and all affairs relating to Thadous of Manipur and beyond as needed," the TIM said in the statement.

The Thadou Convention held in Assam had released a 10-point declaration and a 9-point resolution after. The declaration emphasised on the tribe's distinct ethnic identity having its own language, culture, traditions, and history.

"Thadou is not Kuki, or underneath Kuki, or part of Kuki, but a separate, independent entity from Kuki... Thadou is one of the original 29 native/indigenous tribes of Manipur, India, that were all simultaneously and duly recognised as independent Scheduled Tribes of Manipur under the 1956 Presidential Order, Government of India," the declaration stated.

"Thadous have always been known and recorded as Thadou, without any prefix or suffix to it, and it has been the single-largest tribe in Manipur consistently since the first census of India in 1881 till the latest census in 2011 that recorded Thadou population at 2,15,913. Any Kuki Tribes (AKT) had a population of 28,342 in the latest Manipur census in 2011, the first time Kuki was ever recorded in a census," it stated.

Civil society organisations and a defence volunteer group of the Meitei community welcomed the formation of TIM to assert Thadou as a distinct tribe. Meitei Leepun in a statement said it gives "heartfelt appreciation" to the Thadou tribe for the new Thadou body's latest announcement that it would support the National Register of Citizens (NRC) exercise if the Centre decides to carry it out in Manipur.

The Meitei defence volunteer group Arambai Tenggol - similar to village defence volunteers of the hill-dominant Kuki tribes - in a statement in Meiteilon said it welcomes the decision taken at the Thadou Convention to support the NRC.

Volunteer groups from both sides have accused each other of atrocities.

The Kuki tribes and the Meiteis have been fighting since May 2023 over a range of issues such as land rights and political representation.



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Monday, November 4, 2024

उर्फी जावेद से दो कदम आगे निकल गया यह लड़का..रस्सी बम,अनार से बने गहन पहनकर दिए ऐसे एक्सप्रेशन, लोग बोले- एक तिल्ली तो सुलगाओ

सोशल मीडिया सेंसेशन उर्फी जावेद अक्सर अपने कपड़ों को लेकर इंटरनेट पर छाई रहती हैं, लेकिन अब सोशल मीडिया पर इस मामले में एक लड़का उन से भी आगे निकल गया है. इंस्टाग्राम पर ये लड़का लड़की के गेटअप में अपने अधिकांश वीडियो अपलोड करता है. खास बात ये है कि वो कभी नॉर्मल गेटअप नहीं रखता, बल्कि उसका अंदाज एकदम निराला होता है. दिवाली के मौके पर इस लड़के ने पटाखों के गहने पहनकर वीडियो अपलोड किए हैं. इस वीडियो में लड़के ने व्हाइट कलर का लहंगा और चोली भी पहना है, जिसे देखकर यूजर्स माचिस की डिमांड कर रहे हैं.

यहां देखें वीडियो

पटाखों से बनाए गहने

इंस्टाग्राम पर रवि सागर के इंस्टाग्राम हैंडल से तीन अलग-अलग वीडियो पोस्ट किए गए हैं. इन वीडियो में एक लड़का सफेद रंग का शिमरी लहंगा और चोली पहना है. सिर पर मैचिंग दुपट्टा भी डाला है. उसके ड्रेसअप से ज्यादा अट्रेक्ट करने वाली हैं उसकी ज्वैलरी. इस कंटेंट क्रिएटर ने रस्सी बम और अनार से बनी एक माला अपने गले में डाली है. एक माला लड़ की है. हाथों में लड़ के कंगन हैं और माथे पर पूरा टीका भी लड़ का ही है. अंगूठी, नथ चकरी से बनी हैं और कान में पहने झुमके अनार के हैं. माथे के ठीक बीचोंबीच रस्सी बम भी लटक रहा है. इस गेटअप में दो सॉन्ग और एक डायलॉग पर इस कंटेंट क्रिएटर ने वीडियो बनाया है. एक गाना 'आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया' का है. एक गाना 'कुछ-कुछ होता है' मूवी का है और डायलॉग देवदास मूवी का है, जिसमें वो खुद माचिस भी पकड़ा है.

यूजर्स ने कहा- माचिस तो सुलगाओ

कंटेंट क्रिएटर का ये पटाखिया अंदाज देखकर एक फैन ने कहा कि, माचिस सुलगा भी लो तो जरा और मजा आए. एक वीडियो में वो जलता हुआ दिया पकड़ा है, जिसे देखकर यूजर ने लिखा कि काश ये दिया पटाखों से टकरा जाए.

ये भी देखें:- सिर पर पानी भरा मटका रखकर किया बवाल डांस



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महाराष्ट्र के चुनावी दंगल में नामांकन वापसी के अंतिम दिन किसके बागी माने, जानिए पूरी लिस्ट

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र का चुनावी दंगल एक तो वैसे ही दोनों गठबंधनों के लिए आग का दरिया बना हुआ है. ऊपर से इन दोनों दलों की सिरदर्दी इनके बागियों ने बना दी. निर्दलीय नामांकन कर जीत की राह का रोड़ा बन गए. इन बागियों में अधिकतर जीत भले न पाएं, लेकिन अपनी पार्टी को हरवाने में मददगार जरूर साबित हो सकते हैं. यही कारण है कि नामांकन के बाद से ही इन्हें मनाने की कोशिश दोनों ही गठबंधनों की तरफ से लगातार की जा रही थी. सोमवार को नाम वापसी का अंतिम दिन था. जानिए किसने अपने पैर पीछे खींचे और कौन बाग़ी बन डटा है! 

बीजेपी ने इन्हें मनाया

बागी तो नहीं, लेकिन  महायुति और महाविकास आघाड़ी की सबसे बड़ी टेंशन और मराठा आंदोलन का चेहरा मनोज जरांगे पाटिल ने नामांकन दाखिल करने वाले अपने समर्थकों से उम्मीदवारी वापस लेने की अपील कर दोनों गठबंधनों को बड़ी राहत दी.उनके इस फ़ैसले का दोनों गठबंधनों ने स्वागत किया.इस बीच बीजेपी के लिए अच्छी खबर उसकी गढ़ माने जाने वाली बोरिवली सीट से आई. यहां से पार्टी के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने अपना नामांकन वापस ले लिया.इस सीट से बाहरी उम्मीदवार को टिकट मिलने से नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया था.इसके बाद से ही नितिन गडकरी,पीयूष गोयल, विनोद तावड़े से लेकर देवेंद्र फडणवीस समेत कई बड़े-बड़े नेताओं ने गोपाल शेट्टी को मनाने की कोशिश की.नामांकन वापसी से अब पार्टी की स्थिति यहां मजबूत मानी जा रही है. 

शिंदे खेमे में भी जश्न

इधर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा खुले मंच से आश्वासन के बाद, शिंदे सेना की बाग़ी नेता स्वीकृति शर्मा ने भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से अपने पैर वापस पीछे खींच लिए. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रचार के मंच से स्वीकृति शर्मा को भविष्य में विधायक बनाने का “कमिटमेंट” दिया! अंधेरी ईस्ट विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरी एक्स एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी स्वीकृति शर्मा के नामांकन वापस लेने से शिवसेना के उम्मीदवार मुरजी पटेल की राह आसान होगी. 

सना मलिक का काम बना

हालांकि, शिंदे अपने माहिम सीट के उम्मीदवार पर ज़ोर नहीं चला पाये. जब उम्मीदवारी वापस लेने में कुछ ही घंटे बचे थे तो सदा सरवणकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे से मिलने शिवतीर्थ पहुंच गये.राज ठाकरे नहीं मिले और सदा सरवणकर ने अपना फ़ैसला क़ायम रखा.राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे मुंबई के माहिम सीट से चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी उनका समर्थन कर रही है. प्रचार भी करेगी, लेकिन महायुति से शिंदे कैंडिडेट सदा सरवणकर चुनावी दंगल में बने हुए हैं.
मुंबई के अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट से शिंदे गुट ने अपने उम्मीदवार अविनाश राणे का नामांकन भी वापस ले लिया है. इस सीट से अजित पवार गुट से नवाब मलिक की बेटी सना मलिक चुनाव लड़ रही हैं. महायुति चाहती है कि यहां एलायंस से एक ही उम्मीदवार हो. 

उद्धव-कांग्रेस ने भी समझाया

भायखला सीट से शिवसेना यूबीटी उम्मीदवार मनोज जामसुतकर के खिलाफ बगावत करने वाले कांग्रेस के मधु चव्हाण ने भी उम्मीदवारी वापस ले ली. कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट से महाविकास आघाड़ी की आधिकारिक उम्मीदवार मधुरिमा राजे ने भी उम्मीदवारी वापस ले ली.कांग्रेस के बागी राजेश लाटकर आखिर तक पीछे नहीं हटे थे, नामांकन वापस लेने के लिए बाक़ी दस मिनट में मधुरिमा राजे ने आवेदन वापस ले लिया.कसबा विधानसभा क्षेत्र से बागी कांग्रेस नेता मुख्तार शेख ने भी स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन वापस लेते हुए आधिकारिक एमवीए उम्मीदवार रवींद्र धांगेकर का समर्थन करने का फैसला किया. शिवसेना यूबीटी उम्मीदवार रंजीत पाटिल ने शिवसेना के मंत्री तानाजी सावंत के खिलाफ धाराशिव जिले की परंदा विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस लिया. एनसीपी-शरद गुट नेता और पूर्व विधायक राहुल मोटे, सावंत के खिलाफ परंदा से एमवीए के आधिकारिक उम्मीदवार होंगे. 

यहां फ्रेंडली फाइट

महाराष्ट्र के 2024 चुनावी दंगल में सभी पार्टियां जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं.उम्मीदवारों के नामांकन के बाद अब दोनों ही गठबंधनों को अपने बचे हुए बागियों से डर तो सता रहा है, लेकिन “फ्रेंडली फाइट” यानी दोस्ताना लड़ाई ने कुछ सीटों को और दिलचस्प भी बना दिया है. महाविकास अघाड़ी तो इस फ्रेंडली फाइट के ख़िलाफ़ है पर तीन सीटों मानखुर्द-शिवाजी नगर, मोर्शी और देवलाली पर महायुति के भीतर ही दोस्ताना बग़ावत देखते हैं क्या गुल खिलाती है.

मनोज जरांगे महाराष्ट्र चुनाव में किस ओर? सारी सेटिंग करने के बाद क्यों पलटे 



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Woman In Madhya Pradesh Gives Birth On Handcart, Newborn Dies

A woman in Madhya Pradesh's Sidhi district gave birth on a handcart after failing to get an ambulance in time, following which authorities issued show-cause notices to some officials.

Urmila Rajak (26) started experiencing labour pains on Friday night and was rushed to a hospital in a handcart by family members though she delivered before reaching the facility, officials said.

"Staffers examined her once she reached the hospital. The child had died in the womb 24 hours earlier. The family lives in a narrow lane and had to come out on the main road for the ambulance, which arrived late. The district administration has no direct control over the ambulance booking system, " Civil Surgeon Deeprani Israni told PTI.

"We have spoken to the doctors and the ambulance driver. The ambulance reached about 25 minutes after the woman's family called the centralised call centre. Notices have been served on the officials of the health department. A probe is underway," Additional Collector Anshuman Raj said. 

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Sunday, November 3, 2024

PM मोदी से मिले CM योगी, फिर अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलकर बनाई रणनीति  

CM Yogi Meet PM Modi: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाक़ात की. लोकसभा चुनाव के बाद दोनों नेताओं की ये पहली औपचारिक भेंट है. दिल्ली में 7 लोक कल्याण मार्ग पर ये मुलाक़ात हुई.पीएम मोदी को सीएम योगी ने अगले साल प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ का प्रतीक चिह्न भेंट किया, लेकिन इस दौरान और भी कई मुद्दों पर बातचीत हुई. वैसे तो सीएम ऑफिस की तरफ़ से बताया गया कि  प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री की ये शिष्टाचार भेंट थी, लेकिन जब दो बड़े नेता मिलते हैं तो कई तरह की बातें होती हैं.सूत्र बताते हैं कि महाकुंभ के आयोजन पर चर्चा हुई.कुंभ दुनिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है,जिसमें करोड़ों श्रद्धालु आते हैं.यूपी की योगी सरकार की कोशिश इसे दिव्य और भव्य बनाने की है.पिछली बार जब प्रयागराज में साल 2019 में कुंभ आयोजित हुआ था, तब पीएम मोदी भी संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे. 

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बताया जा रहा है कि यूपी के राजनैतिक हालात पर भी पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ में बातचीत हुई. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का यूपी में प्रदर्शन बड़ा ख़राब रहा.बीजेपी की सीटें 62 से घट कर 33 रह गईं. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने हार की समीक्षा भी की. यूपी में इन दिनों विधानसभा की नौ सीटों पर उप चुनाव हो रहा है.सूत्र बताते हैं कि इस मुद्दे पर भी पीएम और सीएम के बीच चर्चा हुई.प्रधानमंत्री से मिलने के बाद सीएम योगी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से भी भेंट की. झारखंड में बीजेपी का मैनिफ़ेस्टो जारी करने के बाद अमित शाह रांची से वापस लौटे थे.लौटने के तुरंत बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की.बताया जा रहा है कि यूपी के उप चुनाव को लेकर दोनों नेताओं में लंबी बातचीत हुई.एक-एक सीट पर मंथन हुआ.बीजेपी ने सभी नौ सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है.योगी आदित्यनाथ की तरफ़ से चुनावी तैयारी के बारे में अमित शाह को बताया गया. अमित शाह ने विधानसभा की सभी नौ सीटों का फ़ीडबैक लिया.जिन नौ सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं, उनमें से 5 पर एनडीए और बाक़ी 4 पर समाजवादी पार्टी का क़ब्ज़ा था.

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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इसी महीने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) से भी मिल चुके हैं.मथुरा में ये मुलाक़ात क़रीब ढाई घंटे तक चली थी.इस दौरान संघ के विस्तार से लेकर महाकुंभ के आयोजन तक पर चर्चा हुई थी.संघ प्रमुख जब इसी साल गोरखपुर गए थे, तब सीएम योगी से भेंट नहीं हो पाई थी. इसीलिए हाल के मुलाक़ात को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बाद में संघ की तरफ़ से सीएम योगी के नारे बंटेंगे तो कटेंगे को भी समर्थन मिला.इसके कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं.लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद पार्टी के ही कई नेता योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुखर हो गए थे. सरकार बड़ा या फिर संगठन को लेकर लंबे समय तक विवाद चला.बाद में सीएम योगी ने एनडीए के सभी विधायकों और सांसदों से मुलाक़ात की.उनके मन को जानने की कोशिश की. 

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अमित शाह से मुलाक़ात के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से भी भेंट की. उनसे उप चुनाव से लेकर संगठन के कामकाज पर भी बातचीत हुई. यूपी में सरकार और संगठन के समन्वय पर चर्चा हुई.हाल के दिनों में यूपी में इस बात पर विवाद होता रहा है.संगठन के कुछ नेताओं ने सरकार से सहयोग न मिलने की शिकायत की थी.लोकसभा चुनाव के बाद बोर्ड और आयोग में पार्टी के समर्पित नेताओं का समायोजन शुरू हो गया है.जो काम बाक़ी रह गया है उस पर सीएम योगी ने पार्टी के अध्यक्ष से बातचीत की.



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2 Officials Suspended After Bandhavgarh Elephant Deaths, Task Force Formed

Two senior forest officials of Madhya Pradesh have been suspended for alleged negligence in their duties after the death of 10 elephants at the Bandhavgarh Tiger Reserve.  Assistant Forest Conservator Fateh Singh Ninama and Field Director Gaurav Chaudhary were removed from their posts due to failures in leadership and vigilance. 

The suspensions come after several allegations, including delayed response times and a lack of oversight to critical incidents involving elephant welfare in the reserve.

Field Director Gaurav Chaudhary faced suspension for failing to return from leave when informed about the elephant deaths. Mr Ninama was accused of failing to take proactive measures despite previous elephant sightings. 

Last year also three employees from the tiger reserve were suspended -- Officer Shil Sindhu Shrivastava and Forest Guards Kamla Prasad Kol and Pushpendranath Mishra. They had kept silent about the discovery of a dead elephant and burnt the carcass. 

The matter became known only when a photograph of the burning carcass went viral, and a wildlife activist filed a formal complaint. 

Chief Minister Dr Mohan Yadav has now formed a state-level elephant task force. 

This body aims to establish "Elephant Friends" in districts that promotes elephant-human coexistence. 

Among the preventive measures announced are solar fences to protect crops and efforts to involve farmers in alternative livelihoods, such as agroforestry, to mitigate crop damage. 

Dr Yadav underscored the need for sustainable forest development that would help foster harmony between local communities and wildlife.

The state government has also initiated discussions with the Union Environment Minister to seek support for forest management strategies and integrate best practices from other states known for elephant management.

Acknowledging the severity of the situation, the Chief Minister expressed his deep concern over the recent deaths in Umaria district, describing the incident as both tragic and preventable. 

Following an inspection by the State Forest Minister and senior officials, preliminary investigations ruled out pesticide involvement, though the full post-mortem report is still pending. 

Dr Yadav has directed the forest department to map agricultural areas and implement safeguards, including solar fencing, to protect crops and reduce human-animal conflict.

To improve elephant management in Madhya Pradesh, officials will visit Karnataka, Kerala, and Assam - states known for their significant elephant populations and successful conservation practices. These study tours aim to provide insights into sustainable management practices that could be applied in Bandhavgarh and other areas where elephants now reside permanently.

The government has significantly raised compensation for human casualties due to elephant encounters, increasing support for affected families from Rs 8 lakh to Rs 25 lakh. Lone elephants that separate from their herds will be radio-tagged to ensure monitoring and prevent future incidents. 



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