लड़कियों के साथ पैदा होने से लेकर जीवित रहने तक हर स्तर पर भेदभाव किया जाता है। वे घर में रहते हुए अपने ही भाईयों के साथ बराबरी का हक पाने के लिए भी कई बार लड़ती हुई नजर आती हैं। वहीं स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में भी उन्हें अपने छवि बनाए रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करने की जरूरत पड़ती है।
समाज में लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को मिटाने और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है। इसे पहली बार 2012 में मनाया गया था। लड़कियों के लिए बने इस विशेष दिन के माध्यम से उनके अधिकारों का संरक्षण करना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों व मुश्किलों की पहचान करना है।
ऐसे हुई इस खास दिन को मनाने की शुरुआत
इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाने की पहल एक गैर-सरकारी संगठन 'प्लान इंटरनेशनल' प्रोजेक्ट के रूप में की गई। इस संगठन ने "क्योंकि मैं एक लड़की हूं" नाम से एक अभियान भी शुरू किया जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया।
फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा और संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित कर दिया। 11 अक्टूबर का दिन इसे मनाने के लिए चुना गया। पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया जिसकी थीम "बाल विवाह का अंत करना" थी। इसमें लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानने के बारे में कहा गया।
आपके लिए ये जानना भी जरूरी है :
- एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर 48 मिनट में एक बच्ची यौन शोषण का शिकार होती है।
- सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बेसलाइन सर्वे 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 17 साल की लगभग 16 प्रतिशत लड़कियां पढ़ाई पूरी होने से पहले ही स्कूल छोड़ देती हैं।
- यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले बीस सालों में स्कूल न जाने वाली लड़कियों की तादाद सात करोड़ 90 लाख कम हुई है।
- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 50 साल में दुनिया में लापता लड़कियों की संख्या दोगुनी हुई है। साल 1970 में यह संख्या 6.10 करोड़ थीं और 2020 में यह बढ़कर 14.26 करोड़ पर पहुंच गई है।
In a fresh salvo, West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar on Saturday asked Chief Minister Mamata Banerjee to brief him on an urgent basis about the "explosive" law and order situation in the state.
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UPSC ने 6 सितंबर को आयोजित हुई नेशनल डिफेंस एकेडमी ( NDA) और नवल एकेडमी की परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है। सिलेक्ट होने वाले कैंडिडेट्स को अब इस भर्ती प्रक्रिया की सबसे ज्यादा चैलेंजिंग स्टेज से गुजरना होगा। जिसका नाम है एसएसबी इंटरव्यू। इस स्टेज में फिजिकल टेस्ट के साथ मेंटल एबिलिटी से जुड़े विभिन्न टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू भी शामिल होता है।
आमतौर पर यही समझा जाता है कि एसएसबी क्लियर करने के लिए बेहतर आईक्यू लेवल और कैंडिडेट का फिट रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। ये पूरी तरह सही नहीं है। सिलेक्शन बोर्ड में रह चुके सदस्यों की मानें तो फिटनेस और आईक्यू लेवल के अलावा ऐसे कई फैक्टर हैं, जो एसएसबी से कैंडिडेट्स को बाहर कराते हैं। और अधिकतर कैंडिडेट्स को इनके बारे में पता ही नहीं होता।
क्या है SSB?
भारतीय जल, थल और वायु सेना में अधिकारियों के पद पर भर्ती के लिए यूपीएससी द्वारा NDA, CDS और AFCAT परीक्षा आयोजित की जाती हैं। NDA परीक्षा में 11वीं पास कैंडिडेट्स आवेदन कर सकते हैं। वहीं CDS और AFCAT परीक्षा ग्रेजुएट कैंडिडेट्स के लिए होती है। तीनों परीक्षाओं में सिलेक्शन की प्रक्रिया एक ही है। लिखित परीक्षा पास करने के बाद कैंडिडेट्स को एसएसबी इंटरव्यू क्लियर करना होता है।
सर्विस सिलेक्शन बोर्ड ( SSB) ही तय करता है कि भविष्य में आप भारतीय सेना की अलग-अलग विंग्स में से किसी एक में ऑफिसर बनने के काबिल हैं या नहीं। इसी बोर्ड के पूर्व सदस्य कर्नल अशोकन के मुताबिक, हर छह महीने में होने वाली NDA परीक्षा के लिए लगभग 3 लाख और सीडीएस के लिए 5 लाख कैंडिडेट्स आवेदन करते हैं।
आवेदन करने वाले छात्रों में से 3-4 प्रतिशत डिफेंस करियर में अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं। अगर आपने भी एनडीए की लिखित परीक्षा पास की है, या फिर इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो एसएसबी के उन स्टेप्स के बारे में आपको पता होगा, जहां से सफलता का रास्ता गुजरता है। लेकिन, क्या आप यह जानते हैं कि एसएसबी पैनल किन खूबियों के आधार पर आपका चयन करता है?
इस सवाल का जवाब भी वही ऑफिसर दे सकते हैं जो कैंडिडेट्स को सिलेक्ट या रिजेक्ट करते हैं। दैनिक भास्कर ने ऐसे ही कुछ ऑफिसर्स से बात की है। बोर्ड का हिस्सा रह चुके कर्नल अशोकन, कर्नल डीजेएस चहल और कर्नल कुलवंत कटारिया आपको बता रहे हैं उन फैक्टर के बारे में, जिनके आधार पर कैंडिडेट सिलेक्ट या रिजेक्ट होते हैं।
30% तक कैंडिडेट होते हैं पहले चरण में सिलेक्ट
एसएसबी के पहले चरण में तीन टेस्ट होते हैं। पहला और दूसरा है ऑफिसर इंटेलिजेंस, पिक्चर परसेप्शन एंड डिस्क्रिप्शन टेस्ट। तीसरा टेस्ट क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूट, वर्बल एंड नॉन वर्बल रीजनिंग पर आधारित होता है। इस तरह पहली स्टेज में आपका इंटेलिजेंस लेवल और मानसिक स्थिति परख ली जाती है। अगर आप मानसिक रूप से तैयार नहीं है और सेना में जाने के लिए पर्याप्त इंटेलिजेंस लेवल नहीं रखते, तो आप इस स्टेज को क्वालिफाई नहीं कर सकते। यही वजह है कि पहले चरण में 10-30 प्रतिशत कैंडिडेट्स ही सिलेक्ट होते हैं।
सिर्फ टास्क पूरा करने पर जोर लगाएंगे, तो रिजेक्ट हो सकते हैं
सामान्य सवालों का जटिल जवाब देने वाले कई कैंडिडेट्स को रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है। इसका कारण बताते हुए कर्नल डीजेएस चहल कहते हैं, आमतौर पर एसएसबी को एक ऐसे टेस्ट के रूप में देखा जाता है जहां टास्क को पूरा कर सिलेक्शन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जबकि ये आधा सच है। टास्क सिर्फ आपकी स्किल्स को परखने का एक जरिया होता है। टास्क के जरिए किन स्किल्स को परखा जा रहा है, यह समझकर उन स्किल्स को डेवलप करने की कोशिश करें, न की हर हाल में टास्क पूरा करने पर जोर लगाएं।
सिर्फ बोलना नहीं, सुनना भी कम्युनिकेशन स्किल है
ग्रुप डिस्कशन एसएसबी का अहम हिस्सा है। यहां कैंडिडेट को अपनी नॉलेज और कम्युनिकेशन स्किल प्रूव करनी होती है। एसएसबी के पैमानों के अनुसार, बोलने के साथ सुनना और ऑब्जर्व करना भी कम्युनिकेशन स्किल का ही हिस्सा है। ग्रुप टास्क या ग्रुप डिस्कशन में यह ऑब्जर्व किया जाता है कि आप टीम के अन्य सदस्यों की राय को कितना महत्व दे रहे हैं। इसके आधार पर ही आपको एक अच्छा कम्युनिकेटर माना जाएगा। दूसरों को सुनने की क्षमता न होने की वजह से आप रिजेक्ट हो सकते हैं।
जिस फील्ड में इंट्रेस्ट है, वहां परफेक्शन हासिल करना जरूरी
SSB की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि वह कहां से शुरुआत कर सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स को स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने, डिबेट की प्रैक्टिस करने जैसी सलाहें दी जाती हैं। जिनसे वे एसएसबी में बेहतर परफॉर्म कर पाएं। इस पर कर्नल कुलवंत कटारिया कहते हैं: बेसिक कम्युनिकेशन स्किल्स और फिजिकल फिटनेस के साथ स्टूडेंट्स वही फील्ड चुनें जिसमें उनका इंट्रेस्ट है। जहां आपकी रुचि हो वहां परफेक्शन हासिल करना ही एसएसबी के लिए परफेक्ट होना है। वह स्पोर्ट भी हो सकता है, डिबेट भी, म्यूजिक भी।
अंत में इस तरह होता है सिलेक्शन का फैसला
साइकोलॉजिकल टेस्ट, फिजिकल टेस्ट और इंटरव्यू की जिम्मेदारी तीन एक्सेसर्स पर होती है। अंतिम दिन तीनों एक्सेसर्स के बीच कैंडिडेट्स के सिलेक्शन को लेकर डिस्कशन होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अधिकतम मामलों में सिलेक्ट होने वाले कैंडिडेट का तीनों टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन रहता है। कई बार मामूली अंतर होता है, ऐसी परिस्थिति में यह देखना होता है कि कैंडिडेट की किस स्किल में कमी है। साहस, तर्क शक्ति और ऑफिसर इंटेलिजेंस ऐसी स्किल्स हैं जिनमें 100 प्रतिशत परफेक्ट होना जरूरी होता है।
SSB के बाद क्या?
लिखित परीक्षा पास करने के बाद कैंडिडेट्स एसएसबी इंटरव्यू के लिए क्वालिफाई करते हैं। लेकिन एसएसबी ही अंतिम सिलेक्शन नहीं होता। इसके बाद आपका मेडिकल टेस्ट होता है। इसे मेडिकल बोर्ड कहा जाता है। मिलिट्री हॉस्पिटल इसके परिणाम घोषित करने में 6 से 10 दिन का समय लेता है। जितना समय मेडिकल बोर्ड में लगता है, उस दौरान कैंडिडेट्स को सिलेक्शन सेंटर में ही रुकना होता है।
एसएसबी टिप्स पर आधारित इस खास सीरीज की अगली स्टोरी में जानिए, स्लम एरिया में रहने वाले एक ऐसे कैंडिडेट्स के सफल होने की कहानी, जिसके लिए न्यूट्रीशन लेना और फिटनेस तो दूर अपना पेट भरना ही एक चुनौती थी।
from Dainik Bhaskar /career/news/ssb-2020-learn-about-those-tricks-and-mistakes-related-to-ssb-interview-which-can-break-or-make-your-dream-of-becoming-an-officer-in-the-army-127799117.html
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राजस्थान के बूकना गांव में दबंगों ने पुजारी बाबूलाल वैष्णव की जलाकर हत्या कर दी थी। परिवार ने अंतिम संस्कार से पहले 50 लाख रुपए मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। बाद में सीएम गहलोत ने 10 लाख रु मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दे दिया। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 4 इवेंट्स पर रहेगी नजर 1. आईपीएल में आज डबल हेडर मुकाबले। पहला मैच सनराइजर्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स के बीच दुबई में दोपहर 3.30 बजे से होगा। दूसरा मैच मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स के बीच अबु धाबी में शाम 7.30 बजे से होगा। 2. आज फ्रेंच ओपन में मेन्स सिंगल्स का फाइनल होगा। मुकाबले में वर्ल्ड नंबर-1 सर्बिया के नोवाक जोकोविच और वर्ल्ड नंबर-2 स्पेन के राफेल नडाल आमने-सामने होंगे। 3. टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास खानचंदानी, सीओओ हर्ष भंडारी, सीओओ प्रिया मुखर्जी को मुंबई पुलिस ने समन जारी किया। सभी को आज सुबह 9 बजे पूछताछ के लिए बुलाया गया है। 4. प्रधानमंत्री मोदी आज प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का शुभारंभ करेंगे। मध्य प्रदेश के 44 गांव भी इस योजना में शामिल किए गए हैं।
अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें
1. ईडी को सुशांत के बैंक खातों में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत नहीं मिले
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में एक के बाद एक कई दावे गलत साबित हो रहे हैं। पहले एम्स के पैनल ने हत्या की आशंका को खारिज किया। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुशांत के बैंक खातों से मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिलने की बात से इनकार किया है। रिपोर्ट में ईडी के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सुशांत के परिवार की ओर से गलतफहमी के चलते आरोप लगाए गए।
2. पटना के महादलित टोलों से रिपोर्ट, जहां लालू टैंकर लेकर जाते थे
बिहार में चुनाव है। बात पटना के महादलित इलाके के हालात की। यहां पिछले साल 26 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे सरकारी अमले के साथ पहुंचे थे। भाषण दिया। झंडा फहराया। गांव के विकास के लिए घोषणाएं कीं। लौट गए। यहां कभी लालू भी आते थे। साथ में पानी का टैंकर ले जाते थे। गंदे बच्चों को नहलाते। बाल संवारते। पढ़ने-लिखने का बोलते। जानें इस गांव का हाल।
3. रामविलास पंचतत्व में विलीन, लोगों के सहारे चिराग ने पूरी की अंतिम क्रिया
लोकजनशक्ति पार्टी के संस्थापक रहे रामविलास पासवान शनिवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। बेटे चिराग पासवान ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार पटना में गंगा नदी पर बने दीघा घाट पर हुआ। मगर पिता को मुखाग्नि देते समय चिराग गश खाकर गिर पड़े। लोगों ने उन्हें संभाला। इसके बाद उन्होंने अंतिम क्रिया पूरी की। जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।
4. नवाजुद्दीन ने कहा- गांव में आज भी हमें नीची जाति का समझा जाता है
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की मानें तो उनके गांव (बुढ़ाना, उत्तर प्रदेश) में आज भी उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक इंटरव्यू में वे हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए गैंगरेप और मारपीट पर अपनी राय रख रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में जाति व्यवस्था इस कदर गहराई तक समाई हुई है कि फिल्मों में उनकी लोकप्रियता के बावजूद भी उन्हें बख्शा नहीं जाता है।
5.TATA को मिस्त्री का 'टाटा', दोनों के रिश्ते खत्म होने के करीब
देश में सबसे ज्यादा चर्चा शापूरजी पालोनजी ग्रुप (SP ग्रुप) और टाटा ग्रुप के बीच चले रहे विवाद की है। यह इतना बढ़ गया है कि करीब 9 दशकों से जुड़े दोनों ग्रुप अलग होने जा रहे हैं। अब दोनों के रिश्ते खत्म होने से टाटा ग्रुप पर आर्थिक रूप से क्या असर होगा? उसके पास SP ग्रुप से टाटा संस के शेयर्स वापस लेने के कितने ऑप्शंस हैं? आइए जानते हैं बिजनेस एक्सपर्ट्स की राय।
6. अमेरिका का दावा- एलएसी पर 60 हजार चीनी सैनिक तैनात
लद्दाख में भारत-चीन की सेनाओं में जारी तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं। उधर, अमेरिकी एनएसए रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने कहा कि अब वह वक्त आ गया है, जब यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि चीन से बात करने से कोई फायदा नहीं होगा।
7. ट्रम्प ने सिर्फ नौ दिन में कोविड-19 को हराया; जानिए कैसे?
कोविड-19 महामारी को दुनियाभर में नौ से ज्यादा महीने हो गए हैं। इसने किसी को नहीं छोड़ा। दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प को भी नहीं। दस लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इतना होने के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प सिर्फ नौ दिन के ट्रीटमेंट में ठीक हो गए हैं। मगर कैसे? पढ़िए भास्कर एक्सप्लेनर में।
from Dainik Bhaskar /national/news/new-twist-in-sushant-case-nawazuddin-is-also-troubled-by-casteism-the-lamp-fell-while-offering-fire-to-the-father-60-thousand-chinese-soldiers-deployed-on-lac-127801738.html
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जम्मू कश्मीर में बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर नेताओं, पुलिस अधिकारियों, नौकरशाहों, राजस्व अधिकारियों के अवैध कब्जे को जायज बनाने के लिए रोशनी एक्ट बनाया गया जिसमें करोड़ों रुपयों की जमीन बहुत कम दामों पर दे दी गई.
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देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 69.77 लाख हो गया है। यह आज 70 लाख के पार हो जाएगा, लेकिन राहत की बात है कि एक्टिव केस घटकर नौ लाख से कम हो गए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि नए केस से ठीक हो रहे मरीजों का आंकड़ा लगातार ऊपर बना हुआ है। शुक्रवार को देश में 73 हजार 220 नए केस आए, जबकि 82 हजार 292 मरीज ठीक हो गए। यह लगातार 20वां दिन था, जब नए केस 90 हजार से नीचे रहे। इससे पहले 16 सितंबर को नए केस का आंकड़ा 97 हजार 860 के पीक तक गया था।
17 अक्टूबर से तेजस एक्सप्रेस चलाई जाएगी
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- तेजस एक्सप्रेस 17 अक्टूबर से फिर से चलाई जाएगी। हाई स्पीड ट्रेन लखनऊ-नई दिल्ली और अहमदाबाद-मुंबई के बीच चलती है। यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए मुंबई में अंधेरी में एक अतिरिक्त ठहराव होगा। सफर के दौरान यात्रियों को मास्क और फेस शील्ड पहनना होगा। आरोग्य सेतु ऐप रखना भी जरूरी होगा। सभी यात्रियों को कोविड-19 सुरक्षा कीट भी दी जाएगी। इसमें हैंड सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स और फेस शील्ड होगा। पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
शुक्रवार को 1607 केस आए, 2200 मरीज ठीक हुए, जबकि 27 संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 43 हजार 629 केस आ चुके हैं, 1 लाख 24 हजार 887 लोग ठीक हो चुके हैं, 16 हजार 168 संक्रमितों का इलाज चल रहा है, जबकि 2574 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
शुक्रवार को 2180 केस आए, 2148 मरीज ठीक हुए, जबकि 16 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 54 हजार 785 केस आ चुके हैं। 1 लाख 31 हजार 766 मरीज ठीक हो चुके हैं, 21398 का इलाज चल रहा है, जबकि 1621 मरीज जान गंवा चुके हैं। राज्य में अब तक 33.11 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हो चुकी है।
3. बिहार
शुक्रवार को 1155 केस आए, 1424 लोग ठीक हुए और 5 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 93 हजार 826 केस आ चुके हैं। इनमें से 1 लाख 81 हजार 781 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 934 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। 11 हजार 110 मरीजों का इलाज चल रहा है।
4. महाराष्ट्र
गुरुवार को 13 हजार 397 केस आए, 15 हजार 575 मरीज ठीक हुए और 358 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 14 लाख 93 हजार 884 केस आ चुके हैं। इनमें से 12 लाख 12 हजार 16 ठीक हो चुके हैं, 2 लाख 41 हजार 986 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 39 हजार 430 मरीजों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
शुक्रवार को 3207 केस आए, 4424 मरीज ठीक हो गए, 48 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 4 लाख 30 हजार 666 केस आ चुके हैं, 3 लाख 83 हजार 86 मरीज ठीक हो चुके हैं, 41 हजार 287 का इलाज चल रहा है, जबकि 6293 की मौत हो चुकी है।
आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है। बचपन बचाओ आंदोलन चलाने वाले कैलाश सत्यार्थी को शांति के नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। भले ही उन्होंने पाकिस्तान की मलाला युसूफजई के साथ यह पुरस्कार साझा किया था, लेकिन इससे भारत में बाल अधिकारों के लिए किए गए उनके कामों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली थी।
कैलाश सत्यार्थी का जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को हुआ। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी ने 26 वर्ष की उम्र में ही करियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू किया था उन्होंने चाइल्ड लेबर के खिलाफ अभियान चलाया और हजारों बच्चों की जिंदगियों को बचाया।
वे ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर के अध्यक्ष भी रहे हैं। सत्यार्थी पर चाइल्ड लेबर को छुड़ाने के दौरान कई बार जानलेवा हमले भी हुए हैं। 2011 में दिल्ली की कपड़ा फैक्ट्री पर छापे के दौरान और 2004 में ग्रेट रोमन सर्कस से बाल कलाकारों को छुड़ाने के दौरान उन पर हमले हुए थे।
नोबेल से पहले उन्हें 1994 में जर्मनी का द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड, 1995 में अमेरिका का रॉबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड, 2007 में मेडल ऑफ इटेलियन सीनेट और 2009 में अमेरिका के डिफेंडर्स ऑफ डेमोक्रेसी अवॉर्ड सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं।
1967: आउटर स्पेस ट्रीटी लागू हुई
आउटर स्पेस ट्रीटी को हिंदी में बाह्य अंतरिक्ष संधि भी कहा जाता है। यह ट्रीटी 27 जनवरी, 1967 को अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच हुई और आउटर स्पेस में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई थी। इस समझौते पर 105 देशों ने दस्तखत किए हैं। यह 10 अक्टूबर 1967 से लागू हुई थी।
दिसंबर-1966 में यूएन महासभा की ओर से मंजूर ट्रीटी की शर्तों के अनुसार बाहरी अंतरिक्ष पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है। सभी देशों को अंतरिक्ष अनुसंधान की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है। इस ट्रीटी पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश आउटर स्पेस का इस्तेमाल केवल शांति से जुड़े कामों के लिए कर सकते हैं। चांद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह सैनिक केंद्रों की स्थापना नहीं की जा सकेगी।
1964: एशिया में पहली बार ओलिंपिक खेलों की शुरुआत
एशिया में पहले ओलिंपिक्स 1964 में टोक्यो में 10 अक्टूबर को शुरू हुए थे। दूसरे विश्वयुद्ध की भयावहता को याद करने के लिए 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में जन्मी योशिनोरी सकाई को मशाल जलाने के लिए चुना गया था। हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को ही परमाणु बम फेंका गया था। टोक्यो ओलिंपिक पहले ऐसे ओलिंपिक रहे, जिनका प्रसारण सैटेलाइट का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका और यूरोप में किया गया। पहली बार कुछ खेलों का रंगीन प्रसारण शुरू हो सका था।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः
1846ः ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमर विलियम लासेल ने नेपच्यून के नेचुरल सैटेलाइट की खोज की।
1865ः जॉन वेल्से हयात ने बिलियर्ड बॉल का पेटेंट हासिल किया।
1893ः पहली कार नंबर प्लेट फ्रांस के पेरिस में देखी गई।
1910ः वाराणसी में मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में पहला अखिल भारतीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ।
1954ः भारतीय फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रेखा का जन्म।
1970ः फिजी को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली ।
1978ः रोहिणी खादिलकर राष्ट्रीय चेस प्रतियोगिता जीतने वाली प्रथम महिला बनीं।
1986ः सैन सल्वाडोर में 7.5 तीव्रता वाले भूकंप में 1,500 लोगों की मौत हुई।
1990ः अमेरिका का 67वां मानव अंतरिक्ष मिशन डिस्कवरी-11 अंतरिक्ष से लौटा।
2005ः एंजेला मार्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं।
2010ः प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह का मुम्बई में निधन।
2015ः तुर्की के अंकारा में एक शांति रैली में बम विस्फोट से कम से कम 95 लोग मारे गए और 200 घायल हुए।
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कोरोना के कारण इस बार गुजरात में गरबा महोत्सव नहीं होगा। राज्य सरकार ने इजाजत नहीं दी। पंडालों में सिर्फ मूर्ति स्थापित करके पूजा-आरती हो सकती है। वहीं, देश में लगातार तीन हफ्ते हो चुके हैं, जब नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 2 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. IPL में आज डबल हेडर मुकाबले। किंग्स इलेवन पंजाब का मुकाबला कोलकाता नाइटराइडर्स से अबु धाबी में होगा। टॉस दोपहर तीन बजे और मैच साढ़े तीन बजे से शुरू होगा। दूसरा मुकाबला चेन्नई सुपरकिंग्स और रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु के बीच दुबई में होगा। टॉस शाम सात बजे और मैच साढ़े सात बजे से शुरू होगा।
2. रिपब्लिक टीवी के CFO शिवा सुंदरम को मुंबई पुलिस ने तलब किया है। उन्हें आज सुबह 11 बजे क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने को कहा गया है।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें
1. आज से काउंटर पर और ऑनलाइन हो सकेगी रेलवे टिकट बुकिंग
रेलवे ने टिकट बुकिंग के लिए 10 अक्टूबर से प्री-कोविड सिस्टम लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत ट्रेन के स्टेशन से छूटने से पांच मिनट पहले भी टिकट बुक किया जा सकेगा। रेलवे ने महामारी को देखते हुए नियमित ट्रेनों को बंद कर दिया था। इस समय सिर्फ स्पेशल ट्रेनें ही चलाई जा रही हैं। 10 अक्टूबर से डिपार्चर से आधा घंटा पहले दूसरा रिजर्वेशन चार्ट बनाया जाएगा।
भारत के आईपीएल की तर्ज पर पाकिस्तान ने पीएसएल शुरू की थी। इसकी एक टीम लाहौर कलंदर्स ने अपने प्रोग्राम में गेंदबाज मुदस्सर गुज्जर को शामिल किया है। उनका कद 7 फीट 6 इंच है। यह जानकारी पाकिस्तान के स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट साज सादिक ने दी है। इससे पहले मोहम्मद इरफान (7 फीट 1 इंच) पाकिस्तान की ओर से 60 वनडे खेल चुके हैं। उनके नाम 83 विकेट दर्ज है।
पप्पू यादव एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे हैं। वो पहले राजद में थे, लेकिन 2015 में उन्होंने जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली। चर्चा है कि पप्पू यादव मधेपुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पप्पू ने 2019 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे। उन पर हत्या-किडनैपिंग जैसे 31 केस दर्ज हैं। पप्पू यादव की लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प है और किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है।
हाथरस गैंगरेप मामले में नया खुलासा हुआ। भाजपा सांसद राजवीर दिलेर की बेटी मंजू दिलेर ने हाथरस की घटना के बाद डीजीपी एचसी अवस्थी को चिट्ठी लिखी थी। मंजू ने कहा था कि पीड़ित से दुष्कर्म और हत्या की कोशिश की वारदात में 5 लोग शामिल थे, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक के खिलाफ FIR दर्ज की है। मंजू ने SHO को सस्पेंड करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
5. कहानी 74 साल के बुजुर्ग की, जिसने पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में तब्दील किया
टि्वटर पर एक 74 बरस के बुजुर्ग ने एक फोटो शेयर की, जिसमें वो अपनी 72 साल की पत्नी की सेवा करते दिख रहे थे। उन्होंने पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में बदल दिया। यहां ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर वेंटीलेटर तक सबकुछ मौजूद था। इसका मैनेजमेंट भी वही कर रहे हैं। वह कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि एक रिटायर्ड इंजीनियर हैं। नाम है ज्ञान प्रकाश, मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहते हैं।
मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गुरुवार को कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के डिवाइस में छेड़छाड़ कर टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने रिपब्लिक समेत कुछ चैनल्स के नाम भी लिए। हालांकि, रिपब्लिक टीवी का दावा है कि एफआईआर में उसका नहीं बल्कि इंडिया टुडे का नाम है। जानिए क्या है टीआरपी?
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A day after BJP workers fought pitched battles with the police on the streets of Kolkata and Howrah during its march to the state secretariat, senior party leaders such as Kailash Vijayvargiya and...
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Premises of jails in Assam cannot be used as "permanent" detention centres for housing illegal foreigners, the Gauhati High Court said Wednesday, directing the state government to look for a seperate...
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Coronavirus: India reported 78,524 fresh COVID-19 cases on Thursday, taking the total number to 68.35 lakh. The country recorded 971 deaths in the last 24 hours, taking the death count to 1,05,526.
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क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर आलीशान इंटीरियर की एक फोटो शेयर की जा रही है। बताया जा रहा है कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया विमान है। फोटो शेयर करते हुए लोग पीएम के ‘हम तो फकीर आदमी हैं’ वाले बयान पर तंज कस रहे हैं।
देश की अर्थव्यवस्था गड्ढे में चली गई है,मगर एक फकीर ने अपने लिए 8400 करोड़ का लक्जरी विमान खरीद लिया है।
आलीशान घर की तरह उसमें सारी सुविधाएं है,सोफासेट है,अब घूमने में और मजा आयेगा।
1 अक्टूबर को एडवांस डिफेंस सिस्टम से लैस बोइंग-777 एयरक्राफ्ट अमेरिका से दिल्ली पहुंचा। इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री करेंगे। वायरल हो रही फोटो को इसी विमान का बताया जा रहा है।
दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर बोइंग-777 एयरक्राफ्ट से जुड़ा एक आर्टिकल है। इस आर्टिकल में एयरक्राफ्ट में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। हालांकि वो फोटो नहीं है, जो सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है। बोइंग-777 से जुड़ी अलग-अलग खबरें इंटरनेट पर देखने के बाद भी हमें ये तस्वीर नहीं मिली।
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें Business Insider वेबसाइट पर 25 मई, 2020 का एक आर्टिकल मिला। जिसमें यही फोटो है। इससे ये तो साफ हुआ कि वायरल फोटो हाल में भारत आए बोइंग-777 एयरक्राफ्ट की नहीं है।
Business Insider वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल फोटो में दिख रहा इंटीरियर मशहूर एविएशन कंपनी Deer Jet के एक चीनी एयरक्राफ्ट का है।
Deer Jet एविएशन की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी हमें यही फोटो मिला। इस एयरक्राफ्ट का नाम है 787 Dreamliner. फोटो में दिख रहे इंटीरियर को फ्रांस के एयरक्राफ्ट इंटीरियर डिजाइनर Acques Plerrejean ने 3.5 साल में बनाया था।
2 महीने पहले भी इसी फोटो को पीएम मोदी का निजी जेट बताकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था। तब केंद्र सरकार के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक के जरिए सरकार ने इस दावे को फेक बताया था।
Claim - A twitter user has posted image of luxurious interior of an aircraft claiming it is PM @narendramodi's official aircraft #PIBFactCheck - The photo is of a private Dreamliner model by Boeing 787 and not of PM's aircraft #FakeNewspic.twitter.com/eTyhpBTpor
from Dainik Bhaskar /no-fake-news/news/fact-check-sharing-the-picture-of-the-luxurious-aircraft-pm-modis-fakeeri-statement-is-being-taunted-on-social-media-know-what-is-the-truth-of-it-127792589.html
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वर्ष 1962 में चीन (China) ने भारत पर हमला किया था.वह युद्ध लगभग एक महीने तक चला था.उस युद्ध में चीन की सेना ने भारत की बड़ी जमीन पर कब्जा कर लिया था. सत्ता में होते तो चीन को 15 मिनट में पीछे फेंक देते: राहुल गांधी उस समय जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे.
from Zee News Hindi: India News https://ift.tt/3iJ58Vw
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अच्छी खबर! पिछले 19 दिनों में देश में कोरोना के 1.10 लाख एक्टिव केस कम हुए हैं। 17 सितंबर को देश में सबसे ज्यादा 10.17 लाख एक्टिव केस थे, जो अब घटकर 9.7 लाख हो गए हैं। चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 4 इवेंट्स पर रहेगी नजर 1. दुबई: आईपीएल में आज किंग्स इलेवन पंजाब और सनराइजर्स हैदराबाद आमने-सामने होंगे। टॉस शाम सात बजे होगा। मैच साढ़े सात बजे शुरू होगा। 2. महाराष्ट्र: कंगना रनोट की पिटीशन पर बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुना सकता है। 3. झारखंड: अनलॉक-5 के तहत गुरुवार से खुलेंगे सभी धार्मिक स्थल। कोरोना गाइडलाइन का करना होगा पालन। 4. आज एयरफोर्स डे पर फ्लाई पास्ट हाेगा।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें 1. हाथरस केस: पीड़ित के भाई और आरोपी के बीच 104 बार बातचीत हुई
हाथरस गैंगरेप केस में नई कहानी सामने आई है। इसके मुताबिक, मुख्य आरोपी संदीप और युवती के भाई के बीच फोन पर 13 अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक 104 बार बातचीत हुई। दोनों के घर 200 मीटर की दूरी पर ही हैं। 62 कॉल संदीप ने तो 42 कॉल पीड़िता के भाई की तरफ से एक-दूसरे को किए गए। -पढ़ें पूरी खबर
2. रिया को 9 शर्तों के साथ जमानत
ड्रग्स मामले में गिरफ्तार एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती को बॉम्बे हाईकोर्ट से 9 शर्तों के साथ बुधवार को जमानत मिल गई। हाईकोर्ट ने कहा- रिया ड्रग डीलर्स का हिस्सा नहीं हैं। ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिसके आधार पर यह माना जाए कि जमानत मिलने के बाद वे कोई अपराध कर सकती हैं। सुशांत के लिए ड्रग्स खरीदने का ये मतलब नहीं कि वे ड्रग्स डीलर्स के नेटवर्क का हिस्सा हैं। -पढ़ें पूरी खबर
3. सुशांत के बैंक खातों का फोरेंसिक ऑडिट
सुशांत सिंह राजपूत के बैंक खाते की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में भी कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सुशांत के सभी बैंक खातों में 5 साल में 70 करोड़ का लेन-देन हुआ, जिसमें से सिर्फ 55 लाख रुपए ही रिया चक्रवर्ती से जुड़े हैं। ज्यादातर पैसा यात्रा, स्पा और गिफ्ट खरीदने पर खर्च किया गया था। -पढ़ें पूरी खबर
4. पॉजिटिव खबर: अचार का बिजनेस शुरू किया, तीन साल में टर्नओवर एक करोड़
निहारिका ने लंदन से मार्केटिंग स्ट्रेटेजी एंड इनोवेशन में मास्टर्स किया। इंडिया लौटीं। गुड़गांव में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब किया। फिर 2017 में उन्होंने अचार बनाने का स्टार्टअप लॉन्च किया। आज 50 एकड़ में उनका फार्म है। हर साल 30 टन से ज्यादा का प्रोडक्शन होता है। कंपनी का टर्नओवर एक करोड़ रु है। -पढ़ें पूरी खबर
5. मीटर की दूरी पर संक्रमण का रिस्क 10 गुना ज्यादा
क्या आपको पता है कि कितनी दूरी कोरोना से बचने के लिए जरूरी है? इसे लेकर पहले दिन से ही वैज्ञानिकों के मत अलग-अलग रहे हैं। अब एक्सपर्ट्स सोशल डिस्टेंसिंग के लिए नया फॉर्मूला दे रहे हैं। उनका कहना है कि 2 मीटर की दूरी 1 मीटर से 10 गुना तक ज्यादा सुरक्षित है। पढ़ें खास रिपोर्ट। -पढ़ें पूरी खबर
6. भास्कर डेटा स्टोरी: महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा
हाथरस मामले के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और उनकी सुरक्षा एक बार फिर चर्चा में है। लेकिन, आंकड़े देखें तो महिलाओं के खिलाफ अपराध का हर तीसरा मामला घरेलू हिंसा से जुड़ा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की क्राइम्स इन इंडिया 2019 रिपोर्ट बताती है कि ऐसे अपराध 2018 से 2019 में 7.3% बढ़ गए।
-पढ़ें पूरी खबर
अब 8 अक्टूबर का इतिहास 1932: भारतीय वायुसेना का गठन हुआ। 1965: लंदन की 481 फीट ऊंची डाकघर मीनार को खोला गया। यह इंग्लैंड की उस समय की सबसे ऊंची इमारत थी। 2008ः अमेरिकी प्रेसिडेंट बुश ने भारत के न्यूक्लियर मार्केट में अमेरिकी बिजनेस को मंजूरी देने वाले कानून पर साइन किए।
आखिर में जिक्र हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का। आज ही के दिन 1936 में उनका निधन हुआ था।
करीब 100 साल बाद संसद भवन नए सिर से बनने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर 865 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। कई अहम प्रोजेक्ट्स डिजाइन कर चुके अहमदाबाद के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने नए संसद भवन की डिजाइन तैयार की है। इसे ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है। इस बारे में हमने बिमल पटेल से ही जाना कि प्राेजेक्ट में क्या-क्या खास है...
सबसे पहले जानते हैं कि नई संसद बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
संसद भवन अब पुराना हो चुका है, जिसमें कई जगह रिपेयरिंग की जरूरत है। एयर कंडीशनर, ऑडिओ-विजुअल सिस्टम, वेंटिलेशन और इलेक्ट्रिसिटी जैसी तमाम चीजों में बदलाव की जरूरत है। वहीं, राज्यसभा और लोकसभा में सिटिंग कैपेसिटी मैक्जिमम लेवल पर पहुंच चुकी है। इस वजह से नई बिल्डिंग जरूरी है। मंत्रालयों के ऑफिस भी दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर हैं। नए कंस्ट्रक्शन में इसे भी तरजीह दी जा रही है कि सभी मंत्रालय एक ही जगह हों।
सेंट्रल विस्टा क्या है?
1911 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस के डिजाइन पर कंस्ट्रक्शन के बाद नई दिल्ली वजूद में आई थी। इसके बाद 1921-27 के दरमियान संसद भवन बना। तब नए कंस्ट्रक्शन के लिए इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक के तीन किलोमीटर लंबे राजपथ के आसपास के इलाके की पहचान हुई। इसे ही ‘सेंट्रल विस्टा' नाम दिया गया। तब से नई दिल्ली में लुटियंस जोन के इस इलाके को सेंट्रल विस्टा के नाम से पहचाना जाता है। अब जो रिनोवेशन और नया कंस्ट्रक्शन होने जा रहा है, उसे भी केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट ही नाम दिया है।
टाटा को मिला कॉन्ट्रैक्ट
संसद की नई इमारत बनाने का कॉन्ट्रैक्ट टाटा को मिला है। इस प्राेजेक्ट पर 865 करोड़ रुपए खर्च होंगे। नई संसद पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनाई जाएगी। प्रोजेक्ट के तहत नई संसद के अलावा इंडिया गेट के आसपास 10 इमारतें और बनेंगी, जिनमें 51 मंत्रालयों के दफ्तर होंगे।
नई-पुरानी बिल्डिंग्स डायमंड लुक देगी
इस पूरे प्रोजेक्ट में पुरानी बिल्डिंग के दोनों तरफ ट्राएंगल शेप में दो बिल्डिंग बनेंगी। पुराने संसद भवन का आकार गोल है, जबकि नई संसद तिकोने आकार में होगी। इसके चलते नई और पुरानी बिल्डिंग्स एक साथ देखने पर डायमंड लुक नजर आएगा। उम्मीद है कि संसद की नई बिल्डिंग 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगी।
पुरानी पार्लियामेंट के कई हिस्सों में रिपेयरिंग की जरूरत है। इसलिए उसके कुछ हिस्सों को रिनोवेट किया जाएगा। उस जगह जो नई बिल्डिंग बनेगी, उसमें कृषि भवन, शास्त्री भवन आदि शामिल है।
नई संसद की खासियत
नई संसद की बिल्डिंग मौजूदा संसद भवन के बगल में होगी और दोनों बिल्डिंग में एक साथ काम होगा।
अभी लोकसभा में 590 लोगों की सिटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने के इंतजाम होंगे।
अभी राज्यसभा में 280 की सिटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।
लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।
संसद के हरेक अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस होंगे। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए हाईटेक ऑफिस की सुविधा होगी।
कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक होगा। कमिटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों को हाईटेक इक्विपमेंट से बनाया जाएगा।
कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था होगी।
नए प्रोजेक्ट में ये बातें खास होंगी
नया संसद भवन हाई एनर्जी एफिशियंसी के साथ बनेगा। इसे ग्रीन बिल्डिंग की रेटिंग भी दी जाएगी।
लोकसभा और राज्यसभा हॉल में हाई क्वॉलिटी एकोस्टिक होगा।
एयर कंडीशनिंग, लाइटिंग, इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट आसानी से अपग्रेड किए जा सकेंगे।
बिल्डिंग का मेंटेनेंस और ऑपरेशन आसानी से किया जा सकेगा।
वीवीआईपी के लिए अंडरग्राउंड एन्ट्रेंस, जबकि आम लोगों और अधिकारियों के लिए ग्राउंड फ्लोर से एंट्री होगी।
दिव्यांग व्यक्ति को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका भी खास ख्याल रखा जाएगा।
नए प्लान के मुताबिक, केंद्र सरकार के सभी एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस एक साथ एक ही जगह पर लाए जाएंगे, जिससे कामकाज में आसानी हो।
पुरानी बिल्डिंग के कुछ हिस्सों को तोड़कर वहां सेक्रेटिएट बिल्डिंग बनाई जाएगी। ऐसा करने से जमीन का सही इस्तेमाल हो सकेगा।
डिजाइन को लेकर प्रधानमंत्री ने क्या कहा है?
नए पार्लियामेंट हाउस की डिजाइन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना था कि नई बिल्डिंग कामकाजी लोगों और आम लोगों के इस्तेमाल के लिए आसान हो और संसद की सभी जरूरतों को पूरा करने वाली हो। उन्होंने यह भी कहा था कि सुरक्षा के इंतजाम भी ऐसे होने चाहिए कि आम लोग भी बिल्डिंग में आसानी से आ सकें और उन्हें डर का एहसास न हो।
कौन हैं बिमल पटेल?
आर्किटेक्चरिंग की दुनिया में बिमल पटेल चर्चित नाम हैं। उनकी कंपनी HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के लिए कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। अहमदाबाद का रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट, कांकरिया का री-डवलपमेंट, राजकोट रेसकोर्स री-डवलपमेंट, आरबीआई अहमदाबाद, गुजरात हाईकोर्ट, आईआईएम अहमदाबाद, आईआईटी जोधपुर जैसी कई बिल्डिंग्स की डिजाइन पटेल ने ही तैयार की हैं। आर्किटेक्चरिंग में उनका 35 साल का एक्सपीरियंस है। सरकार उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है।
औपचारिक रूप से 8 अक्टूबर 1932 को अपने ऑपरेशंस शुरू करने वाली भारतीय वायुसेना आज अपना 88वां स्थापना दिवस मना रही है। पहली बार वायुसेना ने एक अप्रैल 1933 को उड़ान भरी थी। पहला ऑपरेशन वजीरिस्तान में कबाइलियों के खिलाफ था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इसे विस्तार दिया गया। इस दौरान बर्मा में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। 1945 में यह रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहलाई, लेकिन 1950 में गणराज्य बनते ही रॉयल शब्द हटा दिया गया।
इंडियन एयर फोर्स की जिम्मेदारी भारत को सभी संभावित खतरों से बचाना है और साथ ही आपदाओं में राहत एवं बचाव कार्यों की भी है। वायुसेना कई युद्धों में शामिल रही है- दूसरा विश्वयुद्ध, भारत-चीन युद्ध, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन विजय, करगिल युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, कॉन्गो संकट।
आज एयरफोर्स पांच ऑपरेशनल और दो फंक्शनल कमांड्स में बंटी हुई है। हर कमांड का नेतृत्व एयर मार्शल की रैंक के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ करते हैं। ऑपरेशनल कमांड का उद्देश्य जिम्मेदारी के क्षेत्र में एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करते हुए मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम देना है। फंक्शनल कमांड की जिम्मेदारी युद्ध के लिए तैयार रहने की है। फ्लाइट इंटरनेशनल के मुताबिक इंडियन एयर फोर्स में 1,721 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें Su-30MKI, जगुआर, मिराज-2000, अपाचे और चिनूक शामिल हैं। 8 अक्टूबर को होने वाले फ्लाई पास्ट में पहली बार रफाल भी शामिल होने वाला है।
दुनिया का पहला इंटरनल पेसमेकर इम्प्लांट हुआ
स्वीडन में आर्ने लार्सन को 8 अक्टूबर 1952 को इंटरनल पेसमेकर लगाया गया था। यह पहला इंटरनल पेसमेकर इम्प्लांट था। तीन घंटों में इसने काम करना बंद कर दिया था। अगले दिन फिर सर्जरी करनी पड़ी थी। लार्सन 2001 तक जीवित रहे और उनकी कई सर्जरी हुईं, जिनमें 25 से ज्यादा यूनिट्स बदली गईं।
दुनिया की पहली ट्रांसकॉन्टिनेंटल एयर रेस
1919 में पहली बार ट्रांसकॉन्टिनेंटल एयर रेस शुरू हुई थी। इसमें सैन फ्रांसिस्को से 15 और न्यूयॉर्क से 48 मिलाकर कुल 63 एयरप्लेन शामिल हुए थे। इन विमानों को 5,400 मील का राउंड-ट्रिप पूरा करना था। लेफ्टिनेंट बेल्विन मैनार्ड तीन दिन 21 घंटों में न्यूयॉर्क लौटे थे और उन्होंने यह चैम्पियनशिप जीती थी।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी जाना जाता है-
1856ः ब्रिटेन और चीन के बीच द्वितीय अफीम युद्ध शुरू हुआ।
1860ः एलएंडएसएफ के बीच टेलीग्राफ लाइन शुरू की गई।
1936ः हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार एवं उपन्यासकार प्रेमचंद का निधन हुआ।
1952ः इंग्लैंड में हैरो और वेल्डस्टोन रेल दुर्घटना में 112 लोग मारे गए।
1965ः लंदन में डाकघर टॉवर खोला गया।
1973ः ब्रिटेन का पहला स्वतंत्र रेडियो स्टेशन एलबीसी शुरू हुआ।
1996ः ओटावा में हुए सम्मेलन में लगभग 50 देश बारूदी सुरंगों पर विश्वव्यापी प्रतिबंध लगाने पर सहमत हुए।
2000ः वोजोस्लाव कोस्तुनिका यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति बने।
2001ः अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने होमलैंड सुरक्षा कार्यालय की स्थापना की।
2001ः इटली में मिलान के लिनाटे एयरपोर्ट पर सेसना ने गलत टर्न लिया और वह टेक-ऑफ करने जा रहे एसएएस एयरलाइन से टकरा गया। इस हादसे में 118 लोग मारे गए थे।
2003ः चीन ने सिक्किम को भारत के हिस्से के तौर पर स्वीकार किया।
2004ः भारतीय गेहूं पर मौनसेंटो का पेटेन्ट रद्द हुआ।
2005ः पीओके, अफगानिस्तान में भूकंप की वजह से 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
2007ः बांग्लादेश के पूर्व गृहमंत्री मोहम्मद नसीम को 13 साल कैद की सजा हुई।
2008ः अमेरिकी प्रेसिडेंट बुश ने भारत के न्यूक्लियर मार्केट में अमेरिकी बिजनेस को मंजूरी देने वाले कानून पर साइन किए।
2009ः अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास के बाहर सुसाइड कार बम हमला हुआ, जिससे 17 लोगों की मौत हो गई।
2009ः महाराष्ट्र के भामरागढ़ तालुका में नक्सली हमले में 17 भारतीय पुलिस जवान शहीद।
देश के 23 आईआईटी में एडमिशन के लिए हुई JEE एडवांस का रिजल्ट सोमवार को घोषित हुआ और इसमें पुणे के चिराग फेलोर 396 में से 352 स्कोर कर टॉपर बने। भारत में आईआईटी में जाना लाखों लोगों का सपना होता है, लेकिन चिराग ने किसी आईआईटी को नहीं बल्कि एमआईटी यानी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को चुना।
इसे लेकर सोशल मीडिया पर अच्छी-बुरी दोनों तरह की रिएक्शन आई। वे ऐसा करने वाले पहले स्टूडेंट नहीं है। इससे पहले भी आईआईटी की जगह एमआईटी चुनने वालों की लंबी फेहरिस्त है। खैर, हमने चिराग से ही जानना चाहा कि इसकी वजह क्या है? साथ ही उन विषयों पर भी जवाब लिया, जो JEE मेन्स और JEE एडवांस की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए काम का हो सकता है।
सबसे पहले, चिराग ने एमआईटी क्यों चुनी?
चिराग का कहना है कि इसकी मुख्य तौर पर दो वजह है। पहली, एमआईटी में फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स भी फेकल्टी की लीडरशिप में रिसर्च शुरू कर सकते हैं। आईआईटी में यह सुविधा नहीं है। दूसरा, एमआईटी के 95 पूर्व छात्रों/फेकल्टी मेंबर्स को अलग-अलग विषयों का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। इनमें से कुछ प्रोफेसरों से सीधा संपर्क और पढ़ने का मौका एमआईटी में मिल सकता है, आईआईटी में नहीं।
क्या जो विषय एमआईटी में मिला, वह आईआईटी में नहीं मिलता?
चिराग कहते हैं कि उन्हें फिजिक्स लेना था। एस्ट्रो-फिजिक्स में करियर बनाना है। इसरो या नासा जाना है। ताकि मंगल ग्रह पर खोज में अपना योगदान दे सकें। आईआईटी में सारे टॉपर कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक्स ही चुनते हैं। ऐसे में एस्ट्रो-फिजिक्स में जो स्कोप एमआईटी में मिल सकता है, वह आईआईटी में नहीं मिल सकता। फिर एमआईटी में दुनियाभर के बेस्ट स्टूडेंट्स पहुंचते हैं, उनके साथ पढ़ने का अलग मजा है।
क्या एमआईटी में एडमिशन की कोई और भी वजह थी?
चिराग ने कहा कि बात यहां सिर्फ एस्ट्रो-फिजिक्स की नहीं है। JEE मेन्स और JEE एडवांस एक एंट्रेंस एग्जाम है, जिसे पास करने के बाद आईआईटी या एनआईटी में एडमिशन मिल जाता है। एमआईटी में ऐसा नहीं होता। वहां स्टूडेंट्स के ओवरऑल परफॉर्मंस को परखा जाता है। वह क्या और क्यों करना चाहता है, वह अपने लक्ष्य को लेकर कितना सीरियस है, इन बातों को भी देखा जाता है। ऐसा नहीं कि सिर्फ एक एग्जाम के परफॉर्मंस से जज कर एडमिशन दे दिया।
एमआईटी में एडमिशन के लिए क्या करना पड़ा?
चिराग ने बताया कि mitadmission.org पर अप्लाय करना होता है। उसमें को-करिकुलर एक्टिविटीज के साथ-साथ हर एक बात बतानी होती है। उसके बेसिस पर ही सिलेक्शन कमेटी स्क्रूटनी करती है। सिलेक्टेड कैंडीडेट्स का इंटरव्यू होता है और उसके बाद एडमिशन के लिए फाइनल सिलेक्शन होता है। भारत से पांच-दस स्टूडेंट्स अंडरग्रेजुएट कोर्सेस के लिए जाते ही हैं।
जब एमआईटी में एडमिशन भी हो गया था तो JEE एडवांस दी ही क्यों?
चिराग का इस पर कहना है कि यह एक टफ एग्जाम है। इसमें भाग लेना है, यह चार साल पहले यानी वे नौवीं में थे तभी डिसाइड कर लिया था। एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में जमकर पढ़ाई की और अपने आपको मजबूत किया। मैं तो कहता हूं कि जो JEE मेन्स या JEE एडवांस की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें इसके लिए बार-बार कोशिश करनी होगी। बोरियत दूर भगाने के लिए रास्ते निकालने होंगे। मैं चेस खेलता था, खाना खाने के बाद टेबल-टेनिस भी खेलता था। ताकि लगातार पढ़ाई से बोरियत महसूस न हो और मैं फ्रेश माइंड से पढ़ाई पर फोकस कर सकूं।
JEE की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए क्या सबक है?
मैं तो इतना ही कहूंगा कि मैंने परीक्षा की तैयारी के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं किया। डिस्ट्रेक्शन को कम से कम रखा। लेकिन, अब सारा काम जूम पर या किसी और टूल से हो रहा है तो ऐसे में यह तो नहीं कह सकते कि स्मार्टफोन न रखें। इतना जरूर कहना चाहूंगा कि डिस्ट्रेक्शन दूर करें। पढ़ाई पर पूरा फोकस करें। बोरियत लगे तो इंटरनेट पर कुछ नया सीखें। यह बहुत काम आने वाला है।
...क्या कहना है विशेषज्ञों का
इंटरनेशनल मैग्जीन आंत्रप्रेन्योर में यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में स्ट्रैटेजी एंड आंत्रप्रेन्योरशिप में माइकल डी. डिग्मैन चेयर अनिल के. गुप्ता का कहना है कि सब जगह अंडरग्रेजुएट्स का वक्त तो क्लासरूम्स और प्रोजेक्ट्स में ही चला जाता है। लेकिन ग्रेजुएट प्रोग्राम, पीएचडी प्रोग्राम और फेकल्टी रिसर्च की बात आती हैं तो आईआईटी पीछे छूट जाता है। एमआईटी जैसी यूनिवर्सिटी में फेकल्टी पर पढ़ाने का दबाव भी काफी कम होता है, जिससे उन्हें रिसर्च के लिए भरपूर वक्त मिलता है। आईआईटी में टीचर्स का ज्यादातर वक्त क्लासरूम में ही चला जाता है। वहीं, आईआईटी-इंदौर के पीआरओ कमांडर सुनील कुमार का कहना है कि हालात काफी बदल गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी में रिसर्च तेजी से बढ़ा है। इस पर फोकस भी बढ़ गया है।
रैंकिंग में आईआईटी पीछे क्यों?
कुछ महीने पहले सात प्रमुख आईआईटी (बॉम्बे, दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास और रूडकी) ने तय किया था कि टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भाग नहीं लेंगे। इसके लिए उन्होंने संयुक्त बयान भी जारी किया था। उनका कहना था कि उन्हें इस रैंकिंग की पारदर्शिता पर भरोसा नहीं है। आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर ने पिछले साल कहा था कि यदि दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा टेक स्टार्टअप्स/यूनीकॉर्न्स हैं, तो उसमें आईआईटी दिल्ली की भूमिका जरूर है। यदि भारतीयों के बनाए 24 यूनीकॉर्न्स में से 14 आईआईटी-दिल्ली के पूर्व छात्रों की देन है तो हम कुछ तो अच्छा कर रहे होंगे।
जयपुर के अमित कुमार पारीक के पास कोई कामकाज नहीं था। दिनरात यही सोचते रहते थे कि आखिर ऐसा क्या करें, जिससे दो पैसे आना शुरू हों। पड़ोस में ही पवन पारीक की दुकान है। उनकी दुकान पर मसाले के पैकेट्स आया करते हैं। उन्हें देखकर अमित अक्सर पवन से कहता था कि, यार मैं इनकी मार्केटिंग का काम शुरू कर लेता हूं। वो यूट्यूब पर भी बिजनेस आइडिया तलाशते रहते थे। एक दिन उन्हें कामकाजी डॉटकॉम नाम के एक यूट्यूब चैनल पर मसाला पैकिंग के काम को करने का तरीका पता चला। अमित ने चैनल में दिए नंबर पर फोन लगाया तो उन्होंने अमित को कंसल्टेशन देने के साथ ही उसे जयपुर के दो लोगों के नंबर दिए, जो ब्लिस्टर पैकिंग मशीन की सप्लाई करते हैं।
अमित उनके पास पहुंच गए। उन्होंने बताया कि, यह मशीन 65 हजार रुपए की है। एक घंटे में सवा सौ से डेढ़ सौ पीस तैयार करती है। अब मुसीबत ये थी कि अमित के पास महज 10 हजार रुपए थे और मशीन 65 हजार की थी। उन्होंने अपने रिश्तेदारों और कुछ दोस्तों से पैसे उधार लिए और मशीन खरीद ली। मशीन के साथ कम्प्रेशर भी आया था। अब पैकिंग मटेरियल खरीदना था। इसमें ब्लिस्टर (जिसमें मटेरियरल भरा जाना था) और उसे पैक करने के लिए पेपर की जरूरत थी। अमित ने तय किया कि वो अपने बेटे नाम से पेपर प्रिंट करवाएंगे।
एक पेपर की प्रिंटिंग कॉस्ट 2 रुपए 55 पैसे पड़ रही थी। वहीं, एक ब्लिस्टर शीट की कीमत साढ़े चार रुपए थी। यहां भी तब मुसीबत आ गई, जब मैन्युफैक्चरर ने कहा कि कम से कम चार-चार हजार पीस का ऑर्डर देना होगा, तभी काम कर पाएंगे। इससे कम में मशीन चलाना महंगा पड़ता है। अमित ने फिर कुछ लोगों से पैसे की मदद मांगी। पूरा मटेरियल खरीदने में 30 से 35 हजार रुपए का खर्चा आया। इस तरह काम शुरू होने के पहले करीब 95 हजार रुपए लग गए।
अब पैकिंग मशीन और पेपर तो आ गया था, लेकिन उसमें जो मटेरियल भरना है, वो नहीं आया था। अमित ने लौंग, इलायची, सौंठ, काली मिर्च, बादाम, किशमिश जैसे ग्यारह प्रोडक्ट्स पैक करने का सोचा था। मटेरियल में अमित की मदद की उनके एक और पड़ोसी अग्रवाल जी ने। उन्होंने अमित को उधारी पर मटेरियल दिलवाया और यह भी बताया कि कितना भरना है, क्योंकि उनकी किराने की दुकान थी और उन्हें इसका अनुभव था। फिर अमित ने घर में ही पैकिंग का काम शुरू कर दिया। अमित के माता-पिता और बेटा भी उनके साथ में काम में हाथ जुटाते हैं। पत्नी घर का कामकाज करती हैं। मां ब्लिस्टर में मटेरियल भरती हैं। अमित मशीन में उसे पैक करते हैं। बेटा पैकेट एक जगह पर रखता है।
प्रोडक्ट बेचने मार्केट नहीं गए
खास बात ये थी कि वो कभी अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए मार्केट में नहीं गए, बल्कि उन्होंने आसपास यह बता दिया कि मेरे पास ये प्रोडक्ट्स तैयार हैं और किसी को मार्केटिंग करना हो तो बताना। शुरू में एक, दो सेल्समैन आए। उनसे यह बात हुई कि एक पैकेट पर आपको 10 रुपए का कमीशन मिलेगा। अमित कहते हैं मैंने पैकेट इस हिसाब से तैयार किया था कि पांच से सात रुपए का फायदा मुझे मिले और दस रुपए डोर टू डोर जाकर प्रोडक्ट बेचने वाले सेल्समैन के पास बचें। शुरू के दो-तीन महीने तक सौ-सवा सौ पैकेट ही बिका करते थे। फिर धीरे धीरे बढ़ना शुरू हुए। लॉकडाउन में तो बहुत काम मिला। पैकेट की संख्या चार सौ तक पहुंच गई थी। लेकिन, अभी कामकाज डाउन है। सौ से सवा सौ पैकेट ही बिक रहे हैं।
अमित कहते हैं, पिछले डेढ़ साल में औसत कमाई की बात करें तो हर माह 40 से 45 हजार रुपए की कमाई हुई है। अमित ने अब बर्तन साफ करने वाले स्क्रब की मशीन भी खरीद ली है, जो साढ़े तीन लाख रुपए की आई है। इसमें स्क्रब तैयार करेंगे। इसकी पैकिंग मसाले वाली मशीन से ही हो जाती है। कहते हैं, जिनसे पैसे लिए थे उनके पैसे वापस कर दिए। अब मेरे पास की खुद की मशीनें हैं। घर से काम करता हूं। स्क्रब का काम एक माह पहले ही शुरू हुआ है, अब मटेरियल मार्केट में जाना शुरू होगा, तब इसका रिस्पॉन्स पता चलेगा। कहते हैं, मसाला पैकिंग का काम मैं सुबह के दो घंटे में निपटा लेता हूं। एक घंटे में सौ से सवा सौ पैकेट तैयार हो जाते हैं। फिर सेल्समैन इन्हें घर से ही ले जाते हैं। बाकी टाइम बिजनेस को कैसे आगे बढ़ाना है, इसमें लगाता हूं।
शाम के पांच-साढ़े पांच बज रहे हैं। सड़क के दोनों तरफ छोटे-छोटे मकान बने हैं। कुछ मकानों के बाहर बोर्ड लगा है और उस पर लिखा है, ‘फैमली डेरा है। बिना परमिशन अंदर आना मना है।’ वहीं कुछ घरों के बाहर टंगे बोर्ड पर लिखा है, ‘सपना कुमारी और माही कुमारी, नर्तकी एवं गायिका। प्रदर्शन रात्रि 9 बजे तक।’ सड़क उखड़ी हुई है। शायद इसी बारिश में उखड़ गई है। इस उखड़ी हुई सड़क से आने-जाने वाले लोग सामने देखने की जगह दाएं-बाएं देखते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
इनकी नजरें घरों की खिड़की, छतों और गेट के बाहर बैठी लड़कियों और महिलाओं को देखने की जुगत कर रही हैं। लड़कियों ने अपने चेहरे पर डार्क मेकअप लगाया हुआ है। होठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक, आंखों में गहरा काजल और चेहरे पर फाउंडेशन लगाए हुए महिलाएं लगभग हर एक घर के बाहर बैठी हैं।
बिहार के सबसे बड़े और सबसे पुराने रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान की हर शाम ऐसी ही होती है। शायद यही वजह है कि फुल मेकअप में बैठी महिलाओं को इन घूरती आंखों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वो या तो आपस में बतिया रही हैं या अपने-अपने स्मार्ट फोन पर कुछ देख रही हैं।
जिस सड़क पर ये दृश्य है, उसे शुक्ला रोड कहते हैं। इसके पश्चिमी छोर पर चार भुजाओं वाले भगवान का मंदिर है, जिसकी वजह से इस जगह को चतुर्भुज स्थान कहते हैं। सड़क के पूर्वी छोर पर पर गरीब स्थान मंदिर है। ये भगवान शिव का मंदिर है और सावन में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। इन दो मंदिरों के बीच आबाद हैं वो ढाई हजार परिवार, जिनके पुरखे कभी कला के उपासक माने जाते थे, जो कभी बड़े-बड़े दरबारों में अपना हुनर दिखाते थे और जहां बड़े से बड़े राजा-महाराज अपने बच्चों को तहजीब सिखाने के लिए भेजा करते थे।
वक्त बदला, पीढ़ियां बदलीं और इस इलाके की पहचान भी बदल गई। बड़े-बड़े कोठों की दीवारें दरकने लगीं। नाच-गाना बंद होता चला गया और देह व्यापार ने अपना अड्डा जमा लिया और चतुर्भुज स्थान को ‘रेड लाइट’ एरिया कहा जाने लगा। सड़क के पूर्वी छोर की पान की दुकान पर मिले 30 साल के रफीक कहते हैं, ‘इस समाज को मुख्य धारा में जोड़ने का कभी प्रयास ही नहीं हुआ। सबने बस लूटा-खसोटा। हमारा भी ताल्लुक इसी गली से है। मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि क्लास में सबको मालूम चल गया था कि हम शुक्ला रोड में रहते हैं। कभी आते होंगे यहां राजा, महाराजा और होता होगा नृत्य-संगीत। हमने जब से होश संभाला है, तब से तो यहां केवल अत्याचार ही देखा है। इस गली में रहने वाले हर मर्द को दलाल और हर औरत को देह बेचने वाली समझा जाता है।”
रफीक जब ये बातें कह रहे हैं तो उनके चेहरे पर उभरे गुस्से और उनकी बातों से झलक रहे निराशा के भाव को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। वैसे तो देश से रजवाड़ों, बड़े घरानों और जमींदारों के खत्म होने के साथ ही चतुर्भुज स्थान की पहचान भी बदलने लगी लेकिन असल मार तब पड़ी जब टीवी, फिल्म और इंटरनेट आया। लेकिन कोरोना की वजह से लगे तीन महीने लंबे लॉकडाउन ने तो इन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया। अपने घर के बाहर मोबाइल पर गाना सुन रही शबनम लाख मिन्नतों के बाद बात करने के लिए तैयार होती हैं। वो कहती हैं, “तबाही तो अभी भी जारी है। हमें कार्यक्रम करने की इजाजत नहीं मिली है। घर में नाच-गाना कर सकती हैं, बस। आप लोगों के गए होंगे केवल तीन महीने। हमारा तो पूरा साल ही चला गया।” इतना कहकर शबनम अपने घर के अंदर चली जाती हैं और पर्दा खिंच लेती हैं। ये इस बात का संकेत है कि हमारे वहां होने से उन्हें दिक्कत हो रही है।
यहां से निकलते-निकलते रफीक कहते हैं, “जिन तीन महीनों की आप बात कर रहे हैं वो तो इनके लिए कयामत के दिन थे। अगर जिला प्रशासन ने राशन का इंतजाम नहीं किया होता तो भूख से मर जाते ये परिवार।”
इन दो-ढाई हजार परिवारों को शासन-प्रशासन शहर में अपराध की मुख्य वजह मानता रहा है। खुद को संभ्रांत मानने वाले परिवार इधर से गुजरना भी ठीक नहीं समझते। इनकी नजर में ये ऐसी मछलियां हैं, जिनसे पूरा तालाब गंदा हो रहा है। शायद यही वजह है कि मुगलों के वक्त से आबाद इस बस्ती में पहली बार 1994 में सुधार का काम शुरू होता है। शुरुआत एड्स जागरूकता अभियान के तहत कंडोम बांटने से हुई थी।
साल 1997 तक यहां दस आंगनबाड़ी केंद्र खुल गए। महिलाओं और बच्चियों को अनौपचारिक शिक्षा देने के लिए दस सेंटर भी खुल गए। किशोरी चेतना केंद्र का गठन हुआ और इसके तहत इलाके की सौ लड़कियों को पढ़ाया-लिखाया जाने लगा, लेकिन साल 2000 आते-आते ये सारे काम बंद भी हो गए। जयप्रकाश नारायण के सिपाही और सर्वोदयी नेता परमहंस प्रसाद सिंह इन सारे प्रयासों को जमीन पर उतारने में लगे थे। इनके मुताबिक मजबूत इच्छा शक्ति ना होने की वजह से और तत्कालीन जिलाधिकारी के बदल जाने की वजह से सब बंद हो गया।
वो बताते हैं, “तब राजबाला वर्मा यहां की जिलाधिकारी थीं। वो इस इलाके को खाली करवाना चाहती थीं। मैंने उनसे कहा कि ये लोग कहीं तो रहेंगे ही। जहां रहेंगे, वहां स्थिति खराब हो जाएगी। इनको और इनके बच्चों को मेन स्ट्रीम से जोड़ने की जरूरत है। डंडे से नहीं, योजना से काम लेना होगा। ये बात उन्हें जम गई। इसी के बाद सारे काम शुरू हुए। उन्होंने कई सरकारी योजनाओं को इस मोहल्ले की तरफ मोड़ दिया। इससे पहले इन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता था। कुछ साल बाद उनका तबादला हो गया। बाद में जो जिलाधिकारी आए, उन्होंने कई दूसरे एनजीओ को काम दे दिया और फिर एक बार इनके नाम पर लूट-खसोट शुरू हो गई।”
ऐसी जानकारी है कि बाद के वर्षों में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में आजीवन सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर का एक एनजीओ ही इस मोहल्ले में काम कर रहा था। इन कामों को जमीन पर आजतक किसी ने नहीं देखा और ना ही महसूस किया। सुधार के तमाम काम कागजों पर ही होते रहे।
इलाके में ‘बाबा' के नाम से पहचाने जाने वाले अमरेन्द्र तिवारी कहते हैं, ‘आज की राजनीति बहुत आगे निकल गई है। उसे पता है कि वोट कैसे और कहां से मिलना है? कई समुदाय हाशिए पर पड़े हैं। उसमें इनकी क्या औकात! पटना और दिल्ली में सत्ता बदलने पर इनके जीवन में बहुत फर्क नहीं पड़ता। इन्हें फर्क पड़ता है कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर बैठा इंसान कैसा है?
अंधेरा हो चुका है। ज्यादातर घरों के आगे पीली रोशनी फेंकते बल्ब जल रहे हैं। मेरे सामने, सड़क की दूसरी तरफ बने हवेलीनुमा घर के बाहर चार-पांच महिलाएं बैठी हैं। कांच की रंग-बिरंगी चूड़ियां लिए एक चूड़ीहार उनके पास बैठा है और औरतों की कलाई में चूड़ी पहना रहा है। तभी सड़क से गुजर रहे एक 20-22 साल के लड़के ने मोबाइल से फोटो खींची। एक औरत ने देख लिया तो बोलीं, “क्या बाबू, काहे ले रहे हो फोटो? हम इस समाज में शांति से नहीं जी सकतीं क्या?”
पंजाब और हरियाणा में किसानों के प्रदर्शन लगातार जारी हैं। सरकार की तरफ से यह आरोप लगाया जा रहा है कि आंदोलन कर रहे किसानों को विपक्षी दलों द्वारा बहकाया गया है और नए कानूनों को लेकर उनके मन में झूठे डर बैठा दिए गए हैं। कई लोगों का यह भी तर्क है कि चूंकि अधिकतर किसान अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं लिहाजा उन्हें कानूनों की समझ ही नहीं है। ऐसे आरोपों के जवाब में पंजाब और हरियाणा के ‘पढ़े-लिखे किसान’ इस मामले पर क्या राय रखते हैं, यह जानने कि लिए हमने कुछ ऐसे किसानों से बात की जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की है।
‘कॉंट्रैक्ट फार्मिंग किसानों के हित में नहीं’
नए कानूनों में कॉंट्रैक्ट फार्मिंग को सबसे विवादास्पद मानते हुए प्रदीप कहते हैं, ‘किसानों का विरोध प्रदर्शन बिलकुल जायज़ है। निजी कंपनियां सिर्फ़ और सिर्फ़ अपना मुनाफ़ा देखती हैं। उन्हें किसानों की भलाई से कोई लेना-देना नहीं है। यह ये क़ानून पूरी किसानी को ही धीरे-धीरे निजी हाथों में सौंपने जा रहे हैं।’
प्रदीप अपना अनुभाव साझा करते हुए कहते हैं, ‘कॉंट्रैक्ट फार्मिंग के नुकसान मैं ख़ुद झेल चुका हूँ। तीन साल पहले मैंने राशि सीडज नाम की एक कंपनी के लिए बीज तैयार करने का कॉंट्रैक्ट लिया था। पहले साल इसमें फ़ायदा भी हुआ। मुझे लगभग प्रति एकड़ चार हजार रुपए की बचत हुई। ये देखकर मैंने अगले साल 22 एकड़ में बीज उपजाए। लेकिन उस साल प्रति एकड़ मुनाफ़ा चार हजार से घटकर ढाई हजार तक आ गया।
इसके बाद भी मुझे लगा कि अगर मैं और ज़्यादा जमीन पर बीज उपजाऊ तो दो-ढाई हजार प्रति एकड़ के हिसाब भी अच्छी बचत हो सकती है। तो इस साल मैंने कुल 54 एकड़ ज़मीन पर बीज उपजाए। लेकिन जब हम बीज लेकर कंपनी के पास पहुंचे तो कहा गया कि आधे बीज अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। कंपनी ने वो वापस कर दिए।’
प्रदीप कहते हैं, ‘अब कॉंट्रैक्ट के हिसाब से मैं कोर्ट जा सकता हूँ लेकिन मैं अपनी बाकी खेती देखूं या कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटता रहूँ। कोर्ट की स्थिति हम सबने देखी है कि वहां फैसला होने में कितना समय लगता है। जब मुझ जैसा पढ़ा-लिखा आदमी भी कोर्ट जाने से बच रहा है तो वो किसान जो पढ़ा-लिखा भी नहीं है वो कैसे कंपनियों से निपटेगा।
पढ़े-लिखे लोग भी कॉंट्रैक्ट पर साइन करने से पहले ध्यान नहीं देते हैं। एक मोबाइल ऐप्लिकेशन ही जब हम लोग डाउनलोड करते हैं तो क्या टर्म्ज एंड कंडिशन पढ़ते हैं? हम सब बिना पढ़े ही ‘एग्री’ करके आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा ही कोई बीमा लेते हुए भी करते हैं और बैंक के तमाम अन्य कामों में भी। तो एक आम किसान कैसे कॉंट्रैक्ट की बारीकियों को समझेगा। वो मजबूरन साइन करेगा और बड़ी कंपनियों के रहमों-करम पर काम करने को मजबूर होगा।
‘किसान और आढ़ती का रिश्ता सिर्फ खेती तक सीमित नहीं। आढ़ती किसान का एटीएम है जो इन कानूनों से टूट जाएगा’
कमलजीत कहते हैं, ‘नए क़ानून आने के बाद मंडी से बाहर फसल की ख़रीद टैक्स फ्री हो जाएगी। ऐसे में मंडी के अंदर टैक्स भरकर कोई व्यापारी क्यों फसल ख़रीदेगा। लिहाज़ा सरकारी मंडियां धीरे-धीरे टूटने लगेंगी और इसके साथ ही आढ़ती भी टूट जाएंगे।
किसान और आढ़ती का रिश्ता सिर्फ़ खेती तक सीमित नहीं है। फसल के अलावा भी तमाम जरूरतों के लिए किसान आढ़ती पर ही निर्भर है। घर में शादी से लेकर किसी आपात स्थिति तक में किसान अपने आढ़ती से ही पैसा लेता है और फसल होने पर चुकाता है। अब अगर फसल मंडी से बाहर बिकेगी तो आढ़ती भी किसान को पैसा क्यों देगा।
सरकार भले ही कह रही है कि मंडी व्यवस्था बनी रहेगी लेकिन किसान बेवकूफ नहीं है जो सड़कों पर बैठा विरोध कर रहा है। वो समझता है कि जब मंडी से बाहर बिक्री बिना टैक्स के होगी तो मंडी होकर भी किसी काम की नहीं राह जाएगी। इससे होगा ये कि शुरुआत के सालों में शायद किसान को मंडी के बाहर बेहतर दाम मिल जाए लेकिन जब दो-तीन साल में मंडियां पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगी तो व्यापारी अपनी इच्छा से दाम तय करने लगेंगे।’
‘जो किसान आज भी लकीर के फकीर बने हुए हैं, उन्हें ही नए कानूनों से समस्या है’
अजय बोहरा इन कानूनों के बारे में कहते हैं, ‘मुझे इन कानूनों में कुछ भी ग़लत नहीं लगता। इससे किसानों के लिए नए दरवाजे खुल ही रहे हैं, बंद नहीं हो रहे। लेकिन किसानों में जागरूकता की बहुत भारी कमी है। अधिकतर किसान एक ही लकीर पर चलते हैं और इसी का फ़ायदा राजनीतिक दल भी उठाते हैं।’
अजय मानते हैं कि जो किसान पारंपरिक तरीकों से इतर काम करने को तैयार हैं, उनके लिए नए क़ानून कई मौके लेकर आया है। वे कहते हैं, ‘मेरा मानना है कि ये पूरा आंदोलन नागरिकता क़ानून के विरोध जैसा ही आंदोलन है। जिस तरह से नागरिकता क़ानून का फर्क हमारे देश के नागरिकों पर न होकर विदेश से आने वाले लोगों पर होना था लेकिन फिर भी देश के कई लोग उसके विरोध में इसलिए थे कि उनके मन में डर बैठ गया था वैसे ही इन कानूनों को लेकर भी हो रहा है।’
वे आगे कहते हैं, ‘हम लोग जो जैविक खेती कर रहे हैं वो पहले से ही मंडी के बाहर बिकती है और उसका सही दाम भी बाहर ही मिलता है। हमारे साथ जो हजारों किसान जुड़े हुए हैं वे नए तरीकों से फसल उपजा रहे हैं और उनकी निर्भरता मंडियों पर कम हो रही है। इसलिए हमसे जुड़े किसी भी किसान के लिए ये नए क़ानून कोई बड़ा मुद्दा नहीं हैं।
जो किसान जैविक खेती से या नए तरीकों से आत्मनिर्भर बन रहे हैं और कर्ज के कुचक्र से निकल रहे हैं उनके लिए ये क़ानून कोई परेशानी नहीं हैं। इनसे उन किसानों को जरूर परेशानी है जो सालों से एक ही तरीक़े की खेती और उसके सिस्टम में फंसे हुए हैं।’
‘नए प्रयोग करने को तैयार किसानों के लिए ये कानून बहुत अच्छे हैं। लेकिन एमएसपी पर कानून की मांग जायज है’
अरुण बताते हैं, ‘जिन किसानों ने बीते 15-20 सालों में अपनी खेती को डिवर्सिफाई किया है, जो विविधता लेकर आए हैं उन्हें इन कानूनों से दिक्कत नहीं है। वह इसलिए है क्योंकि ऐसे किसानों की आढ़तियों और मंडियों पर पहले जैसी निर्भरता नहीं रह गई है।’
साल 2018 में हरियाणा का ‘बेस्ट फार्मर’ ख़िताब जीत चुके अरुण इन कानूनों के बारे में कहते हैं, ‘कोई भी नया बदलाव जब होता है तो उसका विरोध होता ही है। राजीव गांधी के दौर में जब कम्प्यूटर आया तो उसका भी विरोध हुआ लेकिन क्या आज हम कम्प्यूटर के बिना अपने जीवन की कल्पना भी कर सकते हैं? ऐसा ही विरोध अब इन कानूनों का हो रहा है जबकि ये कानून किसानों के लिए बहुत बड़े बाजार का दरवाज़ा और मौके खोल रहे हैं। नए प्रयोग करने को तैयार किसानों के लिए ये वरदान साबित हो सकते हैं।’
अरुण मानते हैं कि इन किसान आंदोलनों के पीछे राजनीतिक कारण ज़्यादा है। वे कहते हैं, ‘किसान अक्सर अपने नेताओं के पीछे एकजुट रहते हैं और किसान नेताओं का सीधे-सीधे राजनीतिक पार्टियों से मेल-जोल होता है। साल में अधिकतर समय किसान खाली रहते हैं इसलिए उनके पास राजनीति करने का भरपूर समय भी होता है।’
नए कानूनों से किसानों के डर को आधारहीन मानने के बावजूद भी अरुण चौहान ये जरूर मानते हैं कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर किसानों की मांग जायज़ है। वे कहते हैं, ‘किसान अगर ये मांग कर रहे हैं कि एमएसपी तय करने के लिए भी क़ानून बना दिया जाए और इससे कम की खरीद को अपराध माना जाए तो ये मांग बिलकुल सही है। सरकार की मंशा जब साफ़ है तो यह लिखने में क्या बुराई है। एमएसपी का जिक्र अगर कानून में हो जाए तो इन कानूनों में कोई भी बुराई मुझे नजर नहीं आती।’