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Saturday, September 12, 2020

नेहा कक्कड़ ने 'लुडो' गाने पर किया धमाकेदार डांस, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है Video

बॉलीवुड की सिंगिंग क्वीन नेहा कक्कड़ की आवाज का हर कोई दीवाना है. नेहा...

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Body Of 11-Year-Old Found In UP's Aligarh 3 Days After He Went Missing

Body of an 11-year-old boy was found at a vacant plot in Quarsi area on Saturday, three days after he went missing.

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Home Minister Amit Shah Admitted To Delhi's AIIMS Again

Union Home Minister Amit Shah was admitted to Delhi's AIIMS last night, nearly two weeks after he was discharged from the hospital. He was earlier admitted to the national capital's top hospital for...

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Bihar Man Carves Out 3-Km Long Canal In 30 Years To Irrigate Fields

A man has carved out a three-kilometre long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village, Kothilawa in Lahthua area of Gaya in Bihar.

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महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ कंगना की जंग, आज मिलेंगी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से

महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के खिलाफ कंगना रनौत (Kangana Ranaut) का रण अभी बाकी है. बीएमसी (BMC) ने कंगना का मुंबई स्थित ऑफिस तोड़ दिया था जिसे लेकर कंगना आज महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ( Governor Bhagat Singh Koshyari) से मिलेंगी.

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एक ऐसी जगह जहां भक्तों को दर्शन देने के लिए खड़े रहते हैं भगवान

भगवान के दर्शनों के लिए लोग वर्षों तक तपस्या करते हैं. इसके बाद भी उन्हें भगवान के दर्शन नहीं होते हैं. क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी जगह भी है, जहां पर भगवान अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए खड़े रहते हैं.

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Coronavirus India Updates : भारत में कोविड-19 के मामले 46 लाख के पार

Coronavirus India Updates : मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार...

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मध्यप्रदेश उपचुनाव : कमलनाथ ने मंदिर में की पूजा, कांग्रेस का चुनाव प्रचार अभियान शुरू

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 27 विधानसभा सीटों पर आगामी उपचुनाव के मद्देनज़र प्रदेश...

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सभी जातियों और समाज के लोगों को 16 सितंबर से एक रुपये किलो गेंहू दिया जाएगा : शिवराज सिंह

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा उपचुनाव (Assembly By Election) के लिए जोरआजमाइश तेज होने...

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लॉकडाउन के मुश्किल दौर में कैंसर से जंग लड़ी; उन्होंने यह दिखा दिया कि हौसला हो तो मुश्किल हालातों से भी जीता जा सकता है

31 साल की ऊर्जा अपने पति निकुंज के साथ मुंबई में रहती हैं। उनके परिवार में कभी किसी को कैंसर नहीं हुआ। इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी बड़ी बीमारी उन्हें भी हो सकती है।

लॉकडाउन का वक्त उन पर कुछ इस तरह से भारी हुआ, जिसका अंदाजा खुद उन्हें भी नहीं था। ऊर्जा ने 30 मार्च से अपना कैंसर ट्रीटमेंट शुरू किया था। उन्हें 14 अगस्त के दिन डॉक्टर ने कैंसर फ्री बताया। ऊर्जा ने कैंसर से किस तरह जंग जीती और किन तकलीफों का सामना किया, वे अपनी आपबीती को शब्दों के माध्यम से कुछ इस तरह बयां कर रही हैं:

मैं वह वक्त नहीं भूल सकती, जब कैंसर की शुरुआत हुई थी। मुझे खाना निगलने और चबाने में तकलीफ हो रही थी। इसलिए मैंने मुंबई में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट वेदांत कारवीर को दिखाया। उन्होंने मुझे एंडोस्कोपी कराने की सलाह दी। एंडोस्कोपी करने के दौरान उसकी नली मेरे गले में नहीं जा रही थी। तभी मुझे ये बताया गया कि मेरे गले में गांठ है।

रेडिएशन के कारण ऊर्जा के गले की स्किन अंदर तक डैमेज हो गई।

तब डॉक्टर ने मुझे सीटी स्कैन और खून की जांच कराने की सलाह दी। उन्हीं रिपोर्ट के आधार पर मुझे तत्काल परेल स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल जाने के लिए कहा। यहां जांच से पता चला कि गले में 90% ब्लॉकेज है। उस वक्त मेरी हालत इतनी खराब थी कि मैं मुंह से खाना और पानी दोनों नहीं ले पा रही थी। इसलिए मेरी नाक में नली लगाई गई ताकि मुझे जरूरी पोषण इस नली के जरिये दिया जा सके।

फिर पांच दिन बाद मेरी बायोप्सी की रिपोर्ट आई जिससे ये पता चला कि मुझे इसोफेगस का कैंसर है। मैं कैंसर की तीसरी स्टेज पर पहुंच चुकी थी। जब मुझे इस बीमारी के बारे में पता चला तो मुझे ये लगा कि मेरी जिंदगी खत्म हो गई है। मुझे इस बात का भी आश्चर्य था कि मुझसे पहले मेरे परिवार में कभी किसी को कैंसर नहीं हुआ।

कीमोथैरेपी होने की वजह से ऊर्जा के बाल झड़ गए।

डॉ. रोहित मालदे ने मेरे ठीक होने के 50% चांस बताए। उन्होंने मुझे 35 रेडिएशन और 6 कीमोथैरेपी कराने के लिए कहा। कीमोथैरेपी की वजह से मेरे बाल झड़ गए और रेडिएशन के कारण मेरे गले की स्किन अंदर तक डैमेज हो गई। उसकी वजह से 29 रेडिएशन के बाद ही मेरा ट्रीटमेंट रुकवा दिया गया। ऐसे हालात में मेरा वजन कम होना भी मेरे लिए मुसीबत बना।

मैंने कभी इस बीमारी के बारे में नहीं सुना और न ही मुझे ये पता था कि मेरा इलाज भी हो सकता है। मुझे मेरी जिंदगी में चारों ओर अंधेरा नजर आ रहा था। तब मैंने अपने पति निकुंज के साथ मेरे अंकल जो डॉक्टर भी हैं, अशोक लोहाणा से बात की। उन्होंने हमें नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई में डॉ. रोहित मालदे से मिलने की सलाह दी।

जब मैंने अपना ट्रीटमेंट शुरू किया था, तब मेरा वजन 36 किलो था। डॉक्टर्स ने मुझे साफ तौर पर यह बता दिया था कि अगर अब एक किलो भी वजन कम हुआ तो मेरा इलाज नहीं हो पाएगा। तब मैंने नानावटी हॉस्पिटल की चीफ डाइटीशियन डॉ. उषा किरण सिसोदिया की मदद ली। उनके बताए डाइट चार्ट को फॉलो कर पांच महीने में मेरा वजन 46 किलो हो गया।

ऊर्जा को चिंता थी कि हर वक्त उसके साथ रहने वाले निकुंज को कोरोना इंफेक्शन न हो जाए।

लॉकडाउन की वजह से मेरे लिए हफ्ते में 5 दिन अस्पताल जाकर ट्रीटमेंट लेना भी मुश्किल रहा। इंफेक्शन के डर से मेरे फूड पाइप को लेकर हमें अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ी क्योंकि ये डर हमेशा लगा रहता था कि कोरोना महामारी का असर कहीं इस बीमारी की वजह से मुझे या हर वक्त साथ रहने वाले मेरे पति निकुंज को न हो जाए।

जब मेरा इलाज शुरू हुआ था तो मुझे ये लग रहा था कि मैं कैंसर से जंग हार जाऊंगी लेकिन जब मुझे अपनी बॉडी से पॉजिटिव सिग्नल मिलने लगे तो इस बात का अहसास होने लगा कि इस बीमारी को मैं हराकर ही रहूंगी।

नानावटी हॉस्पिटल के डॉक्टर रोहित मालदे और भारत चौहाण ने मेरी भरपूर सहायता की। इस ट्रीटमेंट के दौरान मैंने अपनी आवाज खो दी थी। ऐसे में मेरे माता-पिता, मेरे दोस्त और अस्पताल के स्टाफ ने मेरी मदद की। ऐसे मुश्किल वक्त में मुझे उन लोगों से हौसला मिला जो वीडियो कॉल करके मेरी हिम्मत बढ़ाते थे और मैं अपनी तकलीफ उन्हें सिर्फ साइन लैंग्वेज में समझा पाती थी।

जो लोग इस वक्त कैंसर पेशेंट हैं और अपना इलाज करा रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि अपने डॉक्टर पर पूरा भरोसा रखें। इस बीमारी को जानने के लिए पूरी तरह गूगल पर भरोसा न करें क्योंकि कैंसर के हर पेशेंट का हर स्टेज में इलाज अलग होता है। इंटरनेट पर शत प्रतिशत विश्वास करना ठीक नहीं है। इस बीमारी से जुड़ी हर छोटी बात को भी डॉक्टर से पूछें, क्योंकि वही हैं जो आपको सही सलाह और ट्रीटमेंट दोनों दे सकते हैं।

आखिर मैं यही कहूंगी कि हालात चाहे कितने ही मुश्किल क्यों न हों, कभी खुद को कम मत समझो। सबसे पहले अपनी सेहत का ध्यान रखिए।

आपका शरीर जो भी सिग्नल आपको दे रहा है, उसे नजरअंदाज मत करिए क्योंकि समय रहते अगर आपको अपनी बीमारी के बारे में पता चलेगा तो ही आप सही समय पर उसका इलाज करवा सकेंगे।



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Fight with cancer in difficult situations of lockdown, they showed that if you are encouraged, you can win through difficult circumstances of life.


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Amid Covid, Nearly 16 Lakh Students To Take NEET Today: 10 Points

The National Eligibility cum Entrance Test (NEET) - for admission to medical courses across the country - will be held today. States have announced special measures, including easing of restrictions...

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India COVID-19 Cases Cross 46 Lakh With Highest Spike In Daily Infections

India's Coronavirus tally surged past the 46-lakh mark on Saturday with the highest spike of 97,570 new cases of COVID-19 reported in the last 24 hours, the government said on Saturday.

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विरोध के बीच आज देश भर में NEET का आयोजन,यहां छात्रों को दी गई खास परिवहन सुविधा

परीक्षा रद्द करने की लगातार मांग के बीच आज NEET की परीक्षा होगी. इसमें देश भर से 15 लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल हो रहे हैं.

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राशिफल 13 सितंबर: इन राशिवालों को आज मिलेगा किस्‍मत का साथ, बिजनेस में होगा फायदा

ग्रहों की रोज बदलती चाल के कारण ही हमारा रोज का दिन भी अलग होता है. कभी हमें सफलता मिलती है तो कभी दिन सामान्य गुजरता है. तो आपका आज का दिन कैसा रहेगा जानिए हमारे इस राशिफल में...

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आज होगी NEET, रिया के बाद कंगना भी ड्रग्स केस की जांच के घेरे में; वर्चुअल प्रचार में शाह से आगे निकले नीतीश

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में शुरू हुई ड्रग्स कंट्रोवर्सी उलझती जा रही है। सचिन पायलट ने एक बार फिर अशोक गहलोत के नाम चिट्‌ठी लिखी है। टाटा संस और शापूरजी पालनजी ग्रुप भी आमने-सामने हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन 4 इवेंट्स पर रहेगी नजर

1. मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट के लिए NEET-UG 2020 की परीक्षा होगी। इसमें करीब 15 लाख स्टूडेंट्स शामिल होंगे। हेल्थ मिनिस्ट्री ने इसे लेकर एसओपी जारी की है।

2. प्रधानमंत्री मोदी बिहार के लिए 900 करोड़ रुपए की 3 योजनाओं का वर्चुअल शिलान्यास करेंगे। ये योजनाएं ऑयल पाइपलाइन और एलपीजी से जुड़ी हैं।

3. इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के बीच 3 वनडे की सीरीज का दूसरा मैच मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेला जाएगा। ऑस्ट्रेलिया ने पहला वनडे 19 रन से जीता था।

4. टेनिस ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन के मेन्स सिंगल्स फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रिया के वर्ल्ड नंबर-3 डोमिनिक थिएम और जर्मनी के वर्ल्ड नंबर-7 एलेक्जेंडर ज्वेरेव आमने-सामने होंगे।

अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें

1. पायलट की चिट्‌ठी गहलोत के नाम

कांग्रेस में बगावत के बाद वापसी कर चुके सचिन पायलट ने एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत को चिट्‌ठी लिखी है। करीब 10 दिन पहले लिखी गई इस चिट्‌ठी में पायलट ने गहलोत को 2018 के चुनावी वादे की याद दिलायी है। इसमें उन्होंने नौकरियों में गुर्जर समेत 5 जातियों को 5% आरक्षण नहीं मिलने का मुद्दा उठाया है। -पढ़ें पूरी खबर

2. कंगना के खिलाफ शुरू हुई जांच

मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल ने कंगना के खिलाफ भी ड्रग्स मामले की जांच शुरू कर दी है। इस पर कंगना ने ट्विटर पर सोमनाथ मंदिर की फोटो पोस्ट कर दी। लिखा, "क्रूरता-अन्याय कितने भी शक्तिशाली हों, जीत भक्ति की होती है, हर हर महादेव।" -पढ़ें पूरी खबर

3. पंखे और बिस्तर के बिना कट रही रिया की रातें

ड्रग्स केस में गिरफ्तार रिया को जेल में टेबल फैन मिल जाएगा। कोर्ट ने इजाजत दी है। रिया की पिछली 3 रातें पंखे-बिस्तर के बिना ही गुजरीं। फिलहाल रिया को कंबल और चादर दी गई है। इस बीच, ड्रग्स मामले में एनसीबी ने 2 लोगों को हिरासत में लिया है। -पढ़ें पूरी खबर

4. बिहार में वर्चुअल प्रचार, शाह से आगे निकले नीतीश

बिहार विधानसभा चुनाव में वर्चुअल प्रचार हावी है। गृह मंत्री अमित शाह ने 7 जून को वर्चुअल जन-संवाद किया था, जिसे अब तक 39 लाख स्क्रीन पर देखा गया। वहीं, 7 सितंबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का ‘निश्चय-संवाद’ लाइव ही 44.14 लाख स्क्रीन पर देखा गया। -पढ़ें पूरी खबर

5. टाटा संस के 2% शेयर गिरवी रखना चाहता है शापूरजी ग्रुप

टाटा संस और शापूरजी पालनजी ग्रुप एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। शापूरजी ग्रुप कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट बिजनेस में नकदी के लिए टाटा संस के 2% शेयर गिरवी रखना चाहता है। इससे उसे 11 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसके खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। -पढ़ें पूरी खबर

6. किम जोंग ने अफसरों को दी मौत की सजा

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपने पांच अफसरों को मौत की सजा दे दी। अधिकारियों ने देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाए थे। हाल ही में किम जोंग ने कोरोना की रोकथाम के लिए चीन से आने वालों को गोली मारने का आदेश दिया था। -पढ़ें पूरी खबर

7. 37% तक लुढ़कने के बाद भी रिकवर कर रहे हैं स्टॉक मार्केट

सेंसेक्स और निफ्टी-50 ही नहीं, बल्कि अमेरिका के डाउ जोंस इंडस्ट्रियल इंडेक्स और एसएंडपी 500 इंडेक्स भी 37% तक की गिरावट के बाद 6 महीने में ही अपने पुराने स्तर पर लौट रहे हैं। दूसरी ओर, 7 अगस्त को 56 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंचने के बाद सोना लगातार फिसल रहा है। -पढ़ें पूरी खबर

अब 13 सितंबर का इतिहास

1929: लाहौर जेल में भूख हड़ताल के 63 दिनों के बाद जतिन दास की मौत हो गई।

2002: इजरायल ने फिलिस्तीन अधिकृत गाजा पट्टी पर हमला किया।

2008: दिल्ली में तीन जगहों पर 30 मिनट के दरमियान 4 बम ब्लास्ट हुए। इनमें 19 लोगों की मौत और 90 से ज्यादा घायल हुए।

जाते-जाते जिक्र देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का। उन्होंने 1948 में आज ही के दिन भारतीय सेना को हैदराबाद में घुसकर कार्रवाई करने और उसे भारतीय संघ के साथ मिलाने का आदेश दिया था।



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Today will be NEET, after Riya Kangana is also under investigation for drugs case; Nitish overtakes Shah in virtual publicity


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सरदार पटेल ने तय किया था- कश्मीर भारत का हिस्सा बनेगा; 91 साल पहले लाहौर जेल में भूख हड़ताल के दौरान शहीद हुए थे जतिन दास

आज का इतिहास बेहद खास है। कश्मीर भारत में रहेगा या पाकिस्तान में जाएगा? इस प्रश्न का जवाब आज ही मिला था। 91 साल पहले 1929 में महान क्रांतिकारी भगत सिंह के साथी जतिन दास ने लाहौर जेल में भूख हड़ताल के दौरान दम तोड़ दिया था। वहीं, जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में आज ही के दिन प्रस्ताव दिया था कि 40 लाख हिंदुओं और मुसलमानों का पारस्परिक ट्रांसफर किया जाए।

सबसे पहले बात, कश्मीर की। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर भारत और पाकिस्तान आज भी आमने-सामने रहते हैं। लॉर्ड माउंटबेटन के राजनीतिक सलाहकार रहे वीपी मेनन की किताब 'इंटिग्रेशन ऑफ द इंडिया स्टेट्स' में लिखा है कि भारत की आजादी से दो महीने पहले तक लॉर्ड माउंटबेटन ने कश्मीर के राजा महाराजा हरी सिंह से कहा था कि यदि वे पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला करते हैं, तो भारत कोई दखल नहीं देगा।

वहीं, सरदार पटेल के राजनीतिक सचिव रहे वी. शंकर ने "माय रेमिनिसेंसेज ऑफ सरदार पटेल' में लिखा, '13 सितंबर 1947 की सुबह पटेल ने रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को चिट्ठी लिखी कि कश्मीर चाहे तो पाकिस्तान में शामिल हो सकता है। हालांकि, उसी दिन पटेल को जब पता चला कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ के विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है, तो वे भड़क गए।

उनका कहना था कि यदि पाकिस्तान, हिंदू बहुल आबादी वाले मुस्लिम शासक के जूनागढ़ को अपना हिस्सा बना सकता है तो भारत, मुस्लिम बहुल आबादी वाले हिंदू शासक के कश्मीर को क्यों नहीं ले सकता? उस दिन से कश्मीर पटेल की प्राथमिकता बन गया था। खैर, आज की हकीकत यह है कि जूनागढ़ और कश्मीर भारत के पास है। कश्मीर के कुछ हिस्से पर जरूर पाकिस्तान का कब्जा है।

सरदार पटेल के आदेश पर हैदराबाद में सेना घुसी थी

ऑपरेशन पोलो के बाद हैदराबाद के आखिरी निजाम 25 दिसंबर 1949 को प्रधानमंत्री नेहरू और मिलिट्री गवर्नर मेजर जनरल जयंतो चौधरी के साथ निजाम के किंग कोठी पैलेस में ।

आजादी के बाद जूनागढ़ और कश्मीर के साथ-साथ एक और पेंच था हैदराबाद का। हैदराबाद का निजाम स्वतंत्रता चाहता था। उसने पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपए का कर्जा भी दिया था। लेकिन, सरदार पटेल चाहते थे कि हैदराबाद का भारत में विलय हो। ऊपर से निजाम ने संयुक्त राष्ट्र जाने की धमकी भी दे रखी थी। सरदार पटेल के आदेश पर 13 से 18 सितंबर 1948 तक ऑपरेशन पोलो चला।

13 सितंबर को 36 हजार भारतीय सैनिक हैदराबाद में पश्चिम, दक्षिण और उत्तर से घुसे थे। भारत ने इसे पुलिस एक्शन कहा ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगे कि यह भारत का अंदरुनी मसला है। 18 सितंबर तक निजाम भारत में हैदराबाद के विलय के लिए राजी हो गया था।

जतिंद्र नाथ दास ने आजादी के लिए दे दी जान

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को हम शहीद दिवस के तौर पर याद करते हैं। लेकिन, उनके ही साथी थे- जतिंद्र नाथ दास, जिन्हें जतिन दा भी कहा जाता था। 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्र नाथ 16 साल की उम्र में ही आजादी के आंदोलन से जुड़ गए थे। दक्षिणेश्वर बम कांड और काकोरी कांड के सिलसिले में 1925 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

सबूत नहीं थे, इस वजह से मुकदमा नहीं चला, पर उन्हें नजरबंद रखा गया। लाहौर असेंबली में बम फेंकने के मामले में भगत सिंह के साथियों के साथ ही जतिन दा भी पकड़े गए थे। जेल में अव्यवस्था के खिलाफ क्रांतिकारियों ने जतिन दा के नेतृत्व में 13 जुलाई 1929 को अनशन शुरू किया। उनका अनशन खत्म करने की हर कोशिश की गई, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।

हड़ताल के 63वें दिन जतिन दास के कहने पर एक साथी ने ‘एकला चलो रे’ और फिर ‘वन्दे मातरम्’ गाया। यह गीत पूरा होते ही जतिन दा ने 13 सितंबर 1929 को सिर्फ 24 साल की उम्र में दुनिया से विदा ले ली।

इतिहास में आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है-

  • 1791: फ्रांस के राजा लुई 14वें ने नया संविधान लागू किया।
  • 1882: एंग्लो-मिस्र युद्ध: तेल अल केबिर की लड़ाई लड़ी गई।
  • 1914ः प्रथम विश्व युद्ध: जर्मनी और फ्रांस के बीच एस्ने की लड़ाई शुरू हुई।
  • 1922: लिबिया के एल अजिजिया में धरती पर उच्चतम तापमान दर्ज किया गया। उस समय छाया में नापा गया तापमान 58 डिग्री सेल्सियस था।
  • 1923: स्पेन में सैन्य तख्ता पलट। मिगेल डे प्रिमो रिवेरा ने सत्ता संभाली और तानाशाह सरकार की स्थापना की। ट्रेड यूनियनों को 10 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • 1947: भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने 40 लाख हिंदूओं और मुसलमानों के पारस्परिक स्थानांतरण का सुझाव दिया।
  • 1948ः उप-प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने सेना को हैदराबाद में घुसकर कार्रवाई करने का आदेश दिया। हैदराबाद के भारत में विलय का आदेश दिया।
  • 2000: भारत के विश्वनाथन आनंद ने शेनयांन में पहला फ़िडे शतरंज विश्व कप जीता।
  • 2002: इजरायल ने फिलिस्तीन अधिकृत गाजा पट्टी पर हमला किया।
  • 2007: नासा के वैज्ञानिकों ने बृहस्‍पति से तीन गुना बड़े ग्रह का पता लगाया।
  • 2008: दिल्ली में तीन स्थानों पर 30 मिनट के अंतराल पर चार बम विस्फोट हुए। इनमें 19 लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल।
  • 2009: चन्द्रमा पर बर्फ खोजने का इसरो-नासा का अभियान असफल हुआ।
  • 2013: तालिबान आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के हेरात में अमेरिका के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया।


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Sardar Patel had decided that Kashmir would become a part of India; Jatin Das was martyred during a hunger strike in Lahore jail 91 years ago


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वो शव हथियार के साथ जम चुके थे, हम हथियार को खींचते तो शरीर के टुकड़े भी साथ निकलकर आ रहे थे

भारत-चीन सीमा पर हालात तनावपूर्ण हैं। सर्दियां बस शुरू होने को है। ये वक्त होता है जब ऊंचाई पर बनी पोस्ट से दोनों देश अपने सैनिकों को लौटाने लगते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। यदि चीन कोई भी हरकत करता है, तो हो सकता है दोनों देश जंग के मुहाने पर आ खड़े हों।

लेकिन, अगर सर्दियों में युद्ध होगा तो ये इस धरती के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र के लिए कितना चुनौती पूर्ण होगा, हमने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में लड़ने वाले दो सैनिकों से जाना। एक हैं फुंचुक अंगदोस और दूसरे हैं सेरिंग ताशी।

चीन ने रास्ता ब्लॉक कर दिया था, आर्मी हेडक्वार्टर बोला अपनी जान बचाकर निकलो

रिटायर्ड हवलदार फुंचुक अंगदोस की उम्र 80 साल के करीब है। कहते हैं जब जंग हुई थी तो मैं बमुश्किल 23 साल का था। 45 साल पहले के वक्त की हर बात उन्हें अब भी याद है। वो कहानी सुनाने लगते हैं ‘अक्टूबर का महीना था, 26 अक्टूबर को हमें चुशूल से देमचोक भेजा था। हमारे पास गाड़ियां भी कम थीं। मैं क्वार्टर मास्टर था, तो मैंने पहले लड़ने वाले फौजियों को राइफल लेकर देमचोक भेज दिया। फिर तीन बार में हम बाकी जवान पहुंच पाए। अगले दिन 27 अक्टूबर को जंग शुरू हो गई। हमें अचानक वायरलेस पर मैसेज आया था कि जंग शुरू हो गई है।

रिटायर्ड हवलदार फुंचुक अंगदोस 80 साल के हैं। चीन के साथ 1962 की जंग लड़ चुके हैं, तब इनकी उम्र 23 साल थी।

जब हम देमचोक पहुंचे तो चीन ने रास्ता ब्लॉक कर दिया था। हम पोस्ट पर पहुंचे और पूरे दिन लड़ते रहे। लेकिन फिर हम लोग वहां फंस गए। हमारे कर्नल ने आर्मी हेडक्वार्टर को फोन किया कि हमें बचाने के लिए एयर अटैक करना चाहिए। लेकिन आर्मी हेडक्वार्टर ने मना कर दिया। वो बोले, अपनी जान बचाकर निकल जाओ।

एक दिन और पूरी एक रात हम लड़ते रहे। हमारे पास खाने को कुछ बादाम, अखरोट और काजू थे, जो दिन में ही खत्म हो गए थे। अगले दिन रात को 12 बजे सीजफायर लग गया। इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह शहीद हो गए। उनके साथी जवान भी मारे गए। अपने जवानों के साथ जब सीजफायर के बाद हम उस जगह पहुंचे, जहां मेजर शैतान सिंह शहीद हुए थे। तो वहां उन्हें एक-दो डेडबॉडी मिलीं। वो शव हथियार के साथ जम चुके थे। हम हथियार को खींचते तो शरीर के टुकड़े भी साथ निकलकर आ रहे थे।

चुशूल के जिस इलाके में हमारे यूनिट ने लड़ाई लड़ी, वहां पूरी सर्दियों में दो से तीन फुट बर्फ जमा रहती है। अक्टूबर के आखिरी तक तो इतनी सर्दी हो जाती है कि सब जम जाता है। उस तापमान में हमारे जवानों के लिए काफी मुश्किल होती है। उनके हाथ जम जाते हैं और चलना भी मुश्किल होता है।

अपनी पोती के साथ रिटायर्ड हवलदार फुंचुक अंगदोस। फुंचुक कहते हैं कि इस बार चीन के साथ युद्ध हुआ तो जीत हमारी ही होगी क्योंकि अब 1962 जैसी भारत की स्थिति नहीं है।

तब और अब के वक्त को याद कर फुंचुक मुस्कुराते हैं। कहते हैं, तब हमारे सैनिकों के पास लड़ने के लिए सिर्फ एलएमजी, राइफल, एमएमजी और मोर्टार था। उसके अलावा कोई बड़ा हथियार नहीं था। अब तो न जाने कितने बड़े-बड़े हथियार हैं हमारे पास। इसलिए इस बार युद्ध हुआ तो हम ही जीतेंगे।

फुंचुक के मुताबिक, चीन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वो कहते हैं, सुनने में आया है कि फिलहाल वहां शांति है, लेकिन चीन अक्टूबर के महीने में कुछ कर सकता है। इस सवाल पर कि अक्टूबर के महीने में ही क्यों, तो वो कहते हैं, क्योंकि वो सर्दी का मौसम है ना और तब हमारे इंडियन लोगों को दिक्कत होती है और चीन इसका फायदा उठाता है।

हमें बार-बार लोड कर फायर करना होता था, लेकिन चीन के पास ऑटोमेटिक हथियार थे

रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी। उम्र तकरीबन 82 साल। चीन के साथ जब जंग हुई उससे दो साल पहले ही सेना में शामिल हुए थे। जंग की अपनी आपबीती सुनाते हुए कहते हैं, ‘बात डीबीओ दौलत बेग ओल्डी इलाके की है। मैं छुट्‌टी जाने के लिए आया था। सुबह छुट्‌टी जाना था। रात के 12 बजे फायरिंग शुरू हो गई। वहां एक नई जाट यूनिट आई थी, तो मुझे उनके साथ रख दिया। क्योंकि उस इलाके के रास्ते सिर्फ मुझे मालूम थे।

रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी चीन के साथ जब जंग हुई उससे दो साल पहले ही सेना में शामिल हुए थे।

मैं उन सैनिकों को लेकर दूसरे पोस्ट के लिए निकल गया। हमें वहां अपनी सेना की मदद के लिए जाना था, लेकिन हम वहां तक नहीं पहुंच सके। रास्ते में दो छोटी पहाड़ियां थीं, दोनों पहाड़ियों के बीच से हमें निकलना था, लेकिन चीन वहां तक आ चुका था।

सेरिंग कहते हैं, 'तब समय और सेना दोनों अलग थीं। चुशूल और दौलत बेग ओल्डी में एक ही वक्त पर फायरिंग हो गई थी। तब हमारे पास आदमी कम थे, ब्रिगेड तक नहीं था। 2 यूनिट भर थे। अब तो मेरे ख्याल से बहुत होंगे। अब तो हथियार भी बहुत ठीक-ठाक हैं।

तब तो सिर्फ थ्री नॉट थ्री होता था, जिसे बार-बार लोड कर फायर करना होता था। इतनी देर में चीन जल्दी-जल्दी फायर कर देता था क्योंकि उनके पास ऑटोमेटिक वेपन थे। हमारे पास तो उस वक्त घोड़े भी नहीं थे।'

अपने पोतियों के साथ रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी। ताशी कहते हैं 1962 के युद्ध के समय पहाड़ियों पर बर्फ ज्यादा थी। हमारे पैर बर्फ के अंदर चले जाते थे।

जाट यूनिट के जो जवान वहां जंग लड़ने आए थे, ठंड और बर्फ के बीच उनके हाथ गल गए। उंगलियों में बर्फ से जख्म हो गए। जख्म इतने गहरे थे कि उन साथियों को हाथ से खाना खिलाना पड़ता था। घायल हथेलियों की वजह से हमें पीछे हटना पड़ा। वहां इतनी बर्फ थी कि आधे बूट बर्फ में धंस जाते थे। हम तेज दौड़ भी नहीं सकते थे, क्योंकि पैर बर्फ में चले जाते थे।

उस जंग में चीनी सेना हमारे कुछ जवानों को पकड़कर भी ले गई थी। हालांकि, बाद में उन लोगों को छोड़ दिया गया, लेकिन फिर उन्हें वापस जंग में रखने की जगह घर भेज दिया था। सेरिंग ताशी कहते हैं कि उन्हें जंग के बाद फिल्मों से पता चला कि चीन के सैनिक हिंदी-चीनी भाई-भाई बोलते हैं, जबकि वहां कभी ये नहीं सुना था।

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India China 1962 War Story | Indian Army Ladakh Region Naik Phunchok Angdus, Retired Havildar Tsering Tashi Speaks To Dainik Bhaskar Over India China Border Conflict


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होम लोन, कार लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेना क्यों अच्छा आइडिया नहीं है? तीन महीने किस्त नहीं भरी तो लोन की अवधि एक साल बढ़ जाएगी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोन मोरेटोरियम 28 सितंबर तक बढ़ गया है। यानी 28 सितंबर तक आपने यदि अपने होम लोन और कार लोन पर किस्त नहीं चुकाई तो इससे आपकी आर्थिक सेहत यानी क्रेडिट स्कोर बेअसर रहेगा। किस्त न चुकाने पर कोई बैंक लोन को नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) में नहीं डाल सकेंगे।

अब इससे कई लोगों के सवाल आ रहे हैं कि यह फायदेमंद होगा या नहीं? क्या मोरेटोरियम का लाभ उठाकर वे इस पैसे का कहीं और इस्तेमाल कर सकते हैं? इस पर हमने पूरा मसला समझने की कोशिश की, और यह भी जाना कि आपके फायदे में क्या रहने वाला है?

सबसे पहले, समझ लीजिए कि क्या है मोरेटोरियम?

  • कोरोना के बाद लॉकडाउन हुआ। काम-धंधे बंद हो गए। कई लोगों की नौकरियां चली गईं। ऐसे में लोन की किस्तें चुका पाना मुश्किल हो गया। तब रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की सहूलियत दी थी। यानी लोन पर किस्तें टाल दी गई थी।
  • आरबीआई ने पहले 31 मई 2020 तक सभी टर्म लोन्स पर किस्तों पर मोरेटोरियम दिया और फिर इस अवधि को तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया था। यानी छह महीनों तक किस्त नहीं चुकाई तो भी क्रेडिट स्कोर बेअसर रहेगा।
  • अगस्त में रिजर्व बैंक ने मोरेटोरियम को और बढ़ाने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि यदि अब भी किसी को दिक्कत है तो वह लोन रिस्ट्रक्चर करा सकता है। बैंकों को भी इसके लिए छूट दे दी। ताकि नए सिरे से किस्त चुकाने की प्रक्रिया तय हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया और क्यों?

  • मोरेटोरियम पर एक विवाद था। किसी लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए किस्त नहीं चुकाई तो उस अवधि का ब्याज मूलधन में जुड़ जाएगा। यानी अब मूलधन+ब्याज पर ब्याज लगेगा। इसी ब्याज पर ब्याज का मसला सुप्रीम कोर्ट में है।
  • सुप्रीम कोर्ट में एक और राहत मांगी गई है। याचिका में कहा गया है कि अब भी हालात सुधरे नहीं है। ऐसे में मोरेटोरियम को बढ़ाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को सुनने के बाद ही 28 सितंबर तक मोरेटोरियम को बढ़ा दिया है।
  • केंद्र सरकार को दो हफ्ते में राहत का नया फार्मूला सुझाने को भी कहा है। इसके लिए राजीव महर्षि की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। यह बैंकों के साथ-साथ संबंधित पक्षों से बातचीत कर अपने सुझाव केंद्र सरकार को देगी।

क्या मोरेटोरियम का फायदा उठाना सही है?

  • बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि यदि आपको कोरोना की वजह से बहुत ज्यादा तकलीफ हुई है तो यह आपके लिए राहत है। लेकिन कर्जदारों को ध्यान में रखना चाहिए कि मोरेटोरियम का लाभ उठाने से बकाया राशि पर ब्याज लगता रहेगा।
  • शेट्टी के मुताबिक, तीन महीने आपने किस्त नहीं चुकाई तो आपकी लोन चुकाने की अवधि एक साल बढ़ जाएगी। यानी यदि आपने 15 साल के लिए लोन लिया था और तीन महीने किस्त नहीं चुकाई तो अब लोन 16 साल चलता रहेगा।
  • उनका सुझाव है कि यदि आपका लोन शुरुआती दौर में है तो आपके लिए आज की राहत कल की परेशानी बन जाएगी। ऐसे में यदि आपके पास किस्त चुकाने के सभी रास्ते खत्म हो गए हैं तभी आप मोरेटोरियम का लाभ उठाएं, वरना नहीं।

तो क्या आरबीआई ने कोई राहत नहीं दी?

  • ऐसा कहना गलत होगा। आरबीआई ने लोन को रिस्ट्रक्चर करने की अनुमति सभी बैंकों को दी है। लेकिन यह भी कहा है कि जिन लोन पर कोविड-19 की वजह से प्रभाव पड़ा है, उन्हें ही दो साल की अवधि बढ़ाकर रीस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी जाएगी।
  • कॉर्पोरेट लोन्स को लेकर रिजर्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन केवी कामथ की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी ताकि कर्जदारों को रीस्ट्रक्चरिंग का लाभ देने के लिए शर्तें तय की जा सके।
  • कोविड से 15.52 लाख करोड़ रुपए का कर्ज तनाव में है। करीब 22.20 लाख करोड़ रुपए का कर्ज पहले ही एनपीए में जाने की नौबत थी। यानी बैंकों ने जितना लोन दिया है, उसमें भी 72 प्रतिशत खराब लोन की श्रेणी मे जा रहा है।

कामथ कमेटी की रिपोर्ट ने क्या सुझाया है?

  • आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार कमेटी ने 26 सेक्टरों की पहचान की है, जिनके लोन पर कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। इनके लोन को रीस्ट्रक्चर करने के लिए विस्तृत प्लान बनाकर सौंपा है।
  • इस एक्सपर्ट कमेटी ने हर सेक्टर के लिए कॉर्पोरेट से संबंधी रेशो की लिमिट तय की है, जैसे- ईबीआईडीटीए, डीएससीआर, करेंट रेश्यो, एडीएससीआर आदि। यह कंपनियों की कमाई और लाभ से ताल्लुक रखते हैं।
  • रिसर्च रिपोर्ट का कहना है कि इन 26 सेक्टरों को कुल 37 लाख करोड़ रुपए के लोन दिए हैं, उसमें से 15-20% की रेंज में लोन रिस्ट्रक्चर हो सकते हैं। यह कदम बैंकिंग सेक्टर के लिए भी अच्छा है, वरना ज्यादातर लोन एनपीए में डालने की नौबत आती।


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RBI EMI Moratorium Extended; Loan Moratorium News Today Update | Know How Loan Moratorium Will Impact Your Home Loan, Car Loan EMIs? All You Need To Know


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कमाठीपुरा की 5% सेक्स वर्कर एचआईवी पॉजिटिव, लॉकडाउन में पांच महीनों से न तो दवाई मिली न एक वक्त की रोटी

बेशक मुंबई अनलॉक हो चुकी है। कुछ लोग अपने काम में लग गए हैं तो कुछ काम की तलाश में हैं, लेकिन कमाठीपुरा की तंग गलियों, सटे हुए घर, घरों के अंदर घुटन और छोटे-छोटे बदबूदार दड़बेनुमा कमरों में रह रही सेक्स वर्कर के पास न तो काम है, न सरकार इनकी सुध ले रही है। नतीजा, भूखे मरने की नौबत आ चुकी है।

कमाठीपुरा देश के बड़े रेड लाइट एरिया में से एक है, जहां पूरे भारत से औरतें आती हैं या लाकर बेची जाती हैं। यहां से सेक्स वर्कर कॉल पर बाहर नहीं जाती हैं बल्कि ग्राहक यहां आते हैं। कोरोना ने यहां के करीब 3500 सेक्स वर्कर्स को सड़क पर ला दिया है।

जिन सेक्स वर्कर की दवाएं चल रही हैं, उनकी हालत और खराब है। लॉकडाउन के दौरान सरकारी अस्पताल से दवाएं नहीं मिलीं। अब भी नहीं मिल रही हैं। इनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, कमाई के लिए ग्राहक तो है ही नहीं। ब्रॉथल की दहलीज़ पर सजी संवरी एक बूढ़ी बैठी हैं, जिन्हें ये लोग ‘मम्मी’ बुलाती हैं।

‘मम्मी’ की निगरानी में घर के अंदर तीन-चार लड़कियां देह व्यापार का कारोबार करती हैं। दाल-रोटी की तलाश में सड़क पर कई सेक्स वर्कर्स खड़ी हैं। लेकिन दूर- दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। बीते पांच महीनों से दिन में 100 रु की कमाई भी नहीं हो रही है।

यहां रहने वाली सेक्स वर्कर रेशमा कहती हैं, 'मैं आपको क्या बताऊं, लॉकडाउन में तो कमाठीपुरा की सभी गलियां सील कर दी गईं थी। पुलिस का सख्त पहरा था। पुलिस न तो यहां के मर्दों को बाहर घूमने देती थी न हमें घर से बाहर निकलने देती थी। कोई छिपकर आ भी जाता था तो पुलिस उन्हें दौड़ाकर मारती थी। अब तो गलियां भी खुल गईं हैं और पुलिस का पहरा भी नहीं है, फिर भी कोई ग्राहक नहीं आ रहा है।'

कमाठीपुरा में करीब 3500 सेक्स वर्कर्स रहती हैं। इसी धंधे के बल पर इनके घर परिवार और बच्चों की पढ़ाई का खर्च चलता है। कोरोना के चलते इनकी जीविका तबाह हो गई है।

सेक्स वर्कर रेखा को अस्थमा की बीमारी है। पहले वह पास के सायन अस्पताल से फ्री में दवा लेकर आती थी लेकिन अभी पांच महीने से दवाइयां खत्म हैं। अस्थमा से इस कदर वह परेशान है कि दवा के लिए हमसे ही मिन्नतें करने लगी। उसके साथ खड़ी नूरां एचआईवी पॉजिटिव है, जिसके पास पांच महीने से दवाइयां नहीं हैं।

नूरा की तरह ही यहां रह रही 5% सेक्स वर्कर एचआईवी पॉजिटिव हैं। वह न तो अपने घर वापस जा सकती हैं, न कहीं और दूसरा काम ढूंढ सकती हैं। जब तक वह कमाती थीं तो परिवार वाले उनसे पैसे ले लेते थे, लेकिन अब जब काम बंद हो गया तो परिवार ने रिश्ता खत्म कर लिया।

रेखा कहती हैं कि अभी इक्का दुक्का ग्राहक ही आ रहे हैं। एक दिन में 100-200 रु की कमाई हो रही है। पहले न तो पैसे की कमी थी न ग्राहक की। हमारे मकान का किराया भी माफ नहीं हुआ है। एक दिन का किराया 100 से 150 रु है। इस एरिया में शाम के समय सेक्स वर्कर तैयार होकर सड़कों पर आ जाती हैं। यहां उन्हें ग्राहक मिलते हैं या फिर पुराने ग्राहक आते हैं और अपनी पसंद की लड़की लेते हैं। यहां सालों से ऐसे ही होता आया है।

ताबिश खत्री पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। पास के ही एक पॉश कॉलोनी में रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान जब उन्होंने इनके मुश्किल हालात को देखा तो सेक्स वर्कर के लिए काम करने वाली साईं संस्था के साथ जुड़ गए। ताबिश कमाठीपुरा में पांच महीने से राशन दे रहे हैं।

साईं संस्था यहां 15 दिन में एक दफा दौरा करती है और राशन, मास्क और सैनिटाइज़र बांटती है। कोरोना में सरकारी तौर पर यहां कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया लेकिन कोई भी सेक्स वर्कर मास्क के बिना नहीं दिखाई दी।

सोनिया बंगाल की रहने वाली है, जहां उसे अपने बूढ़े मां-बाप को पैसे भेजने पड़ते हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह न तो अपना गुज़ारा कर पा रही है न ही घर पैसे भेज पा रही है। वह कहती हैं कि हम कमाई का कोई और तरीका भी नहीं अपना सकते हैं। हमारी उम्र इतनी हो गई है कि कोई हमें काम नहीं देगा।

सोनिया तो यह भी दावा करती है कि लॉकडाउन में पढ़ी-लिखी और अच्छे घरों की लड़कियां भी देह व्यापार में उतर गईं। उसने एक दो ऐप के नाम भी बताए। कहती है, 'अब जब मोबाइल पर सुंदर, पढ़ी-लिखी और कम पैसे में लड़कियां मिलेंगी तो उनका परंपरागत पेशा और दिक्कत में आएगा।'

यहां के सेक्स वर्कर्स की मदद के लिए साईं संस्था काम कर रही है। इनके लिए राशन और फल मुहैया करा रही है।

यहां की सबसे बड़ी दिक्कत हैं बच्चे। यहां सेक्स वर्कर के लगभग 500 बच्चे हैं। जो दिन में साईं संस्था द्वारा चलाए जा रहे स्कूल में और रात को एक स्वंय सेवी संस्था द्वारा चलाए जा रहे नाइट शेल्टर में जाते थे। रेखा कहती हैं कि बच्चों की जिंदगी ज्यादा नर्क हो गई है। उनकी पढ़ाई तो बंद है ही साथ ही उनके हमेशा घर रहने की वजह से सेक्स वर्कर भी अपना काम नहीं कर पा रही हैं। वो कहती हैं कि बच्चे घर में रहते हैं तो क्या धंधा करेंगे।

साई के निदेशक विनय वाता कहते हैं कि कोरोना ने जैसे दूसरे व्यापार को प्रभावित किया है उसी तरह सेक्स वर्कर्स की जिंदगी पर भी असर हुआ है। लेकिन फर्क यह है कि बाकी जगहों पर लोगों की मदद की गई लेकिन इनके लिए आगे कोई नहीं आया।

यहां न तो सरकार ने मदद की न समाज के किसी दूसरे हिस्से ने। इन लोगों के पास आने वाले ग्राहकों ने भी इनकी सुध नहीं ली। वह कहते हैं कि पेट की भूख के आगे यहां की सेक्स वर्कर घर के अंदर तो नहीं रहेंगी। वह शाम को सड़कों पर उतर जाती हैं। कोरोना से बचाव के लिए सरकार को सामान देना चाहिए या फिर इनके खाने का इंतजाम करना चाहिए।

हम कमाठीपुरा की गलियों में गए तो देखा कि यहां न तो सैनिटाइजर है, न मास्क, न ऑक्सीमीटर और न ही थर्मामीटर। जिस तरह से सेक्स वर्कर सड़कों पर ग्राहक ढूंढ रही हैं, उस हिसाब से सोशल डिस्टेंसिंग मजाक की बात लग रही है।

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1. कोरोना से रेड लाइट एरिया में हुए बदलाव की कहानी / पुणे के बुधवार पेठ में टेम्परेचर चेक, मास्क, ग्लव्स, सैनिटाइजर जरूरी; कई तो ग्राहकों को नहला भी रहे हैं

2. रांची के सेक्स वर्कर्स की कहानी : जो इसी पेशे के बूते बच्चों की पढ़ाई के लोन, बूढ़ी मां का इलाज कराती थीं अब आर्थिक तंगी से जूझ रहीं

3. रेड लाइट इलाके से रिपोर्ट : कुछ ग्राहक आना शुरू हुए हैं, वो डरते हैं तो एनजीओ वाले आदमी ने जो सैनिटाइजर दिए हैं, उससे उनके हाथ साफ कर देते हैं



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Mumbai Sex Worker; Ground Report From Mumbai Red Light Area, Struggling amid COVID-19 crisis


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न वीडियो शूट करते आता था, न एडिट करते, रोटी बनाते हुए पहला वीडियो किया था अपलोड, अब हर माह कमाती हैं 60 से 70 हजार रुपए

ये बात मई 2017 की है। हरियाणा के दीवानी जिले के नौरंगाबाद गांव में रहने वाली बबीता परमार रोज की तरह चूल्हे पर रोटियां बना रहीं थीं लेकिन इस दिन एक नई चीज हो रही थी। देवर भाभी का रोटी बनाते हुए वीडियो बना रहा था। 10 हजार रुपए वाला फोन था। न वीडियो शूट करने का कोई नॉलेज था और न ही एडिटिंग का।

देवर रंजीत ने वीडियो शूट करके फिल्मोरा नाम के ऐप से मोबाइल से ही जैसे-तैसे वीडियो एडिट कर दिया और यूट्यूब पर अपलोड कर दिया। दो दिन बाद इस वीडियो पर दस लाख से ज्यादा व्यूज आ चुके थे। जिसने बबीता, रंजीत और पूरे घर को चौंका दिया था।

इसके बाद से शुरू हुआ बबीता परमार का सफर आज तक थमा नहीं। पिछले तीन साल में उन्होंने हर माह 60 से 70 हजार रुपए औसत कमाए। जानिए उनकी सफलता की कहानी, उनके देवर की जुबानी।

बबीता अब यूजर्स की डिमांड पर भी रेसिपी तैयार करने लगी हैं, लेकिन सबकुछ बनाती देसी तरीके से ही हैं।


रंजीत ने बताया कि मैंने यूट्यूब के बारे में बहुत सुना था लेकिन पहले हमको लगता था कि इस पर सिर्फ प्रोफेशनल लोग या कंपनियां ही वीडियो डाल सकती हैं। फिर लोगों ने बताया कि यूट्यूब पर कोई भी वीडियो अपलोड कर सकता है। मैं यूट्यूब पर खाने-पीने के वीडियो बहुत देखा करता था। भाभी को कुकिंग बहुत अच्छी आती है। मैंने उनसे कहा कि आपका कुकिंग करते हुए वीडियो बनाते हैं और यूट्यूब पर अपलोड करते हैं।

फिर हमने मई 2017 में सबसे पहले आटा गूंथने का एक वीडियो शूट किया। इसके जरिए हम बताना चाहते थे कि अच्छा आटा कैसे गूंथ सकते हैं। हालांकि, इस पर ज्यादा व्यूज नहीं आए। फिर उसी हफ्ते मैंने भाभी का रोटी बनाते हुए वीडियो शूट किया। उस समय मेरे पास कार्बन का 10 हजार रुपए वाला फोन था। न शूट करना आता था और न ही कोई दूसरे इक्विपमेंट थे। रोटी बनाने वाला वीडियो मैंने मोबाइल पर फिल्मोरा ऐप पर एडिट किया। यूट्यूब से ही इस ऐप के बारे में पता चला था।

यूट्यूब से अर्निंग के बाद बबीता ने मोबाइल, ट्राइपोड, लैपटॉप सब खरीद लिया।

एडिट करके वो वीडियो अपलोड कर दिया। दो दिन में ही उस पर एक मिलियन से ज्यादा व्यूज आ गए। इससे हमारा उत्साह बहुत ज्यादा बढ़ा। भाभी को भी बहुत खुशी हुई। फिर हम हर हफ्ते एक-एक दो-दो वीडियो बनाने लगे। पहले यही होता था कि भाभी रोजाना जो खाना बनाती थीं, मैं उसको शूट करके यूट्यूब पर डालता था। हमारा घर एकदम देसी है। चाय को छोड़कर सबकुछ चूल्हे पर ही बनता है। इसलिए वीडियो भी चूल्हे पर ही देसी तरीके से खाना बनाते हुए शूट करते थे।

बिना किसी प्रमोशन के हमारे वीडियो पर व्यूज आने लगे। 6 महीने बाद यूट्यूब ने खुद ही मेरे चैनल को मोनेटाइज कर दिया और मुझे अपने अकाउंट में पैसे भी दिखने लगे। लेकिन गांव के दोस्त कहते थे कि ये पैसे सिर्फ दिखते हैं, मिलते नहीं। लेकिन यूट्यूब ने कुछ महीनों बाद मेरे अकाउंट में 13,400 रुपए ट्रांसफर किए। ये पैसा आने के बाद हम लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। पूरे गांव में पता चल गया था कि हमें यूट्यूब से पैसा मिला है। घर में भी सब बहुत खुश थे।

देवर के साथ ही बबीता को पूरा परिवार वीडियो बनाने में मदद करता है। वे कहती हैं, मुझे पति का बहुत सपोर्ट मिला।

उसके बाद हमने हर महीने चार से पांच वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिए। क्योंकि मैंने यूट्यूब पर ही देखा था कि भले ही कम वीडियो अपलोड करो लेकिन फिर लगातार करो। जैसे महीने में भले ही पांच बार करो लेकिन फिर उस पांच में गेप मत होने दो। पहले वीडियो बनाने के बाद हमारे सामने सबसे बड़ी दिक्कत उसे अपलोड करने की थी क्योंकि गांव में नेटवर्क बड़ी मुश्किल से आता था। मैं छत से या खेत से वीडियो अपलोड करता था क्योंकि वहां नेटवर्क अच्छा आता था।

यूट्यूब से पैसे आना शुरू हुए तो मैंने घर पर वाईफाई लगवा लिया। कई बार हमें यूट्यूब से महीने के दो-दो लाख रुपए भी आए तो कई बार दस-बारह हजार भी आए। हालांकि, एवरेज देखें तो पिछले तीन साल में हर माह 60 से 70 हजार रुपए महीने का एवरेज निकलता है।

अब तो शूटिंग के लिए दो कैमरे खरीद लिए। लैपटॉप खरीद लिया। ट्राइपोड भी है। भाभी को भी शूट करते आ गया। जब मैं नहीं होता, तब वो खुद ही वीडियो शूट कर लेती हैं। अब मेरा प्लान घर की छत पर ही कुछ बनाने का है, लेकिन चैनल का कंटेंट हम देसी ही रखेंगे। यही हमारी यूएसपी है। अभी हमारे चैनल Indian Girl Babita's Village पर 4 लाख 22 हजार सब्सक्राइबर हैं, हमारा टारगेट 1 मिलियन सब्सक्राइबर जोड़ने का है।

आप भी यूट्यूब पर ऐसे बना सकते हैं खुद का चैनल

एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत करने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले आपके पास एक एक्टिव गूगल अकाउंट हो। अगर गूगल अकाउंट नहीं है, तो आप सबसे पहले गूगल अकाउंट बना लीजिए। यूट्यूब पर गूगल अकाउंट से साइन इन करने के बाद यूट्यूब चैनल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
स्टेप- 1

यूट्यूब पर जाकर राइट साइड पर यूट्यूब अकाउंट के थंबनेल इमेज पर क्लिक करें। इसके बाद 'क्रिएट ए चैनल' विकल्प को सिलेक्ट करें।

स्टेप-2

अब यूट्यूब चैनल का नाम डालें, चैनल के नाम के लिए बेहतर होगा कि आप किसी ऐसे नाम को चुनें जिससे यह स्पष्ट हो कि आपका चैनल किससे संबंधित है।

स्टेप-3

नाम सिलेक्ट करने के बाद आपको कैटेगरी सिलेक्ट करनी होगी यानी आप किस तरह का कंटेंट पोस्ट करेंगे। इसके बाद चेक बाॅक्स पर ओके का विकल्प क्लिक करना होगा। (क्लिक करने से पहले ध्यान से नियम व शर्तें पढ़ लें)

स्टेप-4

आपका यूट्यूब चैनल बन गया है। अब आप एक नए पेज पर रीडायरेक्ट हो जाएंगे, जहां आप अपने ब्रांड से जुड़ी तस्वीरें, बैकग्राउंड आर्ट, चैनल आइकन अपलोड कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने चैनल के बारे में मजेदार और यूनिक डिस्क्रिपशन डाल सकते हैं।

यहां आप वो सब कुछ शेयर कर सकते हैं, जिससे ये पता चलता है कि आपका यूट्यूब चैनल किस बारे में है और आप किस तरह के कंटेंट को कब पोस्ट करना चाहते हैं। इसके अलावा बिजनेस इन्क्वायरी के लिए आप ईमेल आईडी भी शेयर कर सकते हैं। इसके बाद आप अपने चैनल में वीडियो अपलोड के विकल्प को सिलेक्ट करके कोई भी वीडियो अपलोड कर सकते हैं।



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Bhabhi cooks on the stove, Devar makes videos, 60 to 70 thousand rupees every month from YouTube


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97 हजार छात्रों के कोरोना संक्रमित होने के बाद क्या अब 2021 में ही खुलेंगे स्कूल? पड़ताल में ये दावा फेक निकला

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि देश भर में 97 हजार छात्र कोविड-19 से संक्रमित हो गए हैं। इसको देखते हुए केंद्रीय शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि अब 2021 में ही स्कूल खोले जाएंगे। वायरल मैसेज के साथ न्यूज चैनल की खबर का बताकर एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जा रहा है।

और सच क्या है?

  • सबसे पहले हमने 97,000 छात्रों के कोविड-19 से संक्रमित होने वाले दावे की सत्यता जांचनी शुरू की। गूगल पर अलग-अलग की वर्ड सर्च करने पर कुछ मीडिया रिपोर्ट सामने आईं। जिनसे पता चलता है कि 97,000 छात्रों के कोरोना संक्रमित होने की बात सच है। लेकिन, यह मामला भारत का नहीं यूनाइटेड स्टेट्स का है।
  • वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि 97,000 छात्रों के कोरोना संक्रमित होने का आंकड़ा केंद्रीय शिक्षा विभाग ने जारी किया है। एमएचआरडी की ऑफिशियल वेबसाइट पर हमें ऐसा कोई अपडेट नहीं मिला। यहां तक कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी संक्रमित छात्रों की संख्या का अलग से कोई आंकड़ा जारी नहीं किया।
  • अब आते हैं 2021 से स्कूल खुलने वाले दावे पर। गृह मंत्रालय ने 29 अगस्त को अनलॉक-4 की गाइडलाइन जारी की थीं। इस गाइडलाइन के मुताबिक, 21 सितंबर से 9वीं से 12वीं के बच्चे टीचर्स से गाइडेंस लेने के लिए अपनी इच्छा से स्कूल जा सकेंगे।
  • दैनिक भास्कर वेबसाइट पर 21 सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 9वीं से 12वीं और हायर एजुकेशनल, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की पढ़ाई आंशिक तौर पर शुरू करने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दिया है।
  • यूट्यूब पर अलग-अलग की वर्ड सर्च करने से भी हमें ऐसा कोई न्यूज बुलेटिन नहीं मिला। जिसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। इन सबसे स्पष्ट है कि 2020 में स्कूल न खुलने का दावा झूठा है।


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Fact Check : After 97,000 students are infected, will schools across the country open in 2021? This claim was thrown out in the investigation


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सरदार पटेल ने तय किया था- कश्मीर भारत का हिस्सा बनेगा; 91 साल पहले लाहौर जेल में भूख हड़ताल के दौरान शहीद हुए थे जतिन दास

आज का इतिहास बेहद खास है। कश्मीर भारत में रहेगा या पाकिस्तान में जाएगा? इस प्रश्न का जवाब आज ही मिला था। 91 साल पहले 1929 में महान क्रांतिकारी भगत सिंह के साथी जतिन दास ने लाहौर जेल में भूख हड़ताल के दौरान दम तोड़ दिया था। वहीं, जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में आज ही के दिन प्रस्ताव दिया था कि 40 लाख हिंदुओं और मुसलमानों का पारस्परिक ट्रांसफर किया जाए।

सबसे पहले बात, कश्मीर की। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर भारत और पाकिस्तान आज भी आमने-सामने रहते हैं। लॉर्ड माउंटबेटन के राजनीतिक सलाहकार रहे वीपी मेनन की किताब 'इंटिग्रेशन ऑफ द इंडिया स्टेट्स' में लिखा है कि भारत की आजादी से दो महीने पहले तक लॉर्ड माउंटबेटन ने कश्मीर के राजा महाराजा हरी सिंह से कहा था कि यदि वे पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला करते हैं, तो भारत कोई दखल नहीं देगा।

वहीं, सरदार पटेल के राजनीतिक सचिव रहे वी. शंकर ने "माय रेमिनिसेंसेज ऑफ सरदार पटेल' में लिखा, '13 सितंबर 1947 की सुबह पटेल ने रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को चिट्ठी लिखी कि कश्मीर चाहे तो पाकिस्तान में शामिल हो सकता है। हालांकि, उसी दिन पटेल को जब पता चला कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ के विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है, तो वे भड़क गए।

उनका कहना था कि यदि पाकिस्तान, हिंदू बहुल आबादी वाले मुस्लिम शासक के जूनागढ़ को अपना हिस्सा बना सकता है तो भारत, मुस्लिम बहुल आबादी वाले हिंदू शासक के कश्मीर को क्यों नहीं ले सकता? उस दिन से कश्मीर पटेल की प्राथमिकता बन गया था। खैर, आज की हकीकत यह है कि जूनागढ़ और कश्मीर भारत के पास है। कश्मीर के कुछ हिस्से पर जरूर पाकिस्तान का कब्जा है।

सरदार पटेल के आदेश पर हैदराबाद में सेना घुसी थी

ऑपरेशन पोलो के बाद हैदराबाद के आखिरी निजाम 25 दिसंबर 1949 को प्रधानमंत्री नेहरू और मिलिट्री गवर्नर मेजर जनरल जयंतो चौधरी के साथ निजाम के किंग कोठी पैलेस में ।

आजादी के बाद जूनागढ़ और कश्मीर के साथ-साथ एक और पेंच था हैदराबाद का। हैदराबाद का निजाम स्वतंत्रता चाहता था। उसने पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपए का कर्जा भी दिया था। लेकिन, सरदार पटेल चाहते थे कि हैदराबाद का भारत में विलय हो। ऊपर से निजाम ने संयुक्त राष्ट्र जाने की धमकी भी दे रखी थी। सरदार पटेल के आदेश पर 13 से 18 सितंबर 1948 तक ऑपरेशन पोलो चला।

13 सितंबर को 36 हजार भारतीय सैनिक हैदराबाद में पश्चिम, दक्षिण और उत्तर से घुसे थे। भारत ने इसे पुलिस एक्शन कहा ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगे कि यह भारत का अंदरुनी मसला है। 18 सितंबर तक निजाम भारत में हैदराबाद के विलय के लिए राजी हो गया था।

जतिंद्र नाथ दास ने आजादी के लिए दे दी जान

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को हम शहीद दिवस के तौर पर याद करते हैं। लेकिन, उनके ही साथी थे- जतिंद्र नाथ दास, जिन्हें जतिन दा भी कहा जाता था। 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्र नाथ 16 साल की उम्र में ही आजादी के आंदोलन से जुड़ गए थे। दक्षिणेश्वर बम कांड और काकोरी कांड के सिलसिले में 1925 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

सबूत नहीं थे, इस वजह से मुकदमा नहीं चला, पर उन्हें नजरबंद रखा गया। लाहौर असेंबली में बम फेंकने के मामले में भगत सिंह के साथियों के साथ ही जतिन दा भी पकड़े गए थे। जेल में अव्यवस्था के खिलाफ क्रांतिकारियों ने जतिन दा के नेतृत्व में 13 जुलाई 1929 को अनशन शुरू किया। उनका अनशन खत्म करने की हर कोशिश की गई, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।

हड़ताल के 63वें दिन जतिन दास के कहने पर एक साथी ने ‘एकला चलो रे’ और फिर ‘वन्दे मातरम्’ गाया। यह गीत पूरा होते ही जतिन दा ने 13 सितंबर 1929 को सिर्फ 24 साल की उम्र में दुनिया से विदा ले ली।

इतिहास में आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है-

  • 1791: फ्रांस के राजा लुई 14वें ने नया संविधान लागू किया।
  • 1882: एंग्लो-मिस्र युद्ध: तेल अल केबिर की लड़ाई लड़ी गई।
  • 1914ः प्रथम विश्व युद्ध: जर्मनी और फ्रांस के बीच एस्ने की लड़ाई शुरू हुई।
  • 1922: लिबिया के एल अजिजिया में धरती पर उच्चतम तापमान दर्ज किया गया। उस समय छाया में नापा गया तापमान 58 डिग्री सेल्सियस था।
  • 1923: स्पेन में सैन्य तख्ता पलट। मिगेल डे प्रिमो रिवेरा ने सत्ता संभाली और तानाशाह सरकार की स्थापना की। ट्रेड यूनियनों को 10 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • 1947: भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने 40 लाख हिंदूओं और मुसलमानों के पारस्परिक स्थानांतरण का सुझाव दिया।
  • 1948ः उप-प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने सेना को हैदराबाद में घुसकर कार्रवाई करने का आदेश दिया। हैदराबाद के भारत में विलय का आदेश दिया।
  • 2000: भारत के विश्वनाथन आनंद ने शेनयांन में पहला फ़िडे शतरंज विश्व कप जीता।
  • 2002: इजरायल ने फिलिस्तीन अधिकृत गाजा पट्टी पर हमला किया।
  • 2007: नासा के वैज्ञानिकों ने बृहस्‍पति से तीन गुना बड़े ग्रह का पता लगाया।
  • 2008: दिल्ली में तीन स्थानों पर 30 मिनट के अंतराल पर चार बम विस्फोट हुए। इनमें 19 लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल।
  • 2009: चन्द्रमा पर बर्फ खोजने का इसरो-नासा का अभियान असफल हुआ।
  • 2013: तालिबान आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के हेरात में अमेरिका के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया।


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Sardar Patel had decided that Kashmir would become a part of India; Jatin Das was martyred during a hunger strike in Lahore jail 91 years ago


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आज होगी NEET, रिया के बाद कंगना भी ड्रग्स केस की जांच के घेरे में; वर्चुअल प्रचार में शाह से आगे निकले नीतीश

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में शुरू हुई ड्रग्स कंट्रोवर्सी उलझती जा रही है। सचिन पायलट ने एक बार फिर अशोक गहलोत के नाम चिट्‌ठी लिखी है। टाटा संस और शापूरजी पालनजी ग्रुप भी आमने-सामने हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन 4 इवेंट्स पर रहेगी नजर

1. मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट के लिए NEET-UG 2020 की परीक्षा होगी। इसमें करीब 15 लाख स्टूडेंट्स शामिल होंगे। हेल्थ मिनिस्ट्री ने इसे लेकर एसओपी जारी की है।

2. प्रधानमंत्री मोदी बिहार के लिए 900 करोड़ रुपए की 3 योजनाओं का वर्चुअल शिलान्यास करेंगे। ये योजनाएं ऑयल पाइपलाइन और एलपीजी से जुड़ी हैं।

3. इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के बीच 3 वनडे की सीरीज का दूसरा मैच मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेला जाएगा। ऑस्ट्रेलिया ने पहला वनडे 19 रन से जीता था।

4. टेनिस ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन के मेन्स सिंगल्स फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रिया के वर्ल्ड नंबर-3 डोमिनिक थिएम और जर्मनी के वर्ल्ड नंबर-7 एलेक्जेंडर ज्वेरेव आमने-सामने होंगे।

अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें

1. पायलट की चिट्‌ठी गहलोत के नाम

कांग्रेस में बगावत के बाद वापसी कर चुके सचिन पायलट ने एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत को चिट्‌ठी लिखी है। करीब 10 दिन पहले लिखी गई इस चिट्‌ठी में पायलट ने गहलोत को 2018 के चुनावी वादे की याद दिलायी है। इसमें उन्होंने नौकरियों में गुर्जर समेत 5 जातियों को 5% आरक्षण नहीं मिलने का मुद्दा उठाया है। -पढ़ें पूरी खबर

2. कंगना के खिलाफ शुरू हुई जांच

मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल ने कंगना के खिलाफ भी ड्रग्स मामले की जांच शुरू कर दी है। इस पर कंगना ने ट्विटर पर सोमनाथ मंदिर की फोटो पोस्ट कर दी। लिखा, "क्रूरता-अन्याय कितने भी शक्तिशाली हों, जीत भक्ति की होती है, हर हर महादेव।" -पढ़ें पूरी खबर

3. पंखे और बिस्तर के बिना कट रही रिया की रातें

ड्रग्स केस में गिरफ्तार रिया को जेल में टेबल फैन मिल जाएगा। कोर्ट ने इजाजत दी है। रिया की पिछली 3 रातें पंखे-बिस्तर के बिना ही गुजरीं। फिलहाल रिया को कंबल और चादर दी गई है। इस बीच, ड्रग्स मामले में एनसीबी ने 2 लोगों को हिरासत में लिया है। -पढ़ें पूरी खबर

4. बिहार में वर्चुअल प्रचार, शाह से आगे निकले नीतीश

बिहार विधानसभा चुनाव में वर्चुअल प्रचार हावी है। गृह मंत्री अमित शाह ने 7 जून को वर्चुअल जन-संवाद किया था, जिसे अब तक 39 लाख स्क्रीन पर देखा गया। वहीं, 7 सितंबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का ‘निश्चय-संवाद’ लाइव ही 44.14 लाख स्क्रीन पर देखा गया। -पढ़ें पूरी खबर

5. टाटा संस के 2% शेयर गिरवी रखना चाहता है शापूरजी ग्रुप

टाटा संस और शापूरजी पालनजी ग्रुप एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। शापूरजी ग्रुप कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट बिजनेस में नकदी के लिए टाटा संस के 2% शेयर गिरवी रखना चाहता है। इससे उसे 11 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसके खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। -पढ़ें पूरी खबर

6. किम जोंग ने अफसरों को दी मौत की सजा

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपने पांच अफसरों को मौत की सजा दे दी। अधिकारियों ने देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाए थे। हाल ही में किम जोंग ने कोरोना की रोकथाम के लिए चीन से आने वालों को गोली मारने का आदेश दिया था। -पढ़ें पूरी खबर

7. 37% तक लुढ़कने के बाद भी रिकवर कर रहे हैं स्टॉक मार्केट

सेंसेक्स और निफ्टी-50 ही नहीं, बल्कि अमेरिका के डाउ जोंस इंडस्ट्रियल इंडेक्स और एसएंडपी 500 इंडेक्स भी 37% तक की गिरावट के बाद 6 महीने में ही अपने पुराने स्तर पर लौट रहे हैं। दूसरी ओर, 7 अगस्त को 56 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंचने के बाद सोना लगातार फिसल रहा है। -पढ़ें पूरी खबर

अब 13 सितंबर का इतिहास

1929: लाहौर जेल में भूख हड़ताल के 63 दिनों के बाद जतिन दास की मौत हो गई।

2002: इजरायल ने फिलिस्तीन अधिकृत गाजा पट्टी पर हमला किया।

2008: दिल्ली में तीन जगहों पर 30 मिनट के दरमियान 4 बम ब्लास्ट हुए। इनमें 19 लोगों की मौत और 90 से ज्यादा घायल हुए।

जाते-जाते जिक्र देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का। उन्होंने 1948 में आज ही के दिन भारतीय सेना को हैदराबाद में घुसकर कार्रवाई करने और उसे भारतीय संघ के साथ मिलाने का आदेश दिया था।



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Today will be NEET, after Riya Kangana is also under investigation for drugs case; Nitish overtakes Shah in virtual publicity


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Friday, September 11, 2020

DNA ANALYSIS: सुशांत को ड्रग एडिक्ट साबित करने के लिए सबूत तैयार कर रही थीं रिया चक्रवर्ती?

सच में बहुत ताकत होती है और जब ये सामने आता है तो इसकी चमक पूरी दुनिया को महसूस होती है. पिछले 3 दिन में हमने सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती के 3 वीडियो दिखाए. ये वीडियो इससे पहले किसी ने नहीं देखे थे. इन वीडियो को दिखाने का परिणाम ये हुआ कि रिया चक्रवर्ती की जमानत याचिका मुंबई की अदालत में खारिज हो गई. 

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Exclusive: रिया की ड्रग्स स्टोरी के '5 नशेबाज'! सबसे बड़ा नाम 'सारा अली खान'

सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) मौत केस में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) ड्रग्स मामले में मुंबई की भायखला जेल में 14 दिन की जुडीशियल कस्टडी में हैं. जमानत लेने के लिए रिया चक्रवर्ती ने कोर्ट के सामने कहा कि वो ड्रग्स नहीं लेतीं.

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चीन से युद्ध दूर की संभावना; अच्छी बात यह है कि राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संपर्क अभी टूटा नहीं

‘युद्धम् प्रज्ञा’ ऐसा सिद्धांत है, जिसका पालन करने के लिए अनेक बार भारतीय बलों को कहा जाता है। इसका अर्थ है कि ‘बुद्धि से युद्ध’ करें और विशेष रूप से यह भविष्य के लीडरों से दो बातें कहता है। पहला यह कि आपका इतना बुद्धिमान होना जरूरी है कि आप युद्ध की भयावहता को समझते हों और दूसरा युद्ध का सहारा तभी लेना चाहिए जब आपके पास इसे समझने और अभियोजन की बुद्धि हो।

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले चार महीनों से गतिरोध जारी है और पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से लोग भारत और चीन के बीच युद्ध की आशंका से चिंतित हैं। इन हालात में हवाओं में कट्‌टर राष्ट्रवाद हावी रहेगा, इसके साथ ही यह भी याद रखना चाहिए कि दोनों ओर पर्याप्त नीतिज्ञ हैं, जो जानते हैं कि युद्ध कुछ ऐसी चीज है जो परिणाम की गारंटी नहीं देता।

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा पिछले दिनों अचानक से किए हमले के बाद अगस्त के अंत में भारतीय सेना ने चतुराई से चीन को झटका दे दिया है। उसने अप्रत्याशित मोर्चा खोलते हुए पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिण में कैलाश रेंज में प्रभुत्व वाली जगहों पर कब्जा कर लिया, ताकि कुछ बढ़त हासिल हो। इससे एक तो चुशूल बाउल में गहराई हासिल हुई यानी सैन्य भाषा में पीएलए को चुशूल में किसी भी तरह की कोशिश से पहले कैलाश रेंज में लड़ना होगा।

दूसरे इससे सपंगगुर गैप, सपंगगुर झील और पीएलए के मोल्डो गैरीसन में स्पष्ट और बिना बाधा के प्रभुत्व मिला है। ये वे जगहें हैं, जहां से पीएलए को चुशूल के लिए आगे बढ़ना होता है। तीसरे इसने पीएलए को किसी जवाबी प्रहार की बजाय हमारी मौजूदा ताकत पर फोकस करने के लिए मजबूर कर दिया है। असैनिक लोग सोच सकते हैं कि भारत ने मई-जून 2020 में इस कदम को क्यों नहीं उठाया? उस समय ऐसा न करने का संभवतया मूल सैन्य औचित्य था। क्योंकि एलएसी सिर्फ बोधात्मक है और यहां पर किसी भी तरह मौजूदगी अस्वीकार्य है।

कैलाश रेंज की पहाड़ियां दोनों ही पक्षों द्वारा खाली छोड़ी जाती रही हैं। मई-जून में हमारे द्वारा यहां पर अचानक कब्जा करने से चुशूल जैसे गंभीर क्षेत्र में पीएलए की ओर से प्रत्युत्तर दिया जा सकता था, जबकि हम तब असंतुलित थे। याद करें कि अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के मामले में तब पीएलए को हम पर बढ़त थी।

जून-जुलाई में लद्दाख में अतिरिक्त सेनाएं भेजने के बाद भारत अधिक संतुलित है और पीएलए के किसी भी कदम का जवाब देने की स्थिति में है। यह आकलन भी उतना ही अहम है कि पीएलए ने मई-जून में रेचिन ला या हेलमेट टॉप पर कब्जे के अवसर को क्यों छोड़ दिया।

मेरा मानना यह है सुपीरियटी कॉम्पलेक्स की वजह से पीएलए को लगता था कि भारतीय सेना कभी भी प्रो-एक्टिव रवैया अपनाकर उन चोटियों पर कब्जा नहीं कर सकती, जिसको करने में उसे डर महसूस होता था। चुशूल ऐसी संवेदनशील लोकेशन है कि शायद पीएलए ठहरी रहेगी और कुछ भी बाद में तब करेगी, जब उसे चुशूल बाउल और उसके आसपास भारतीय सेनाएं और मशीनी उपकरण नजर आएंगे। हमने उन्हें अच्छी चेतावनी के साथ हराया है।

मीडिया एंकर सवाल कर रहे हैं कि क्या भारत अब बढ़त में है और क्या कैलाश रेंज में कोई जवाबी हमला हो सकता है? जो कुछ भी होगा देखेंगे। जवाबी हमले की आशंका सही हो सकती है। यह बिना किसी वजह के भी हो सकता है। कमांडरों के अवसाद से उभरे हालात में एक निचले स्तर के हमले की उम्मीद की जा सकती है।

रणनीतिक रूप से भारतीय सेनाओं द्वारा हासिल की गई चोटियों और इस मामले में मैकेनाइज्ड उपकरणों से दी गई मजबूती के बाद इन्हें बिना तोपखाने, वायुसेना, रॉकेट और मिसाइलों का इस्तेमाल किए बिना खाली कराना मुश्किल है।

इस सबका मतलब युद्ध होगा और भारत भी किसी कार्रवाई के लिए तैयार है। क्या चीन इस विकल्प को अपनाना चाहेगा? अभी न तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन की कहानी को वजन मिल रहा है और न ही इसकी गारंटी है कि पीएलए के पास एक छोटे युद्ध में भारत को हराने की क्षमता है। यह एक खतरा है। उद्देश्य हासिल नहीं हुआ तो इसका अर्थ चीन की परोक्ष हार होगी और अक्टूबर 2020 में होने वाली सेंट्रल कमेटी की पूर्ण बैठक से पूर्व शी जिनपिंग इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।

परंपरागत बुद्धि कहती है कि अक्टूबर-नवंबर में युद्ध जैसे हालात होंगे और उसके बाद सर्दी शुरू हो जाएगी। इसलिए दोनों ओर से युद्ध टालने वाले वार्ताकारों के पास एक महीना या उससे कुछ अधिक समय है। इस सबके बीच सकारात्मक यह है कि राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संपर्क अभी टूटा नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में मिल सकते हैं और इससे कोई परिणाम निकल सकता है।

चीन सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया के तीखे स्वरों से हमें प्रभावित नहीं होना है। यह सूचना युद्ध का हिस्सा है। मेरे विचार में दक्षिण पैंगॉन्ग त्सो के सूची में शामिल होने से यथास्थिति की आड़ कुछ जटिल हो गई है। झड़पें होती रहेंगी, लेकिन युद्ध दूर की संभावना है, हालांकि विकल्प खुले रहेंगे। कैसे और कब यह संभावना घटित होगी, इसे हमारी बुद्धिमानी पर छोड़ देना चाहिए। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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लेफ्टि. जनरल एसए हसनैन (कश्मीर में 15वीं कोर के पूर्व कमांडर)।


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सही कार्यक्रम के चयन से ऑनलाइन पढ़ाई छात्र और गार्जियन दोनों के ही लिए एक वरदान हो सकती है

देशभर में निजी ट्यूशन बाजार के आमतौर पर बिखरे होने से ऑनलाइन ट्यूशन की अवधारणा काफी लोकप्रिय हो रही है। आज विद्यार्थी स्क्रीन से सीखने के अभ्यस्त हो रहे हैं और इंटरनेट के लोकतंत्रीकरण ने तकनीक आधारित पढ़ाई को केंद्र में ला दिया है। हालांकि, अनेक अभिभावक और विद्यार्थी अब भी आशंकित हैं कि ऑनलाइन ट्यूशन से उन्हें कैसे लाभ हो सकता है और यह उन्हें किस तरह बेहतर सीखने में मदद कर सकता है।

महामारी की वजह से सभी तरह की कक्षाएं बंद हो गई हैं और ऐसे में अभिभावक व विद्यार्थी दोनों ही एक विश्वसनीय होम-लर्निंग समाधान की कमी महसूस कर रहे हैं। ऑनलाइन ट्यूशन को लेकर सभी तरह के मिथकों को दरकिनार करने की जरूरत है। ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कुछ बड़ी गलतफहमियां ये हैं:

विद्यार्थियों को मार्गदर्शन की दिक्कत

ऑनलाइन ट्यूशन को लेकर अभिभावकों की सबसे आम दिक्कत यह है कि इससे उनके बच्चों को आवश्यक मार्गदर्शन नहीं मिल पाएगा। अभिभावक और विद्यार्थी आज विशेष तौर पर तैयार मेंटरिंग कार्यक्रम चुन सकते हैं, जो विद्यार्थी की व्यक्तिगत जरूरत को पूरा करते हैं। इससे विद्यार्थियों की एक व्यक्तिगत मेंटर तक पहुंच होती है, जो उसे शैक्षिक तौर पर सही दिशा में ले जाता है। ऑनलाइन पढ़ाई कार्यक्रमों में हरेक विद्यार्थी पर एक मेंटर द्वारा प्रभावी ध्यान दिया जाता है, जो उसे उसकी पूरी सीखने की प्रक्रिया में मार्गदर्शन देता है। इसके अलावा वह नियमित तौर पर अभिभावकों से बातचीत करता है और उन्हें उनके बच्चे की प्रगति से अवगत कराता है।

बच्चों के संदेह दूर नहीं होते

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर जो एक और गलतफहमी है, वह है कि विद्यार्थियों को आवश्यक समर्थन नहीं मिलता और बच्चों के अनेक सवाल अनुत्तरित ही रह जाते हैं। हकीकत में ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म में कई ऐसे फीचर होते हैं जो अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत पहुंच के साथ वास्तविक कक्षा की नकल होते हैं।

अच्छी ऑनलाइन कक्षाओं में हर सत्र का नेतृत्व एक ‘मास्टर शिक्षक’ द्वारा किया जाता है और सत्र में शामिल हर विद्यार्थी को कक्षा के दौरान या कक्षा के बाद रियल टाइम में एक सर्टिफाइड विशेषज्ञ शिक्षक द्वारा सहयोग किया जाता है, जो उसके सभी संदेहों को दूर करता है। इस तरह से बच्चों के संदेहों को दूर करने के लिए बनी ‘लाइव डाउटसॉलविंग’ व्यवस्था से ऑनलाइन पढ़ाई को विद्यार्थियों के लिए एक बाधारहित अनुभव बनाया जा सकता है।

विद्यार्थी फीडबैक की कमी का सामना करते हैं

अभिभावकों की ऑनलाइन शिक्षा को लेकर यह चिंता रहती है कि विद्यार्थी नियमित तौर पर फीडबैक हासिल नहीं कर पाते हैं और उन्हें उनके प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है। आज ऑनलाइन कक्षाओं में ऐसे अनेक फीचर हैं, जो इन धारणाओं को खत्म करते हैं।

अच्छे ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रमों में विद्यार्थियों को उनके मेंटरों द्वारा समय पर फीडबैक दिया जाता है और ये मेंटर उनकी प्रगति पर बहुत ही करीब से नजर रखते हैं। मेंटर अभिभावकों के भी नियमित संपर्क में रहते हैं और उनके बच्चे की प्रगति पर चर्चा करते हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों को नियमित काम दिया जाता है, मासिक टेस्ट के साथ ही त्रैमासिक मॉक टेस्ट भी कराए जाते हैं, ताकि वे परीक्षा के लिए तैयार हो सकें और उन्हें स्कूल के बाद एक सीखने का पूर्ण अनुभव हो।

स्क्रीन से सीखना प्रभावहीन है

आज का विद्यार्थी डिजिटल युग में पैदा हुआ है और वे स्क्रीन से सीखने के अभ्यस्त हैं। असल में वे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विजुअल लर्निंग से ज्यादा तेजी से सीखते हैं। ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रम ज्यादा व्यक्तिगत होने के साथ ही हरेक विद्यार्थी पर फोकस करते हैं। अच्छे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में हर विद्यार्थी हर सत्र में पहली पंक्ति में ही बैठता है। जहां तक ध्यान भटकने का सवाल है तो यह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन कक्षा, दोनों में ही हो सकता है। लेकिन, ऑनलाइन कक्षा में ऐसा होने की संभावना काफी कम होती है।

अभिभावकों की एक और चिंता है कि ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रमों से उनके बच्चे डिजिटल उपकरणों पर अनावश्यक समय व्यतीत करते हैं। हकीकत में अच्छे ऑनलाइन प्लेटफार्म की कक्षाएं इतनी सावधानी से तैयार की जाती हैं कि बच्चे हर सप्ताह गणित और विज्ञान की चार कक्षाएं ही लें। इन चार में से एक कक्षा पूरी तरह से व्यक्तिगत होती है, जहां पर विद्यार्थी अपनी सीखने की गति और सुविधा से यह चुन सकता है कि वह क्या पढ़ना या दोहराना चाहता है।

एक सही कार्यक्रम के चयन से ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों और अभिभावकों दोनों के ही लिए एक वरदान हो सकती है। ज्यादातर अच्छी ऑनलाइन कक्षाएं चौथी से 12वीं तक उपलब्ध हैं। इनमें से कई जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कराती हैं। इनके बारे में अधिक जानकारी इनके ई-लर्निंग ऐप से भी हासिल हो सकती है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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बायजू रवींद्रन, लर्निंग एप Byju’s के संस्थापक और सीईओ।


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नेहा कक्कड़ पार्टी में दोस्तों के साथ झूमती हुईं आईं नजर, Video हुआ वायरल

बॉलीवुड की सिंगिंग क्वीन नेहा कक्कड़ की आवाज का हर कोई दीवाना है. नेहा...

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DCGI ने सीरम इंस्‍टीट्यूट में क्लीनिकल परीक्षण के लिये नए उम्मीदवारों की भर्ती पर अगले आदेश तक लगाया रोक

भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भारतीय सीरम संस्थान से कहा है कि वह...

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Visva Bharati Vice-Chancellor Apologises For ''Tagore An Outsider'' Remark

Under fire from various quarters for his comment that Rabindranath Tagore was "an outsider" in Shantiniketan, Visva Bharati Vice-Chancellor Prof Bidyut Chakraborty on Friday apologised for the comment...

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India's COVID-19 Count Over 45.60 Lakh With Record 96,551 New cases

With the highest single-day spike of 96,551 new cases, India's COVID-19 count crossed the 45-lakh mark on Friday.

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Court Notice To AR Rahman Over Plea Alleging Tax Evasion

The Madras High Court on Friday issued notice to music composer A R Rahman on a petition filed by the Income Tax department alleging that he used a foundation in which he is the managing trustee as a...

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मुंंबई में रिटायर्ड नेवी अफसर की बेरहमी से पिटाई, सभी आरोपी शिवसैनिक गिरफ्तार

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) समेत बीजेपी के कई नेताओं ने इस पूरे मामले पर खेद जताया वहीं अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी इस पूरे मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी,कंगना ने कहा, महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार का आतंक और अत्याचार दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहा है.

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80 नई स्पेशल ट्रेनें आज से चलेंगी; कंगना-शिवसेना विवाद में अब दाऊद का भी जिक्र और रिया से जुड़े ड्रग्स केस में नए दावे

लगातार 4 दिन से भारत-चीन, कंगना रनोत और रिया चक्रवर्ती का मामला सुर्खियों में है। बॉर्डर पर तनाव के बीच चीन से बातचीत भी चल रही है। कंगना बनाम शिवसेना मामले में राजनीतिक बयानबाजी जारी है और रिया से जुड़े ड्रग्स केस में नए खुलासे हो रहे हैं। तो चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन 4 इवेंट्स पर रहेगी नजर

1. 80 नई स्पेशल ट्रेनें आज से चलेंगी। ये 19 राज्यों के 38 शहरों में कनेक्टिविटी देंगी। इनमें राजस्थान-मध्यप्रदेश के 9 शहर शामिल हैं। (देखें पूरी लिस्ट)

2. दिल्ली में रहने वालों के लिए अच्छी खबर है। आज से सभी लाइनों पर सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक मेट्रो मिलेगी। इसी के साथ एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन भी शुरू होगी, जो नई दिल्ली से इंटरनेशनल एयरपोर्ट होते हुए द्वारका सेक्टर 21 तक जाती है।

3. अरुणाचल प्रदेश से लापता हुए 5 युवकों को चीन भारत को लौटाएगा। ये युवक 6 सितंबर को गलती से चीन की सीमा में पहुंच गए थे।

4. प्रधानमंत्री मोदी मध्य प्रदेश में होने वाले ‘गृह प्रवेशम्' कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे। इसमें वे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए 1.75 लाख घरों का उद्घाटन करेंगे।

अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें

1. कंगना बोलीं- टूटे ऑफिस में काम करेंगी, दोबारा बनवाने के पैसे नहीं

कंगना का कहना है कि उनके पास दोबारा ऑफिस बनवाने के पैसे नहीं हैं और वे टूटे ऑफिस में ही काम करेंगी। वैसे उनका दफ्तर टूटने से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी खफा हैं। उन्होंने कहा है कि दाऊद इब्राहिम का घर नहीं तोड़ा जाता, जबकि कंगना का घर तोड़ दिया जाता है। उधर, राकांपा प्रमुख पवार ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है। -पढ़ें पूरी खबर

2. 90 साल की दुष्कर्म पीड़िता की कहानी

दक्षिणी दिल्ली के बाहरी इलाके के गांव में एक अजीब सी उदासी है। यहां 90 साल की महिला से दुष्कर्म हुआ। अपराधी जेल में है मगर पीड़िता के मन में गुस्सा तो इलाके की महिलाओं में दहशत का माहौल है। फिर भी हिम्मत बटोरकर बुजुर्ग पीड़िता कहती हैं, 'उस दरिंदे को फांसी टूटेगी तो मुझे सब्र आएगा।' -पढ़ें पूरी खबर

3. चीनी मीडिया ने दी भारत को धमकी

रूस में भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई, लेकिन चीन अपने सरकारी मीडिया के जरिए भारत को धमका रहा है। द ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अगर भारतीय सेना लद्दाख की पैंगॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी हिस्से से नहीं हटती है, तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पूरे ठंड के मौसम में वहीं जमी रहेगी। अगर जंग हुई, तो भारतीय सेना जल्दी ही हथियार डाल देगी। -पढ़ें पूरी खबर

4. भारत-चीन सीमा: तीन रातों से लेह शहर नींद पूरी नहीं कर पाया

यह कहानी उस लेह शहर की है जो हवा में उड़ते फाइटर जेट की आवाज के बीच तीन रातों से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाया है। 29 अगस्त की रात भारत और चीन की सेना के बीच झड़प के बाद से सरहदी इलाकों के गांवों में मोबाइल फोन बंद है। खैर-खबर देने को बस कम्युनिटी सैटेलाइट फोन चालू हैं। -पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

5. रिया चक्रवर्ती जेल में ही रहेंगी

रिया चक्रवर्ती को 22 सितंबर तक जेल में रहना होगा। शुक्रवार को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि ड्रग्स मुहैया करवाना गंभीर अपराध है और इसकी जांच की जरूरत है। सुशांत मामले में ड्रग्स एंगल सामने आने के बाद रिया को गिरफ्तार किया गया है। -पढ़ें पूरी खबर

6. सलाद बेचकर हर महीने लाख रुपए कमाने वाली महिला की कहानी

यह कहानी पुणे की मेघा के स्टार्टअप की है। वे सलाद बेचकर हर महीने एक लाख रुपए कमा लेती हैं। उन्होंने 3 हजार रुपए से काम शुरू किया था। पहले दिन उन्हें 5 ऑर्डर मिले थे। तीसरे हफ्ते में 50 ऑर्डर हर दिन मिलने लगे। 2017 में घर से शुरू किया था काम। चार साल में कमाए 22 लाख रुपए। -पढ़ें पूरी खबर

7. कोरोना वैक्सीन से जुड़ी बातें

ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन के ट्रायल्स थमने के बाद भी एस्ट्राजेनेका ने दावा किया है कि उसका वैक्सीन इसी साल आएगा। वहीं, रूस ने कहा है कि उसका वैक्सीन स्पूतनिक-वी दुनियाभर में 100 करोड़ से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा। उधर, चीन ने अपने पहले नैजल स्प्रे वैक्सीन को ट्रायल्स की मंजूरी दे दी है। इसके फेज-1 के क्लिनिकल ट्रायल्स नवंबर में शुरू होंगे। -पढ़ें पूरी खबर

अब 12 सितंबर का इतिहास

1873: पहला टाइपराइटर ग्राहकों को बेचा गया।

1944: अमेरिकी सेना ने पहली बार जर्मनी में प्रवेश किया।

1959: छह बार के प्रयासों के बाद रूस लूना-2 को चांद पर उतारने में सफल रहा।

2001: अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान किया।

1971 में आज ही के दिन शंकर-जयकिशन की मशहूर जोड़ी के एक संगीतकार जयकिशन का निधन हुआ था। शंकर-जयकिशन की जोड़ी द्वारा संगीतबद्ध और शैलेंद्र द्वारा रचित इस गीत की कुछ लाइनें...



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80 new special trains will run from today; Dawood also mentioned in Kangana-Shiv Sena controversy and new claims in Riya related drugs case


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