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Saturday, October 31, 2020

...गोया औरत का गर्भ न हुआ, सुलभ शौचालय की दीवार हो गई, जहां जब मन आए, आप फारिग हो जाएं

पिछले दिनों एक फैमिली कोर्ट में अजीबोगरीब मामला आया। इसमें 40 साल की होने को आई एक पत्नी ने मां बनने का हक मांगा। पति का तर्क था कि पत्नी उसे पर्याप्त इज्जत नहीं देती, लिहाजा वो साथ नहीं देगा। पत्नी ने हारकर आईवीएफ यानी कृत्रिम तरीके से मां बनने पर सहमति चाही लेकिन पति अपने शुक्राणु देने को राजी नहीं। उल्टा उसने अपनी बीवी पर सवालों का तमंचा तान दिया और खुद नौकरी छोड़कर उससे गुजारा भत्ता मांग रहा है। इरादा साफ है। कोर्ट के फेरे लगाते हुए पत्नी का गर्भाशय जर्जर हो जाए और वो कभी मां न बन सके। मिन्नतें करें वो अपनी जिंदगी के जागीरदार बन बैठे उस मर्द से।

अफसोस। मां बनने की इच्छा रखने वाली औरत को मां न बनने देकर मर्द उसे सजा दे पाता है। या फिर इसके ठीक उलट औरत को तब तक प्रेग्नेंट करता रहता है, जब तक उसका गर्भाशय आटे की पुरानी बोरी जैसा बेडौल और कमजोर न हो जाए। असल में सारा मसला औरत के इसी अंग-विशेष से जुड़ा हुआ है। बच्ची मां के गर्भ से बाहर आई नहीं कि उसे मां बनने के लिए तैयार करने की कवायद शुरू हो जाती है। खेलने के लिए उसे गुड़िया मिलती है ताकि उसकी देखरेख के बहाने बच्ची रतजगे की आदत डाल ले। बच्चे के जन्म में आधे हिस्सेदार रहे पति या तो बगल के कमरे में नींद पूरी कर रहे होंगे। या फिर नए जमाने के हुए तो बाजू में आधी नींद में मां-बच्चे पर कुड़कुड़ा रहे होंगे।

किस्सा यहीं खत्म नहीं होता, मेडिकल साइंस भी पुरुष-सत्ता को सहेजने का कोई मौका नहीं छोड़ता। वो बताता है कि मां बनने के कितने दिनों बाद औरत का शरीर दोबारा यौन संबंध बनाने को तैयार हो जाता है। कितने दिनों बाद औरत का मन राजी होगा, इसपर कोई बात नहीं होती।

रेप की धमकी भी तो आखिरकार मर्द इस गर्भाशय के चलते दे पाते हैं। कहीं की न छोड़ने का ये प्रण मर्दों ने इतना पक्का कर रखा है कि सड़क पर बिखरे बाल और कपड़ों में अनाश-शनाप बोलती औरतों को भी नहीं बख्शा जाता। वो औरत, जिसे अपना नाम तक नहीं पता, घर-रिश्ते तो दूर, वो भी वहशियत से सुरक्षित नहीं। कुछ दिन पहले इक्का-दुक्का मानवाधिकार संस्थाओं ने मानसिक तौर पर कमजोर औरतों के गर्भाशय हटाने की मांग कर डाली थी। उनका तर्क लाजवाब था- जिन औरतों को अपने कपड़ों की सुध नहीं, वे बच्चा कैसे संभालेंगी! बिल्कुल सही।

वे बच्चा नहीं संभाल सकतीं लेकिन संस्थाओं ने ये क्यों नहीं कहा कि सड़क पर घूमते वहशी पुरुषों की नसबंदी करवा दें ताकि औरतें बची रहें। मां बनने के पक्ष और विपक्ष में तमाम तर्क पुरुषों के ही पाले में जा रहे हैं। पिता कहलाने का सुख चाहिए तो औरत प्रेगनेंट होगी। औरत को मजा चखाना है तो भी वो प्रेगनेंट होगी। और सड़क पर चलते हुए यौन सुख की इच्छा उछालें मारने लगे तो भी औरत प्रेगनेंट होगी। गोया औरत का गर्भ न हुआ, सुलभ शौचालय की दीवार हो गई, जहां जब मन आया, आप फारिग हो जाएं।

लड़की ने इनकार क्या किया, मर्द का इगो सांप जैसा फुफकारता है, फिर उसे कुचलने की कवायद शुरू होती है

और अगर किसी औरत ने अपने गर्भाशय पर अपनी मर्जी चलाई, झट से मर्दों का समूचा अस्तित्व डोल उठता है। गले की नसें फुलाकर वे इस हक को अनैतिक करार देते हैं। और ऐसा करने वाली अपराध के गहरे कुएं में धकेल दी जाती है। क्यों भई, जब मेरे दांतों या बालों पर मेरा अधिकार है तो मेरे गर्भाशय के मालिक आप कैसे हुए?

नौ महीने तक मैं उबकाइयां लूं और आप जीभ चटकाते हुए अपनी पसंदीदा डिश उड़ाएं। मेरा शरीर खुद मुझपे भारी हो जाए और आप जिम में डोले-शोले बनाएं। नौ महीने बाद पेट पर बड़ा-सा नश्तर झेलूं मैं और पिता आप कहलाएं। अगर मां कामकाजी हुई तो दफ्तर के बाकी पुरुष भी उसे चीरने को तैयार रहेंगे। हाल ही में मेरी एक सहकर्मी मैटरनिटी लीव पर गई तो एक पुरुष सहकर्मी ने मजाक में मुझसे कहा- काश मैं भी औरत होता तो मजे में 6 महीने मुफ्त तनख्वाह उड़ाता।

मर्दों की दुनिया का ये खेल वैसे काफी पुराना है। अमेरिकी लेखक नथानियल हॉथॉर्न की किताब 'द स्कारलेट लेटर' को पढ़ते हुए आप दुनियाभर में फैले अपने बिरादरी वालों के बारे में जान सकेंगे। इस उपन्यास में उन औरतों का किस्सा है, जो अपने गर्भाशय पर अपना हक मानने का अपराध कर बैठी थीं। अब अपराध हुआ है तो सजा भी मिलेगी। लिहाजा औरतों का चेहरा और पूरा शरीर लाल रंग से रंगा जाता। लाल रंग इसलिए कि पता चले कि वे हत्यारिन हैं।

इसमें हेस्टर नाम की एक बागी औरत को न केवल लाल रंगा गया, बल्कि उसकी पूरी सजा टीवी पर दिखाई गई, ताकि उसे देख रही औरतें अपना कलेजा थाम लें और मेरा गर्भ- मेरी मर्जी, जैसी बचकानी बातें करना बंद कर दें। हेस्टर को महीनेभर अपनी गोद में एक गुड़िया लिए घूमना था ताकि उसे पल-पल याद रहे कि उसने एक भ्रूण की हत्या की है। इस यंत्रणा में ढेरों औरतें शर्म या ग्लानि से मर जाती थीं। हेस्टर जिंदा रही।

वो हम औरतों जैसी मजबूत होगी शायद। लेकिन सहनशीलता की पराकाष्ठा बेमानी हैं। मर्दों को सिखाना होगा कि औरत की कोख को सार्वजनिक शौचालय समझना बंद कर दो। पिता बनने की इच्छा कोई 11वीं में विषय चुनने की इच्छा नहीं, जिसका तुमसे और सिर्फ तुमसे ताल्लुक हो। ये सबसे पहले और सबसे ज्यादा औरत का फैसला है।

बात बराबरी की... बाकी कॉलम यहां पढ़ें

1. बात बराबरी की:सिर्फ लड़की की इज्जत उसके शरीर में होती है, लड़के की इज्जत का शरीर से कोई लेना-देना नहीं?

2. बॉलीवुड की औरतें नशे में डूबी हैं, सिर्फ वही हैं जो ड्रग्स लेती हैं, लड़के सब संस्कारी हैं, लड़के दूध में हॉरलिक्स डालकर पी रहे हैं

3. जब-जब विराट का खेल खराब हुआ, ट्रोलर्स ने अनुष्का का खेल खराब करने में कसर नहीं छोड़ी, याद नहीं कि कभी विराट की जीत का सेहरा अनुष्का के सिर बांधा हो

4. कितनी अलग होती हैं रातें, औरतों के लिए और पुरुषों के लिए, रात मतलब अंधेरा और कैसे अलग हैं दोनों के लिए अंधेरों के मायने



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Goya woman is not conceived, Sulabh is a wall of toilets, where whenever you feel like, you are forbidden.


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अब 2 महीने रहेगा कोरोना के साथ फ्लू का भी खतरा, इमरजेंसी लक्षण जल्द पहचान लेंगे तो बच जाएंगे

देश के उत्तरी हिस्से में ठंड ने दस्तक दे दी है। WHO(वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के मुताबिक भारत में अगले दो महीने सीजनल फ्लू के हैं। इस दौरान मौसम बदलने और ठंड लगने से लोगों को कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग तो इस मौसम में हाई रिस्क कैटेगरी में होते हैं। इस बार लोगों को और ज्यादा अलर्ट रहना होगा, क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है।
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी CDC(सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) का कहना है कि ऐसे लोग जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है और इन्फ्लूएंजा इंफेक्शन या सीरियस फ्लू की चपेट में हैं। इन्हें ठंड में जान जाने का भी खतरा होता है।

फ्लू को लेकर हमारे हर सवाल का एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की HOD डॉक्टर उमा कुमार जवाब दे रही हैं-

क्यों होता है फ्लू?
फ्लू भी वायरस से ही होते हैं। चूंकि ठंड में तापमान कम होता है और लोग बहुत पास-पास रहते हैं, इसलिए जब कोई खांसता या छींकता है तो वायरस तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ठंड में सांस से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होती हैं।

फ्लू के लक्षण कैसे हैं?
फ्लू में बुखार, गले में खरास, खांसी, सिर में तेज दर्द, शरीर में दर्द होता है। थकान बहुत ज्यादा आती है। जोड़ों में भी दर्द होता है। फ्लू अचानक होता है, इसलिए हमें तुरंत डॉक्टर की सलाह से दवा लेनी चाहिए।

फ्लू कितने दिन तक रहता है?
फ्लू वैसे तो एक हफ्ते के अंदर सही हो जाता है, लेकिन यदि शरीर में और कोई कॉम्प्लीकेशंस हैं तो इसका असर अन्य आर्गन्स पर भी पड़ सकता है। कुछ लोग इससे बचने के लिए नियमित तौर पर फ्लू की वैक्सीन भी लगवाते हैं।

क्या सावधानी रखें?

कोविड-19 की तरह ही ढेर सारे वायरस वातावरण में हैं, जिनसे छोटा-मोटा कफ-कोल्ड होता रहता है और वह ठीक भी हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि ठंडी चीज न खाएं, ताकि गला खराब न हो। यदि गला खराब होता है तो किसी भी इन्फेक्शन के अंदर जाने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ठंड में गर्म पानी जरूर पीएं, इससे फ्लू से बचे रहेंगे।

कोरोना और फ्लू में अंतर जानने लिए के पढ़ें- एक्सपर्ट्स की सलाह- दोनों के लक्षण एक जैसे हैं, अंतर बेहद मामूली; पर इन्हें कुछ सावधानी से पहचान सकते हैं

कोरोना और फ्लू में कन्फ्यूजन कैसे दूर करें?
कोविड-19 और सीजनल फ्लू के कई सिंप्टम्स एक-दूसरे को ओवरलैप करते हैं। इसलिए दोनों में अंतर करना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। अभी कोरोना महामारी चल रही है, इसलिए इस बात का डायग्नोसिस में ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।



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flu season start in India, next 2 months will be the risk of flu along with corona, if you recognize emergency symptoms soon then you will be saved, how you will safe against the flu.


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करो या मरो के मुकाबले में पंजाब का मुकाबला चेन्नई से; शाम को कोलकाता-राजस्थान आमने-सामने

IPL के 13वें सीजन का आज आखिरी डबल हेडर (एक दिन में 2 मैच) है। दोनों मुकाबले करो या मरो जैसे हैं। पहले दोपहर 3:30 बजे अबु धाबी में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और किंग्स इलेवन पंजाब (KXIP) आमने-सामने होंगी। इसके बाद दुबई में शाम 7:30 बजे कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और राजस्थान रॉयल्स (RR) के बीच मुकाबला होगा।

पंजाब के लिए जीत जरूरी
दिन के पहले मुकाबले में पंजाब को हर हाल में चेन्नई को हराना होगा। पंजाब के 13 मैचों 12 पॉइंट्स हैं। चेन्नई पहले ही प्ले-ऑफ की रेस से बाहर हो चुकी है। ऐसे में अगर चेन्नई यह मैच जीत जाती है, तो पंजाब के लिए प्ले-ऑफ के दरवाजे पूरी तरह बंद हो जाएंगे।

हारने वाली टीम प्ले-ऑफ में नहीं पहुंच पाएगी
इसके बाद शाम को कोलकाता और राजस्थान के बीच होने वाला मुकाबला भी एलिमिनेटर की तरह होगा। दोनों टीमों के 12-12 पॉइंट्स हैं और टॉप-3 टीमों के पॉइंट्स 14 या उससे ज्यादा हैं। ऐसे में दोनों में से जो भी टीम यह मैच हारेगी, वह टूर्नामेंट से बाहर हो जाएगी।

चेन्नई-पंजाब के सबसे महंगे खिलाड़ी
सीएसके में कप्तान धोनी सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन के 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में केदार जाधव का नाम है, जिन्हें इस सीजन में 7.80 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, पंजाब में कप्तान लोकेश राहुल 11 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल 10.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।

पंजाब के लिए राहुल और चेन्नई के लिए डु प्लेसिस टॉप रन स्कोरर
पंजाब के कप्तान लोकेश राहुल 641 रन के साथ सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। राहुल के नाम एक शतक भी दर्ज है। वहीं, चेन्नई के लिए फाफ डु प्लेसिस ने सबसे ज्यादा 401 रन बनाए हैं।

पंजाब के लिए शमी और चेन्नई के लिए करन टॉप विकेट टेकर
पंजाब के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने सीजन में अब तक 20 विकेट लिए हैं। ऑरेंज कैप की लिस्ट में वह 5वें स्थान पर हैं। वहीं, चेन्नई के लिए सबसे ज्यादा विकेट सैम करन ने लिए हैं। करन ने सीजन में अब तक 13 विकेट लिए हैं।

पिछले मुकाबले में चेन्नई ने पंजाब को हराया था
पिछली बार जब चेन्नई और पंजाब का आमना-सामना हुआ था, तब चेन्नई ने पंजाब को 10 विकेट से हराया था। दुबई में खेले गए सीजन के 18वें मैच में पंजाब ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट पर 178 रन बनाए थे। जवाब में ओपनर्स शेन वॉटसन और फाफ डु प्लेसिस ने 14 बॉल शेष रहते चेन्नई को जीत दिला दी थी।

कोलकाता-राजस्थान के महंगे खिलाड़ी
कोलकाता के सबसे महंगे खिलाड़ी पैट कमिंस हैं। उन्हें सीजन के 15.50 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके बाद सुनील नरेन का नंबर आता है, जिन्हें सीजन के 12.50 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, राजस्थान में कप्तान स्टीव स्मिथ और बेन स्टोक्स 12.50-12.50 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।

पिछली बार कोलकाता ने राजस्थान को हराया था
सीजन के 12वें मैच में कोलकाता ने राजस्थान को 37 रन से हराया था। दुबई में कोलकाता ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट पर 174 रन बनाए थे। जवाब में राजस्थान 9 विकेट पर 137 रन ही बना पाई थी।

कोलकाता के लिए शुभमन और राजस्थान के लिए सैमसन टॉप रन स्कोरर
कोलकाता के शुभमन गिल ने अपनी टीम के लिए सीजन में सबसे ज्यादा 404 रन बनाए हैं। वहीं, राजस्थान में संजू सैमसन ने अपनी टीम के लिए सीजन में सबसे ज्यादा 374 रन बनाए हैं। सीजन में सबसे ज्यादा 26 छक्के भी सैमसन के ही नाम हैं।

राजस्थान के लिए आर्चर और कोलकाता के लिए वरुण टॉप विकेट टेकर
राजस्थान के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर ने अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं। आर्चर ने सीजन में अब तक 19 बल्लेबाजों को आउट किया है। वहीं, कोलकाता के वरुण चक्रवर्ती ने सीजन में अब तक 15 विकेट लिए हैं।

पिच और मौसम रिपोर्ट
अबु धाबी और दुबई में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। अबु धाबी में तापमान 24 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। वहीं, दुबई में तापमान 22 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। दोनों जगह पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। अबु धाबी में टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी। वहीं, दुबई में टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी।

अबु धाबी में पिछले 44 टी-20 में पहले गेंदबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.81% रहा है। वहीं, दुबई में इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 61 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 55.74% रहा है।

अबु धाबी में रिकॉर्ड

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 44
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 25
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128

दुबई में रिकॉर्ड

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 61
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 34
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 26
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 144
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 122

चेन्नई 3 बार चैम्पियन बनी
धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई ने लगातार दो बार 2010 और 2011 में खिताब जीता था। पिछली बार यह टीम 2018 में चैम्पियन बनी थी। चेन्नई 5 बार (2008, 2012, 2013, 2015 और 2019) आईपीएल की रनरअप भी रही है। वहीं, पंजाब को अब तक अपने पहले खिताब का इंतजार है।

कोलकाता ने 2 और राजस्थान ने एक बार खिताब जीता
आईपीएल इतिहास में कोलकाता ने अब तक दो बार फाइनल (2014, 2012) खेला और दोनों बार चैम्पियन रही है। वहीं, राजस्थान ने लीग के पहले सीजन में ही फाइनल (2008) खेला था। उसमें उसने चेन्नई को हराकर खिताब अपने नाम किया था।

कोलकाता का सक्सेस रेट राजस्थान से ज्यादा
राजस्थान रॉयल्स ने लीग में अब तक 160 मैच खेले, जिसमें 81 जीते और 77 हारे हैं। 2 मुकाबले बेनतीजा रहे। वहीं, कोलकाता ने अब तक 192 में से 98 मैच जीते और 93 हारे हैं। इस तरह लीग में रॉयल्स की जीत सक्सेस रेट 50.94% और कोलकाता का 51.83% रहा।

चेन्नई का सक्सेस रेट सबसे ज्यादा
आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स का सक्सेस रेट सबसे ज्यादा 59.60% है। वहीं, लीग में पंजाब का सक्सेस रेट 46.03% है। चेन्नई ने लीग में अब तक कुल 178 मैच खेले हैं। 105 में उसे जीत मिली और 72 में उसे हार का सामना करना पड़ा। 1 मैच बेनतीजा रहा। दूसरी ओर, पंजाब ने अब तक 189 मैच खेले। उसने 88 जीते और 101 हारे हैं।



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IPL 2020, CSK Vs KXIP - KKR Vs RR Head To Head Record; Predicted Playing DREAM11, IPL Match Preview Update


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बिहार में पहले दो फेज में हर तीसरे उम्मीदवार पर क्रिमिनल केस, 14% पर महिलाओं के खिलाफ अपराध का केस

24 अक्टूबर 2020 यानी एक हफ्ते पहले, बिहार के शिवहर जिले में जनता दल राष्ट्रवादी पार्टी के उम्मीदवार श्रीनारायण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। श्रीनारायण सिंह पर 6 केस दर्ज थे। अवैध हथियार के मामले में उन्हें दो साल की सजा भी हो चुकी थी।

श्रीनारायण सिंह अकेले ऐसे उम्मीदवार नहीं थे, जिन पर आपराधिक मामले थे। बल्कि ऐसे और भी हैं। इस बार पहले और दूसरे फेज में 2,529 उम्मीदवार उतरे हैं, जिनमें से 830 यानी 33% पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इसका मतलब हुआ कि हर तीसरे उम्मीदवार पर क्रिमिनल केस हैं।

5 ग्राफिक्स के जरिए समझें बिहार में पहले दो फेज के उम्मीदवारों में कितने दागी हैं? किस पार्टी ने कितने दागी उतारे हैं?

पहले फेज के 31% और दूसरे फेज के 35% उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस

  • पहले फेज में 1,066 उम्मीदवार हैं। इनमें 30.76% यानी 328 पर क्रिमिनल केस हैं। 22.88% यानी 244 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन पर सीरियस क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
  • दूसरे फेज में 1,463 उम्मीदवार हैं। इनमें 34.31% प्रतिशत यानी 502 पर क्रिमिनल केस हैं। 26.58% यानी 389 ऐसे उम्मीदवारों पर सीरियस क्रिमिनल केस हैं।

(इनपुट- एडीआर रिपोर्ट)



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Bihar Election 2020:Criminal background bihar assembly 2020 candidate, anant kumar singh,manoj manjil


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राज्यों के टूटने-बनने का दिन; दिल्ली तो 64 साल से लड़ रहा है राज्य बनने के लिए

इतिहास में आज की तारीख बेहद खास है। यह एक तरह से भारत में राज्यों के बनने-बिगड़ने का दिन है। 1956 में पहली बार जब भाषाई आधार पर राज्यों को आकार दिया गया तो आंध्रप्रदेश, केरल, कर्नाटक के साथ-साथ मध्यप्रदेश ने भी इसी दिन आकार लिया था। तभी दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। वर्ष 2000 में जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड और बिहार से झारखंड को बाहर निकाला तो यह फैसला भी एक नवंबर से ही लागू हुआ।

राज्य तो संतुष्ट है और आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन, दिल्ली तब से उलझी ही रही। खासकर, जब से अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हैं, तब से वे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आवाज बुलंद करते रहे हैं। एक-दो बार भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट भी जा चुके हैं, लेकिन सिटी स्टेट कहलाने वाले दिल्ली को पूरे राज्य का अधिकार मिलने की संभावना नजर नहीं आती।

दरअसल, दिल्ली को राज्य बनाने की मांग आजादी से भी पहले की है। संविधान बनाने वाली समिति के प्रमुख बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ थे। उन्होंने चार बातों पर जोर दिया था- दिल्ली भारत की राजधानी होगी, इसके कानून संसद बनाएगी, यहां केंद्र सरकार का शासन होगा, स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था हो सकती है, लेकिन वह राष्ट्रपति के अधीन होगी। देश आजाद हुआ तो छोटे-छोटे राज्य बन चुके थे, लेकिन 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के बाद उनका अस्तित्व खत्म हो गया।

1957 में दिल्ली नगर निगम से शासन चला, 1966 में महानगर परिषद बनी, 1987 में सरकारिया समिति बनी और उसी की रिपोर्ट पर 1993 में दिल्ली को विधानसभा मिली। दरअसल, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और इस वजह से उसका प्रशासन देश की सरकार के पास ही होना चाहिए, जैसा अमेरिका के वॉशिंगटन में, ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा या कनाडा के ओटावा में है। इस वजह से लगता है कि दिल्ली की लड़ाई जारी रहने वाली है।

दुनियाभर में बमों से जुड़ी यादें भी हैं...

1955 में कोलोरेडो के ऊपर यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 629 में लगेज में रखा बम फटने से 44 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह, 1952 में अमेरिका ने माइक कोडनेम वाला पहला बड़ा हाइड्रोजन बम टेस्ट किया था। 1911 में पहली बार इटली ने एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर तुर्की के खिलाफ बम का इस्तेमाल किया।

भारत और विश्व इतिहास में 1 नवंबर की प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं-

  • 1765: ब्रिटेन के उपनिवेशों में स्टैम्प एक्ट लागू किया गया।
  • 1800: जॉन एडम्स व्हाइट हाउस में रहने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने।
  • 1903: पनामा की जनता का संघर्ष सफल हुआ और यह देश पूर्ण रुप से स्वतंत्र हो गया।
  • 1923: फिनिश ध्वज वाहक फिनेयर वायुसेवा एयरो ओय में शुरू हो गया।
  • 1946: पश्चिम जर्मनी के राज्य निदरसचसेन का गठन किया गया।
  • 1954ः फ्रांस ने पुडुचेरी, करिकल, माहे और यानोन भारत सरकार को सौंपे।
  • 1956: कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश राज्य बने।
  • 1956: राजधानी दिल्ली को केन्द्र शासित राज्य बना।
  • 1964ः भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी का जन्म हुआ।
  • 1966: हरियाणा राज्य की स्थापना।
  • 1966: चंडीगढ़ राज्य की स्थापना।
  • 1973ः भारतीय अभिनेत्री एवं पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय का जन्म हुआ।
  • 2000: छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ।


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प्रधानमंत्री की आज छपरा, पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में रैलियां, 57 सीटें कवर करने की कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फिर बिहार में होंगे। उनकी आज यहां तीन रैलियां होंगी। पहली सारण के छपरा, दूसरी पूर्वी चंपारण और तीसरी समस्तीपुर में है। इन तीन जिलों में आती तो 32 सीटें है, लेकिन मोदी आसपास की भी 25 सीटों को कवर करेंगे। कुल मिलाकर मोदी इन रैलियों के जरिए 57 सीटों तक पहुंचेंगे।

भाजपा से ज्यादा जदयू के उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे मोदी
इन तीन रैलियों में मोदी 57 सीटों को कवर करेंगे। इन सीटों पर भाजपा के 27, जदयू के 28 और वीआईपी के 2 कैंडिडेट लड़ रहे हैं।

पहले राष्ट्रवाद और फिर तेजस्वी पर बात
मोदी का बिहार में पहला दौरा 23 अक्टूबर को हुआ था। इस दिन उन्होंने तीन रैलियां की थीं। पहले दौरे में मोदी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया था। पुलवामा हमले, गलवान घाटी की झड़प, 370 का जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि अगर ये लोग सत्ता में आ गए, तो आर्टिकल-370 को फिर से लागू कर देंगे।

दूसरा दौरा 28 अक्टूबर को हुआ। इस दिन भी तीन रैलियां हुईं। मोदी ने राष्ट्रवाद की जगह लालू यादव और तेजस्वी पर निशाना साधा। तेजस्वी को जंगलराज का युवराज तक कह दिया। मोदी ने कहा, ये जंगलराज के युवराज हैं, अगर ये आ गए तो सरकारी नौकरी तो छोड़िए, प्राइवेट कंपनियां भी यहां से भाग जाएंगी।

मोदी की अगला दौरा 3 नवंबर को, इसी दिन वोटिंग भी
मोदी का बिहार में अगला दौरा 3 नवंबर को होगा। इस दिन मोदी की पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया के फारबिसगंज में होनी है। इसी दिन 94 सीटों पर वोटिंग भी है। इनमें से 4 सीटें पश्चिमी चंपारण और सहरसा भी है। मोदी ने 2015 के चुनाव में बिहार में 31 रैलियां की थीं। इस बार 12 रैलियां ही कर रहे हैं।



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Narendra Modi Nitish Kumar (Bihar) Election 2020 Rally Update | PM Modi Rally Latest News Live Updates Today; Chhapra Pashchim Champaran Samastipur


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आवाम को तिरंगे के खिलाफ भड़काना और हुकूमत करने के लिए चीन को बुलाना क्या राष्ट्रद्रोह नहीं है?

पिछले साल केंद्र सरकार ने संविधान के आर्टिकल 370 और 35A को रद्द किया और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया। तब से कश्मीर में अलगाववादियों के साथ-साथ फारुख अब्दुल्ला-महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की फजीहत हो गई है। अब तक केंद्र से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले फंड से उन्होंने अपनी जेबें भरी और देश के विरोध में बयान देकर कश्मीरी अवाम को भड़काया। अब भी ये नेता तिरंगे और देश का अपमान करने वाले बयान दे रहे हैं।

पिछले साल केंद्र ने ऐतिहासिक कदम उठाने के बाद कश्मीर के नेताओं को नजरबंद किया। तब तो वे कुछ बोल ही नहीं पाए थे, लेकिन बाहर आते ही आर्टिकल 370 को फिर से लागू करने की लड़ाई को तेज करने का फैसला किया है। गुपकार डिक्लेरेशन को लागू करने पीपुल्स अलायंस बनाया। फारुख अब्दुल्ला अध्यक्ष बने और महबूबा मुफ्ती को उपाध्यक्ष बनाया।

इन नेताओं ने एक बार फिर कश्मीर की जनता को भड़काने की कोशिशें तेज कर दी हैं। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि चीन की मदद से ही आर्टिकल 370 लागू हो सकता है। कश्मीरी खुद को भारतीय नहीं मानते और भारतीय बनना भी नहीं चाहते। ज्यादातर कश्मीरी चाहते हैं कि चीन आए और शासन करें।

दूसरी ओर, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर का झंडा नहीं मिलता, तब तक तिरंगा नहीं फहराएंगे। ऐसे बयानों से पूरे देश में आक्रोश है। क्या यह बयान राष्ट्रद्रोह नहीं है, क्या उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए, यह प्रश्न उठ रहे हैं।

गुपकार डिक्लेरेशन में शामिल रहे कश्मीरी नेता पीपुल्स अलायंस बनाने की घोषणा करते हुए।

जम्मू-कश्मीर का इतिहास

इन प्रश्नों के जवाब देने से पहले कश्मीर का इतिहास जानना जरूरी है। जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल राज्य था, जबकि वहां के राजा हरि सिंह हिंदू थे। आजादी के बाद उन्हें स्वतंत्र रहना था, लेकिन पाकिस्तान ने कबाइलियों की मदद से हमला कर दिया। तब हरि सिंह ने भारत से मदद की याचना की। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्रवाई की और कबाइलियों को खदेड़ा।

भारत की शर्त थी कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करना होगा। हरि सिंह राजी हो गए थे, लेकिन शर्त के साथ। शर्त पूरी करने ही आर्टिकल 370 बना था। इसके बाद 70 साल तक केंद्र ने राज्य के विकास में हजारों करोड़ रुपए खर्च किए। सुविधाएं दीं। लेकिन, वहां के नेताओं की भाषा में अपनापन नहीं आया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अलगाववादी धड़ों ने हमेशा भारत विरोधी बयान दिए।

फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती भी पीछे नहीं थे। इन नेताओं ने भारत विरोधी बयान देकर पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते बनाए। शेख अब्दुल्ला ने तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भारत में स्वतंत्र गणतंत्र के तौर पर कश्मीर का उल्लेख किया था। कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था। इन नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़े। केंद्र से आए पैसे पर लग्जरियस जीवन जीया। फिर भी भारत पर टीका-टिप्पणी करना, इनकी आदत हो गई है।

फारुख, मेहबूबा के बिगड़े बोल

पिछले साल हालात बदले और केंद्र ने आर्टिकल 370 व आर्टिकल 35A रद्द कर दिया। केंद्र के फंड से तिजोरी भरने वाले नेताओं की आर्थिक गतिविधियों की जांच शुरू हुई। उन्हें मिलने वाले पैसों के स्रोत पर लगाम कस गई। फारुख अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती नजरबंद हुए।

दूसरी ओर, सेना ने घाटी में कई आतंकियों को मार गिराया। जम्मू-कश्मीर में विकास को गति दी। बरसों से लंबित प्रोजेक्ट पूरे किए। जब यह हो रहा था, तब फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती जैसे नेता तिरंगे के खिलाफ और चीन के समर्थन की बातें कह रहे थे। कश्मीरियों को भड़का रहे थे।

भारत के कानून को देखें तो प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के सेक्शन 2 में स्पष्ट है कि तिरंगे पर आपत्तिजनक बयान या तिरंगे का अपमान तीन साल के लिए जेल भेज सकता है। संविधान के आर्टिकल 19 (1A) के मुताबिक तिरंगा फहराना हर भारतीय का मौलिक अधिकार है। कश्मीर में रहने वाली भारतीय जनता को तिरंगे के खिलाफ भड़काना क्या राष्ट्रद्रोह नहीं है?

IPC के सेक्शन 121 से 130 तक की व्याख्या महत्वपूर्ण

भारतीय दंड विधान यानी IPC के सेक्शन 121 से 130 तक में भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, युद्ध का आह्वान करने और युद्ध के लिए हथियार जुटाने की व्याख्या है। सेक्शन 121 कहता है कि युद्ध छेड़ने का आह्वान, युद्ध का प्रयास या युद्ध के लिए उकसाना गैरकानूनी है। ब्रिटिशर्स ने यह कानून बनाया था, जो आज भी कायम है।

2008 में मुंबई पर आतंकी हमला करने वाले आतंकियों में शामिल अजमल कसाब पर भी हमने यह आरोप लगाए थे। कसाब और उसके साथियों ने होटल और रेलवे स्टेशन पर हमला किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रश्न उठा था कि क्या उन पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप सही है? हमने दलील दी कि कसाब और उसके साथियों ने हमले के लिए जिन जगहों को चुना, उसका उद्देश्य समझना जरूरी है।

रेलवे स्टेशन पर हमला कर वे लोगों में दहशत पैदा करना चाहते थे। होटल पर हमले में विदेशी नागरिकों की हत्या के जरिए भारत में विदेशी निवेश को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। मुंबई और फाइव स्टार होटल को निशाना बनाने कारण साफ थे। हमने कहा कि यह एक तरह से युद्ध ही है और बाद में इसी आधार पर कसाब को सजा सुनाई गई।

यह प्रॉक्सी वॉर ही तो है

सेक्शन 124 कहता है कि भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के विरोध में कोई भी लिखित या मौखिक शब्द, या चित्र या सांकेतिक चित्र, या किसी भी अन्य माध्यम से नफरत फैलाने की कोशिश, या सरकार के खिलाफ असंतोष भड़काने की कोशिश, या असंतोष भड़काएगा तो उसे उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

बदली परिस्थितियों में दोनों सेक्शन का मतलब नए सिरे से निकालना चाहिए। कसाब प्रकरण में हमने सेक्शन 121 की व्याख्या में कहा था- आज युद्ध आमने-सामने नहीं होते। यह प्रॉक्सी वॉर का जमाना है। शत्रु कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने, अशांति बढ़ाने, असंतोष भड़काने की कोशिश करता है।

अलगाववादी नेताओं ने कश्मीरियों को भारत सरकार के खिलाफ भड़काया है। तिरंगा हमारे देश के सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है। उसका अपमान हो रहा है। यह देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचना, राष्ट्रद्रोह का ही एक प्रकार है। इन नेताओं पर नकेल कसना जरूरी है। इन नेताओं में कानून का डर होना चाहिए। सिर्फ हिरासत में लेने से काम नहीं चलेगा; उन पर मुकदमे चलना चाहिए और कानून के अनुसार सजा देना जरूरी है।

कानून का शासन स्थापित करना जरूरी

केंद्र सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया कि जम्मू-कश्मीर में अब कोई भी भारतीय नागरिक जाकर जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकेगा, लेकिन खेती की जमीन बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे। साफ है कि केंद्र ने स्थानीय लोगों की आजीविका की चिंता की है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वहां का विकास भी आवश्यक है। लेकिन, अब वहां के नेता ऊलजलूल बयान दे रहे हैं। इनका आशय निश्चित ही घातक है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनियंत्रित और स्वच्छंद नहीं हो सकती। इससे अराजकता ही फैलेगी।



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बिहार चुनाव में बसपा का बटन दबाने पर भी ईवीएम से बीजेपी को वोट जा रहा? जानें सच

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि ईवीएम मशीन में बहुजन समाज पार्टी ( बसपा) के चुनाव चिन्ह हाथी का बटन दबाने पर भी भाजपा के चुनाव चिन्ह के सामने वाली लाइट जल रही है। सोशल मीडिया पर वीडियो बिहार चुनाव का बताया जा रहा है। इसके आधार पर भाजपा पर ईवीएम टेम्परिंग का आरोप लग रहा है।

और सच क्या है?

  • पड़ताल की शुरुआत में हमने अलग-अलग की-वर्ड के जरिए बिहार चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी से जुड़ी खबरें इंटरनेट पर तलाशनी शुरू कीं।
  • दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, बिहार की मुंगेर विधानसभा में एक बूथ पर राजद के चुनाव चिन्ह के सामने वोटिंग बटन न होने का मामला सामने आया था। हालांकि, किसी भी मीडिया रिपोर्ट में हमें ऐसा मामला नहीं मिला, जिसमें बसपा का बटन दबाने पर बीजेपी को वोट पड़ने की शिकायत हुई हो।
  • वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर 16 मई, 2019 के एक फेसबुक पोस्ट में भी हमें यही वीडियो मिला। साफ है कि वीडियो का बिहार विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
  • वीडियो को ध्यान से देखने पर समझ आता है कि वोटिंग का बटन दबा रही महिला बसपा के चिन्ह के बटन पर उंगली जरूर रखे हुए है। लेकिन, अंगूठे से कमल के सामने वाला बटन दबा रही है। साफ है कि ईवीएम टेम्परिंग का झूठ फैलाने के लिए जानबूझकर फेक वीडियो वायरल किया गया।


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Fact Check: Even after pressing the BSP button in Bihar elections, votes are going to BJP from EVMs? Video viral


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