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1922 में 27-28 अक्टूबर की रात को 30 हजार लोगों ने इटली के तब के प्रधानमंत्री लूजी फैक्टा के इस्तीफे की मांग को लेकर रोम पर चढ़ाई कर दी। इस भीड़ के लीडर थे बेनितो मुसोलिनी। लोकतांत्रिक सरकार की रक्षा करने से सेना ने भी हाथ खींच लिए। नतीजा ये हुआ कि फैक्टा को सत्ता छोड़नी पड़ी। उनकी जगह नए प्रधानमंत्री बने बेनितो मुसोलिनी।
मुसोलिनी इटली की नेशनल फासिस्ट पार्टी के नेता थे। वे 1922 से लेकर 1943 तक लगातार 21 सालों तक इटली के प्रधानमंत्री रहे। अपने कार्यकाल के शुरुआती तीन साल तक उन्होंने लोकतंत्र की इज्जत करते हुए शासन किया। मुसोलिनी ने आज ही के दिन 1925 में खुद को इटली का तानाशाह घोषित कर दिया। शुरुआत में तो मुसोलिनी को जनता ने बहुत प्यार दिया। जनता पूरी ताकत के साथ उनके पीछे खड़ी रहती थी। लेकिन बाद में मुसोलिनी ने तानाशाही शुरू कर दी, जिससे वहां की जनता का जीना हराम हो गया।
ये वो वक्त था जब जर्मनी में एडोल्फ हिटलर का शासन था, जो खुद भी एक तानाशाह था। हिटलर और मुसोलिनी के बीच दोस्ती भी थी और थोड़ी खटास भी। खटास इसलिए क्योंकि उस वक्त मुसोलिनी से ज्यादा प्रसिद्ध हिटलर था। इसी बात से मुसोलिनी को उससे जलन होती थी। हालांकि, इन सबके बाद भी दूसरे विश्व युद्ध के समय मुसोलिनी ने हिटलर का साथ दिया। इसी वजह से 25 जुलाई 1943 को इटली के राजा ने मुसोलिनी की सरकार को बर्खास्त कर दिया।
1945 में जब तय हो गया कि जर्मनी दूसरा विश्व युद्ध हारने जा रहा है, तो मुसोलिनी ने स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश की। लेकिन उन्हें उनके कुछ साथियों और प्रेमिका क्लारेटा पेटाची के साथ पकड़ लिया गया। 28 अप्रैल 1945 को मुसोलिनी और उनकी प्रेमिका को गोली मार दी गई। गोली मारने के बाद उनके शव को उल्टा लटका दिया गया। मुसोलिनी के शासन से जनता इतनी तंग आ चुकी थी कि शव के साथ जितना बुरा बर्ताव हो सकता था, जनता ने उससे ज्यादा बुरा किया। मुसोलिनी और उसकी प्रेमिका के शव पर लोगों ने थूका, लात-घूसे मारे, उनके शव पर चढ़कर कूदे। पूरे दिन उनके शव मिलान में पड़े रहे। अगले दिन उन्हें किसी गुमनाम जगह दफनाया गया।
भारत की पहली महिला शिक्षक का जन्म
3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के पुणे में एक दलित परिवार में सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। 1840 में मात्र 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले के साथ हुआ। सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिराव फुले ने 1848 में मात्र 9 स्टूडेंट्स को लेकर एक स्कूल की शुरुआत की थी। ज्योतिराव ने अपनी पत्नी को घर पर ही पढ़ाया और एक शिक्षक बनाया। सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका हैं और वही महिला थीं, जिन्होंने लड़कियों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया था। 1897 में पुणे में प्लेग फैल गया। इसी महामारी से 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया।
भारत और दुनिया में 3 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :
आपको भुवनेश्वर के बुधिया सिंह तो याद ही हाेंगे। लंबी दूरी का नन्हा धावक, जिन्होंने महज चार साल की उम्र में 65 किलोमीटर की दूरी दौड़कर तय की थी। बुधिया जैसा ही एक हाेनहार धावक भोपाल में तैयार हो रहा है। इनका नाम है वरेण्यम शर्मा। सिर्फ छह साल पांच महीने के वरेण्यम ने दाे दिन पहले ही 31 दिन का ‘इंडियन रनर दिसंबर चैलेंज’ पूरा किया है। उन्होंने 53 घंटे 14 मिनट 44 सेकंड में 251.03 किमी की दूरी दौड़कर तय की है।
वे देशभर के 3899 धावकों में 89वें नंबर पर रहे। अपने बुलंद हाैसले के कारण ही वरेण्यम काे एशियन बुक ऑफ रिकाॅर्ड्स ने 8 दिसंबर 2020 काे ग्रैंड मास्टर्स का टाइटल दिया था। इससे चार दिन पहले, यानी 4 दिसंबर काे वरेण्यम का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। उन्हें ‘मैक्सिमम डिस्टेंस कवर्ड बाई ए किड वाइल रनिंग’ का टाइटल भी मिला है। वरेण्यम रोजाना घर में बना जूस पीते हैं और हरी सब्जियां, फल और अंकुरित अनाज ही खाते हैं।
वरेण्यम पर मैदान में कुत्ताें का झुंड हमला कर चुका है, इसलिए दाैड़ते वक्त पिता, दादा पहरा देते हैं
हाेशंगाबाद राेड स्थित सागर लाइफस्टाइल सोसायटी में रहने वाले वरेण्यम चैलेंज के तहत 6 दिसंबर को बिट्टन मार्केट दशहरा मैदान पर दौड़ लगा रहे थे। वे तीन किलोमीटर की दौड़ पूरी कर चुके थे, तभी उनके पैर में एक टेनिस बॉल आकर लगी। उन्हें रनिंग रोकनी पड़ी। हालांकि, उसी दिन शाम को वरेण्यम ने पांच किमी की दौड़ पूरी की।
वे पिछले ढाई महीने से हर रोज पांच किमी दौड़ रहे हैं। एक दिन चैलेंज के दौरान दौड़ते वक्त मैदान में कुत्तों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया था। यही कारण है कि अब वरेण्यम जब भी दौड़ लगाते हैं तो उनका परिवार सुबह से सुरक्षा में लग जाता है। उनके पिता, ताऊ, दादा और दादी पहरा देते रहते हैं, ताकि कोई आवारा कुत्ता उनके पास न आए।
टीटी नगर स्टेडियम में दौड़ने की अनुमति नहीं मिली
उनके पिता राहुल शर्मा बताते हैं कि बिट्टन मार्केट मैदान पर बच्चे क्रिकेट खेलते हैं, ऐसे बॉल लगने का डर रहता है। वहां कुत्तों के झुंड भी रहते हैं। हमने तात्या टोपे स्टेडियम के ट्रैक पर दौड़ने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि बच्चा बहुत छोटा है। समझ नहीं आ रहा कि उसे कहां प्रैक्टिस कराऊं।
चैलेंज में हर उम्र के धावक थे, दिल्ली से हाेती थी ट्रैकिंग
‘इंडियन रनर दिसंबर चैलेंज’ ओपन फाॅर ऑल था, यानी इसमें किसी भी उम्र का धावक हिस्सा ले सकता है। चैलेंज के तहत धावक देश में कहीं भी दाैड़ सकते हैं। उन्हें हर रोज दो किलोमीटर या फिर उससे ज्यादा दौड़ पूरी करनी थी। इसकी ट्रैकिंग एक मोबाइल ऐप से होती है। दाैड़ते वक्त धावक काे माेबाइल फाेन साथ रखना पड़ता है। ऐप के जरिए दिल्ली में बैठी टीम उसे ट्रैक करती है।
नमस्कार!
दिसंबर में 1.15 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड GST कलेक्शन हुआ है। गगनयान अहमदाबाद से कंट्रोल होगा। रोहित शर्मा की 13 महीने बाद टीम में वापसी होगी। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
सबसे पहले देखते हैं बाजार क्या कह रहा है-
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
देश-विदेश
उम्मीदों का टीका एक कदम और बढ़ा
देश में कोरोना वैक्सीन पर एक्सपर्ट पैनल ने अपनी सिफारिशें केंद्र को सौंप दी हैं। पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश की है। इन्हें जल्द अप्रूवल मिलने की उम्मीद है। अब तक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), भारत बायोटेक और फाइजर ने देश में वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए अप्लाई किया है। सरकार इसी महीने से वैक्सीनेशन शुरू करने की तैयारी में है। आज यानी 2 जनवरी को पूरे देश में वैक्सीन का ड्राई रन किया जाना है।
न्यू इयर में शेयर मार्केट हैप्पी
नए साल के पहले दिन खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में शेयर मार्केट ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। बाजार में लगातार 9वें हफ्ते बढ़त रही। इससे पहले अप्रैल 2010 में इतनी लंबी वीकली बढ़त दर्ज की गई थी। निफ्टी भी पहली बार 14 हजार पॉइंट के ऊपर बंद हुआ। 1 जनवरी, 2021 को सेंसेक्स 117.65 पॉइंट ऊपर चढ़कर 47,868.98 पर बंद हुआ। एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई है कि अगले हफ्ते सेंसेक्स 48 हजार का रिकॉर्ड लेवल छू सकता है।
सरकार की तिजोरी अनलॉक
आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार के कारण दिसंबर 2020 में 1.15 लाख करोड़ रुपए का GST कलेक्शन हुआ है। जुलाई 2017 से देश में GST लागू होने के बाद यह सबसे ज्यादा है। इससे पहले का रिकॉर्ड 1.14 लाख करोड़ रुपए का था, जो अप्रैल 2019 बना था। वित्त मंत्रालय का कहना है कि GST चोरी और फेक बिल के खिलाफ देशभर में चलाए गए अभियान के कारण भी कलेक्शन बढ़ा है।
किसान आंदोलन में अब आर-पार
4 जनवरी को केंद्र के साथ होने वाली मीटिंग से पहले किसानों ने शुक्रवार को एक अहम बैठक की। किसान नेताओं ने कहा- अगर बातचीत सही दिशा में नहीं गई और सरकार ने हमारे पक्ष में ठोस फैसला नहीं लिया, तो हम हरियाणा में मॉल और पेट्रोल पंप बंद करेंगे। इसके अलावा 6 जनवरी को हम ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।
अहमदाबाद से कंट्रोल होगा गगनयान
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान, यानी गगनयान 2022 में लॉन्च किया जाएगा। इसके जरूरी पेलोड, केबिन, एयर और ऑक्सीजन प्रेशर, साथ ही टेम्परेचर कंट्रोल करने वाले सेंसर गुजरात के अहमदाबाद के ISRO सेंटर में बनाए जा रहे हैं। यह यान अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर से कंट्रोल होगा। हाल ही में इस केंद्र के डायरेक्टर नियुक्त किए गए नीलेशभाई देसाई ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में यह जानकारी दी है।
कार्टून देखते हुए पोर्न तक पहुंची बच्ची
पैरेंट्स के लिए यह चौंकाने वाली नहीं, बल्कि सावधान रहने वाली खबर है। बच्चों को शांत करने के लिए पैरेंट्स उन्हें मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं, जिसका नतीजा गंभीर हो सकता है। अहमदाबाद में सात साल की एक बच्ची ने मां के मोबाइल में एक पोर्न क्लिप देखकर इसके बारे में उनसे सवाल पूछने शुरू कर दिए। पैरेंट्स ने सायबर एक्सपर्ट की मदद ली कि बच्ची पोर्न वीडियो तक पहुंची कैसे। एक्सपर्ट कहते हैं कि जब बच्चे मोबाइल देखें, तो उन पर नजर रखी जानी चाहिए।
शिवराज कैबिनेट में सिंधिया के मंत्री
मध्य प्रदेश में आखिरकार राज्य कैबिनेट के विस्तार का दिन तय हो गया है। शिवराज की टीम में दो मंत्री शामिल किए जाएंगे। शपथ ग्रहण रविवार 3 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे राजभवन में होगा। राजभवन ने मंत्रिमंडल विस्तार की सूचना मिलने की पुष्टि कर दी है। माना जा रहा है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
एक्सप्लेनर
चीन में सच्चाई दिखाने पर जेल
चीन में एक पत्रकार को 4 साल की जेल की सजा सिर्फ इसलिए दे दी गई, क्योंकि उन्होंने कोरोना पर रिपोर्ट की थी। उस पत्रकार का नाम है झैंग झान। झैंग सिटीजन जर्नलिस्ट के तौर पर काम करती हैं। झैंग को झगड़ा करने और मुसीबत पैदा करने का दोषी ठहराया गया है। चीन में विरोध करने वालों के खिलाफ ऐसी धाराएं लगाई जाती हैं। लेकिन झैंग झान कौन हैं? उन्होंने क्या किया था? और कोरोना के दौरान चीन ने कैसे सेंसरशिप लगाई? आइए जानते हैं...
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पॉजिटिव खबर
टिकटॉक जैसे ऐप से महीने में 4 लाख की कमाई
आज की कहानी प्रयागराज के रहने वाले राहुल केसरवानी की। राहुल ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई कंपनियों में अच्छी सैलरी पर काम भी किया। लेकिन वे कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे, जिससे उनकी पहचान बने। पिछले साल मई-जून में उन्होंने एक ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया। यह ऐप टिकटॉक जैसा ही है, जो काफी लोकप्रिय हो चुका है। 50 लाख से ज्यादा लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। राहुल इससे हर महीने 3 से चार लाख रु की कमाई कर रहे हैं।
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13 महीने बाद रोहित की टेस्ट में वापसी
भारतीय ओपनर रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी और ब्रिस्बेन टेस्ट की तैयारी शुरू कर दी है। वे 4 टेस्ट की सीरीज के आखिरी दो मैच में बतौर उपकप्तान खेलेंगे। इसकी पुष्टि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने शुक्रवार को की। रोहित 13 महीने बाद टेस्ट टीम में वापसी कर रहे हैं। उन्होंने पिछला टेस्ट 22 नवंबर 2019 को बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता में खेला था। फिलहाल, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज 1-1 की बराबरी पर है।
नए साल में 8 लॉन्ग वीकेंड
इस साल लंबी छुटि्टयां प्लान करने के लिए आपको 8 मौके मिल सकते हैं। इनमें से दो मौके तो इसी महीने जनवरी में मिलेंगे। इस साल मार्च, अप्रैल और मई के महीने पर भी सभी की नजर रहेगी। 11 मार्च से हरिद्वार में कुंभ शुरू होगा। अप्रैल-मई में IPL होगा और बंगाल समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे।
सुर्खियों में और क्या है
कहानी - रामकृष्ण परमहंस से मिलने काफी लोग पहुंचते थे। वे अपने उपदेशों की वजह से प्रसिद्ध हो चुके थे। वे अपनी मस्ती में रहा करते थे। एक दिन वे अपने काम में व्यस्त थे। उनके पास कुछ लोग भी बैठे हुए थे। तभी वहां एक संत पहुंचे। संत का व्यक्तित्व प्रभावशाली था। वे परमहंस के सामने आकर खड़े हो गए।
संत ने कहा, 'क्या तुम मुझे पहचानते नहीं हो? मैं पानी पर चलकर आया हूं। मेरे पास चमत्कारी सिद्धि है, जिससे मैं बिना डूबे पानी पर धरती की तरह चल सकता हूं। मुझे ये चमत्कार करते हुए लोगों ने देखा है। और तुम मुझे ठीक से देख भी नहीं रहे हो और ना ही बात कर रहे हो।'
रामकृष्ण परमहंस ने कहा, 'भैया, आप बहुत बड़े व्यक्ति हैं और आपके पास सिद्धि भी है। लेकिन, एक बात मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि इतनी बड़ी सिद्धि हासिल की है और इतना छोटा काम किया है। नदी पार करनी थी तो नाव वाले को दो पैसे देते, वह आपको आराम से नदी पार करवा देता।'
जो काम दो पैसे में किसी केवट की मदद हो सकता था, उसके लिए आपने इतनी बड़ी महान सिद्धि का उपयोग किया और उसका प्रदर्शन भी कर रहे हो।' ये बातें सुनकर संत शर्मिंदा हो गए।
सीख - अगर हमारे पास कोई सिद्धि या विशेष योग्यता है तो उसका प्रदर्शन और दुरुपयोग न करें। जो काम जिस तरीके से हो सकता है, उसे उसी तरीके से करना चाहिए। योग्यता का उपयोग सही समय पर और सही जगह ही करें।
आज की कहानी प्रयागराज के रहने वाले राहुल केसरवानी की। राहुल ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई कंपनियों में अच्छी सैलरी पर काम किया। लेकिन, वो कुछ कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे, जिससे उनकी पहचान बने। पिछले साल मई-जून में उन्होंने एक ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया। यह ऐप टिकटॉक जैसा ही है, जो अब काफी पॉपुलर हो चुका है। 50 लाख से ज्यादा लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। राहुल अब इससे हर महीने 3 से 4 लाख रुपए कमा रहे हैं।
राहुल बताते हैं- मेरी इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई प्रयागराज से ही हुई है। 2016 में मेरा कैंपस सेलेक्शन हो गया और गुडगांव में मेरी नौकरी लग गई। वह बड़ी कंपनी थी और मुझे काम सीखना था, इसलिए मैंने वह नौकरी छोड़कर नोएडा में एक स्टार्टअप ज्वाइन किया, हॉटस्टार की तर्ज पर फुटबाल मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग करता था। इसके बाद एक सोशल ऐप में काम करने लगा, जो गुमशुदा लोगों को ढूंढने का काम करता था। लगभग 150 लोगों को हमने इस ऐप के जरिए ढूंढा था।
2018 में छोड़ी 13 लाख सालाना की नौकरी
राहुल बताते हैं कि चूंकि मन में अपना कुछ करने का सपना था, इसलिए मैंने 2018 में यह नौकरी भी छोड़ दी। कॉलेज टाइम से ही मैं अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर वेबसाइट और सॉफ्टवेयर बनाने का काम करता था। आज भी प्रयागराज में कई स्कूल हमारे क्लाइंट हैं। ऐसे में मेरा एक काम चल रहा था। इसी बीच कोरोना आ गया, तो हमें सोचने का वक्त मिल गया।
वो कहते हैं कि इस ऐप को लॉन्च करने से पहले कुछ चाइनीज ऐप बैन हो चुके थे। टिकटॉक के मुकाबले जो ऐप मार्केट में मौजूद थे, वो उतना बेहतर नहीं कर पा रहे थे। इसी दौरान मैंने तय किया कि एक ऐसा ऐप लॉन्च किया जाए, जो टिकटॉक को टक्कर दे सके। वो कहते हैं कि किस्मत ने भी मेरा साथ दिया और कुछ दिनों बाद ही टिकटॉक बैन हो गया। इसका फायदा ये हुआ कि जो ट्रैफिक टिकटॉक को मिलता था, उसका एक बड़ा हिस्सा हमारी तरफ शिफ्ट हो गया।
20 से 25 लाख का कर्ज था
राहुल बताते हैं कि जब हमने इसे लॉन्च किया, तो सर्वर के लिए बहुत सारा पैसा मार्केट से उठाना पड़ा। लगभग 20 से 25 लाख का कर्ज था। हम सोच नहीं पा रहे थे कि इसे कैसे उबरेंगे। क्योंकि टिकटॉक को हराना आसान नहीं था। एक वक्त तो ऐसा भी आया कि हमारा सर्वर ही बैठ गया, लेकिन हमने समस्या सुलझाई और आगे बढ गए। आज 6 महीने के अंदर ही हमारा ऐप लोगों के बीच लोकप्रिय हो चुका है। हम इसे और बेहतर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। हमने एक कंपनी भी बनाई है जिसमें 25 लोग काम कर रहे हैं।
पिता ने विरोध किया लेकिन मां ने साथ दिया
प्रयागराज में ही राहुल के पिता किराना की दुकान चलाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार होने के नाते पिता गुरु प्रसाद केसरवानी चाहते थे कि उनका बेटा अच्छी तरह से सेटल्ड हो जाए। बार-बार अच्छी नौकरी बदलना और फिर नौकरी छोड़ देना उन्हें पसंद नहीं था। राहुल बताते हैं कि पिता चाहते थे कि मैं एक स्थायी काम करूं, जबकि मां चाहती थी कि जो मेरा मन है वह करूं। इस बात को लेकर पापा कुछ दिनों तक नाराज भी रहे। लेकिन, अब जब अच्छी कमाई हो रही है तो वे काफी खुश हैं।
2021 शुरू हो गया है। इस साल देवगुरु बृहस्पति की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव बना रहेगा। 23 जनवरी के बाद दुनियाभर में कोरोना काबू होने लगेगा। भारत को पाकिस्तान और चीन की वजह से बॉर्डर पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। देश के 4 ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि नया साल 2021 देश की राजनीति, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र के लिए कैसा रह सकता है...
राज्यों के चुनाव में भाजपा का बोलबाला रहने की उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राशि वृश्चिक है, इस पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा रहेगी। इनका आत्मविश्वास दुश्मन को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। अपनी असाधारण इच्छा शक्ति के दम पर मोदी सफलता प्राप्त करेंगे। साथ ही, वे अपने व्यक्तित्व से लोगों को प्रभावित करते रहेंगे। इनकी कुंडली में बृहस्पति का केंद्र में होना और मंगल का खुद की राशि में होना, इस बात का संकेत देता है कि इनमें प्रबंधन करने के विशेष गुण हैं। इस साल देश की राजनीति के लिए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन और घटनाक्रम वाला हो सकता है।
जनता का कारक ग्रह शनि है। ये ग्रह केंद्र में है और बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही है। इस साल भी जो चुनाव राज्यों में होंगे, उनमें भाजपा का प्रभाव बढ़ेगा। कांग्रेस के लिए ये साल कुछ ज्यादा उल्लेखनीय नहीं रहने वाला है। राजनीतिक गतिविधियां लगातार तेज रहेंगी। वर्ष 2024 में शनि की साढ़ेसाती के समय मोदी की कुंडली में मंगल होने से, इन्हें फिर से पीएम बनने का मौका मिलेगा।
- नस्तुर बेजान दारुवाला (एस्ट्रोलॉजर, अहमदाबाद)
कश्मीर में आतंक की दो-तीन बड़ी घटनाएं हो सकती हैं
नया साल भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत खास रहने वाला है। इस साल भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ सकता है। दोनों देशों के बीच झड़पें भी हो सकती हैं। युद्ध जैसे हालात बनने के योग हैं, लेकिन युद्ध नहीं होगा। अप्रैल से अक्टूबर तक भारत और पाकिस्तान के बीच हालात नाजुक रहेंगे, इस दौरान युद्ध होने के आसार बन रहे हैं। इस साल पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान हो सकता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नियंत्रण में रहेगा। दो-तीन बड़ी घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन स्थिति पर काबू रहेगा। नक्सली गतिविधियों की अधिकता रह सकती है।
विदेश नीति के मामले में भी ये साल भारत के लिए कुछ मामलों में चुनौतीपूर्ण रह सकता है। हालांकि, पड़ोसी देशों के साथ संबंधों और कूटनीति में भारत को खासी सफलता हासिल हो सकती है। भारत की विदेश नीति चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार व बांग्लादेश के मामले में उल्लेखनीय रूप से सफल रह सकती है।
- डॉ. कुमार गणेश (न्यूमेरोलॉजिस्ट, जयपुर)
विद्यार्थियों का मिलेगा अच्छा रिजल्ट, जनवरी के बाद कोरोना होगा काबू
2020 में कोरोना की वजह से देश को शिक्षा क्षेत्र में जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई 2021 में हो जाएगी। ये साल शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। नए साल में माता-पिता, शिक्षक और संचालन करने वाले सभी लोगों को फायदा होगा। विद्यार्थियों को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
महामारी कोरोना जनवरी 2021 के बाद से काबू होने लगेगी। ज्योतिष के अनुसार शनि जब भी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आता है तो सभी को परेशान करता है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। सूर्य की शनि के साथ प्रबल शत्रुता है। इस कारण जब से सूर्य के नक्षत्र में शनि का प्रवेश हुआ है, तब से ही दुनियाभर में महामारी फैली है। 23 जनवरी को शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से निकल कर श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके बाद दुनियाभर में फैली महामारी और अशांति खत्म होने लगेगी। देश-दुनिया की कई बड़ी समस्याएं हल हो जाएंगी।
- पं. मनीष शर्मा (ज्योतिषाचार्य, उज्जैन)
सरकार की आय और बेरोजगारों की तादाद, दोनों बढ़ने का योग
नए साल में भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत ज्यादा सुधार के योग नहीं हैं। इस समय आर्थिक संकट की वजह से जनता में अशांति रहेगी। बेरोजगारों की संख्या और बढ़ेगी। शेयर बाजार में लाभ में कमी होगी। बैंकों में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार बढ़ेगा। कई बीमा कंपनियों के लिए समय अच्छा नहीं रहेगा। विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और रुपया मजबूत होगा। सरकार की आय बढ़ेगी।
देश का व्यापारिक घाटा कम होगा। विदेशी पूंजी का सहयोग मिलेगा, भारतीय बाजार में उनकी रुचि रहेगी। वर्ष की शुरुआत में शेयर बाजार में मंदी रहने के योग हैं। ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, मोबाइल, साफ्टवेयर, सीमेंट, स्टील सभी से संबंधित शेयरों में मंदी बनी रहेगी। वर्ष के अंत में विश्व बाजार में भारत की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे आने वाले समय में देश को लाभ हो सकता है।
-पं. गणेश मिश्रा (ज्योतिषाचार्य, काशी)
1 जनवरी 1989 को गाजियाबाद के झंडापुर में अंबेडकर पार्क के नजदीक जन नाट्य मंच (जनम), माकपा के उम्मीदवार रामानंद झा के समर्थन में नुक्कड़ नाटक कर रहा था। नाटक का नाम था, 'हल्ला बोल'। तभी कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश शर्मा वहां से निकल रहे थे। उन्होंने सफदर हाशमी से रास्ता देने को कहा। इस पर सफदर ने उन्हें थोड़ी देर रुकने या दूसरा रास्ते से निकलने को कहा।
तभी मुकेश शर्मा के समर्थक नाराज हो गए और उन्होंने नाटक मंडली पर हमला कर दिया। इस हमले में सफदर बुरी तरह जख्मी हो गए। उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां 2 जनवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया। सफदर हाशमी ने जब दुनिया को अलविदा कहा, तब उनकी उम्र मात्र 34 साल थी। इतनी कम उम्र जीने वाले सफदर हाशमी ने ऐसा मुकाम बना लिया था, जो लोगों के दिलों में उतर चुका था।
अगले दिन सफदर हाशमी का जब अंतिम संस्कार हुआ, तब दिल्ली की सड़कों पर 15 हजार से ज्यादा लोग उमड़ आए थे। सफदर की मौत के 48 घंटे बाद उनकी पत्नी मौली श्री और उनके साथियों ने अंबेडकर पार्क जाकर हल्ला बोल नाटक का मंचन किया। उस दिन तारीख थी 4 जनवरी। उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं। उनकी मशहूर कविताओं में से एक ये भी है, "किताबें करती हैं बातें, बीते जमाने की, दुनिया की इंसानों की...'
12 अप्रैल 1954 को जन्मे सफदर हाशमी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद सूचना अधिकारी बने, लेकिन बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली। 1978 में 24 साल की उम्र में जन नाट्य मंच की स्थापना की। उनकी मौत के 14 साल बाद 2003 में गाजियाबाद कोर्ट ने कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा समेत 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
पहली बार चांद के करीब पहुंची इंसान की बनाई चीज
चांद के सबसे करीब पहुंचने वाला अंतरिक्ष यान LUNA-1 आज ही के दिन 1959 में लॉन्च किया गया था। ये पहली बार था, जब इंसान की बनाई कोई चीज चांद के सबसे करीब पहुंची थी। ये चांद की सतह से 6 हजार 400 किमी दूर था। इसे सोवियत संघ (अब रूस) ने लॉन्च किया था, लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से ये चांद की सतह पर नहीं उतर पाया था। सोवियत संघ इससे पहले भी तीन बार मिशन लॉन्च कर चुका था, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल सकी थी।
LUNA-1 ने अपने सफर के दौरान सोलर स्टॉर्म्स के बारे में जानकारी थी। यानी, इससे ही पता चला था कि अंतरिक्ष में भी पृथ्वी की तरह तूफान आते हैं। इसके साथ ही LUNA-1 पहला अंतरिक्ष यान था, जिसने पृथ्वी की एस्केप वैलोसिटी को पार किया था। एस्केप वैलोसिटी वो होती है, जिसके बिना कोई भी चीज पृथ्वी के ग्रेविटेशनल एरिया (गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र) से बाहर नहीं जा सकती। पृथ्वी की एस्केप वैलोसिटी 11.2 किमी प्रति सेकंड है। ये आवाज की रफ्तार से 33 गुना ज्यादा है।
भारत और दुनिया में 2 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :
24 सितंबर 2007 का दिन। पहले आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला चल रहा था। पाकिस्तान को जीत के लिए 4 गेंद में 6 रन की दरकार थी और आखिरी जोड़ी क्रीज पर थी। जोगिंदर शर्मा ने गेंद फेंकी, मिस्बाह ने बल्ला चलाया और श्रीसंत ने कैच लपक लिया। इसी के साथ धोनी के धुरंधरों ने खिताब अपने नाम कर लिया।
उस दौर में टी-20 फॉर्मेट को लेकर क्रिकेट फैन्स की दीवानगी बढ़ती जा रही थी। 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL की शुरुआत हुई। मौके की नजाकत को समझते हुए भवित सेठ और हर्ष जैन ने 2008 में फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11 लॉन्च कर दिया।
फैंटेसी स्पोर्ट्स में यूजर्स मोबाइल ऐप या वेबसाइट पर अपनी वर्चुअल टीम बनाता है और प्वॉइंट्स कमाता है। प्वॉइंट्स के हिसाब से यूजर्स की कमाई भी होती है। कई ऐप्स मुफ्त में खेलने का मौका देते हैं और कई ऐप्स इसके लिए पैसे लेते हैं। आज भारत में 140 से ज्यादा फैंटेसी प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। 2016 के बाद तो फैंटेसी स्पोर्ट्स सेगमेंट ने सफलता की नई मिसाल कायम की है, जो किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींच सकती है।
3 साल में 20 लाख से 9 करोड़ पार हो गए यूजर्स
फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स यानी FIFS और KPMG की रिपोर्ट के मुताबिक, फैंटेसी स्पोर्ट्स के 2016 में महज 20 लाख यूजर थे। 3 साल में 4400% की अभूतपूर्व बढ़ोतरी के साथ 2019 तक यूजर्स का आंकड़ा 9 करोड़ पार कर गया है।
2016 में इसे खेलने वालों ने 350 करोड़ रुपए कमाए थे। 2019-20 में यूजर्स की कमाई का आंकड़ा 40 गुना बढ़कर 14 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
2016 में फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर्स की संख्या सिर्फ 10 थी जो 2019 तक 14 गुना बढ़कर 140 से ज्यादा हो गई।
सालाना 32% के कंपाउंड रेट से बढ़ने का अनुमान है। 2024 तक इसका बाजार 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
फैंटेसी प्लेटफॉर्म पर 77% क्रिकेट के दीवाने
11 Wickets के संस्थापक सूरज चोकानी का मानना है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स का दिल क्रिकेट है। लेकिन, अन्य खेलों की तरफ भी भारतीय यूजर्स का रुझान बढ़ रहा है, जिससे फैंटेसी स्पोर्ट्स में फुटबॉल, बास्केटबाल और कबड्डी का उभरना तय है।
फैंटेसी स्पोर्ट्स की फिलहाल बड़ी समस्या ये है कि क्रिकेट इवेंट के दौरान तो इनकी बल्ले-बल्ले होती है, लेकिन ऑफ सीजन में यूजर्स की भारी कमी होती है। अब फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री प्रो कबड्डी लीग, इंडियन सुपर लीग, हॉकी इंडिया लीग, सुपर बॉक्सिंग लीग, प्रीमियर बैडमिंटन लीग वगैरह पर भी फोकस कर रही है, जिससे पूरे साल यूजर्स का फ्लो बना रहे।
फैंटेसी स्पोर्ट्स: गेमिंग या गैंबलिंग
भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स जितने लुभावने लगते हैं, उतने ही विवादित भी। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, नागालैंड और सिक्किम राज्यों में फैंटेसी स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा है। इन राज्यों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में जुए का चलन बढ़ रहा है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट में बताया कि राज्य में फैंटेसी स्पोर्ट्स में हारने के बाद सुसाइड के 30 मामले सामने आ चुके हैं।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन सायबर क्राइम एंड सायबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल तो यहां तक कहते हैं कि इनमें से कई फैंटेसी प्लेटफॉर्म मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल हो सकते हैं। कौन-सा यूजर्स कितना जीत रहा है, इस पर नजर ना होने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग भी की जा सकती है।
मद्रास हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसे प्लेटफॉर्म्स की पब्लिसिटी करने वाले सेलिब्रिटीज को नोटिस जारी किया है। इन पर लॉटरी का प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। इसमें एमएस धोनी, विराट कोहली और सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं।
भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स का भविष्य
लीगल एक्सपर्ट विराग गुप्ता बताते हैं कि फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर देश में अभी कोई अलग कानून नहीं है। फैंटेसी स्पोर्ट्स के समर्थक कहते हैं कि ये विशेषज्ञता का खेल है, इसलिए इसे सट्टेबाजी और जुए से अलग माना जाए, लेकिन इसके विरोधी इसे डिजिटल सट्टेबाजी का ही एक जरिया मानते हैं। नीति आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स पर बैन लगाना समाधान नहीं है। आयोग के मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने से तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में इनोवेशन रुक जाएगा।
नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि आने वाले सालों में इस सेक्टर में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा FDI आ सकता है। साथ ही ये इंडस्ट्री 2023 तक 150 करोड़ का ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर सकती है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर एक कानून होना चाहिए। कुछ राज्यों में जो कानूनी चुनौतियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए। हालांकि, यहां ये सवाल लाजिमी है कि क्या फैंटेसी प्लेटफॉर्म से जुड़े तमाम विवादों को दरकिनार कर पूरे देश में एक कानून बनाया जा सकता है?
टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के मुख्य मंच के पास ही एक टेंट लगा हुआ है। टेंट के भीतर चार-पांच युवा बैठे हैं और सभी अपने-अपने मोबाइल पर तेजी से कुछ टाइप कर रहे हैं। पूछने पर मालूम चलता है कि ये लोग असल में किसानों के आईटी सेल का काम कर रहे हैं। मंच से जो भी घोषणाएं हो रही हैं, आंदोलन से जुड़े जो भी नए अपडेट आ रहे हैं, ये लोग उन्हें तेजी से सोशल मीडिया के जरिए एक-एक किसान तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
इन युवाओं में कोई इंजीनियरिंग का छात्र है, कोई स्कूल का छात्र है, तो कोई ग्रैजुएशन या पोस्ट-ग्रैजुएशन का छात्र। कुछ ऐसे भी हैं, जो कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और किसी मल्टी-नैशनल कंपनी में नौकरी कर रहे हैं। सोशल मीडिया का पूरा ऐल्गोरिद्म बारीकी से समझने वाले ये युवा असल में जमींदारा छात्र सभा यानी JSO के वॉलंटियर्स हैं। ये वही छात्र संगठन है, जिसने किसानों के इस आंदोलन को हाईटेक बनाने और सोशल मीडिया पर इस आंदोलन की जबरदस्त उपस्थिति दर्ज करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है।
किसानों के इस आंदोलन पर कई बार यह सवाल उठाए गए हैं कि आखिर गरीब और अनपढ़ किसान कैसे ट्विटर पर इतना सक्रिय हो सकता है? वह कैसे नए-नए हैश टैग चला सकता है? कैसे ट्रेडिंग टॉपिक की समझ रखता है और कैसे सोशल मीडिया पर इतना मजबूत दखल रख सकता है? इस तरह के सभी सवालों का एक ही जवाब है - जमींदारा छात्र सभा।
इस संगठन से जुड़े नवीन दहिया पेशे से इंजीनियर हैं और इन दिनों गुरुग्राम की एक मल्टीनेशनल कंपनी के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम करते हैं। नवीन कहते हैं, ‘हम किसान के बेटे हैं। आज नौकरी करने लगे हैं, लेकिन हमारा मूल काम किसानी ही है। आज जब हमारे बाप-दादा यहां सड़क पर हैं, तो हम उनके आंदोलन को अपनी पूरी क्षमता से मजबूत कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर क्या और कैसे ट्रेंड करवाना है, ये हम बहुत बारीकी से समझते हैं। यही काम जब हम अपनी कंपनी के लिए कर सकते हैं, तो अपने बाप-दादा के लिए तो पूरी जान लगा कर करेंगे।’
जमींदारा छात्र सभा के महासचिव मीत मान बताते हैं कि उनके इस संगठन में फिलहाल 28,352 सक्रिय सदस्य जुड़े हुए हैं। ये लोग किसानों के किसी मुद्दे को जब एक साथ ट्वीट करते हैं, तो आसानी से उसे ट्विटर पर सबसे ऊपर ट्रेंड करने वाला मुद्दा बना देते हैं। इनमें से करीब 150-200 सदस्य हर समय टिकरी बॉर्डर पर मौजूद रहते हैं और हर नई जानकारी को सोशल मीडिया के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने के काम करते हैं।
जमींदारा छात्र सभा का गठन साल 2016 में हुआ था। हरियाणा से शुरू हुए इस संगठन की पकड़ आज राजस्थान के आठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में भी मजबूत हो चुकी है। संगठन के लोग दावा करते हैं कि हरियाणा के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में उनके संगठन ने छात्र संघ चुनावों में भी मजबूत स्थिति बना ली है और उनके कई प्रतिनिधि आज छात्र संघ का हिस्सा है।
मीत मान बताते हैं, ‘संगठन का मुख्य उद्देश्य है कि गांव के माहौल को बचाया और बढ़ाया जाए। पढ़ाई से लेकर खेल तक हर सुविधा के लिए बच्चों को जो शहर जाना पड़ता है, इसे रोकना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। जमीन से जुड़ा हर आदमी जमींदार है और हम उसी के लिए काम करते हैं। इसीलिए, संगठन का काम जमींदारा छात्र सभा रखा गया है। लेकिन इसके एक विंग जमींदारा सोशलिस्ट ऑर्गनाइजेशन भी है, जिसमें वो लोग शामिल हैं जो अब छात्र नहीं हैं और पढ़ाई पूरी कर चुके हैं।’
इस संगठन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा हैं और इसके छात्र विंग के अध्यक्ष परवीन ढांडा। संगठन के लोग दावा करते हैं कि वे हरियाणा के अलग-अलग गांवों में कुल 22 लाइब्रेरी भी चला रहे हैं, जहां किसानों के लिए सिर्फ़ किताबें ही उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि उन्हें तमाम दूसरी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। बुढ़ापा पेंशन से लेकर किसानों को सस्ते बीज उपलब्ध करवाना, फसल का रजिस्ट्रेशन करवाना और युवाओं के लिए रोजगार से संबंधित जानकारी जुटाने के काम भी इस लाइब्रेरी में होते हैं।
किसान आंदोलन की शुरुआत से ही जमींदारा छात्र सभा ने अहम भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया पर आंदोलन को बढ़ाने के साथ ही हरियाणा में अलग-अलग किसान संगठनों को एक साथ लाने का काम भी इस संगठन ने किया है। फिलहाल टिकरी बॉर्डर सबसे बड़ा लंगर भी यही संगठन चला रहा है और अन्य लंगरों को राशन और सब्जियां उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों के पास है।
मीत मान बताते हैं, ‘हमारे संगठन के जितने लोग यहां टिकरी बॉर्डर पर मौजूद हैं, उससे ज्यादा यहां से बाहर रहकर काम कर रहे हैं। जैसे कुछ लोग हिमाचल बॉर्डर पर काम कर रहे हैं, ताकि वहां से आने वाली सब्जियां जल्द से जल्द यहां पहुंच सकें, तो कुछ लोग पंजाब से आ रहे दूध की सप्लाई देख रहे हैं। आंदोलन को सोशल मीडिया के जरिए जन-जन तक पहुंचाने के काम तो सभी लोग कर ही रहे हैं।’
किसानों के लिए किसी समर्पित आईटी सेल से भी बेहतर सोशल मीडिया मैनेजमेंट करने वाले जमींदारा छात्र सभा को अलग-अलग यूनिवर्सिटी से आए छात्रों का भी साथ मिल रहा है। टिकरी बॉर्डर पर ही पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के तमाम छात्र मौजूद हैं जो बेहद रचनात्मक तरीकों से सोशल मीडिया पर किसानों के मुद्दे उठा रहे हैं।
जमींदारा छात्र सभा के आईटी सेल से जुड़े एक युवा कहते हैं, ‘राजनीतिक पार्टियों के आईटी सेल तो सिर्फ कॉपी-पेस्ट का काम करते हैं। जो अपने लोगों का इस्तेमाल सिर्फ भीड़ की तरह करते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं है। किसान हमारे मापे (मां-पिता) हैं, इसलिए हम आंदोलन से सरोकार रखते हैं। यहां सिर्फ कॉपी-पेस्ट का काम नहीं होता। हम सभी एक ही हैश टैग पर ट्वीट जरूर करते हैं, लेकिन सभी ट्वीट अलग होते हैं। इसलिए हमारा कंटेंट पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है और जल्दी दूर तक पहुंचता है। हमारे बाप-दादाओं ने खेती करके ही हमें इंजीनियर बनाया है। आज हम उसी इंजीनियरिंग की सीख का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि खेती बची रहे।’
महिमा दातला हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल E कंपनी की MD हैं। उनकी कंपनी 1962 से वैक्सीन बना रही है। पिछले दस महीने से कंपनी कोरोना वैक्सीन डेवलप करने में लगी हैं। भारत में कोरोना वैक्सीन डेवलप करने वाले जो सात-आठ बड़े प्लेयर हैं, उनमें बायोलॉजिकल E भी है।
भास्कर से बातचीत करते हुए उन्होंने बेबाकी से कहा, 'कोरोना की वैक्सीन का असर कितने लंबे समय के लिए होगा, ये अभी कहा नहीं जा सकता। क्योंकि, इस महामारी को अभी काफी कम टाइम हुआ है। समय बीतने के साथ डाटा आएगा, तभी इस बारे में ज्यादा जानकारी सामने आएगी।' उन्होंने ये भी कहा, 'हम वैक्सीन प्रॉफिट कमाने के लिए नहीं बना रहे, बल्कि इसे अफोर्डेबल रखकर जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं।' पढ़िए उनका पूरा इंटरव्यू।
आपकी वैक्सीन कब तक मार्केट में आ सकती है?
अभी हमारे फेज वन और टू के ट्रायल चल रहे हैं, जो फरवरी तक पूरे होंगे। इसके बाद फेज थ्री ट्रायल शुरू होगा। जून-जुलाई तक हमें वैक्सीन की एफीकेसी यानी असर के बारे में पता चल सकता है। हमारी वैक्सीन सेफ तो है, लेकिन एफीकेसी के रिजल्ट्स आना बाकी हैं। इसके बाद ही वैक्सीन मार्केट में आएगी। देश में इंफेक्शन तेजी से बढ़ता है, तो हमें इमरजेंसी लाइसेंस मिल सकता है।
वैक्सीन की कीमत कितनी हो सकती है?
अभी इस बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकती। ये जरूर कह सकती हूं कि कीमत ऐसी होगी कि वैक्सीन हर जरूरतमंद की पहुंच में हो। हमें भगवान ने बहुत कुछ दिया है। इसलिए हम कोरोना वैक्सीन में प्रॉफिट बनाने का नहीं सोच रहे। मानवता के लिए और देश की सेवा के लिए ये काम कर रहे हैं। जिंदगी में ऐसे मौके बहुत कम लोगों को मिलते हैं कि जो काम आप कर रहे हैं, उससे बहुत से लोगों को फायदा मिले।
फेज वन और टू के ट्रायल के नतीजे कैसे आ रहे हैं?
अभी रिजल्ट्स आना शुरू नहीं हुए हैं। जब भी आएंगे, हम उन्हें अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेंगे, फिर भले ही वो अच्छे हों या बुरे।
क्या वैक्सीन को किसी खास टेम्प्रेचर पर स्टोर करना होगा, यदि हां तो कितने टेम्प्रेचर पर स्टोर करना होगा?
किसी खास टेम्प्रेचर में स्टोर करने की जरूरत नहीं होगी। फ्रिज का जो नॉर्मल टेम्प्रेचर होता है, उसमें स्टोर की जा सकेगी।
आपके हिसाब से देश में वैक्सीनेशन कितने समय तक चल सकता है?
इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। टाइम बीतने के साथ डाटा आएगा, तभी आगे की चीजें क्लीयर हो पाएंगी।
क्या जिस तरह से पोलियो के टीके लगाए जाते हैं, उसी तरह से कोरोना के भी टीके कई साल तक लगाना पड़ेंगे?
वैक्सीन कितने दिनों के लिए इफेक्टिव रहेगी, यह अभी से हम नहीं सकते। US और UK में mRNA वैक्सीन लग रही है, जो काफी इफेक्टिव है। यह मानवता के लिए बहुत खुशी की बात है, लेकिन यह कितने दिनों तक सुरक्षित रखेगी, इसका अभी डेटा नहीं आया है। डेटा आने के बाद ही इस बारे में कुछ कह पाएंगे।
पीएम मोदी ने आप से वैक्सीन डेवलपमेंट को लेकर बात की थी, उस बारे में कुछ शेयर करना चाहेंगी?
पीएम ने कहा था कि आप फर्स्ट आओ या सेकंड ये बड़ी बात नहीं है, लेकिन वैक्सीन का असर और सुरक्षा बहुत अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि जो भी करें, बहुत अच्छा करें। क्योंकि, यह देश की इमेज का सवाल है। इफेक्टिवनेस और सेफ्टी के अलावा उन्होंने ये कहा था कि प्राइज अफोर्डेबल होना चाहिए। व्यक्तिगत तौर पर मुझे पीएम के तीनों ही पॉइंट बिल्कुल वैलिड लगे। हम इस पर पूरा फोकस कर रहे हैं।
कोरोना के बाद से आपकी जिंदगी कैसी चल रही है?
कोरोना के पहले हर महीने देश से बाहर जाना होता था। लेकिन फरवरी-2020 से कहीं नहीं गई। जरूरत पड़ने पर प्लांट पर होती हूं, वरना घर से ही काम कर रही हूं। हमारे पास 150 अनुभवी साइंटिस्ट की टीम है, जो वर्ल्ड क्लास के हैं। कोरोना के बाद हम पर वैक्सीन की एक बड़ी जिम्मेदारी है। ऐसे में पूरा ध्यान इस पर है। साथ ही जो जरूरी वैक्सीन पहले से बन रही हैं, उन पर भी काम कर रहे हैं। घर में मेरी दोनों बहनें सभी काम मैनेज कर लेती हैं, इसलिए मैं बिजनेस पर फोकस कर पाती हूं।
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