प्रादेशिक सेना (Territorial Army) ने लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के इंदिरा पॉइंट तक के सफर का अभियान शुरू किया है. इसमें साइकिलिंग, नौकायन और स्कूबा डाइविंग के जरिए जमीन, हवा और समुद्र के रास्ते लगभग 5,500 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी. यह अभियान टेरिटोरियल आर्मी के प्लेटिनम जुबली वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। नौ अक्टूबर 2024 को प्रदेशिक सेना की स्थापना के 75 साल पूरे हो जाएंगे.
इस अभियान में शामिल 21 सदस्यीय दल को 30 जुलाई को सियाचिन ग्लेशियर से रवाना किया गया था. अभियान दल 21 जुलाई को नई दिल्ली पहुंचा. यहां उसने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की. अभियान दल को आज नई दिल्ली में इंदिरा पॉइंट तक की आगे की यात्रा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर, उप सेना प्रमुख (सूचना प्रणाली और सहयोग) ने हरी झंडी दिखाई.
एक्सपेडीशन दल पूरे देश में साइकिल से सफर करते हुए चेन्नई पहुंचेगा. वहां से टीम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जाएगी. निकोबार द्वीप समूह से दक्षिण की ओर यात्रा करने के बाद यह अभियान इंदिरा प्वाइंट पर समाप्त होगा. वहां भारत के सबसे दक्षिणी छोर इंदिरा प्वाइंट पर पानी के नीचे तिरंगा फहराया जाएगा.
टीम द्वारा राष्ट्रीय एकता, पर्यावरण चेतना, अपनी सेना को जानें आदि मुद्दों पर जन जागरूकता गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं. अभियान दल उन दिग्गजों और सैन्य कर्मियों के परिवारों को सम्मानित कर रहा है, जिन्होंने कर्तव्य पूरा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है. टेरिटोरियल आर्मी की पूरे देश में व्यापक उपस्थिति है. नागरिक-सैन्य संपर्क को बढ़ावा देना भी अभियान के उद्देश्यों में से एक है.
प्रादेशिक सेना अधिनियम 1948 के अधिनियमन के बाद 1949 में प्रादेशिक सेना (टीए) की स्थापना की गई थी. पिछले कुछ दशकों में यह एक बड़े बल के रूप में विकसित और विस्तारित हुई है जो भारतीय सेना द्वारा संचालित सभी क्षेत्रों में संचालन में अंतर्निहित है. टीए ने भारतीय सेना के सभी प्रमुख अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है और कई पुरस्कार अर्जित किए हैं. टीए ने राष्ट्र निर्माण, पर्यावरण प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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