तमिलनाडु (Tamil Nadu) और पंजाब (Punjab) की सरकारों ने उनकी विधानसभाओं से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में संबद्ध राज्यपालों के देर करने का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का रुख किया है. तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि की (राज्य में) एम. के. स्टालिन नीत द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की भगवंत मान नीत आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ तकरार चल रही है.
तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष न्यायालय से विषय में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. राज्य सरकार ने आरोप लगाया कि ‘‘एक संवैधानिक प्राधिकार बाहरी कारणों से'' राज्य सरकार के कामकाज में ‘‘असंवैधानिक तरीके से व्यवधान'' डाल रहा है.
इसने अधिवक्ता सबरीश सुब्रमण्यम के मार्फत दायर की गई याचिका में कहा, ‘‘असाधारण परिस्थितियां असाधारण उपायों की मांग करती हैं.''
तमिलनाडु सरकार ने कहा, ‘‘ यह घोषणा करें कि तमिलनाडु राज्य विधानमंडल द्वारा पारित और मंजूरी के लिए भेजे गए विधेयकों पर राज्य के राज्यपाल/प्रथम प्रतिवादी द्वारा संवैधानिक आदेश का पालन करने में निष्क्रियता, चूक, देरी और विफलता असंवैधानिक, अवैध, मनमाना, अनुचित और शक्ति का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल है.''
राज्य सरकार ने कहा कि उसके द्वारा उनके (राज्यपाल के) हस्ताक्षर के लिए भेजी गई फाइलें एवं सरकारी आदेश पर विचार नहीं किये जाने को भी असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जाए.
दोनों याचिकाएं 28 अक्टूबर को दायर की गईं. पंजाब सरकार द्वारा दायर याचिका का विवरण अभी उपलब्ध नहीं हुआ है.
पंजाब के राज्यपाल ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित 27 में से 22 विधेयकों को मंजूरी दी है.
हाल में, तीन धन विधेयकों को राज्यपाल पुरोहित की पूर्व मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन उन्होंने सहमति रोक ली. इसके चलते विधानसभा के विशेष सत्र को स्थगित करना पड़ा था और मुख्यमंत्री मान ने बयान दिया कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी.
इन विधेयकों का प्रस्ताव राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में आप सरकार ने किया था.
वहीं, तमिलनाडु सरकार ने याचिका में कहा है कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित 12 विधेयक राज्यपाल रवि के पास लंबित हैं.
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