साढ़े तीन सौ साल बाद मुगलकाल के सबसे उदार और फारसी के विद्वान शहजादे दारा शिकोह की कब्र को खोज लेने का दावा किया गया है. दरअसल, दारा शिकोह की विरासत खोजने के लिए तीन साल पहले भारत सरकार ने एक कमेटी बनाई थी. अब उस कमेटी में शामिल केके मोहम्मद और बीआर मनी जैसे मशहूर पुरातत्वविद् ने दारा शिकोह के कब्र की पहचान पर सहमति दी है. किसी जमाने में दारा शिकोह अपने उदार और दानी व्यक्तित्व के चलते दिल्ली और आगरा की जनता में खासा लोकप्रिय था, लेकिन औरंगजेब दारा शिकोह से किस कदर नफरत करता था इसका जिक्र इतिहासकार मनूची ने किया है. लड़ाई हारने के बाद दारा शिकोह को बंदी बनाकर पहले दिल्ली की सड़कों पर घुमाया गया, फिर सिर काटकर हुमायूं के मकबरे में दफना दिया गया.
आलमगीरनामा से मिला सुराग
इसके बाद दारा शिकोह की कब्र सैकड़ों साल तक गुमनामी के अंधेरे में रही, लेकिन फिर 2020 में भारत सरकार ने एक कमेटी बनाकर दारा शिकोह और अब्दुल रहीम की विरासत को खोजने का काम शुरु किया. दारा शिकोह की कब्र खोजने का काम दिल्ली नगर निगम के हेरीटेज सेल के इंजीनियर संजीव कुमार ने शुरू किया. रिसर्च में कब्र का पहला सुराग औरंगजेब पर फारसी में लिखी किताब आलमगीरनामा से मिला. दिल्ली नगर निगम हेरीटेज सेल के इंजीनियर संजीव कुमार ने बताया कि आलमगीरनामा में साफतौर पर लिखा है कि दारा शिकोह को हुमायूं मकबरे में वहां दफन कर दिया गया, जहां बादशाह अकबर के दो बेटे दानियाल और मुराद दफन थे. इसके बाद दिक्कत यह थी कि हुमायूं मकबरे के तहखाने में जाने के लिए 64 दरवाजे थे. फिर खोज के दौरान पता चला कि एक दरवाजे के बाहर कोई कब्र नहीं थी और उसका रास्ता हुमायूं गुंबद के पांच तहखानों तक जाता है.
150 से अधिक कब्रों में से ढूंढा
इस तरह संजीव कुमार ने हूमायूं के मकबरे की 150से 160 कब्रों के बीच दारा शिकोह की कब्र खोजने का दावा किया है. उनके इस शोध पर भारत सरकार की सात सदस्यीय कमेटी में से चार सदस्य ने सहमति दी है, जिसमें मशहूर पुरातत्वविद् केके मोहम्मद, बीआर मनी के अलावा मशहूर इतिहारकार इरफान हबीब भी शामिल हैं. ASI के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक केके मोहम्मद ने कहा कि देखिए, सरकार ने दारा शिकोह पर जो कमेटी बनाई है उसमें मैं भी हूं. मैंने भी संजीव का ये शोध पढ़ा है. मेरे हिसाब से दारा शिकोह की कब्र वही है जो उसने खोजा है. हमने ये बात रिपोर्ट में लिखी भी है.
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