मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों के लिए सामूहिक विवाह योजना कुछ दुल्हनों के प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने के बाद विवादों में आ गई है. 219 लड़कियों में से पांच का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद शनिवार को उनकी शादी नहीं हुई. इस मामले ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद उत्पन्न कर दिया है. कांग्रेस ने सवाल किया है कि टेस्ट का आदेश किसने दिया. मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के तहत सामूहिक विवाह डिंडोरी के गडसराय क्षेत्र में संपन्न हुआ. जिन महिलाओं का प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया था, उनमें से एक ने कहा कि वह शादी से पहले अपने मंगेतर के साथ रहने लगी थी. उसने कहा, "मेरा प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया है. संभवत: इसी वजह से मेरा नाम शादी की अंतिम सूची से हटा दिया गया, हालांकि, अधिकारियों ने मुझे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है."
बछड़गांव गांव की सरपंच मेदानी मरावी ने कहा, "पहले कभी इस तरह के टेस्ट नहीं किए गए थे. यह उन लड़कियों का अपमान है, जो अब अपने परिवारों के सामने बदनाम हो गई हैं." डिंडोरी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमेश मरावी ने कहा कि आमतौर पर आयु सत्यापन, सिकल सेल एनीमिया और शारीरिक फिटनेस का पता लगाने के लिए टेस्ट किए जाते हैं.उन्होंने कहा, "उच्च अधिकारियों के कहने पर कुछ लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया, जिनके मामले संदिग्ध थे." उन्होंने कहा, "हम केवल टेस्ट करते हैं और निष्कर्षों की रिपोर्ट करते हैं. लड़कियों को सामूहिक विवाह योजना से बाहर करने का निर्णय स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सामाजिक न्याय विभाग द्वारा लिया जाता है." कांग्रेस का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार ने प्रेग्नेंसी टेस्ट कराकर महिलाओं का अपमान किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, "मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह खबर सच है? अगर यह खबर सच है तो किसके आदेश पर मध्य प्रदेश की बेटियों का यह घोर अपमान किया गया?" क्या मुख्यमंत्री की नजर में गरीब और आदिवासी समाज की बेटियों की कोई इज्जत नहीं है? शिवराज सरकार में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले से ही अव्वल है. मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले." मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना अप्रैल 2006 में शुरू की गई थी. इस योजना के तहत, राज्य सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों के विवाह के लिए वित्तीय सहायता के रूप में ₹ 56,000 प्रदान करती है.
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