दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी का पहली बार ऑडिट होगा. इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल ने आदेश जारी कर दिए हैं. इसके तहत दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) को निर्देश दिए गए हैं कि साल 2016-17 से लेकर 2021-22 तक दिल्ली सरकार ने जो पैसा सब्सिडी के तौर पर दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों को जारी किया गया है, उसका ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) के पैनल में शामिल लेखा-परीक्षकों के माध्यम से करवाया जाए. ऑडिट में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सब्सिडी का पैसा सही लाभार्थी तक पारदर्शी और बेहतर तरीके से पहुंचे.
दिल्ली सरकार के विशेष सचिव (बिजली) रवि धवन की तरफ से जारी आदेश में कहा गया कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 108 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उपराज्यपाल ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग को सीएजी पैनल में शामिल लेखा-परीक्षकों के माध्यम से विशेष 'ऑडिट' करने का निर्देश दिया है.
कुल 13,549 करोड़ रुपये इन 6 सालों के दौरान दिल्ली सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी के तौर पर जारी किए थे. दिल्ली में घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलती है, जबकि 400 यूनिट बिजली आधे दाम पर मिलती है, जिसके लिए दिल्ली सरकार तीन बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी जारी करती है.
पिछले कुछ समय से दिल्ली के उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच बिजली कंपनियों और बिजली सब्सिडी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं.
उपराज्यपाल ने दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को हटा दिया था और कहा था कि पहले इस पद पर अधिकारी नियुक्त हुआ करते थे, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने लोगों को इसलिए नियुक्त किया क्योंकि उनकी बिजली वितरण कंपनियों के साथ सांठगांठ है.
इसके जवाब में आम आदमी पार्टी सरकार ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट लोगों को उपराज्यपाल ने कहीं इसलिए तो नहीं हटाया कि उनकी बिजली वितरण कंपनियों के साथ सांठगांठ है और इसलिए वहां पर सरकार द्वारा नियुक्त लोगों को हटाकर उनके अपने अफसर नियुक्त किए गए हैं.
इसके साथ ही पिछले महीने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों को सरकार की तरफ से जारी सब्सिडी के पैसे का ऑडिट कराने के आदेश दिए थे.
उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के इसी प्रस्ताव को मंजूरी दी है. उपराज्यपाल का कहना है कि दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 108 के मुताबिक दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन का बिजली वितरण कंपनियों का ऑडिट करना अनिवार्य है.
इससे पहले, साल 2015 में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों के सीएजी ऑडिट के आदेश दिए थे.
इस आदेश के खिलाफ बिजली वितरण कंपनियां दिल्ली हाईकोर्ट चली गई थीं और दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था. इसके जवाब में दिल्ली सरकार 2016 में सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. यह मामला तब से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
दिल्ली में बिजली वितरण 2002 में ही निजी हाथों में चला गया था, तब से लेकर आज तक बिजली कंपनियों का ऑडिट नहीं हुआ है.
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