बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल एस.एम. शफीउद्दीन अहमद ने बृहस्पतिवार को भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ व्यापक बातचीत की, जिसमें दोनों देशों के बीच पहले से मजबूत सैन्य संबंधों को और सुदृढ़ करने पर ध्यान दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि जनरल अहमद और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने दोनों सेनाओं के बीच संपूर्ण सहयोग की समीक्षा की और संबंधों को और विस्तार देने के तरीके खोजने पर विचार किया.
भारत यात्रा पर आए बांग्लादेश के जनरल ने नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा, रक्षा सचिव गिरिधर अरमने और वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल ए.पी. सिंह से भी मुलाकात की. जनरल अहमद ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान से बुधवार को मुलाकात की थी. वह तीन दिवसीय भारत यात्रा पर बुधवार को यहां पहुंचे थे.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जनरल पांडे और जनरल अहमद ने दोनों देशों के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी के तहत अंतर-सक्रियता, प्रशिक्षण, आतंकवाद को रोकने की साझेदारी और संपूर्ण द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की. उसने बताया कि जनरल अहमद को रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) और आर्मी डिजाइन ब्यूरो द्वारा भारतीय स्वदेशी रक्षा उपकरण निर्माण के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में भी जानकारी दी गई.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार यात्रा के दौरान भारत के ‘सेंटर फॉर यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग' (सीयूएनपीके) और ‘बांग्लादेश इंस्टीट्यूट ऑफ पीस सपोर्ट ऑपरेशंस ट्रेनिंग' (बीआईपीएसओटी) के बीच संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षण अभियान और प्रशिक्षण सहयोग के लिए एक “कार्यान्वयन व्यवस्था” पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए.
बांग्लादेश के सेना प्रमुख 29 अप्रैल को अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी, चेन्नई में होने वाली पासिंग आउट परेड के समीक्षा अधिकारी होंगे. वह अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी संग्रहालय का दौरा करेंगे और पासिंग आउट कोर्स के कैडेट के साथ बातचीत भी करेंगे.
बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर माल्यार्पण कर भारतीय सशस्त्र बलों के शहीद नायकों को श्रद्धांजलि देकर अपनी यात्रा की शुरुआत की. यात्रा पर आए जनरल को साउथ ब्लॉक लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे से मुलाकात की.
मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत और बांग्लादेश 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान सहयोग तथा समर्थन की ऐतिहासिक विरासत को साझा करते हैं.'' उसने कहा, ‘‘रक्षा क्षेत्र के सक्रिय सहयोग में सेना प्रमुखों के स्तर पर उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, रक्षा सचिवों द्वारा प्रारंभिक वार्षिक रक्षा संवादों का आयोजन, तीनों-सेवाओं और सेवा-विशिष्ट कर्मचारियों की वार्ताएं शामिल हैं.''
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