विलियम शेक्सपियर ने ठीक ही कहा था कि हमारी नियति तय करने की क्षमता सितारों में नहीं बल्कि खुद में है. कमल चंद्रा की नई फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं' इसी विचार को स्थापित करती है. यह फिल्म जिंदगी में सफलता और विफलता की कहानी की पड़ताल करती है. और इसका जरिया बनता है बिहार के गांव का एक सरल और भोला-भाला लड़का. यही लड़का आखिरकार IAS परीक्षा में टॉप स्थान हासिल करता है.
'अब दिल्ली दूर नहीं' एक इमोशनल ड्रामा फिल्म है. रिलीज के लिए तैयार इस फिल्म की कहानी में गहराई है. बिहार के एक छोटे-से शहर का लड़का अभय शुक्ला शीर्ष पाने की चाहत में दिल्ली पहुंचता है. अभय एक ऐसे परिवार से आता है, जो मुश्किलों से जूझ रहा है. अभय का लक्ष्य है आईएएस परीक्षा में शामिल होना और कामयाबी हासिल करना. लेकिन वह ये काम खुद के लिए नहीं, बल्कि परिवार को गरीबी के चंगुल से बाहर निकालने के लिए करता है. अभय की राह मुश्किलों से भरी हुई हैं. उसका सामना चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों से होता है. वह राजनीतिक से लेकर सांस्कृतिक विडंबनाओं से दो-चार होता है. दरअसल, ‘अब दिल्ली दूर नहीं' अभय के आईएएस बनने के लिए संघर्ष और उसके सामने आई चुनौतियों पर आधारित सटीक कहानी है.
फिल्म के अभिनेता इमरान ज़ाहिद कमाल के कलाकार हैं. वे ‘द लास्ट सैल्यूट' जैसे प्रतिष्ठित नाटक में काम कर चुके हैं. ये नाटक इराकी पत्रकार मुंतधर अल-जैदी की किताब ‘द लास्ट सैल्यूट टू प्रेसिडेंट बुश' पर आधारित है. इसके साथ ही ज़ाहिद ने महेश भट्ट की फिल्म अर्थ, डैडी और हमारी अधूरी कहानी पर आधारित कई अन्य नाटकों में भी अभिनय किया है. 'अब दिल्ली दूर नहीं' फिल्म में इमरान ज़ाहिद ने अभय शुक्ला के चरित्र और कहानी को जीवंत बना दिया है. खास बात ये है कि ज़ाहिद भी बिहार से आते हैं. इसी वजह से ऐसा मालूम पड़ता है कि चरित्र को निभाते हुए वे उसी में रच-बस गए हैं. किरदार को लेकर उनमें गहरी समझ दिखती है और वे एकदम नैचुरल लगते हैं.
दरअसल, फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' एक रिक्शा चालक के बेटे की कहानी से प्रेरित है, जिनका नाम गोविंद जायसवाल है. गोविंद का 2007 में सिविल सेवा में सेलेक्शन हुआ था और वे आईएएस अधिकारी बने. किरदार को जीवंत बनाने के लिए ज़ाहिद ने गोविंद जायसवाल से भी मुलाकात की और उन्हें करीब से समझा. ज़ाहिद कहते हैं कि गोविंद जी से मिलना काफी प्रेरणादायक था. उन्होंने खुद के जीवन से जुड़ी जो बातें मुझसे साझा कीं, उनसे उनके चरित्र को समझने में सहूलियत तो हुई ही, उनकी इच्छाशक्ति के बारे में भी बखूबी जाना.
फिल्म का निर्माण जाने-माने निर्माता विनय भारद्वाज ने शाइनिंग सन स्टूडियोज के बैनर तले किया है. वहीं एक्ट्रेस श्रुति सोढ़ी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही एक पंजाबी लड़की की भूमिका में हैं. श्रुति ने जनवरी 2015 में रिलीज तेलगू फिल्म ‘पटास' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी और अब तक ‘हैप्पी गो लकी', ‘मिस्टर एंड मिसेज 420', ‘वैशाखी लिस्ट' और ‘दिल विल प्यार व्यार' जैसी पंजाबी फिल्मों में काम किया है. बता दें, अब दिल्ली दूर नहीं 12 मई 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है.
from NDTV India - Latest https://ift.tt/0sENHlp
via IFTTT
0 comments:
Post a Comment