आपको भुवनेश्वर के बुधिया सिंह तो याद ही हाेंगे। लंबी दूरी का नन्हा धावक, जिन्होंने महज चार साल की उम्र में 65 किलोमीटर की दूरी दौड़कर तय की थी। बुधिया जैसा ही एक हाेनहार धावक भोपाल में तैयार हो रहा है। इनका नाम है वरेण्यम शर्मा। सिर्फ छह साल पांच महीने के वरेण्यम ने दाे दिन पहले ही 31 दिन का ‘इंडियन रनर दिसंबर चैलेंज’ पूरा किया है। उन्होंने 53 घंटे 14 मिनट 44 सेकंड में 251.03 किमी की दूरी दौड़कर तय की है।
वे देशभर के 3899 धावकों में 89वें नंबर पर रहे। अपने बुलंद हाैसले के कारण ही वरेण्यम काे एशियन बुक ऑफ रिकाॅर्ड्स ने 8 दिसंबर 2020 काे ग्रैंड मास्टर्स का टाइटल दिया था। इससे चार दिन पहले, यानी 4 दिसंबर काे वरेण्यम का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। उन्हें ‘मैक्सिमम डिस्टेंस कवर्ड बाई ए किड वाइल रनिंग’ का टाइटल भी मिला है। वरेण्यम रोजाना घर में बना जूस पीते हैं और हरी सब्जियां, फल और अंकुरित अनाज ही खाते हैं।
वरेण्यम पर मैदान में कुत्ताें का झुंड हमला कर चुका है, इसलिए दाैड़ते वक्त पिता, दादा पहरा देते हैं
हाेशंगाबाद राेड स्थित सागर लाइफस्टाइल सोसायटी में रहने वाले वरेण्यम चैलेंज के तहत 6 दिसंबर को बिट्टन मार्केट दशहरा मैदान पर दौड़ लगा रहे थे। वे तीन किलोमीटर की दौड़ पूरी कर चुके थे, तभी उनके पैर में एक टेनिस बॉल आकर लगी। उन्हें रनिंग रोकनी पड़ी। हालांकि, उसी दिन शाम को वरेण्यम ने पांच किमी की दौड़ पूरी की।
वे पिछले ढाई महीने से हर रोज पांच किमी दौड़ रहे हैं। एक दिन चैलेंज के दौरान दौड़ते वक्त मैदान में कुत्तों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया था। यही कारण है कि अब वरेण्यम जब भी दौड़ लगाते हैं तो उनका परिवार सुबह से सुरक्षा में लग जाता है। उनके पिता, ताऊ, दादा और दादी पहरा देते रहते हैं, ताकि कोई आवारा कुत्ता उनके पास न आए।
टीटी नगर स्टेडियम में दौड़ने की अनुमति नहीं मिली
उनके पिता राहुल शर्मा बताते हैं कि बिट्टन मार्केट मैदान पर बच्चे क्रिकेट खेलते हैं, ऐसे बॉल लगने का डर रहता है। वहां कुत्तों के झुंड भी रहते हैं। हमने तात्या टोपे स्टेडियम के ट्रैक पर दौड़ने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि बच्चा बहुत छोटा है। समझ नहीं आ रहा कि उसे कहां प्रैक्टिस कराऊं।
चैलेंज में हर उम्र के धावक थे, दिल्ली से हाेती थी ट्रैकिंग
‘इंडियन रनर दिसंबर चैलेंज’ ओपन फाॅर ऑल था, यानी इसमें किसी भी उम्र का धावक हिस्सा ले सकता है। चैलेंज के तहत धावक देश में कहीं भी दाैड़ सकते हैं। उन्हें हर रोज दो किलोमीटर या फिर उससे ज्यादा दौड़ पूरी करनी थी। इसकी ट्रैकिंग एक मोबाइल ऐप से होती है। दाैड़ते वक्त धावक काे माेबाइल फाेन साथ रखना पड़ता है। ऐप के जरिए दिल्ली में बैठी टीम उसे ट्रैक करती है।
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