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Friday, September 11, 2020

सही कार्यक्रम के चयन से ऑनलाइन पढ़ाई छात्र और गार्जियन दोनों के ही लिए एक वरदान हो सकती है

देशभर में निजी ट्यूशन बाजार के आमतौर पर बिखरे होने से ऑनलाइन ट्यूशन की अवधारणा काफी लोकप्रिय हो रही है। आज विद्यार्थी स्क्रीन से सीखने के अभ्यस्त हो रहे हैं और इंटरनेट के लोकतंत्रीकरण ने तकनीक आधारित पढ़ाई को केंद्र में ला दिया है। हालांकि, अनेक अभिभावक और विद्यार्थी अब भी आशंकित हैं कि ऑनलाइन ट्यूशन से उन्हें कैसे लाभ हो सकता है और यह उन्हें किस तरह बेहतर सीखने में मदद कर सकता है।

महामारी की वजह से सभी तरह की कक्षाएं बंद हो गई हैं और ऐसे में अभिभावक व विद्यार्थी दोनों ही एक विश्वसनीय होम-लर्निंग समाधान की कमी महसूस कर रहे हैं। ऑनलाइन ट्यूशन को लेकर सभी तरह के मिथकों को दरकिनार करने की जरूरत है। ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कुछ बड़ी गलतफहमियां ये हैं:

विद्यार्थियों को मार्गदर्शन की दिक्कत

ऑनलाइन ट्यूशन को लेकर अभिभावकों की सबसे आम दिक्कत यह है कि इससे उनके बच्चों को आवश्यक मार्गदर्शन नहीं मिल पाएगा। अभिभावक और विद्यार्थी आज विशेष तौर पर तैयार मेंटरिंग कार्यक्रम चुन सकते हैं, जो विद्यार्थी की व्यक्तिगत जरूरत को पूरा करते हैं। इससे विद्यार्थियों की एक व्यक्तिगत मेंटर तक पहुंच होती है, जो उसे शैक्षिक तौर पर सही दिशा में ले जाता है। ऑनलाइन पढ़ाई कार्यक्रमों में हरेक विद्यार्थी पर एक मेंटर द्वारा प्रभावी ध्यान दिया जाता है, जो उसे उसकी पूरी सीखने की प्रक्रिया में मार्गदर्शन देता है। इसके अलावा वह नियमित तौर पर अभिभावकों से बातचीत करता है और उन्हें उनके बच्चे की प्रगति से अवगत कराता है।

बच्चों के संदेह दूर नहीं होते

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर जो एक और गलतफहमी है, वह है कि विद्यार्थियों को आवश्यक समर्थन नहीं मिलता और बच्चों के अनेक सवाल अनुत्तरित ही रह जाते हैं। हकीकत में ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म में कई ऐसे फीचर होते हैं जो अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत पहुंच के साथ वास्तविक कक्षा की नकल होते हैं।

अच्छी ऑनलाइन कक्षाओं में हर सत्र का नेतृत्व एक ‘मास्टर शिक्षक’ द्वारा किया जाता है और सत्र में शामिल हर विद्यार्थी को कक्षा के दौरान या कक्षा के बाद रियल टाइम में एक सर्टिफाइड विशेषज्ञ शिक्षक द्वारा सहयोग किया जाता है, जो उसके सभी संदेहों को दूर करता है। इस तरह से बच्चों के संदेहों को दूर करने के लिए बनी ‘लाइव डाउटसॉलविंग’ व्यवस्था से ऑनलाइन पढ़ाई को विद्यार्थियों के लिए एक बाधारहित अनुभव बनाया जा सकता है।

विद्यार्थी फीडबैक की कमी का सामना करते हैं

अभिभावकों की ऑनलाइन शिक्षा को लेकर यह चिंता रहती है कि विद्यार्थी नियमित तौर पर फीडबैक हासिल नहीं कर पाते हैं और उन्हें उनके प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है। आज ऑनलाइन कक्षाओं में ऐसे अनेक फीचर हैं, जो इन धारणाओं को खत्म करते हैं।

अच्छे ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रमों में विद्यार्थियों को उनके मेंटरों द्वारा समय पर फीडबैक दिया जाता है और ये मेंटर उनकी प्रगति पर बहुत ही करीब से नजर रखते हैं। मेंटर अभिभावकों के भी नियमित संपर्क में रहते हैं और उनके बच्चे की प्रगति पर चर्चा करते हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों को नियमित काम दिया जाता है, मासिक टेस्ट के साथ ही त्रैमासिक मॉक टेस्ट भी कराए जाते हैं, ताकि वे परीक्षा के लिए तैयार हो सकें और उन्हें स्कूल के बाद एक सीखने का पूर्ण अनुभव हो।

स्क्रीन से सीखना प्रभावहीन है

आज का विद्यार्थी डिजिटल युग में पैदा हुआ है और वे स्क्रीन से सीखने के अभ्यस्त हैं। असल में वे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विजुअल लर्निंग से ज्यादा तेजी से सीखते हैं। ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रम ज्यादा व्यक्तिगत होने के साथ ही हरेक विद्यार्थी पर फोकस करते हैं। अच्छे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में हर विद्यार्थी हर सत्र में पहली पंक्ति में ही बैठता है। जहां तक ध्यान भटकने का सवाल है तो यह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन कक्षा, दोनों में ही हो सकता है। लेकिन, ऑनलाइन कक्षा में ऐसा होने की संभावना काफी कम होती है।

अभिभावकों की एक और चिंता है कि ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रमों से उनके बच्चे डिजिटल उपकरणों पर अनावश्यक समय व्यतीत करते हैं। हकीकत में अच्छे ऑनलाइन प्लेटफार्म की कक्षाएं इतनी सावधानी से तैयार की जाती हैं कि बच्चे हर सप्ताह गणित और विज्ञान की चार कक्षाएं ही लें। इन चार में से एक कक्षा पूरी तरह से व्यक्तिगत होती है, जहां पर विद्यार्थी अपनी सीखने की गति और सुविधा से यह चुन सकता है कि वह क्या पढ़ना या दोहराना चाहता है।

एक सही कार्यक्रम के चयन से ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों और अभिभावकों दोनों के ही लिए एक वरदान हो सकती है। ज्यादातर अच्छी ऑनलाइन कक्षाएं चौथी से 12वीं तक उपलब्ध हैं। इनमें से कई जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कराती हैं। इनके बारे में अधिक जानकारी इनके ई-लर्निंग ऐप से भी हासिल हो सकती है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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बायजू रवींद्रन, लर्निंग एप Byju’s के संस्थापक और सीईओ।


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