देश में डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने के लिए पीएम-पब्लिक वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी) को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को बताया कि पीएम वाणी के तहत पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ), पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर्स और एप प्रदाता शामिल रहेंगे।
पीडीओ एक छोटी दुकान या साझा सेवा केंद्र (सीएससी) भी हो सकते हैं, जिनके लिए न तो लाइसेंस और न ही पंजीकरण की जरूरत होगी। साथ ही कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि देशभर में एक करोड़ डेटा सेंटर खोले जाएंगे।
क्या करेंगे पीडीओ?
पीडीओ वाणी के अनुरूप वाई-फाई एक्सेस पॉइंट को स्थापित करेंगे और उसका रखरखाव और परिचालन करेंगे। साथ ही वे ग्राहकों तक ब्रॉडबैंड सेवाएं भी पहुंचाएंगे।
पीडीओए और सेंट्रल रजिस्ट्री की भूमिका क्या होगी?
पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर (पीडीओए) पीडीओ के एग्रीगेटर (सूत्रधार) के रूप में काम करेंगे। मंजूरी और लेखा-जोखा रखने का काम देखेंगे। वहीं सेंट्रल रजिस्ट्री पीडीआे, एप प्रोवाइडर्स ओर पीडीओए का ब्योरे का रखरखाव करेगा।
कैसे होगा रजिस्ट्रेशन?
पीडीओए और एप प्रदाता ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल के जरिए दूरसंचार विभाग के पास अपना पंजीकरण करा सकेंगे। उन्हें इसके लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। आवेदन के सात दिन में उनका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।
एप प्रदाता की क्या भूमिका होगी?
एप प्रदाता पंजीकृत प्रयोगकर्ताओं के लिए एप बनाएंगे और नजदीकी क्षेत्रों में वाणी अनुकूल वाई-फाई हॉट-स्पॉट की पहचान करेंगे। इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच के लिए इसे एप के अंदर प्रदर्शित करेंगे।
क्या होगा फायदा?
सरकार का कहना है कि इस कवायद से कारोबार को अनुकूल और आसान बनाने में मदद मिलेगी। इससे सार्वजनिक वाई-फाई का प्रसार के साथ ही रोजगार के नए अवसर और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसकी जरूरत कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने के बाद महसूस की गई थी।
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