कोरोना से लड़ते-लड़ते दुनिया वैक्सीनेशन की ओर बढ़ गई है। मंगलवार को ब्रिटेन में इसकी शुरुआत भी हो गई, लेकिन वैक्सीन लगने के बाद होगा क्या? वैक्सीन कितनी इफेक्टिव होगी? इससे किस तरह से लोग प्रोटेक्ट होंगे? क्या वैक्सीन लगने के बाद हमारी पुरानी लाइफ लौट आएगी, जिसमें न मास्क होगा, न सैनेटाइजर और न सोशल डिस्टेंसिंग? अब ये सवाल हर किसी के मन में हैं। आइये जानते हैं इसी तरह के सवालों के जवाब...
वैक्सीन लगने के बाद क्या होगा?
ये वैक्सीन न्यू मैसेंजर RNA यानी mRNA तकनीक से बनाई गई है। इसे लोगों की बांह पर इंजेक्ट किया जाएगा। वैक्सीन लगते ही ये तेजी से हमारे ब्लड में एब्जॉर्ब हो जाएगी। जहां ये हमारे इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने में मदद करेगी। तीन हफ्ते के अंदर इसके दो डोज दिए जाने के बाद वैक्सीनेटेड इंसान के शरीर में बनी एंटीबॉडी उसे कोविड-19 की चपेट में आने से बचाएंगी। ये वैक्सीन अब तक 95% असरदार साबित हुई है।
वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों को सिर में दर्द या थकान की शिकायत हो सकती है। फाइजर ने अपने ट्रायल के दौरान पाया था कि वैक्सीन का दूसरा डोज लगने के बाद 3.8% वॉलेंटियर्स ने थकान की शिकायत की। वहीं, 2% वॉलेंटियर्स ने सिर में दर्द होने की बात बताई। जिन वॉलेंटियर्स पर वैक्सीन के विपरीत प्रभाव दिखाई दिए थे, उनमें से ज्यादातर बुजुर्ग थे।
ये वैक्सीन किस तरह का प्रोटेक्शन देगी?
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मंगलवार को फाइजर की इस वैक्सीन का रिव्यू किया। 53 पेज के अपने रिव्यू में FDA ने कहा कि पहला डोज लगते ही कोविड-19 के गंभीर संक्रमण का खतरा टल जाता है। पहले डोज के बाद और दूसरे डोज से पहले कोरोना होने का खतरा कम हो जाता है। वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के कम से कम सात दिन बाद कोरोना होने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी रिपोर्ट में इस वैक्सीन को हाइली इफेक्टिव बताया है।
क्या वैक्सीन लगने के बाद मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं होगी?
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फाइजर के इस वैक्सीन ट्रायल में इस बात पर फोकस किया गया कि कितने वैक्सीनेटेड लोग कोरोना संक्रमित हुए। यानी, वैक्सीन लगने के बाद भी ऐसी आशंका है कि वैक्सीनेटेड इंसान संक्रमित हो जाए और उसमें कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दें। ऐसा होने पर वो एक साइलेंट वायरस ट्रांसमिटर की तरह हो जाएगा, जो दूसरों को संक्रमित करेगा। खासतौर पर अगर वो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करता है और मास्क पहनना छोड़ देता है।
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सैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के इम्यूनॉलजिस्ट मिचेल तल ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, 'बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि उनको वैक्सीन लग जाएगी, तो उन्हें मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। वैक्सीन लगने के बाद भी वो कोरोना कैरियर बन सकते हैं।'
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दरअसल, कोरोना जैसे रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन में वायरस के शरीर में दाखिल होने का सबसे आसान रास्ता नाक होती है। अगर वैक्सीनेटेड इंसान दोबारा कोरोना के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में बनी एंटीबॉडी और उसकी इम्यून सेल्स वायरस को नाक में ही रोक देंगी और वायरस उसके शरीर के बाकी किसी हिस्से में नहीं जा पाएगा। लेकिन, नाक में मौजूद वायरस सांस लेने या छींकने पर दूसरों को संक्रमित कर सकता है।
क्या वैक्सीन लगने के बाद भी बिना मास्क वाली लाइफ नहीं लौटेगी?
अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं है कि ये वैक्सीन कोरोना के संक्रमण को फैलने से भी रोकती है इसलिए ऐसा ही कह सकते हैं। एक और बात अब तक जितनी भी वैक्सीन के ट्रायल हुए हैं या जो वैक्सीन इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूव हुई हैं, उनमें से कोई भी 100% इफेक्टिव नहीं है। वैज्ञानिक वैक्सीन लगने के बाद भी हाथ धोने, मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दे रहे हैं।
ब्रिटेन की सरकार ने भी लोगों से अलर्ट रहने को कहा
ब्रिटेन सरकार के चीफ साइंस एडवाइजर पैट्रिक वालेंस ने देश के लोगों को लापरवाही से बचने की सलाह दी है। ‘द टेलीग्राफ’ अखबार से बातचीत में पैट्रिक ने कहा- यह बात सही है कि हम वैक्सीन लाने वाले पहले देश बन गए हैं। यह बहुत बड़ी कामयाबी है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं। मेरा मानना है कि हमें अगली सर्दियों में भी मास्क पहनना पड़ सकता है और इसके लिए तैयार रहना चाहिए। वैक्सीनेशन के साथ अगर लोग सावधानी रखेंगे तो यह उनके लिए ही बेहतर होगा। इसके साथ ही प्रतिबंध लागू रहेंगे, क्योंकि इनका कोई विकल्प नहीं है।
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