कोरोना को लेकर लगातार अच्छी खबरें आ रही हैं। मरीजों का आंकड़ा 78.24 लाख को पार कर चुका है, लेकिन राहत की बात यह है कि करीब 90% लोग रिकवर कर चुके हैं। 19 अक्टूबर को 87% रिकवरी रेट था, जो 24 अक्टूबर तक 89.74% गया। तीन दिन में एक्टिव केस में भी 58 हजार की कमी हुई है।
क्या इसका मतलब है कि कोरोना का खतरा खत्म हो गया? नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से लेकर केंद्र सरकार के अधिकारी और विशेषज्ञ दोहरा रहे हैं कि अब और सावधान रहने की जरूरत है। क्या है इसका कारण? क्या है दूसरी लहर, जिसका डर दिखाया जा रहा है?
सबसे पहले समझते हैं कि महामारी में दूसरी लहर क्या होती है?
- यह समझना जरूरी है कि महामारी से जुड़ी शब्दावली में सेकंड वेव या दूसरी लहर एक महत्वपूर्ण स्टेज होती है। इसमें पहले तो इंफेक्शन एक ग्रुप को होता है। फिर केस कम होने लगते हैं। अचानक आबादी के दूसरे ग्रुप में केस सामने आने लगते हैं। पहले से ज्यादा तेज गति से केस बढ़ते हैं। इसे ही दूसरी लहर कहते हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में इस समय केस तेजी से बढ़ रहे हैं और इसे कोरोनावायरस दूसरी लहर ही कहा जा रहा है। इसी वजह से इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है।
- जून में डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि दूसरी लहर आ सकती है, क्योंकि वायरस अब भी कम्युनिटी में मौजूद है। हम नहीं जानते कि दूसरी लहर, दूसरा पीक कब आएगा या पहली लहर में ही केस बढ़ते चले जाएंगे। कई देशों के लिए यह सच भी साबित हुआ है।
भारत में क्या स्थिति है और जिम्मेदार क्या कह रहे हैं?
- पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में हाथ जोड़कर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग समेत अन्य उपाय जारी रखने को कहा। इसके बाद शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी कहा कि अगले तीन महीने महत्वपूर्ण है। इसमें यदि सावधानी बरत ली और केस कम ही रहे तो हम कोरोना पर जीत हासिल कर सकेंगे।
- कोविड-19 वैक्सीन के लिए बने नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप के प्रमुख वीके पॉल ने कहा कि पिछले तीन-चार हफ्तों में कोरोना के नए केस घटे हैं। इससे सर्दियों में दूसरी लहर की आशंका खत्म नहीं हुई है। न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में पॉल ने कहा कि अब भी 5 राज्यों (केरल, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल) और 3-4 केंद्रशासित प्रदेशों में नए केस बढ़ते जा रहे हैं। लिहाजा, सावधान रहना आवश्यक है।
- रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोरोनावायरस को काबू करने के लिए जो लॉकडाउन लगाया था, उससे इकोनॉमी को हुआ नुकसान अब रिकवर होने लगा है। यदि दूसरी लहर आई तो जो सुधार हो रहा है, उस पर ब्रेक लग जाएगा। इस वजह से दूसरी लहर को लेकर सावधानी जरूरी है।
यूरोप में क्या हो रहा है, जिसके नाम पर डरा रहे हैं?
Terrifying. Sobering. Italy did everything "right" to stop a second wave. It came anyway. Health ministry data shows that 80.3 percent of the new infections “occur at home” while only 4.2 percent come from recreational activities and schools." https://t.co/dSqYDWOqC1
— Noah Shachtman (@NoahShachtman) October 22, 2020
- कोरोना की पहली लहर मार्च में ही शुरू हुई थी। तब इटली के साथ-साथ स्पेन, यूके और जर्मनी शुरुआती हॉटस्पॉट थे। उन्होंने सख्त लॉकडाउन उपाय भी किए। लेकिन, अनलॉक की प्रोसेस शुरू होते ही महीनों की सख्ती से उकताए लोग यूके में तो सड़कों पर उतरकर पार्टी करते नजर आए थे।
- अब हालत यह है कि शुक्रवार को यूरोप में पहली बार एक दिन में दो लाख नए केस सामने आए हैं। इससे पहले यूरोप में 12 अक्टूबर को पहली बार एक लाख नए केस सामने आए थे। रॉयटर्स की टैली के मुताबिक, यूरोप में अब तक 78 लाख केस सामने आए हैं और करीब ढाई लाख मौतें हुई हैं।
- इटली, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया और बोस्निया ने गुरुवार को एक दिन में सबसे अधिक नए केस रिपोर्ट किए हैं। यानी खतरा टला नहीं, बल्कि और ज्यादा भयावह बनकर सामने आया है। यूरोप में सबसे ज्यादा तेजी से नए केस फ्रांस में सामने आए हैं। जर्मनी में पहली बार 10 हजार से ज्यादा केस गुरुवार को सामने आए।
- फ्रांस में सात दिन का एवरेज 25,480 केस प्रतिदिन था। गुरुवार को वहां 41,622 नए केस दर्ज हुए। फ्रांस में 31 मार्च को 7,500 केस के साथ पहला पीक बना था और दूसरी लहर में अब भी पीक की तलाश है। इसी तरह स्पेन में औसतन हर दिन 1,000 से ज्यादा केस आ रहे थे और शुक्रवार को 3 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं।
France: daily conformed Covid-19 cases and deaths.#deuxiemevague #SecondWave #SecondLockdown #zweitewelle pic.twitter.com/kf6qH729Ws
— Zack F (@FrankfurtZack) September 25, 2020
...तो क्या यूरोप में फिर लॉकडाउन लगा है?
- हां। यूरोप के ज्यादातर देशों ने फिर से लॉकडाउन के उपाय लागू किए हैं। कुछ करने वाले हैं। फ्रांस ने पेरिस के साथ-साथ आठ अन्य क्षेत्रों में नाइट-कर्फ्यू लगा दिया है। स्पेन में भी आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है।
- जर्मनी ने सोशल गेदरिंग पर बैन लगा दिया है। नए आइसोलेशन नियम भी जारी किए हैं। हाई-रिस्क देशों से आ रहे यात्रियों को 14 दिन का अनिवार्य क्वारैंटाइन पीरियड तय किया है। कोई व्यक्ति बिना मास्क के दिखता है तो तत्काल 50 यूरो जुर्माना किया जा रहा है। जर्मनी ने स्विट्जरलैंड, आयरलैंड, पोलैंड, ज्यादातर ऑस्ट्रिया और रोम समेत इटली के कुछ क्षेत्रों के लिए ट्रैवल वार्निंग जारी की है।
- रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप के ज्यादातर अस्पताल दबाव में हैं। कुछ इलाकों में नए केस पीक से कम हैं, लेकिन अब जिस गति से नए केस बढ़ रहे हैं, कोविड-19 के मरीजों के लिए अस्पताल में जगह नहीं बची है। WHO के एक एक्सपर्ट ने कहा कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका को एशियाई देशों से सबक लेना चाहिए।
क्या भारत में फिर से लॉकडाउन लग सकता है?
- इस समय तो लगता नहीं कि ऐसी स्थिति दोबारा बनेगी। परिस्थितियां काफी बेहतर हैं, लेकिन कोरोना ने भारत में सिर्फ गर्मी देखी है, सर्दी नहीं। ऐसे में कोरोनावायरस सर्दियों में किस तरह व्यवहार करेगा,यह कहना मुश्किल है। इसी वजह से सरकारी मशीनरी अब भी ढिलाई न बरतने की सलाह दे रही है।
- एक्सपर्ट ग्रुप के सदस्य पॉल के मुताबिक, 90 प्रतिशत लोगों को अब भी कोरोनावायरस इंफेक्शन का खतरा है। फेस्टिवल सीजन आ गया है। सर्दियों में उत्तरी भारत में प्रदूषण बढ़ता है। हमें बेहद सावधान रहने की जरूरत है। आने वाले महीने चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं।
- एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कुछ इलाकों में कोविड-19 को लेकर बिहेवियर फटीग है। लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। यह खतरनाक हो सकता है। इस वजह से सावधानी रखना जरूरी है।
- अमेरिका और यूरोप की स्थिति से तुलना करने पर आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा कि यूएस और यूरोप के देशों में पीक आ गया था, लेकिन लोगों ने सुरक्षा उपायों पर गंभीरता खत्म की और फिर वहां दूसरी लहर आ गई है। हमें उनसे सबक लेना चाहिए।
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