Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Monday, October 5, 2020

स्टडी में दावा- योग और ध्यान दिलाएंगे पुराने दर्द और तनाव से निजात, बस 8 हफ्ते तक माइंड-फुलनेस की ट्रेनिंग लेनी होगी, जानिए क्या है तरीका

सालों से शरीर के दर्द या तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। हाल ही में आई एक स्टडी से पता चला है कि ध्यान और योग की मदद से मरीजों को क्रोनिक पेन और तनाव से निजात मिल सकती है। 2018 में आई इंडियन जर्नल ऑफ पैलिएटिव केयर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 19.3% वयस्क आबादी क्रोनिक दर्द से जूझ रही है। अगर आंकड़ों में बात की जाए तो यह संख्या 18 से 20 करोड़ के बीच हो सकती है।

क्या कहती है नई स्टडी?

  • जर्नल ऑफ द अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन में प्रकाशित स्टडी से पता चला है कि माइंड-फुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (MBSR) कोर्स क्रोनिक पेन और तनाव के मरीजों के लिए फायदेमंद है। MBSR कोर्स के तहत घबराहट, चिंता, तनाव और दर्द से जूझ रहे लोगों को 8 हफ्तों तक माइंड-फुलनेस ट्रेनिंग दी जाती है। माइंड-फुलनेस एक तरह का ध्यान है, जिसकी मदद से आप वर्तमान में रहते हैं और चीजों पर फोकस कर पाते हैं। इसे थैरेपी भी कहते हैं।
  • स्टडी में शामिल 89% लोगों का कहना है कि इस प्रोग्राम की मदद से उन्हें दर्द का सामना करने के नए तरीके मिले, जबकि, 11% लोग सामान्य रहे। शामिल लोगों को 8 हफ्तों के प्रोग्राम के दौरान कम्युनिटी हेल्थ क्लीनिक्स ऑफ बेंटन और लिन काउंट में ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन की डायरेक्टर और ऑस्टियोपैथिक फिजीशियन सिंथिया मार्स्के ने कहा "कई लोग उम्मीद खो देते हैं, क्योंकि ज्यादातर मामलों में क्रोनिक दर्द कभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है। हालांकि, माइंडफुल योग और ध्यान हीलिंग प्रक्रिया को बेहतर करने में मददगार हो सकता है।"
  • सिंथिया का कहना है कि "कुल मिलाकर बात यह है कि क्रोनिक पेन का सामना करने के नए और बगैर दवा के तरीके खोज रहे मरीजों के लिए अब इलाज उपलब्ध है। स्टडी में मिली जानकारी बताती है कि दर्द से निजात पाने के लिए रास्ते खोज रहे मरीजों के लिए ध्यान और योग अच्छा विकल्प हो सकता है।"

क्या है माइंड-फुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (MBSR)?

  • नॉर्थ अमेरिकन जर्नल और मेडिकल साइंसेज के अनुसार, माइंडफुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (MBSR) प्रोग्राम तकनीक की खोज डॉक्टर जॉन कबात-जिन ने 1974 में की थी। शुरुआत में इसका विकास स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए हुआ था, लेकिन बाद में इसके जरिए कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का इलाज किया जाने लगा।
  • इन परेशानियों में चिंता, घबराहट, स्किन डिसीज, दर्द, इम्यून डिसऑर्डर, हाइपरटेंशन और डायबिटीज शामिल हैं। यह प्रोग्राम 8 हफ्तों का होता है, जिसमें व्यक्ति को हर हफ्ते 2.5 घंटे माइंड-फुलनेस ध्यान की ट्रेनिंग दी जाती है।

घर में इन योगासनों की मदद से खुद को रखें फिट
डायटीशियन-योग एक्सपर्ट डॉक्टर शैलजा त्रिवेदी के अनुसार योग रूटीन का बिगड़ना मानसिक तौर पर भी असर डालता है, जो लोग योग कर रहे हैं, वे इसे लगातार करते रहें, क्योंकि इससे आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे हम स्वस्थ्य बने रहते हैं। योग करने से हमारा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन बना रहता है।

डॉक्टर के मुताबिक आप इन आसनों और प्राणायाम को घर पर भी कर सकते हैं

  • ताड़ासन: दोनों हाथों को ऊपर उठाकर कान से सटाएं। फिर पंजे के बल खड़े होकर 15 सेकंड तक रुकें।
  • तिर्यक ताड़ासन: दोनों पैरों के बीच दो फुट की दूरी रखें। हाथों की उंगलियों को लॉक कर लें और दोनों हाथों को ऊपर उठा लें। फिर कमर से दाहिने ओर क्षमतानुसार झुकें और 10 सेकंड रुकें। इसके बाद बायीं ओर झुकें।
  • कटिचक्रासन: दोनों पंजों के बीच आधा मीटर की दूरी रखें। दाहिने हाथ को बाएं कंधे पर रखें और बाएं हाथ को कमर पर रखते हुए शरीर को बाएं ओर मोड़ें। 10 सेकंड रुकें फिर वापस आएं, फिर ऐसा ही दूसरी ओर से करें।

विशेष बात- यह खड़े होने वाले तीनों आसनों को सुबह खाली पेट पानी पीकर करने से कब्ज में लाभ मिलता है। ऐसा करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली बनती है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

प्राणायाम

  • अनुलोम-विलोम: किसी भी सुखदायक आसन में बैठ जाएं। आंखें धीरे से बंद कर दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें। बाएं नासिका से सांस लें। इसके बाद बायीं नासिका को बंद करें और दाहिने से सांस छोड़ें। दाहिने नासिका से गहरी सांस उठाएं फिर दाहिने नासिका को बंद करें, बायीं नासिका से सांस छोड़ें। इसे 10 बार दोहराएं।
  • भस्त्रिका प्राणायाम: दोनों नासिका से धीमी गहरी सांस लें। फिर दोनों नासिका से सांस मध्यम गति से बाहर छोड़ें। इसे 5-7 बार दोहराएं।

लाभ- इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। कार्बन डाय ऑक्साइड बाहर निकलती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। सांस संबंधी रोगों में मददगार है।
सावधानी- उच्च रक्तचाप, चक्कर आना, माइग्रेन व दिल के मरीज न करें।

  • शीतली प्राणायाम: जीभ को नालीनुमा बनाकर बाहर निकालें। जीभ से ठंडी सांस लें। मुंह को बंद कर नाक से सांस बाहर निकालें। इसे 5 बार दोहराएं।

लाभ- उच्च रक्तचाप में लाभदायक है। हाइपर एसिडिटी, डकार, पेट में जलन में लाभ मिलता है। मन शांत होता है। गर्मियों में ठंडक मिलती है।
सावधानी- निम्न रक्तचाप और गंभीर अस्थमा रोगी न करें।

  • प्रणव नाद: गहरी सांस लें और ॐ का उच्चारण करें। ऐसा पांच बार करें।

लाभ- मानसिक तनाव, डिप्रेशन और तंत्रिका तंत्र के रोगों में मददगार है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Yoga and meditation will relieve chronic pain and stress, now patients without medicine will benefit; Pranayama will save you from mental stress


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nmOIFN
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive