बिहार की राजनीति में जब परिवारवाद की बात आती है, तो सबसे पहले लालू यादव और उनके बेटों का नाम आता है। लेकिन, यहां की राजनीति में परिवारवाद कई दशकों से हावी है। अभी भी बिहार के कई विधायक और सांसद ऐसे हैं, जो परिवारवाद की राजनीति का हिस्सा हैं। इस चुनाव में भी कम से कम 20 ऐसे बेटे-बेटियां हैं, जो अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।
सबसे दिलचस्प लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की बेटों तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव कि सियासी लड़ाई देखना होगा, जो परिवार के साथ ही राजद की लाज बचाने के लिए खासी मशक्कत कर रहे हैं।
केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। पार्टी के परफार्मेंस का सारा दारोमदार उन पर है। चिराग अभी जमुई से सांसद हैं। लेकिन माना जा रहा है कि जमुई की सुरक्षित विधानसभा सिकंदरा से वे चुनाव लड़ सकते हैं। यह भी संयोग ही है कि लालू प्रसाद यादव और राम विलास पासवान दोनों ही इस बार बेटों को राह दिखाने को मैदान में नहीं होंगे।
लालू प्रसाद के बड़े बेटे और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव 2015 में वैशाली के महुआ से चुनाव जीते थे। लेकिन इस बार उनको ऐसी सीट की तलाश है जहां यादव मतदाताओं का बोलबाला हो। इसलिए वे हसनपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वे 22 और 23 सितंबर को हसनपुर गए भी थे और वहां रोड शो भी किया था।
हसनपुर सीट पर 1967 से विधानसभा में यादवों का ही कब्जा रहा। साल 2015 में यहां से राजद और जदयू के संयुक्त उम्मीदवार राजकुमार राय चुनाव जीते थे। तेजप्रताप यादव की सीट इसलिए काफी दिलचस्प होगी कि उनकी पत्नी ऐश्वर्या को जदयू तेजप्रताप के खिलाफ उतार सकता है। ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय पहले ही जदयू ज्वाइन कर चुके हैं। तेज प्रताप और ऐश्वर्या के बीच रिश्ते की खटास जगजाहिर है।
सबसे चर्चित चेहरा पुष्पम प्रिया चौधरी, जदयू नेता की बेटी हैं
बिहार की राजनीति में इन दिनों जो सबसे चर्चित और युवा चेहरा है, वो है पुष्पम प्रिया चौधरी का। पुष्पम प्रिया उस समय चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने देश के सभी बड़े अखबारों में फुल पेज का विज्ञापन दिया था और खुद को भावी मुख्यमंत्री बता दिया था।
पुष्पम प्रिया भी परिवारवाद का ही हिस्सा हैं। उनके पिता विनोद चौधरी हैं, जो जदयू नेता रहे हैं और विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। पुष्पम प्रिया के पास राजनीतिक विरासत जरूर है, लेकिन उनका कोई सियासी अनुभव नहीं है।
हालांकि, मार्च से ही उन्होंने अपना कैंपेन शुरू कर दिया था। उन्होंने प्लूरल्स पार्टी बनाई है और उनका कहना है कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। पुष्पम प्रिया खुद दो सीटों से चुनाव लड़ने जा रही हैं। इनमें एक पटना की बांकीपुर सीट है। जबकि, दूसरी सीट के बारे में उन्होंने अभी तक नहीं बताया है।
निशानेबाज श्रेयसी भी उतर सकती हैं चुनावी राजनीति में
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल देवी की बेटी अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह भी अब परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए तैयार है। चर्चा है कि वह भी इस बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और बेटे चेतन आनंद हाल ही में राजद में शामिल हुए हैं। चर्चा है कि चेतन भी चुनाव लड़ सकते हैं। पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के दोनों बेटे अजय सिंह और सुमित सिंह भी चुनाव लड़ेंगे। दोनों पहले भी विधायक रह चुके हैं। पूर्व सांसद दिवंगत तस्लीमुद्दीन के बेटे शहबाज आलम भी चुनाव लड़ेंगे ही।
ये दस युवा भी पिता की विरासत संभालने की तैयारी में
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे शाश्वत चौबे, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि यादव, कुछ महीने पहले राजद छोड़ जदयू में गए राधाचरण सेठ के बेटे कन्हैया प्रसाद, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद, रामदेव राय के बेटे शिवप्रकाश गरीबदास, पूर्व मंत्री उपेन्द्र प्रसाद वर्मा के बेटे जय कुमार वर्मा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा के बेटे माधव झा, पूर्व कन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के बेटे अभिमन्यु भी चुनाव लड़ सकते हैं। पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के बेटे राजद के टिकट से पिछली बार विधान सभा गए थे। इस बार भी वे चुनाव लड़ेंगे। सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद की विरासत संभाल रहे उनके पुत्र संजीव चौरसिया फिर से विधान सभा जाने के लिए विधान सभा चुनाव लड़ेंगे।
फिलहाल तीन पूर्व सीएम के परिजन ही सियासत में
तीन पूर्व सीएम के परिजन ही अभी सियासत में हैं। दरोगा प्रसाद राय के बेटे चंद्रिका राय, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा और लालू-राबड़ी परिवार तो है ही। पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह के बेटे निखिल कुमार और भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं।
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