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Thursday, April 20, 2023

मानहानि केस: कोर्ट के झटके के बाद राहुल गांधी शनिवार को खाली करेंगे सरकारी बंगला: सूत्र

मोदी सरनेम वाले आपराधिक मानहानि केस (Modi Surname Defamation Case) में सजा के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi ) की याचिका सूरत कोर्ट ने खारिज कर दी है. एडिशनल सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा गुरुवार को कोर्ट में आए और इस याचिका पर केवल एक शब्द कहा- 'डिसमिस्ड.' जज मोगेरा ने इस मामले पर 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले की सीधी जानकारी रखने वाले सूत्रों ने NDTV के बताया कि याचिका खारिज होने के बाद अब राहुल गांधी शनिवार को 10 तुगलक लेन स्थित अपना सरकारी बंगला छोड़ देंगे. उनका सामान पहले ही सोनिया गांधी के सरकारी बंगले में शिफ्ट किया जा चुका है. अब राहुल हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

मानहानि केस में 23 मार्च को राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके अगले ही दिन यानी 24 मार्च को उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द हो गई. इसके बाद 27 मार्च को उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला था. बंगला खाली करने की मियाद 22 अप्रैल है.

2005 में अलॉट हुआ था बंगला
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार, दो साल की सजा पाने वाला दोषी सांसद या विधायक नहीं रह सकता. ऐसे केस में सदस्यता रद्द होने पर सरकारी बंगला खाली करना होता है. राहुल गांधी 10 तुगलक लेन स्थित बंगले में 2005 से रह रहे थे.

2019 में दिया था मोदी सरनेम वाला बयान
मानहानि का केस 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में हुई चुनावी रैली में राहुल के बयान से जुड़ा है. राहुल गांधी ने रैली में कहा था- 'हर चोर का सरनेम मोदी क्यों होता है.' इस बयान पर गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दाखिल किया था. 

अपील के लिए 30 दिन का समय 
गुजरात की अदालत ने सजा के खिलाफ आगे अपील के लिए राहुल गांधी को 30 दिन का समय दिया था. राहुल ने सजा के खिलाफ अपील की और उनकी याचिका सूरत कोर्ट में खारिज हो गई. इसका मतलब यह है कि राहुल को अभी सांसद के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस के मुताबिक, राहुल गांधी अब हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

राहुल गांधी ने दी थीं ये दलीलें
सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने एडिशनल सेशन कोर्ट के जज आरपी मोगेरा को दलील दी थी कि मानहानि का केस उचित नहीं था. केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा था- 'सत्ता एक अपवाद है, लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए. विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को ज्यादा नुकसान होगा. ऐसी सजा मिलना अन्याय है.' 

वहीं, मानहानि का केस करने वाले पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल गांधी बार-बार मानहानि वाले बयान देने के आदी हैं.

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Vote For AAP In Place Of Congress: Arvind Kejriwal Before Jalandhar Polls

Ahead of next month's Jalandhar Lok Sabha bypoll, AAP national convener Arvind Kejriwal Thursday appealed to people of the constituency to vote for his party if they want development, claiming the Congress did nothing for them in 60 years.

"We are doing good work and with honesty," he said, addressing a gathering here. "Vote for us in place of Congress...give us one chance," the Delhi chief minister added.

"For past 60 years, Jalandhar has been represented by a Congress MP. For 60 years, you voted for the Congress. What did you get? Did the Congress give you anything? Nothing," Arvind Kejriwal said.

He said people of Punjab gave AAP a chance in last year's assembly polls and the party formed the government with overwhelming majority. Punjab Chief Minister Bhagwant Mann was also present.

"And the second thing, if you vote for the Congress, what benefit will you get? In Punjab, it is our government, we have to get the work done. If you vote for the Congress, they will fight and indulge in 'Tu Tu Mein Mein'. If you want fights, vote for them, but if you have to get all your work done, get roads built, landfills cleaned, then give one chance to AAP," Mr Kejriwal said.

The Jalandhar Lok Sabha bypoll was necessitated due to the death of Congress MP Santokh Singh Chaudhary in January. The Congress has fielded his wife Karamjit Kaur, while AAP has fielded Sushil Kumar Rinku, a former Congress leader who recently joined the ruling party in the state.

Arvind Kejriwal told the people of Jalandhar that he was giving them a guarantee that all their work would be completed by the AAP government.

After AAP came to power in Punjab, during past one year, "we have started to fulfil these promises, guarantees", he said.

"Some people come to us and say that we don't know how to do politics. They tell us that promises and guarantees are not fulfilled so fast but only in the last year of the term so that people won't forget. We tell them we have not come here to do politics, but to serve people," Arvind Kejriwal said.

The AAP leader touched upon his party's poll promise of giving 300 units of free power every month to residents of Punjab, saying parties like the BJP, Congress and the SAD used to mock it for this.

Arvind Kejriwal said just within three months of coming to power, "we have showed them how this was done".

"I was told by Punjab Finance Minister Harpal Singh Cheema that under every head money is coming now. Money used to come earlier too, but all this used to go into their pockets, into the Swiss bank accounts of leaders of these parties. Now, all this money is going into the government treasury. And with this money, your electricity bills are becoming zero," he said.

He said 28,000 youths have been given government jobs during past one year and in the coming years, several thousand more jobs will be given, he said.

Mr Kejriwal further said there is no big government hospital in Jalandhar. "We will set up a big hospital like PGIMER," he said, adding landfill sites will be cleaned and roads built.

He said blue (ration) card holders were facing some problems, as cards of some beneficiaries have got deleted by mistake, but he assured that everyone will get ration.

Hitting out at the previous regimes, Arvind Kejriwal said for 75 years, they have destroyed Punjab, "but we will set things right and all problems will be solved though it may take time".

"We eliminated mafia raj including sand mafia. Now, people are getting sand at affordable rates," he said.

He alleged that scholarships for Scheduled Caste students were usurped during the previous regime. "The minister in the previous government responsible has been sent to jail by our government in Punjab. Now, children are getting scholarship. I am told scholarship of some students is pending, but they too will be get it in next few days," the AAP leader added.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Eid 2023 date : 22 या 23 अप्रैल भारत में किस दिन मनाई जाएगी ईद? Eid-Ul-Fitr 2023 बनाएं ये स्पेशल डिश

Eid-ul-Fitr 2023 Date in India: दुनियाभर में ईद का जश्म धूमधाम से मनाया जाता है. 1 महीने तक रोजा रखने के बाद ईद मनाई जाती है. जिसकी रौनक बाजारों में भी देखने को मिलती है. बाजार सजे रहते हैं और कई जगह तो ईद के 1 या 2 दिन पहले पूरी रात बाजारें लगती हैं. हालांकि इस साल ईद (ईद-उल-फितर या ईद अल-अधा ) (Eid-Ul-Fitr 2023 Date) की अभी कोई तारीख निश्चित नही है. 20 अप्रैल की शाम को चांद देखने के बाद ही निश्चित होगा कि भारत में ईद किस दिन होगी. 20 तारीख को अगर सऊदी अरब और खाड़ी देशों में चांद दिखाई देता है तो इसका मतलब है कि वहां पर 21 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी. 

अगर अरब देशों में ईद 21 को मनाई गई तो भारत में यह 22 अप्रैल यानि शनिवार या फिर 23 अप्रैल रविवार के दिन मनाई जाएगी. दरअसल भारत में ईद ( Eid 2023 Date) अरब देशों में जिस दिन ईद होती है उसके दूसरे दिन मनाई जाती है, लेकिन हमेशा ऐसा ही हो जरूरी नही. सब कुछ चांद दिखने के बाद ही तय होता है. 

रमजान की शुरूआत

इस साल रमजान के पाक महीने की शुरूआत 24 मार्च से हुई थी. इस बार रोजा 29 या फिर 30 दिन का हो सकता है. रमजान के पाक महीने की शुरूआत चांद देखकर ही होती है और इस महीने की समाप्ति होने पर ईद का जश्न भी चांद देखकर ही मनाया जाता है. यही वजह है कि ईद की एक निश्चित तारीख तय नहीं होती है. यह हर साल चांद के निकलने पर ही ईद मनाई जाती है.

चांद रात क्या है

चांद रात के बाद सुबह ईद-उल-फितर मनाया जाता है, यह दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक त्योहार है. रमजान के महीने भर के रोजे इस दिन समाप्त होते हैं. इस पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं जिसमें सूरज निकलने के बाद से सूरज के डूबने तक खाने-पीने से दूर रहते हैं. इसलिए ईद-उल-फितर को "रोजे खत्म करने का त्योहार" भी कहा जाता है. इस्लामिक चंद्र कैलेंडर में दसवां महीना शव्वाल है और इस महीने का पहला दिन दुनिया भर में ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है.

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ईद का त्योहार खास होता है और एक चीज जो इसे खास बनाती है वो है सेंवई. इस ईद पर हर घर में सेंवई बनाई जाती है जो अमूमन दो तरह की होती है. एक दूध वाली सेंवई और दूसरी सूखी मेवे और खोया वाली. ईद पर मीठी सेंवई बनाने की रेसिपी जानने के लिए यहां क्लिक करें. 

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Watch: Rahul Gandhi Talks To Students Preparing For UPSC, SSC Exams

Congress leader Rahul Gandhi on Thursday interacted with students preparing for the Union Public Service Commission and the Staff Selection Commission examinations in the Mukherjee Nagar area in Delhi.

Rahul Gandhi's meeting with the students came on a day a court in Gujarat's Surat rejected his application for a stay on his conviction in a criminal defamation case over his "Modi surname" remark.

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Mr Gandhi asked the students about their expectations and experiences.

In Mukherjee Nagar, Mr Gandhi was seen seated on a chair on the roadside with the students as he asked them about their expectations and experiences.

Earlier this week, Mr Gandhi visited the Jama Masjid area in old Delhi and the Bengali Market and treated himself to the popular dishes of these areas.

Rahul Gandhi visited a famous 'sharbat' vendor in the Jama Masjid area and other eateries. He also treated himself to fruits and had a taste of 'golgappas' at Nathu Sweets at the Bengali Market.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Wednesday, April 19, 2023

ड्रग्स लेने वालों पर नहीं, तस्करों पर करें फोकस: NCB से बोले गृहमंत्री अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को उपभोक्ताओं को टार्गेट करने के बजाय मादक पदार्थों के तस्करों और कार्टेल पर नकेल कसने पर ध्यान देना चाहिए. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि  नशा करने वाले पीड़ित होते हैं जिन्हें पुनर्वास की आवश्यकता होती है. अपराधीकरण की आवश्यकता नहीं होती है. 

शाह ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण साफ होना चाहिए कि जो ड्रग्स का सेवन करता है वह पीड़ित है और जो ड्रग्स का कारोबार करता है वह अपराधी है, और उनसे दृढ़ता से निपटने की आवश्यकता है. हमें पुनर्वास में उनकी मदद करनी चाहिए. जांच का फोकस ड्रग व्यापार के पीछे तस्करों और कार्टेलों पर होना चाहिए.

गृह मंत्री की टिप्पणी एनसीबी द्वारा आर्यन खान से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले को संभालने के विवाद के बाद आई है. आर्यन खान को अक्टूबर 2021 में एक क्रूज पार्टी पर छापे के दौरान गिरफ्तार किया गया था. इस मामले ने NCB के भीतर भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप सामने आए थे. इस केस के बाद एनसीबी की तरफ से आंतरिक जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया गया था.  जिसने मामले की जांच कर रही टीम द्वारा कई खामियां और "संदिग्ध व्यवहार" रेखांकित किया था.  और उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी. एजेंसी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी भरे फैसले में आर्यन खान को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था. 

शाह ने कहा कि नशे ने न केवल युवा पीढ़ी को खोखला बनाया है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसके कई प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नार्को-टेररिज्म के जरिए ड्रग तस्कर देश की सीमा की सुरक्षा में सेंध लगा सकते हैं.उन्होंने कहा कि अगर 130 करोड़ भारतीय इसे एक साथ लड़ते हैं, तो हम इस लड़ाई को जीत लेंगे. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आजादी के 100वें वर्ष 2047 तक देश को नशा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है.

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Sanitation Workers In Supreme Court To Be Called Supervisor: Chief Justice

The humble sanitation worker called 'Jamadar' in the Supreme Court will now be addressed as 'Supervisor', with Chief Justice of India D Y Chandrachud deciding to change the nomenclature of certain posts, saying they reflected a “colonial mindset” having no place in a modern society.

While inaugurating the ‘Supreme Court Sports, Cultural & Other Events- 2023' in which 970 court employees will participate, the CJI said the purpose behind organising the events was to encourage a holistic pattern of living for the staff and to promote their physical and mental well-being.

The top court, in a statement, said 12 sports and 9 cultural events will be organised.

Justice Chandrachud also mentioned some of the welfare measures being planned for the staff, including a bigger and better equipped creche, a training centre, and a staff library among others.

He also referred to his recent administrative decisions to change the nomenclature of certain designated posts.

The CJI greatly encouraged the women staff members to participate in the upcoming sports events, emphasising that they are no less than their men counterparts.

He also distributed track suits for the events to select staff members, including persons with disabilities.

The CJI inaugurated the event by taking the first shot with the striker in a game of carrom.

Secretary General of the top court Sanjeev Kalgaonkar also spoke at the inauguration function.

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Sexual Offence Victim Has Right To Participate In Proceedings: High Court

The Delhi High Court on Wednesday ruled the victim of a sexual offence has "unbridled participatory rights" in all criminal proceedings in the matter but there is no legal requirement to make her a party to the proceedings.

Justice Anup Jairam Bhamabhani stressed on the need of maintaining confidentiality in respect of the identity of the victim and directed the high court registry to "carefully scrutinise" all filings in order to ensure the anonymity of the victim is strictly maintained.

The court also said in light of a Supreme Court decision granting participatory rights to such victims in criminal proceedings, section 439(1A) (right of victim to be heard) of Code of Criminal Procedure must be expanded to include her right to be heard even in petitions where an accused seeks anticipatory bail, a convict seeks suspension of sentence, parole, furlough, or other such interim relief.

The court's order came while dealing with bail plea by a person accused of rape and aggravated sexual assault on a minor.

The victim had been made a "party-respondent" in the matter while redacting her details.

The court observed that it is the State which is in-charge of prosecuting criminal offences and the "right to be represented and be heard" is different from the "right or the obligation to be a party" to the proceedings.

The court noted there may be times where a victim may not seek a hearing, and making her a party to the proceedings and mandating her to appear and defend may cause her additional hardship and agony.

"There is no requirement in law to implead the victim, that is to say, to make the victim a party, to any criminal proceedings, whether instituted by the State or by the accused," said the court in its 20-page order.

"In accordance with the mandate of the Supreme Court.., a victim now has unbridled participatory rights in all criminal proceedings in relation to which the person is a victim, but that in itself is no reason to implead a victim as a party to any such proceedings, unless otherwise specifically so provided in the statute," it stated.

Making the presence of the informant obligatory at the time of hearing in terms of section 439(1A) CrPC gives the victim the right to be "effectively heard", whether through the informant or other authorised representative, and her "mere ornamental presence" is not enough, it said.

The court said it was clear that victims of crime can no longer be asked to remain mere spectators and must be accorded unbridled participatory rights in the legal proceedings initiated in relation to the crime alleged to have been committed against them.

Amicus curiae, senior advocate Rebecca John who assisted the court in the matter, argued there was no requirement, statutory or otherwise, that a victim must be made party to criminal proceedings and her right to be heard is already recognised.

The counsel for the complainant, however, argued the victims must be impleaded.

John said, in certain cases, there is no anonymousness in relation to a victim at all, and once a victim has been impleaded as a party respondent, there are high chances of third persons being able to put-together her identity even if anonymity is maintained.

To protect the identity of victims, the court passed a slew of directions and asked that the same may be shared with trial courts and police by the high court Registrar General and be brought to the notice of the high court chief justice for framing appropriate practice directions.

The court said the name, parentage, address, social media credentials and photographs of the prosecutrix/victim/survivor must not be disclosed in the filings made in court and any identifying particulars may be brought to court or filed in a sealed cover or a pass-code locked electronic folder.

The registry must ensure that particulars do not get reflected in the cause-list and the details of the victim's family members are not disclosed in any manner, the court stated.

"At the stage of scrutiny of the filings, in the event the Registry finds that the identity credentials of a prosecutrix/victim/ survivor are disclosed in the memo of parties or anywhere else in the filings, such filings must be returned to counsel who have filed the same, to undertake requisite redactions, before the filings are accepted," stated the court.

It since complete redaction from all documents may not be possible, files/paper-books etc relating to sexual offences must not be provided to any person other than the parties to the litigation and all service shall only be effected by the investigating officer who must remain in plain clothes to avoid any unwarranted attention and inform the victim of her right to free legal aid.

The court perused the legal framework under the Indian Penal Code, POCSO and CrPC and said it was a statutory mandate that the identity of a victim must be kept confidential.

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