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Thursday, January 12, 2023

UP Woman, 2 Daughters Charred To Death After Room Heater Catches Fire

A woman and her two daughters were charred to death after a fire broke out at their house here on Thursday due to a short circuit in a room heater, police said.

The incident happened in Jalla village under Kurara police station limits at around 3.30 am, they said.

They have been identified as Anita (28), Mohini (6) and Rohini (3), police said. The trio was sleeping with the heater on, they said, adding a case has been registered and further investigation is underway.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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सूर्य कुमार यादव की जाति के बहाने

क्या हमारे समाज में किसी हिंदू को उसकी जाति से परे रखकर देखना संभव है? बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर जब जात-पांत तोड़क मंडल के सम्मेलन के लिए अपना अध्यक्षीय वक्तव्य तैयार कर रहे थे तभी उन्होंने यह सवाल उठाया था.उनका कहना था कि हिंदू समाज के भीतर रह कर जाति तोड़ना संभव नहीं है.जाति तोड़नी है तो हिंदू धर्म को तोड़ना होगा.इस वक्तव्य से जात-पांत तोड़ो मंडल इतना दुखी हुआ कि उसने अंबेडकर से ही नाता तोड़ लिया, उन्हें अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव वापस ले लिया.बाद में यही वक्तव्य 'जाति का विनाश' नाम से पुस्तक के रूप में छपा. 

लेकिन यह लेख किस क़दर प्रासंगिक बना हुआ है, यह बात भारतीय समाज के किसी भी हिस्से पर एक नज़र डालते ही समझ में आ जाती है.इन दिनों भारतीय क्रिकेट में सूर्य कुमार यादव का जलवा है.उनकी आतिशी बल्लेबाज़ी, उनका अविश्वसनीय स्ट्रोक प्ले सबकुछ उन्हें महान बल्लेबाज़ों की श्रेणी में खड़ा करता है.वे एबी डीवीलियर्स और सचिन तेंदुलकर की तरह जैसे अपने बल्ले को जादू की छड़ी बना देते हैं और उससे मैदान के हर कोने में स्ट्रोकों की फुलझड़ियां पहुंचती दिखाई पड़ती है.वे क्रीज पर गिरते दिखते हैं और गेंद उड़ती हुई सीमा पार के बाहर जाकर गिरती दिखाई पड़ती है.

लेकिन इन दिनों बात सूर्यकुमार यादव की अभिनव बल्लेबाज़ी पर नहीं, उनकी जाति पर हो रही है.यह संदेह किया जा रहा है कि उन्हें अपनी जाति की वजह से बहुत देर से आने का मौक़ा मिला. भारतीय क्रिकेट में खिलाडियों के चयन पर सवाल कई बार उठे हैं- मोहिंदर अमरनाथ ने उन्हें जोकरों की जमात कहा था और अंबाटी रायडू ने उन पर ताना कसते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की ले लिया- लेकिन उन पर जातिवादी होने का आरोप अब तक नहीं लगा.

हालांकि जातिवाद क्या इतनी स्थूल प्रक्रिया है कि उसे आसानी से चिह्नित किया जा सकता है? सूर्यकुमार यादव की जाति खोजने वाले जातिवादी हैं या उसके खेल पर मुग्ध होने की सलाह देने वाले? क्या इसके पहले किन्हीं खिलाड़ियों की जाति नहीं खोजी गई है? इन्हीं दिनों हिंदी के मूर्द्धन्य पत्रकार प्रभाष जोशी का एक पुराना साक्षात्कार चर्चा में है जिसमें उन्होंने सचिन तेंदुलकर और सुनील गावसकर के धैर्य को उनके ब्राह्मणत्व से जोड़कर देखा था.निस्संदेह, प्रभाष जोशी अपनी टिप्पणी में छुपी वह मार्मिक कचोट समझ नहीं पाए जो उनकी बात पढ़ कर बहुत सारे पाठकों के दिल में पैदा हुई होगी. 

लेकिन प्रभाष जोशी अपने किसी लापरवाह लम्हे में जो बात कह गए, उसे बहुत सारे दूसरे लोग बड़ी सूक्ष्मता से अपने व्यवहार में उतारते चलते हैं.ऐसे लोग घोषणा करते हैं कि वे जातिवाद पर भरोसा नहीं करते.वे मूलतः अगड़ी जातियों के लोग होते हैं जिनमें अधिकतम उदारता यह दिखती है कि वे किसी पिछड़ी या निचली जाति वाले मित्र के संपर्क में आएं तो अपनी श्रेष्ठता ग्रंथि को परे रखकर उसे चाय पिला दें या उसके साथ सहजता का व्यवहार करें.लेकिन जीवन के जो बड़े फ़ैसले होते हैं- शादी-ब्याह के, रिश्ते-नातों के- उनमें सबको अपनी जाति याद आने लगती है.देश के नामी-गिरामी अखबारों के वैवाहिक स्तंभ देखें या शादियां कराने वाली वेबसाइट्स देखें तो पाएंगे कि 90 फ़ीसदी से ज्यादा लोगों को अपनी ही जाति में कोई सुकन्या या वर चाहिए.क़ायदे से ऐसे जातिगत विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगना चाहिए, बल्कि उन पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए क्योंकि संविधान न सिर्फ़ जातियों को निषिद्ध करता है, बल्कि जातिवाद को अपराध भी मानता है.चाहें तो यहां डॉ राम मनोहर लोहिया का वह पुराना और मशहूर वक्तव्य याद कर सकते हैं जो उन्होंने अपनी कुछ पुरानी शैली में दिया था- कहा था कि जाति तोड़नी है तो बेटी और रोटी का नाता जोड़ना होगा.रोटी का नाता मजबूरी में जुड़ा है, लेकिन बेटी का नाता अभी तक नहीं जुड़ा है. 

बहरहाल, जातिवाद को नकारने वाले ये वे लोग होते हैं जिनकी पीठ पर जातिवाद का चाबुक नहीं पड़ता.बल्कि उन्हें बड़ी सहजता से अपने उच्चवर्णीय होने के वे लाभ मिलते रहते हैं जो पिछड़ी या निचली मानी जाने वाली जातियों को अपनी ऐतिहासिक नियति की वजह से हासिल नहीं हो पाते.ये लोग तो यहां तक मानते हैं कि उन्हें जातिवाद जैसी किसी बुराई का इल्म भी नहीं था, यह मंडल आयोग की सिफ़ारिशें हैं जिन्होंने याद दिलाया कि उनकी एक जाति है.दरअसल यह उनको पहली बार याद दिलाया गया है.मंडल आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर लागू आरक्षण के बाद बहुत से छात्र मायूस हैं कि उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय हो रहा है, कि बेहतर अंकों के बावजूद वे दाख़िले या नौकरी में पीछे रह जा रहे हैं और दूसरे लोग बाज़ी मार ले रहे हैं.लेकिन इस एक तथाकथित अन्याय ने उनके भीतर जितनी कटुता पैदा की है, उसी से उन्हें समझना चाहिए कि उनके विरुद्ध दूसरी जातियों को कितनी गहरी कटुता रखने का अधिकार है.इस कटुता को भी सहन करने का धीरज हमें दिखाने की ज़रूरत है.

सूर्य कुमार यादव पर लौटें. वे अपनी जातिगत विरासत के बावजूद एक संभ्रांत परिवार से हैं.उनकी जाति के बहुत सारे लोगों को वे सुविधाएं नहीं मिलतीं जो उन्हें मिली हैं.अगर उनके चयन में देरी हुई तो इसे उसके जातिवाद से ज्यादा भारतीय क्रिकेट की दूसरी विडंबनाओं से जोड़ कर देखने की ज़रूरत महसूस होती है. लेकिन क्य भारतीय क्रिकेट भी भारतीय समाज की कोख से नहीं निकला है? क्या भारतीय समाज के गुणसूत्रों की छाप यहां भी नहीं होगी? कहना मुश्किल है, लेकिन इस पूरी बहस ने इस तथ्य की ओर ध्यान खींचा है कि जिस जातिवाद को भारतीय समाज अपनी संभ्रांत मुद्राओं से छुपाने की कोशिश कर रहा है, उसके शिकार लोग अब पलट कर सवाल पूछ रहे हैं. राजनीति में, खेल में, साहित्य और संस्कृति में- हर तरफ़ इस बात पर नज़र है कि कहीं वर्चस्वशाली तबके उनके हिस्से का हक़ तो नहीं मार रहे.इत्तिफ़ाक़ से इन दिनों क्रिकेट की दुनिया में बहुत ओबीसी जातियों के खिलाड़ी दिख रहे हैं.इत्तिफ़ाक़ से इन्हीं दिनों जिस दूसरे खिलाड़ी के साथ अन्याय की शिकायत की जा रही है, उसका नाम कुलदीप यादव है.एक टेस्ट मैच में मैन ऑफ़ द मैच होने के बावजूद अगले टेस्ट में उन्हें टीम से बाहर बिठा दिया गया.इस फ़ैसले की बहुत तीखी आलोचना जिन लोगों ने की, उनमें सुनील गावसकर भी प्रमुख हैं.इत्तिफ़ाक़ यह भी है कि इन्हीं दिनों रणजी ट्रॉफ़ी में पृथ्वी शॉ ने एक पारी में क़रीब पौने चार सौ रन बना डाले हैं और याद दिलाया है कि क्रिकेट के मैदान में उनकी भी उपेक्षा हो रही है.बहुत सारे लोग मानते हैं कि विनोद कांबली जैसे महान खिलाड़ी के साथ अन्याय हुआ और इसकी एक वजह उनकी जातिगत पृष्ठभूमि भी रही हो सकती है. 

हालांकि इन सारे फ़ैसलों को जातिवाद के नज़रिए से देखना उचित नहीं होगा. कुछ फैसलों के लिए दूसरी मूर्खताएं या ज़िदें भी ज़िम्मेदार होती हैं.बल्कि क्रिकेट की दुनिया मे क्षेत्रीय आग्रह एक दौर में बहुत प्रबल रहे.मुंबई के खिलाड़ियों को दूसरे राज्यों या शहरों के खिलाड़ियों के मुक़ाबले आसानी से मौक़े मिलते रहे.अब छोटे शहरों से आ रहे खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा और अपने पराक्रम से पुराने और पारंपरिक दुर्ग तोड़ दिए हैं.आइपीएल ने क्रिकेट को चाहे जितना बदला हो, लेकिन एक काम ज़रूर किया है कि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए शोहरत के बहुत सारे अवसर पैदा किए हैं.पहले भारतीय टीम में 16 खिलाड़ियों की जगह होती थी, अब आइपीएल की दस टीमों के लिए 160 खिलाड़ी चाहिए.इससे प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है और टकराव भी.सितारे आ रहे हैं और गुम हो जा रहे हैं.एक मैच पीछे छूट जाने का मतलब फिर से वापसी की चुनौती है. 

निस्संदेह हर मामले में जातिवाद खोजने की प्रवृत्ति इस मायने में चिंताजनक है कि वह बुरी तरह समाज को बांटती है.लेकिन हर मामले को जातिवाद या जातिवादी आग्रहों से मुक्त मानने की प्रवृत्ति बरसों से चली आ रही एक सड़ांध को छुपाने की कोशिश है जो पूरे समाज को पीछे ले जाती है. 

फिर सवाल है कि रास्ता कहां है? जाति के सवाल से लगातार मुठभेड़ की गली में.यह सच है कि अभी यह सवाल नई बाड़ेबंदियों में उलझा हुआ है.लोकतांत्रिक राजनीति में प्रतिनिधित्व के ज़रूरी सिद्धांत का एक अतिरेकी और अवसरवादी प्रभाव यह हुआ है कि जातियों के भीतर जातियों और उपजातियों के सामाजिक-राजनीतिक संगठन बनते चले गए हैं जिनके पास अपने लिए कुछ सुविधाएं जुटाने के अलावा कोई बड़ा एजेंडा नहीं है. इसका नतीजा यह है कि सतह पर क्रांतिकारी या ज़मीनी दिखने वाली यह प्रवृत्ति यथार्थ में उन शक्तियों की गोद में जाकर बैठ जाती हैं जिनका भरोसा धार्मिक-सामाजिक यथास्थिति बनाए रखने पर ही नहीं, उसे बिल्कुल वापस लौटाने पर है. यह अनायास नहीं है कि मंडल और कमंडल के युद्ध में कमंडल लगातार बड़ा होता गया है जबकि मंडल टुकड़ा-टुकड़ा होकर उसमें समाता रहा है.तो अंबेडकर ने जाति तोड़ने के लिए धर्म को तोड़ने की जो युक्ति बताई थी, वह हाशिए पर है और मनुवाद जातिवाद की पुरानी संरचनाओं के कंधे पर हाथ रखकर हंस रहा है. 

बेशक, यह स्थिति भी स्थायी नहीं रहेगी. सूर्य कुमार यादव या ऐसे दूसरे खिलाड़ियों का उदय बता रहा है कि पुरानी शक्ति-संरचनाएं टूट रही हैं और नई सामाजिक शक्तियां अपनी आर्थिक हैसियत के साथ अपना हिस्सा मांग और वसूल रही हैं. यह स्थिति सिर्फ किसी खेल में नहीं, हर क्षेत्र में देखी जा सकती है.साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में पिछड़ी, आदिवासी और दलित पहचानों की जो दावेदारी है, वह इसी ओर एक और इशारा है.और यह दावेदारी बताती है कि वह अलग-अलग अनुशासनों के जाने-पहचाने व्याकरण में पर्याप्त तोड़फोड़ करने में सक्षम है.क्रिकेट की कॉपीबुक कही जाने वाली शालीन-कुलीन शैली तो सहवाग जैसे खिलाड़ियों ने पहले ही तोड़ी थी, अब सूर्य कुमार यादव जैसे खिलाड़ी उसे बिल्कुल बेमानी साबित कर रहे हैं.बेशक, इसे जाति की प्रक्रिया के आईने में देखना क्रिकेट के उस परिवर्तन की आंधी को नज़रअंदाज़ करना होगा जिसने पूरे खेल की शैली बदल डाली है.लेकिन ये चीज़ बताती है कि हमें बदलावों के प्रति उत्सुक और तैयार रहना चाहिए- उन बहसों के प्रति भी, जिनसे हमें असुविधा होती है या जिनमें हमें कोई तत्व नहीं दिखता- देर-सबेर इन्हीं से एक-दूसरे को सहन करने और फिर एक-दूसरे से जुड़ने और फिर इनमें कोई फ़र्क न मानने का रास्ता निकल सकता है- इस लेखक के पास इस आशावाद के सिवा और कोई रास्ता नहीं.

प्रियदर्शन NDTV इंडिया में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
 



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3 Kg Gold Seized From Passenger At Mumbai Airport

The Central Industrial Security Force (CISF) deployed at Chhatrapati Shivaji Maharaj International Airport apprehended a passenger and recovered 3 kg of gold from him, officials said on Thursday.

The passenger, identified as Rishi Shyam, was later handed over to AIU/Customs officials for further action.

According to an official release from the CISF, the accused was kept under electronic as well as physical surveillance.

During surveillance, it was observed that he picked some item from the floor and put it in his bag.

After keeping the item in his bag, he tried to frequently change his location. On strong suspicion, the passenger was intercepted by intelligence staff for questioning.

On tactfully questioning, the passenger accepted the presence of gold (yellow metal) in the pouch which he had received from an International passenger, who passed the item to him by throwing it over the glass sheet used to bifurcate Domestic and International boarding gates area, as per an official release from the CISF.

Earlier on January 6, altogether six kg of heroin and cocaine worth over Rs 47 crore were seized in two separate cases at the Mumbai airport, customs officials said.

Heroin was concealed in documents folder covers whereas cocaine was in clothes buttons, the officials said.

4.47 kg heroin valued at Rs 31.29 Cr and 1.596 kg cocaine valued at Rs 15.96 cr were seized in the two separate cases.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a syndicated feed.)



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Wednesday, January 11, 2023

Sadhvi Pragya Says "Sharpen Knives" Remark Was Reminder For Women's Safety

Bharatiya Janata Party MP Sadhvi Pragya on Wednesday took on the former bureaucrats who wrote to Lok Sabha Speaker Om Birla expressing discontent over her alleged hate speech, and said that she had only reminded people about their rights for women safety and that she would stand for the respect of women.

Her remarks came after 103 former bureaucrats demanded action from the Lok Sabha Speaker against Pragya.

Addressing Hindu Jagarana Vedike's South Region annual convention in Karnataka's Shivamogga in December last year, Pragya Thakur had said that a knife used for chopping vegetables can also cut the "heads of the enemies".

"Keep your daughters safe and protected. Keep weapons at home. Sharpen the knife used to cut vegetables. If our vegetables are cut well, heads and mouths of our enemies will also be cut well," she had said while addressing a gathering in Shivamogga, Karnataka.

Addressing the media here, the BJP MP said, "The public knows what is good.. what is right, what is legal, what is illegal, people of all ideologies live in the country and if I remind them of their rights for the safety of women and girls, then there is no need for them to be troubled."

"They will be happy if my (MP) membership is gone, they will be happy I don't care at all. Those who are opposing me, I have always stood for the self-respect of our self-respecting women, and for the respect of women, I will stand in future. I don't care about such people at all," she added.

Earlier, Congress leader Kanhaiya Kumar took a swipe at Sadhvi Pragya Singh Thakur over her "sharpen the knives" in "self-defence" statement saying "virtuous people never speak about violence" and "use hate speech".

Kumar while addressing a gathering on the occasion of Congress' 138th Foundation Day in Mumbai said, "People who are actually virtuous never speak about violence. They never use hate language instead they speak only to unite people not to divide them. But Sadhvi Pragya is completely doing the opposite, she is asking people to keep 'sharpened knives' at home. Which type of sadhvi is she, I don't understand."

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Maoists Fire At Elite Paramilitary Commandos In Chhattisgarh Encounter

An encounter broke out between commandos of CRPF's elite unit and Maoists on Wednesday when the security personnel were descending from a helicopter in the south Bastar region of Chhattisgarh, officials said.

The exchange of fire took place on the border of Bijapur-Sukma districts adjoining Telangana in the morning and the guns fell silent when Moaists escaped from the spot. Commandos were unharmed, while effort was on to gather information about the loss caused to Maoists, they said.

“Operations are being continuously carried out against Moaists in the bordering area of Bijapur-Sukma (Chhattisgarh)-Telangana. In this line, a unit of the CRPF's CoBRA's battalion was being dispatched to a forward operating base in a chopper,” a statement issued by the office of Inspector General, CRPF's Chhattisgarh sector, said.

The Commando Battalion for Resolute Action (CoBRA) is an elite anti-Maoist unit of the Central Reserve Police Force (CRPF).

"When the team was descending from the helicopter, an encounter broke out between CoBRA commandos and Maoists. On finding that security personnel were zeroing on them, Maoists escaped. No harm was reported to the CoBRA commandos and effort was on to gather information about the loss caused to Maoists in the incident. A search operation was underway in the area,” it added.

According to a senior state police official, the helicopter landed in the Elmagunda area in Sukma district where a camp of security forces is located.

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RRR के 'नाटू-नाटू' को लिखने में लगे 17 महीने, गीतकार ने NDTV को बताया- क्यों खास है ये गाना?

अमेरिका के लॉस एंजिल्स में आयोजित 80वें 'गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स 2023' में एसएस राजामौली की फिल्म RRR ने इतिहास रचा है. RRR के गाने 'नाटू नाटू' ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड जीता है. इस उपलब्धि पर फैंस और सेलेब्स खुशी से झूम रहे हैं. इस गाने को लिखने वाले तेलुगू के मशहूर गीतकार और सिंगर चंद्रबोस ने NDTV से खास बातचीत की. चंद्रबोस ने बताया कि इस फिल्म के गाने 'नाटू नाटू' को खिलने में उन्हें 17 महीने लग गए थे. 'गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स' में अपने गाने के लिए अवॉर्ड लेते हुए 'नाटू नाटू' के कंपोजर एमएम कीरावाणी भी इमोशनल हो गए थे. उन्होंने स्टेज से पूरी टीम को बधाई दी थी.

ये गाना तेलुगू में लिखा गया था, लेकिन बाद में इसे हिंदी के लिए 'नाचो नाचो' के नाम से लिखकर कम्पोज किया गया था. चंद्रबोस ने NDTV को बताया, "मुझे RRR के निर्देशक एसएस राजामौली ने फिल्म में एक खास सीन के लिए गाना लिखने के लिए कहा था. मैंने तीन गाने लिखे और उन्हें पेश किया. उन्हें इनमें से 'नाटू नाटू' सबसे अच्छा लगा." हालांकि, गाने को पूरा करना आसान नहीं था, क्योंकि इसे परफेक्ट होने में काफी समय लगा.

चंद्रबोस ने कहा, "मैंने आधे दिन में 90% गीत लिखे. निर्देशक ने उन्हें पहली बार में ही पसंद कर लिया. बाकी 10% को पूरा होने में एक साल और 7 महीने लगे." चंद्रबोस ने जूनियर एनटीआर और राम चरण पर फिल्माये गए इस गाने के लिए ग्रामीण परंपराओं के विषयों पर बोल लिखे. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "यह गीत ग्रामीण जीवन, भोजन और कृषि के विषयों को छूता है."

चंद्रबोस ने अब तक लिखे 3600 गाने
चंद्रबोस का पूरा नाम कनुकुंतला सुभाष चंद्रबोस है. एक गीतकार के रूप में चंद्रबोस ने 1995 में आई फिल्म 'ताजमहल' से करियर की शुरुआत की. अपने 27 साल के करियर में उन्होंने 850 से ज्यादा फिल्मों के लिए करीब 3600 गाने लिखे हैं. गीतकार के रूप में चंद्रबोस को दो राज्य नंदी पुरस्कार, दो फिल्मफेयर पुरस्कार और दो SIIMA पुरस्कार मिल चुके हैं.

किसने गाया 'नाटू नाटू' सॉन्ग?
'नाटू नाटू' गाने को राहुल सिपलीगंज और काल भैरवा ने मिलकर गाया है. इस गाने का लिरिकल वर्जन 10 नवंबर, 2021 को रिलीज किया गया था. हालांकि, कम्प्लीट वीडियो सॉन्ग 11 अप्रैल, 2022 को रिलीज हुआ था. इसी गाने के तमिल वर्जन को 'नाटू कोथू', कन्नड़ में 'हल्ली नाटू', मलयालम में 'करिनथोल' और हिंदी वर्जन में 'नाचो नाचो' के नाम से रिलीज किया गया. गाने के वीडियो में फिल्म के लीड एक्टर्स रामचरण तेजा और जूनियर एनटीआर ने डांस किया है. गाने की कोरियाग्राफी प्रेम रक्षित ने की है. 

यूक्रेन में शूट किया गया था नाटू-नाटू 
बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से कुछ महीनों पहले 'नाटू-नाटू' गाने को मरिंस्की पैलेस (यूक्रेन का प्रेसिडेंशियल पैलेस) में शूट किया गया था. गाने को अगस्त, 2021 में फिल्माया गया था. गाने का हुक स्टेप इतना ज्यादा वायरल हुआ कि लोगों ने सोशल मीडिया पर इसके साथ कई वीडियो बनाए. 

'नाटू-नाटू' गाने के रिलीज होने के महज 24 घंटों के भीतर इसके तेलुगू वर्जन को 17 मिलियन से ज्यादा बार देखा गया था. यह तेलुगू का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला गीत भी बन चुका है.

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Delhi Likely To See Light Rain, Foggy Weather Over Next 2 Days

Cloudy weather and light rain are predicted over the capital for the next two days under the influence of a strong western disturbance affecting northwest India, the India Meteorological Department (IMD) said on Wednesday.

A dense cover of fog lowered visibility to just 50 metres in Delhi in the morning, disrupting movement of vehicles and trains.

"A layer of dense to very dense fog extended from Punjab to Bihar across Haryana, Delhi and Uttar Pradesh in the morning," an IMD official said.

The Palam observatory near the Indira Gandhi International Airport recorded a visibility level of 50 metres.

Ninety-five trains were delayed due to the foggy weather, a railways spokesperson said.

The Delhi International Airport Limited tweeted that low-visibility procedures were in progress at the IGI airport.

Passengers have been advised to contact the airline concerned for updated flight information.

According to the weather office, very dense fog is when visibility is between 0 and 50 metres, between 51 and 200 metres is dense, between 201 and 500 metres moderate, and between 501 and 1,000 metres shallow.

The Safdarjung observatory, Delhi's primary weather station, recorded a minimum temperature of 5.8 degrees Celsius.

The minimum temperature in the capital is likely to rise to 9 degrees Celsius on Thursday amid cloudy weather and light rain.

Clouds trap the heat, which gets through during the day, keeping the night time temperatures above normal.

However, cloudy weather reduces daytime temperature by preventing exposure to the sun.

Cold wave conditions are predicted to return to the plains of northwest India after the WD retreats and frosty northwesterly winds start blowing from the snow-covered mountains.

Delhi saw an intense cold wave spell from January 5 to January 9, the second longest in the month in a decade, according to the IMD data.

It has also recorded over 50 hours of dense fog this month so far, which is the highest since 2019, a senior IMD official said.

The meteorologist attributed the long spell of intense cold to a layer of dense fog persisting over the Indo-Gangetic plains for the last 10-11 days and a large gap between two western disturbances, which meant frosty winds from the snow-clad mountains blew in for a longer-than-usual period.

The Indo-Gangetic plains have a lot of moisture owing to a large number of water bodies and rivers in the region. High moisture content, low temperatures and calm winds are the recipe for dense fog, the IMD official explained.

The city has recorded below-normal maximum temperatures this month so far due to dense fog that reduced sunshine hours.

Low day temperatures mean early cooling and early fog formation in the evening, he said.

The Safdarjung observatory had logged a minimum temperature of 3.8 degrees Celsius on Monday, 1.9 degrees Celsius on Sunday, 2.2 degrees Celsius on Saturday, 4 degrees Celsius on Friday and 3 degrees Celsius on Thursday.

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