Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Sunday, January 3, 2021

आज फिर किसानों की सरकार से मीटिंग, दो मसले अब भी अनसुलझे; आज नहीं बनी बात, तो आगे क्या होगा?

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 40वां दिन है। आज ही दिल्ली में 8वीं बार सरकार और किसान फिर साथ बैठेंगे। 30 दिसंबर को हुई बैठक में दो मसले सुलझा लिए गए थे। लेकिन दो मसले अभी भी अनसुलझे ही हैं। इन्हीं दोनों मसलों पर आज बात होनी है। अगर बात बन जाती है, तो हो सकता है कि आंदोलन खत्म हो जाए। लेकिन सवाल ये है कि अगर आज भी बात नहीं बनी तो क्या होगा? कितना लंबा चलेगा किसान आंदोलन? कितने किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल हैं? क्या सभी की यही मांगें हैं? आइए जानते हैं...

आंदोलन में कितने किसान संगठन शामिल हैं?
किसान आंदोलन में 35 संगठनों के नाम सामने आए हैं। इनमें से 31 अकेले पंजाब के हैं और बाकी 4 हरियाणा-मध्य प्रदेश के हैं। इन 35 में से 10 किसान संगठन ऐसे हैं, जिनका राजनीतिक पार्टियों से कनेक्शन है। इनमें 8 पंजाब के हैं और 2 हरियाणा-मध्य प्रदेश के।

किसान संगठनों के चर्चित चेहरे कौन से हैं?
1. गुरनाम सिंह चढूनी:
हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। 60 साल के गुरनाम कुरुक्षेत्र के चढूनी गांव के रहने वाले हैं। बीते दो दशकों से किसानों के मुद्दों पर लगातार सक्रिय रहे हैं। चढूनी सियासत में भी हाथ आजमा चुके हैं। वो पिछले साल बतौर निर्दलीय प्रत्याशी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी पत्नी बलविंदर कौर भी 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर लड़ चुकी हैं।

2. डॉक्टर दर्शन पालः क्रांतिकारी किसान यूनियन से जुड़े हैं। एमबीबीएस-एमडी डॉक्टर दर्शन पाल कई साल तक सरकारी नौकरी कर चुके हैं। करीब 20 साल पहले नौकरी छोड़ी और तब से अब तक किसानों की आवाज उठा रहे हैं। डॉक्टर दर्शन पाल किसान नेतृत्व के उन चेहरों में शामिल हैं जो क्षेत्रीय भाषाओं के साथ ही अंग्रेजी में भी किसानों की बात पूरी मजबूती से मीडिया के सामने रखते हैं।

3. बलबीर सिंह राजेवालः 77 साल के बलबीर भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। उनकी औपचारिक पढ़ाई भले ही सिर्फ 12वीं कक्षा तक हुई है लेकिन उनका अध्ययन इतना अच्छा रहा है कि यूनियन का संविधान भी उन्होंने ही लिखा है। इस वक्त वो भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष भी हैं। ये संगठन पंजाब में किसानों के बड़े संगठनों में से एक है।

4. जोगिंदर सिंह उगराहांः पंजाब के सबसे मजबूत और सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष हैं। जोगिंदर सिंह रिटायर्ड फौजी हैं। दिल्ली पहुंचे किसानों में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा है जो जोगिंदर के नेतृत्व में यहां आए हैं।

5. जगमोहन सिंहः फिरोजपुर के रहने वाले जगमोहन भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के नेता हैं। पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के बाद इसी संगठन को सबसे मजबूत माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के बाद से ही जगमोहन सिंह पूरी तरह से सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित हो गए।

6. राकेश टिकैतः उत्तर प्रदेश से आने वाले राकेश टिकैत एक जमाने में किसानों के सबसे बड़े नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। माना जा रहा है कि सरकार से बातचीत और सुलह का रास्ता खोजने की कोशिशों में किसानों की तरफ से टिकैत ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

क्या इन सभी किसान संगठनों की एक ही मांगें हैं?
हां, आंदोलन कर रहे सभी किसान संगठनों की 4 प्रमुख मांगें हैं। एक और संगठन है, जिसकी अलग मांगें हैं। उसके बारे में नीचे बात करेंगे। पहले इन किसान संगठनों की मांगों की बात करते हैं।

  1. किसान खेती से जुड़े तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कानूनों से कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।
  2. किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन चाहते हैं।
  3. बिजली बिल कानून का भी विरोध है। सरकार 2003 के बिजली कानून को संशोधित कर नया कानून लाने की तैयारी कर रही थी। किसानों का कहना है कि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
  4. किसानों की एक मांग पराली जलाने पर लगने वाले जुर्माने का प्रस्ताव भी है। इसके तहत पराली जलाने पर किसान को 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।

जो एक संगठन है, उसकी मांगें क्या हैं?
भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) और कुछ लेफ्ट समर्थित किसान संगठनों की इन 4 मांगों से हटकर भी कुछ अलग मांगें हैं। ये वही संगठन हैं, जिन्होंने आंदोलन के दौरान जेल में बंद शरजील इमाम और उमर खालिद जैसे लोगों की रिहाई के पोस्टर दिखाए थे। हालांकि, इन संगठनों की मांगों को इतना समर्थन नहीं मिल रहा है। इन लोगों की मांगें क्या हैं? जानते हैं...

  1. बिजली बिल (2020) समेत तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
  2. MSP पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं।
  3. जितने भी एक्टिविस्ट्स, बुद्धिजीवियों और छात्र नेताओं को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें रिहा किया जाए। साथ ही उन पर लगे सभी आरोप हटाए जाएं।
  4. पराली के लिए उचित व्यवस्था की जाए या फिर एक क्विंटल धान पर 200 रुपए का बोनस दिया जाए, ताकि किसान खुद व्यवस्था कर लें।
  5. किसानों को जो कर्ज दिया गया है, उसके ब्याज पर ब्याज न लगाया जाए।

सरकार ने अभी कितनी मांगों को मान लिया है?
सरकार ने 30 दिसंबर को हुई मीटिंग में किसान संगठनों की चार में से दो मांगों को मान लिया है। पहली है पराली जलाने पर कोई केस दर्ज नहीं होगा। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी हो गई है। दूसरी है बिजली बिल में बदलाव नहीं करने की। सरकार ने इस कानून को बनाने से मना कर दिया है।

तो अब कौनसी मांगें बची हैं?
अभी किसानों की दो मांगे बची हुई हैं। पहली मांग ये है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए। और दूसरी मांग ये है कि MSP पर सरकार कानून बनाए।

अब दो स्थिति बनती हैं, बात बनी तो क्या होगा? नहीं बनी तो क्या होगा?

बात बनी, तो क्या होगा?
अगर सरकार आज किसानों की बाकी दोनों मांगें मान लेती है, तो 40 दिन से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा। किसान संगठनों का कहना है, 'तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने और MSP पर कानून बनाने की मांग पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।'

बात नहीं बनी, तो क्या होगा?
आंदोलन तो खत्म होने से रहा, बल्कि इससे भी और बड़ा रूप ले सकता है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौधरी दिवाकर सिंह का कहना है, 'हम ये आंदोलन देश को बचाने के लिए कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि 4 तारीख को मामला निपट जाए, लेकिन अगर नहीं निपटता है तो हम इस आंदोलन को और तेज कर देंगे।'

दिवाकर सिंह का कहना है कि अगर आज बात नहीं बनती है, तो 6 या 7 जनवरी से हम ट्रैक्टर रैली करेंगे। इसके साथ ही जो आंदोलन अभी दिल्ली तक सीमित है, उसे बढ़ाकर अब पूरे देश में ऐसे ही आंदोलन किए जाएंगे। इन अलावा 26 जनवरी के दिन राजपथ पर परेड निकाली जाएगी। उनका कहना है कि हम शांतिपूर्ण तरीके से ही आंदोलन करेंगे। वो ये भी कहते हैं कि अब सबकुछ सरकार पर निर्भर करता है, वो क्या चाहती है? वो आंदोलन जारी रहने देना चाहती है या आंदोलन खत्म करना चाहती है?



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Narendra Singh Tomar Farmers Meeting Explainer | When Will Kisan Andolan End? Delhi Singhu Border Latest News And Update


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3rTm7KS
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive