Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Tuesday, January 5, 2021

बचपन में पिता की मौत हुई, चाय की दुकान पर बर्तन धोना पड़ा; अब एलोवेरा की खेती से हर महीने कमा रहे 1 लाख रुपए

आज की कहानी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले अजय स्वामी की। वे पिछले 12 साल से एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग कर रहे हैं। अभी वो इससे 45 तरह के प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। हाल में उन्होंने एलोवेरा से बना लड्डू तैयार किया है। इसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। इसकी खेती से वे हर महीने एक लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।

31 साल के अजय का सफर मुश्किल भरा रहा है। बचपन में ही उनके पिता की मौत हो गई थी। घर में कोई और कमाने वाला नहीं था। जैसे-तैसे आठवीं तक उनकी पढ़ाई हो सकी। घर का खर्च चलाने के लिए वे चाय की दुकान पर बर्तन धोने का काम करते थे। बाद में उन्होंने खुद की भी चाय की दुकान खोली। इसमें भी मुनाफा नहीं हुआ तो उन्होंने खेती करने का प्लान बनाया।

अजय कहते हैं, 'मेरे पास बस दो बीघा जमीन थी। उस पर हम पारंपरिक खेती करते थे। इसमें मुनाफा नहीं हो रहा था। उस समय रामदेव बाबा के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट चर्चा में थे। मैंने सोचा कि क्यों न ऐसे प्लांट खेत में लगाए जाएं, जिनकी मार्केट में डिमांड हो और उससे हेल्थ से जुड़े प्रोडक्ट भी तैयार हो सकें। इसके बाद मैंने एलोवेरा की खेती शुरू करने का विचार किया।

जूस तैयार करने के लिए एलोवेरा की पत्तियों की कटाई करते हुए अजय।

कब्रिस्तान से लाकर खेत में लगाए पौधे

अजय कहते हैं कि मैंने तय तो कर लिया कि एलोवेरा की खेती करनी है। सबसे बड़ा सवाल था कि इसके लिए प्लांट कहां मिलेंगे। कुछ रिश्तेदारों से बात की तो पता चला कि चूरू के एक कब्रिस्तान में एलोवेरा के पौधे हैं। उस गांव के लोग चाहते भी हैं कि यहां से कोई इन्हें ले जाए। फिर मैं एक ट्रैक्टर लेकर गया और कुछ पौधे उखाड़ लाया और अपनी खेत में लगा दिए।

वह बताते हैं कि एलोवेरा की खेती के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए मैं उन लोगों के पास गया जो इसकी खेती और मार्केटिंग करते थे। वहां उनके काम को देखा। कुछ लोगों ने जानकारी दी तो कुछ लोगों ने डांटकर भगा भी दिया। इसके बाद भी मैंने सीखने की कोशिश जारी रखी, क्योंकि मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था।

अजय बताते हैं कि करीब एक साल बाद मेरे पौधे तैयार हो गए। कुछ लोगों से इसकी मार्केटिंग के बारे में जानकारी जुटाई। फिर पता चला कि एलोवेरा से बने जूस की डिमांड है। इसके बाद पानी वाली बॉटल में ही मैंने जूस बनाकर बेचना शुरू कर दिया। मैं लोगों के पास जाता था, उन्हें अपने प्रोडक्ट के बारे में बताता था। इसी तरह एक के बाद एक कई लोग मेरे ग्राहक हो गए। कुछ कंपनियों से भी डिमांड आने लगी।

अजय ने नेचुरल हेल्थ केयर नाम से कंपनी बनाई है। लाइसेंस मिलने के बाद उनका पूरा फोकस एलोवेरा की प्रोसेसिंग पर हो गया।

चार पांच साल तक ऐसे ही काम चलता रहा। फिर मैंने नेचुरल हेल्थ केयर नाम से अपनी एक कंपनी रजिस्टर की। इसके बाद फूड लाइसेंस के लिए अप्लाई किया। लाइसेंस मिलने के बाद मेरा पूरा फोकस एलोवेरा की प्रोसेसिंग पर हो गया। मैं एक के बाद एक नए नए प्रोडक्ट लॉन्च करते गया। आज मिठाई, शैम्पू, कंडीशनर, जूस, साबुन, टूथपेस्ट जैसी 45 चीजें मैं तैयार करता हूं। कई बड़ी कंपनियों में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई करता हूं। कई लोग फोन पर भी ऑर्डर करते हैं।

सबसे बड़ी बात कि अजय ने इन सब चीजों के लिए कहीं ट्रेनिंग नहीं ली है। वे काम करने के दौरान ही सीखते गए हैं। अजय आज भी नए प्रयोग करते रहते हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उन्होंने एलोवेरा का लड्डू तैयार किए थे। ये उनका सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट है। इसकी कीमत 350 रुपए किलो है। वे अभी 30 एकड़ जमीन पर एलोवेरा की खेती कर रहे हैं। उनके साथ 3-4 लोग और काम करते हैं।

एलोवेरा की खेती कैसे करें

अजय बताते हैं कि एलोवेरा की खेती में लागत कम है लेकिन मेहनत ज्यादा है। इसके लिए रेतीली मिट्टी काफी अच्छी होती है। इसमें बहुत ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती है। गर्मी के मौसम में बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जड़ में थोड़ी नमी बरकरार रहे। बरसात शुरू होने से पहले इसके प्लांट लगाने चाहिए। ये पौधे एक साल बाद तैयार हो जाते हैं। जब पौधे तैयार हो जाए तो सावधानी से इसकी पत्तियों को अलग कर लेना चाहिए। कुछ दिनों बाद इन पौधों से नई पत्तियां निकल आती है।

मार्केटिंग और कमाई कैसे करें

अजय बताते हैं कि आज के दौर में मार्केटिंग आसान हो गई है। सोशल मीडिया सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। यहां हम अपना प्रोडक्ट लोगों के बीच प्रमोट कर सकते हैं। बस एक चीज हमें ध्यान रखनी है कि हम जो भी प्रोडक्ट लॉन्च करें, उसकी लोगों को कितनी और कब जरूरत है, इसका आकलन कर लेना चाहिए।

पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अजय ने एलोवेरा के लड्डू तैयार किए थे। ये उनका सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट है। इसकी कीमत 350 रुपए किलो है।

इसके साथ ही हमें खेती के साथ प्रोसेसिंग पर जोर देना चाहिए। इसकी पत्तियों के मुकाबले पल्प की डिमांड ज्यादा है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा पल्प मार्केट भेजा जाए। आज कई लोग कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट कर लेते हैं और उनकी जरूरत के हिसाब से पत्तियां, पल्प और प्रोडक्ट तैयार करते हैं।

अजय बताते हैं कि थोड़ी जमीन पर पारंपरिक खेती के साथ इसकी शुरुआत की जा सकती है। बाद में जब काम जम जाए तो धीरे-धीरे दायरा बढ़ाना चाहिए। एक एकड़ जमीन में एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। अगर ठीक से इनकी देखभाल और प्रोसेसिंग की जाए तो प्रति एकड़ लाख रुपए सालाना कमाई हो सकती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले अजय स्वामी पिछले 12 साल से एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग कर रहे हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/395T3H7
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive