सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बताया और कहा कि सरकार काे सस्ते इलाज की व्यवस्था करना चाहिए। जो लोग कोरोना से बच रहे हैं, वो आर्थिक तौर पर खत्म हो रहे हैं। शीर्ष काेर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को सख्ती से कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने का निर्देश दिया।
वहीं कहा कि चुनावी रैलियों में केंद्र सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइंस का पालन कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। जस्टिस अशाेक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिशा-निर्देशों और एसओपी के लागू नहीं होने से कोविड-19 महामारी ‘जंगल की आग’ की तरह फैल गई है।
यह कोविड-19 के खिलाफ विश्व युद्ध है। कर्फ्यू या लॉकडाउन लागू किए जाने के किसी भी फैसले की घोषणा पहले से की जानी चाहिए ताकि लोग अपनी आजीविका के लिए व्यवस्था कर सकें। गुजरात के राजकोट में कोरोना अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी कोरोना अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर के राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करें।
डाॅक्टराें काे ब्रेक पर सरकार देगी दाे दिन में जानकारी
जस्टिस एमआर शाह ने केंद्र सरकार से एक बार फिर से कोरोना अस्पतालों में जुटे डॉक्टरों के संबंध में पूछा। उन्होंने पूछा कि ब्रेक के बारे में केंद्र सरकार ने क्या किया है? लगातार आठ महीने से काम कर रहे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी थक गए हैं, उन्हें आराम देने के लिए किसी व्यवस्था की जरूरत है।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मु्द्दे पर केंद्र सरकार विचार कर रही है और दो दिन के भीतर वे इस संदर्भ में एक हलफनामा कोर्ट के समक्ष दायर करेंगे।
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