Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Tuesday, December 1, 2020

आपके मन की बात तो हर महीने सुनते हैं; आज किसान के मन की बात भी सुनिए

देश को अपने मन की बात सुनाकर और बनारस में भाषण देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी वापस दिल्ली आ रहे थे। रास्ते में उन्हें एक किसान मिल गया। वे बोले, ‘आप ‘मन की बात’ सुनते हैं?’ किसान मुंहफट था, बोला, ‘आप बड़े आदमी हो। आपके मन की बात तो हर महीने सुनता हूं। आज किसान के मन की बात भी सुनिए। दोनों में बात शुरू हो गई:

मोदी जी: आपको पता है, हमारी सरकार किसानों के लिए ऐतिहासिक कदम उठा रही है?

किसान: अब क्या बंद कर रहे हैं जी? बुरा न मानना, आप जब-जब किसी बात को ऐतिहासिक बोलते हैं तो डर लगता है। पहले ऐतिहासिक नोटबंदी, फिर कोरोना में देशबंदी, अब किसानों का क्या बंद करेंगे?

मोदी जी: मैं तो उन तीन ऐतिहासिक कानूनों की बात कर रहा था जो सरकार किसानों के लिए लेकर आई है।

किसान: सुनो जी, सौगात वो होती है, जो किसी ने मांगी हो या उसकी ज़रूरत हो या उसके किसी काम की हो। ये तीन कानून क्या किसानों या उनके नेताओं ने मांगे थे? इन्हें लाने से पहले आपने किसी भी किसान संगठन से राय-बात की थी? अगर ये सौगात हैं तो देश का एक भी किसान संगठन इनके समर्थन में क्यों नहीं खड़ा?

मोदी जी: वे तो विरोधी हैं, विरोध उनकी आदत है।

किसान: ठीक है, विरोधी छोड़ें! आपके 50 साल पुराने सहयोगी अकाली दल ने इन कानूनों के खिलाफ आपका साथ क्यों छोड़ दिया? आपका अपना भारतीय किसान संघ इन कानूनों का समर्थन क्यों नहीं कर रहा?

मोदी जी: नासमझ हैं ये। इन कानूनों से आपको आजादी मिल जाएगी। जहां चाहो अपनी फसल बेच सकते हो।

किसान: यह आजादी तो मुझे पहले भी थी। गांव में बेचूं, मंडी में बेचूं, कहीं और ले जाकर बेचूं। कहने को तो सारी आज़ादी थी, लेकिन मैं मंडी से दूर कहां जाऊं? कैसे जाऊं? दूसरा राज्य छोड़ो, दूसरे जिले में जाना भी मेरे लिए महंगा पड़ता है। ऐसी आजादी का मैं क्या करूं?

मोदी जी: इसीलिए व्यवस्था की है, अब सरकारी मंडी में फसल बेचना जरूरी नहीं। प्राइवेट मंडी भी खुलेगी।

किसान: आप मंडी व्यवस्था सुधारो तो मेरे जैसे सब किसान आपके साथ हैं। लेकिन आप तो इसे बंद करने का इंतजाम कर रहे हैं। मंडी जाकर मैं शोर मचा लेता हूं, बात सुना लेता हूं। प्राइवेट मंडी में मेरी कौन सुनेगा?

मोदी जी: ये किसने कहा कि मंडी बंद कर रहे हैं? हम तो बस एक और विकल्प दे रहे हैं।

किसान: सरकारी मंडी वैसे ही बंद होगी जैसे एक कंपनी के मोबाइल ने बाकी कंपनियों को बंद कर दिया। जब उसका मोबाइल शुरू हुआ तब कहा, जितनी मर्जी कॉल करो, हमेशा फ्री रहेगा। सब उसके साथ हो लिए, बाकी कंपनियां ठप्प हो गईं। फिर उसने रेट बढ़ा दिए। यही खेल प्राइवेट मंडी में होगा। पहले एक-दो सीजन किसान को 100 रुपया ज्यादा दे देंगे। इतने में सरकारी मंडी बैठ जाएगी, आढ़ती वहां दुकान बंद कर देंगे। फिर प्राइवेट मंडी वाले 500 रुपया कम भी देंगे तब भी मजबूरी में किसान को वहीं जाकर अपनी फसल बेचनी पड़ेगी।

मोदी जी: मैंने बार-बार बोला है, न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था बनी रहेगी। आपको मुझपर भरोसा नहीं?

किसान: भरोसा अब भी करने को तैयार हूं, बस आप लिखकर दे दो। जैसे तीन कानून बना दिए हैं, वैसे चौथा कानून भी बना दो कि सरकार जो एमएसपी घोषित करती है, कम से कम उतना रेट किसान को गारंटी से मिलेगा। या इन्हीं कानूनों में लिख दो कि मंडी सरकारी हो या प्राइवेट, सरकार द्वारा तय रेट से कम पर कोई सौदा नहीं होगा। मुझे तो नहीं पता लेकिन मास्टर जी बता रहे थे कि जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब 2011 में आपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिठ्ठी लिखकर मांग की थी कि एमएसपी की कानूनी गारंटी दे दी जाए। अब तो आप ही प्रधानमंत्री हैं। आप अपनी ही बात मान लो ना!

मोदी जी: कम से कम बिचौलिए से तो पीछा छूटेगा?

किसान: वो कैसे जी? अगर अंबानी या अडाणी प्राइवेट मंडी खोलेंगे तो वे कौन-सा खुद आकर किसान की फसल खरीदेंगे? वे भी एजेंट को लगाएंगे। एक की बजाय दो बिचौलिए हो जाएंगे। एक छोटा एजेंट और उसके ऊपर अंबानी या अडाणी। दोनों हिस्सा लेंगे। आज आढ़ती जितना कमीशन लेता है, तब दोनों बिचौलिए मिलकर उसका दोगुना काट लेंगे। आज मैं आढ़ती के तख्त पर बैठ जाता हूं, जरूरत में उससे पैसा पकड़ लेता हूं। उसकी जगह कंपनी हुई तो सारा समय फोन पकड़कर बैठा रहूंगा, सुनता रहूंगा कि अभी सारी लाइनें व्यस्त हैं।

मोदी जी: आपको सारी गलतियां हमारी ही दिखती है? कांग्रेस राज में क्या किसान खुश थे?

किसान: किसान तब खुश होते तो आज आप इस कुर्सी पर न होते। किसान दु:खी थे इसीलिए कांग्रेस को कुर्सी से उतारा। देखिए मोदी जी, ये जो मंडी हैं न, ये एक छप्पर है मेरे सर पर। छप्पर टूटा है, इसकी मरम्मत की जरूरत है। लेकिन आप तो छप्पर ही हटा रहे हैं। और कहते हैं इससे मुझे खुला आकाश दिखेगा, चांद-तारे दिखेंगे! बिना छप्पर जीने की आज़ादी मुझे नहीं चाहिए...

किसान की नज़र आकाश से नीचे उतरी तो देखा कि मोदी जी झोला उठाकर चले जा रहे थे। वो भी ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर दिल्ली में इकठ्ठे किसानों में शामिल होने के लिए निकल पड़ा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
योगेन्द्र यादव, सेफोलॉजिस्ट और अध्यक्ष, स्वराज इंडिया


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33xjq6Q
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive