75 साल की सत्या देवी के संघर्ष की कहानी आम महिलाओं के लिए एक मिसाल है। उनके पति मंगल सिंह को 1971 में पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उस वक्त मंगल की उम्र महज 27 साल थी। सत्या की गोद में दो बेटे थे। एक 3 और दूसरा 2 साल का था। तभी से सत्या ने पति के इंतजार में कई दशक गुजार दिए।
बच्चों को पालने-पोसने के साथ पति के इंतजार की उम्मीद नहीं छोड़ी। भारत सरकार को दर्जनों पत्र भेजने के करीब आठ साल बाद उनकी कोशिशें रंग लाईं। अब 49 साल बाद राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से खत भेजकर सत्या को उनके पति के जिंदा होने की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि मंगल पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद हैं। पाक सरकार से बात कर उनकी रिहाई की कोशिशों में तेजी लाई जाएगी।
पिता को याद कर बेटे की आंख भर आई
सत्या और उनके दो बेटे पिछले 49 साल से मंगल को देखने की राह देख रहे थे। अपने पिता को याद करते डरौली खुर्द के रहने वाले रिटायर्ड फौजी दलजीत सिंह ने भास्कर से बातचीत की तो उनकी आंखों से आंसू छलक गए।
उन्होंने बताया, 'बात 1971 की है, जब रांची में लांस नायक के पद पर उनके पिता को कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया। अचानक बांग्लादेश के मोर्चे पर ड्यूटी लग गई। 1971 में एक दिन सेना से टेलीग्राम आया कि बांग्लादेश में सैनिकों को ले जा रही एक नाव डूब गई और उसमें सवार मंगल सिंह समेत सभी सैनिक मारे गए। फिर 1972 में रावलपिंडी रेडियो पर मंगल सिंह ने संदेश दिया कि वह ठीक हैं। उसके बाद से अब तक उनकी वापसी की राह देख रहे थे। उस समय हमने रिहाई के लिए जोर लगाया मगर कोई मदद नहीं मिल पाई।'
मगर सत्या देवी के दृढ़ निश्चय ने मंगल सिंह को भारत वापस आने की रोशनी दिखाई दी। सत्यादेवी ने बताया कि इससे पहले कई सरकारें गई और कई आईं, लेकिन मदद नहीं मिली। कहा अब जाकर उम्मीद बंधी है कि पति की रिहाई होगी।
दलजीत ने बताया कि पिता मंगल सिंह कोट लखपत जेल में बंद हैं, तब मैं सिर्फ तीन साल का था। सितंबर 2012 में भास्कर में ही एक खबर छपी कि पाकिस्तान की जेल में 83 सैनिक बंद हैं और इनमें मंगल सिंह भी एक हैं। इसके बाद सत्या देवी ने खत लिखने का सिलसिला शुरू किया और अब दिसंबर 2020 में इन कोशिशों का जवाब मिला है।
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