Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Sunday, November 29, 2020

भाजपा में जब-जब साइडलाइन हुए, नई लाइन से साबित किया कि सुशील मोदी का विकल्प नहीं

पिछले 15 दिनों से बिहार की राजनीति में सुशील कुमार मोदी से ज्यादा चर्चा किसी की नहीं है। 15 नवंबर को सुबह जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आने वाले थे, तभी से छोटे मोदी को लेकर बवाल था। 12 साल में ऐसे कई बवाल आए। पिछले 5 साल में यह दूसरा मौका था, जब सुशील मोदी को साइडलाइन किया गया।

पिछली बार सुशील मोदी लालू प्रसाद के खिलाफ माहौल बनाकर दोबारा डिप्टी सीएम बने और इस बार जब यह कुर्सी छीनी गई तो फिर अपने पुराने मित्र पर खुलासा करके रिकवर कर गए।

15 नवंबर को NDA की बैठक के पहले भास्कर ने बता दिया था कि सुशील मोदी डिप्टी सीएम नहीं रहेंगे, केंद्र जाएंगे। पहला निर्णय तो तत्काल आ गया, लेकिन दूसरी खबर अटकी थी। केंद्र का उनका टिकट फाइनल नहीं हो रहा था, लेकिन लालू प्रसाद की तरफ से विधायकों को आ रहे ऑफर के जवाब में उन्हें कॉलबैक कर सोशल मीडिया में सबकुछ खोला तो पार्टी एक झटके में समझ गई कि "सुशील मोदी का विकल्प नहीं है'। और फिर, राज्यसभा के बाकी नाम कट गए, सुशील मोदी फाइनल हो गई।

12 साल पहले डिप्टी सीएम रहते दिल्ली में देनी पड़ी थी सफाई
2008 में नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया तो भाजपा के कद्दावर नेता चंद्रमोहन राय को स्वास्थ्य मंत्री का पद छोड़ना पड़ा। चंद्रमोहन राय को कमतर PHED विभाग मिलने का सारा दोष सुशील कुमार मोदी के सिर पर आया और बिहार भाजपा का एक बड़ा खेमा सुशील मोदी हटाओ अभियान में जुट गया। तब उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को दिल्ली पहुंच कर सफाई देनी पड़ी। इसके बाद भी मौका मिलते ही पीठ पीछे उन्हें किनारे करने की मुहिम कई बार चलीं। हालांकि, इस बार ऐसा लग रहा था कि सुशील मोदी के खिलाफ कोशिशें कामयाब हो गईं।

जदयू से 17 साल पुरानी दोस्ती टूटी, नीतीश प्रेम से टारगेट पर आए
नरेंद्र मोदी को PM पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद अनबन के साथ 16 जून 2013 को बिहार में भाजपा-जदयू की 17 साल पुरानी दोस्ती टूटी और भाजपा को विपक्ष में जाना पड़ा। नरेंद्र मोदी को PM प्रत्याशी बनाए जाने के पहले सुशील मोदी कई बार नीतीश को PM मेटेरियल भी कह चुके थे, इसलिए जैसे ही नरेंद्र मोदी की घोषणा हुई और नीतीश कुमार ने तीखा विरोध शुरू किया तो कहीं न कहीं सुशील मोदी के खिलाफ भी माहौल बन गया। जदयू ने राजद का साथ लेकर सरकार बना ली और सुशील मोदी किनारे ही लग गए।

2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के तुरंत बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की जबरदस्त हार से भाजपा हिल गई। पार्टी को यह उम्मीद ही नहीं थी कि अगले पांच साल तक महागठबंधन की मजबूत सरकार को हिलाना संभव होगा।

ऐसे मौके पर सुशील कुमार मोदी ने एक तरह से अकेले ही कमान संभाली। 4 अप्रैल 2017 तक लालू परिवार के खिलाफ 44 प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। विपक्ष में रहकर लालू परिवार पर आय से अधिक संपत्ति के मामलों का खुलासा किया और कागजी प्रमाण भी लेकर आए। हर प्रेस कांफ्रेंस के साथ राजद-जदयू सरकार असहज होती गई और नीतीश सोचने को मजबूर हो गए।

नीतीश को फिर NDA का CM बनाया, गिफ्ट मिला डिप्टी का पद
2015 विधानसभा चुनाव में महज 53 सीटें लेकर विपक्ष में बैठी भाजपा को सुशील कुमार मोदी के खुलासे ने नई उम्मीद दिखाई। राजद-जदयू की दूरियां ऐसी बढ़ीं कि 26 जुलाई 2017 को भाजपा-जदयू फिर एक बार साथ गए। 4 साल बाद हुए इस गठजोड़ में सुशील मोदी ने सबसे अहम भूमिका निभाई, लेकिन इसके बावजूद पार्टी के अंदर उनका विरोध खत्म नहीं हो रहा था। इस बार नीतीश कुमार फ्रंट पर आए और उनकी मांग पर सुशील मोदी को बिहार का उप-मुख्यमंत्री बनाया गया।

नीतीश-प्रेम ने विकेट गिराया, लालू पर खुलासे ने दिया केंद्र का टिकट
नीतीश कुमार से सुशील कुमार मोदी का प्रेम वर्षों से चर्चा में रहा है। इस बार भाजपा मजबूत हुई तो इस प्रेम को तोड़ने के लिए सुशील कुमार मोदी को दरकिनार करने की आवाज बुलंद हो गई। 14 नवंबर की शाम जानकारी आई कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह इसी पर विधायकों से रायशुमारी के लिए पटना आ रहे हैं। 15 नवंबर को वह आए भी, लेकिन प्रदेश कार्यालय में रायशुमारी का इंतजार कर रहे भाजपा विधायकों से मिले बगैर सीधे सुशील मोदी के साथ NDA की बैठक में ही गए। सुशील मोदी को एक बार भी नहीं छोड़ा।

NDA बैठक में फाइनल हो गया कि सुशील मोदी डिप्टी CM नहीं रहेंगे, लेकिन उन्हें यह भरोसा नहीं दिलाया गया कि उनके साथ भविष्य में क्या होगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर दु:ख जाहिर भी किया कि कार्यकर्ता का पद तो कोई नहीं छीन सकता। पार्टी दफ्तर से राजभवन तक, हर जगह दरकिनार नजर आए सुशील मोदी इस बार भी शांत नहीं बैठे।

विधानसभा अध्यक्ष चुनाव से एक दिन पहले 24 नवंबर को NDA विधायकों को लालच देकर सरकार के खिलाफ जाने का खुलासा किया। ऐसी एक कॉल की इन्फॉर्मेशन भी लाए और लालू यादव को कॉल-बैक करने की जानकारी भी सोशल मीडिया पर दी। यह तुरुप का पत्ता काम आया। लालू गेस्ट हाउस से रिम्स गए और इधर भाजपा ने सुशील मोदी को राज्यसभा का टिकट सौंप दिया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Bihar Politics, Bihar Election Results, rajya sabha election 2020, sushil modi in ajya sabha, RamBilas Paswan


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2KS3Yfi
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive