Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Thursday, November 12, 2020

बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं, शरीर को सुरक्षित रखने के लिए समय जरूर निकालना चाहिए

कहानी - जून 1902 में स्वामी विवेकानंद ने अपने एक शिष्य को पत्र लिखा था। उसमें अपनी सेहत को लेकर बात की थी। स्वामीजी ने लिखा था कि मेरा किस्सा पूरा भया, नटे पौधा ढहा यानी अब इस जीवन को समेटने का समय आ गया है।

अंतिम समय में स्वामीजी ने अपने शिष्यों से कहा था कि एक के बाद एक कई बीमारियां मेरे शरीर में उतर आई हैं। मेरी सेहत तेजी से टूट रही है। बीमारियों की वजह से कभी-कभी गुस्सा भी आ जाता है, लेकिन तुरंत मैं अपने आप को शांत भी कर लेता हूं।

स्वामी विवेकानंद ने जिस शरीर से पूरी दुनिया नापी थी, पूरी दुनिया को मानवता की सीख दी, वही शरीर अंतिम समय में इतना लाचार हो गया था। उन्हें सांस लेने में असहनीय तकलीफ होने लगी थी। वे कई तकियों को इकट्ठा करके अपनी छाती के आगे लगा लेते थे और आगे की तरफ झुककर बड़ी तकलीफ से सांस ले पा रहे थे।

स्वामीजी अंतिम दिनों में कहा करते थे कि चलो मृत्यु आ भी गई तो क्या फर्क पड़ता है? मैं जो देकर जा रहा हूं, वह डेढ़ हजार वर्षों की खुराक है। गुरु महाराज का मैं ऋणी था। मैंने अपना काम कर दिया है। अब आगे की व्यवस्था तुम लोग संभालो।

सीख - जाते-जाते स्वामी विवेकानंद हमें समझा गए कि इस शरीर का भी ध्यान रखना है। बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं, शरीर को सुरक्षित रखने के लिए हर रोज व्यायाम जरूर करें, क्योंकि ये शरीर एक दिन अपनी कीमत जरूर वसूलता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
aaj ka jeevan mantra by pandit vijay shankar mehta, life management tips by pandit vijay shankar mehta, swami vivekanand story


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36yphcL
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive