Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Wednesday, November 4, 2020

जिन मरीजों की एंजियोप्लास्टी, बायपास संभव नहीं; उनके लिए नस से जुड़ने वाली डिवाइस बनाई

गुजरात के एक रिसर्चर ने शरीर में मौजूद 10 नंबर की नस से दिल के इलाज में अहम सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि हार्ट के उन मरीजों के लिए उम्मीद जगाने वाली है, जिनकी एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी संभव नहीं होती। हार्ट फेल की ऐसी स्थिति में मरीज की धड़कनें कभी सुस्त पड़ जाती हैं, ताे कभी तेज हो जाती हैं। ऐसे में डॉक्टर कुछ नहीं कर पाते।

इंटरनेशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. कमल शर्मा के मुताबिक, अब तक इस नस से मस्तिष्क को संकेत भेजकर पार्किंसन्स, डिप्रेशन आदि के गंभीर मरीजों का इलाज हाेता आया था, लेकिन दिल के इलाज में पहली बार सफलता मिली है। डॉ. शर्मा की इस रिसर्च काे इंटरनेशनल जरनल ऑफ कार्डियोलाजी (IJC) ने पब्लिश किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी इस तकनीक को मान्यता प्रदान की है।

करंट की गति को रिवर्स किया

डाॅ. शर्मा के मुताबिक, सालाें से दिमागी समस्याओं में वेगस नर्व के जरिए मस्तिष्क को करंट दिया जाता रहा है। मैंने करंट की इस गति को रिवर्स कर मस्तिष्क के जरिए दिल तक पहुंचाने की कोशिश की। इसके लिए मरीज के गले के हिस्से में कट लगाकर वेगस नर्व से छोटी-सी डिवाइस जोड़ी। इससे दिल की बेकाबू धड़कनाें काे नियंत्रित करने, हृदय काे स्वस्थ बनाने और मरीजाें का जीवनकाल बढ़ाने में मदद मिली है। इस तकनीक काे ‘वेगस नर्व सिम्युलेशन’ नाम दिया है। इससे छह महीने से 42 महीने तक की अवधि के अच्छे परिणाम मिले हैं। यह रिसर्च देश के 10 सेंटर्स पर 60 मरीजाें पर की गई और परिणाम बेहतर रहे।

कमजोर दिल के मरीजों को अधिक लाभ

दिल के जिन राेगियाें का इलेक्ट्राेकार्डियाेग्राम वाइड (चाैड़ा) आता हाे, उन्हें पेसमेकर लगाया जाता है या एंजियाेप्लास्टी की जाती है, लेकिन जिन मरीजाें का ईसीजी नैराे (संकरा) आता है, उनके लिए यह तकनीक लाभदायक है।

ध्यान, योग, प्राणायाम से दिल की धड़कनें इसी नर्व के जरिये काबू होती हैं
हमारे शरीर में वेगस नामक नर्व (नस) हाेती है। यह नर्व शरीर में संकेतवाहक का काम करती है। यही नर्व मस्तिष्क से दिल को भी संकेत पहुंचाती है। इसे 10 नंबर की नर्व कहा जाता है। डॉ. कमल शर्मा के मुताबिक, आमताैर पर ध्यान, योग और प्राणायाम से दिल की धड़कनें नियंत्रित की जाती हैं। यह काम शरीर में मस्तिष्क की 10 नंबर नर्व के जरिए ही होता है। इसे ‘ऑटोनाॅमिक कंट्रोल’ कहा जाता है। यह नर्व मस्तिष्क से निकल कर गले से होती हुई दिल तक जाती है और संकेतों का वहन करती है। इसीलिए गले से डिवाइस जोड़कर करंट की गति बदली तो परिणाम बेहतर मिले हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
डॉ. कमल शर्मा के मुताबिक, आमताैर पर ध्यान, योग और प्राणायाम से दिल की धड़कनें नियंत्रित की जाती हैं।


from Dainik Bhaskar /national/news/heart-patients-whose-angioplasty-bypass-is-not-possible-made-a-vein-connecting-device-for-them-patients-will-now-be-able-to-live-more-127884347.html
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive