Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Thursday, November 19, 2020

मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़, गांव में नींबू की खेती शुरू की, सालाना 6 लाख रु हो रही है कमाई

रायबरेली से 20 किमी दूर कचनावां गांव में घुसते ही नींबू की खुशबू आपका मन मोह लेगी। कच्ची पगडंडियों से होते हुए जब आप खेतों में पहुंचेंगे तो सामने आपको लहलहाता हुआ नींबू का बाग मिलेगा। यहां कभी पैंट-शर्ट में तो कभी धोती-कुर्ते में आनंद मिश्रा आपको काम करते दिख जाएंगे। वो मल्टी नेशनल कंपनी में लाखों की नौकरी छोड़कर गांव में ही खेती कर रहे हैं। इससे सालाना 6 लाख रु. कमा रहे हैं।

आनंद बताते हैं कि BBA के बाद 2002 में मेरी जॉब एक प्लास्टिक फर्नीचर कंपनी में लगी। पहली पोस्टिंग नोएडा में रही। फिर बतौर आउटसोर्सिंग हेड पटना, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में रहा। अच्छी सैलरी, बड़ा घर, गाड़ी और जीवन में वह सब कुछ था, जिससे जिंदगी आसान हो जाती है, लेकिन जब भी त्योहार या छुट्टियों में घर आता, मेरा मन यहीं रम जाता। भागदौड़ भरी जिंदगी से मन उचाट हो गया था। इसलिए 2016 में नौकरी छोड़कर घर आ गया। बीवी और बच्चों ने मुझे सपोर्ट किया, लेकिन मां नाराज हो गईं।

दो साल जमा किए पैसों से घर का खर्च चलाया

आनंद बताते हैं कि पहले मैंने अपने एक हेक्टेयर खेत में गेहूं और धान पर हाथ आजमाया, लेकिन कुछ खास नहीं हुआ। ऊपर से घाटा भी सहना पड़ा। फिर मैंने रिसर्च करने की सोची। नौकरी छूट गयी थी, लेकिन घर भी चलाना था। बच्चे पढ़ई कर रहे थे। इसलिए 13 साल की नौकरी में जो थोड़े बहुत पैसे बचाए थे, एफडी बनवाई थी, वह सब तोड़ना शुरू की ताकि घर का खर्च आराम से चल सके।

आनंद कहते हैं कि जब मैंने शुरुआत की तो लोग मजाक में लेते थे। कहते थे कि अच्छी-खासी जिंदगी को तिलांजलि देकर चला आया।

रिसर्च के लिए मैंने इलाहाबाद में अमरूद का बाग देखा, फतेहपुर में केले की खेती देखी, बाराबंकी में मेंथा देखा और फिर पद्मश्री राम सरन वर्मा के पास बाराबंकी गया। जहां वह केले की खेती करते हैं, लेकिन मुझे समझ नहीं आया, क्योंकि चाहे अमरूद हो, केला हो या मेंथा, इन सबकी खेती में यूपी में कॉम्पटीशन बहुत है। फिर मैंने मंडियों के चक्कर लगाए।

रायबरेली, लखनऊ, बाराबंकी और तमाम जगह गया। बस एक बात समझ आई कि नींबू बाहर से आता है और उसका दाम लगभग हमेशा ही एक सा रहता है और डिमांड बनी रहती है। मैंने पता लगाया कि नींबू का 90% माल कलकत्ता या नासिक से आता है। मैंने मंडियों में आढ़तियों से बात की अगर नींबू यहीं मिल जाए तो लेंगे। इस पर व्यापारी तैयार हो गए।

2018 में 80 हजार तो 2019 में 3 लाख कमाए

आनंद बताते हैं कि नींबू की फसल में 2 साल तक बहुत मुनाफा नहीं होता है, लेकिन जब आप देख-भाल करते रहते हैं तो तीन साल पर आपको मुनाफा मिलना शुरू हो जाता है और हर साल मुनाफा लगभग दुगुना होता है। इसी तरह पहले साल 2018 में मुझे लगभग 80 हजार मिले और 2019 में लगभग 3 लाख कमाए। अब 2020 में यह आमदनी 5 से 6 लाख पहुंच गई है। 2021 में 10 लाख तक कमाई हो जाएगी। अब तो गाड़ियां सीधे खेतों में आ जाती हैं।

आनंद बताते हैं कि जल्द ही यूपी से नींबू विदेशों में भी जाएंगे। अभी वे देश में ही इसकी सप्लाई करते हैं।

आनंद कहते हैं कि जब मैंने शुरुआत की तो लोग मजाक उड़ाते थे। कहते थे कि अच्छी-खासी जिंदगी को तिलांजलि देकर चला आया। कृषि विभाग के लोग भी शुरुआत में मेरी बातों को बहुत हलके में लेते थे, लेकिन अब उसी विभाग के कृषि वैज्ञानिक मेरे खेतों पर आते हैं और टिप्स देकर जाते हैं।

दूर-दूर से लोग नींबू की खेती की बारीकियां सीखने आते हैं। दरअसल, मेरा मकसद किसानों की मदद करना है। थोड़ा सा बदलाव कर किसान अपनी खेती को बेहतर कर सकता है। मैं सोशल मीडिया के जरिए भी खेती के बारे में बताता रहता हूं। लोग फोन पर भी बात करते हैं।

अब विदेशों में भेजेंगे नींबू

आनंद बताते हैं कि जल्द ही यूपी से नींबू विदेशों में भी जाएंगे। वो उत्तरप्रदेश कृषि निर्यात नीति समिति लखनऊ मंडल के सदस्य हैं। अब इसका फायदा वह यूपी के किसानों को देना चाहते हैं। आनंद कहते हैं कि पिछले 3 साल में कई लोगों ने नींबू की बागवानी शुरू की है, लेकिन अभी भी हम यूपी की डिमांड नहीं पूरी कर पा रहे हैं। इस क्षेत्र में आने से किसान इसलिए डर रहा है, क्योंकि उसको बागवानी का कृषि बीमा नहीं मिलता है। अगर सरकार कृषि बीमा देना शुरू करे तो किसान को फायदा होगा और लोग ज्यादा तेजी से इस ओर मुड़ेंगे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
आनंद कहते हैं कि जब 2016 में नौकरी छोड़कर घर आ गया तो बीवी और बच्चों ने सपोर्ट किया, लेकिन मां नाराज हो गईं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/38XH6oH
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive