Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika

Tuesday, October 6, 2020

30 साल से तीन बाहुबलियों का राज, कभी बूथों को लूटने घोड़े से आते थे अपराधी; बाहुबल इतना कि जेल से ही चुनाव जीत जाते हैं

पटना जिले की मोकामा सीट। बाहुबली अनंत सिंह यहां से विधायक हैं। वो पहले जदयू में थे, लेकिन 2015 में निर्दलीय जीते। इस बार राजद के टिकट पर मैदान में उतरेंगे। इस सीट की एक खास बात ये भी है कि पिछले 30 साल से यहां बाहुबली ही जीत रहे हैं। यहां के मौजूदा विधायक अनंत सिंह अभी जेल में हैं और वहीं से चुनाव लड़ेंगे।

बाहुबलियों की जीत का सिलसिला 1990 में शुरू हुआ। उसके बाद से अब तक यहां 7 चुनाव हुए। इस दौरान तीन अलग-अलग नेता इस सीट से विधायक बने। तीनों ही बाहुबली। आइये एक-एक करके इन तीनों के बारे में जानते हैं...

1990 से 2000 : दिलीप सिंह का दौर

80 के दशक में मोकामा में कांग्रेस के एक नेता हुआ करते थे। नाम था श्याम सुंदर सिंह धीरज। श्याम सुंदर 1980 और 1985 में मोकामा से विधायक चुने गए। इन्हीं के लिए काम करते थे दिलीप सिंह, अनंत सिंह के बड़े भाई। अनंत सिंह ने राजनीति में अपनी पैठ बनाने के लिए बड़े भाई दिलीप को राजनीति में उतारा। 1985 के चुनाव में दिलीप सिंह श्याम सुंदर के खिलाफ निर्दलीय खड़े हुए। हालांकि, इस चुनाव में दिलीप सिंह 2,678 वोटों से हार गए।

1990 के चुनाव में दिलीप सिंह फिर खड़े हुए, लेकिन इस बार जनता दल के टिकट पर। इस बार उन्होंने श्याम सुंदर को 22 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया। 1995 में भी जनता दल के टिकट पर दिलीप सिंह जीते।

मोकामा के शंकरबाग टोला के रहने वाले शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार बताते हैं कि टाल क्षेत्र में बूथों को लूटने के लिए घोड़े पर सवार होकर अपराधी आया करते थे। 1990 से पहले तक ये सिलसिला जारी रहा। उस वक्त दिलीप सिंह श्याम सुंदर सिंह के लिए काम करते थे। विधानसभा चुनाव में पंडारक ब्लॉक के तहत कई बूथों को लूट लिया जाता था। करीब 5 हजार वोटों को उन्होंने कैप्चर कर लिया था।

2000 से 2005 : सूरजभान सिंह का दौर

2000 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में दिलीप सिंह निर्दलीय उम्मीदवार सूरजभान सिंह से हार गए। सूरजभान सिंह उर्फ सुरजा भी बाहुबली थे। जिस तरह से दिलीप श्याम सुंदर के लिए काम करते थे, उसी तरह से सूरज दिलीप सिंह के लिए काम करते थे।

अजय कुमार बताते हैं, सूरजभान अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बन चुके थे। उनके ऊपर हत्या, लूट और रंगदारी के कई केस थे। रेलवे टेंडर के खेल में भी माहिर थे।

कहा जाता है कि दिलीप सिंह से गच्चा मिलने के बाद श्याम सुंदर सिंह को भी एक ऐसे शख्स की जरूरत थी, जो दिलीप को टक्कर दे सके और उसके लिए रास्ता बना सके। श्याम सुंदर की नजर दिलीप के लिए काम करने वाले सूरजभान पर पड़ी। लेकिन, सूरज ने भी श्याम सुंदर को गच्चा दे दिया और खुद ही विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

अजय कुमार याद करते हुए बताते हैं, 1998 में पुलिस ने सूरजभान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 2000 का चुनाव उन्होंने जेल से ही निर्दलीय लड़ा। वो बताते हैं कि नॉमिनेशन के वक्त बाढ़ में करीब 40 हजार लोगों की भीड़ जुटी थी। उस चुनाव में दिलीप सिंह को सूरजभान के हाथों हार मिली थी।

2004 के लोकसभा चुनाव के वक्त सूरजभान सिंह लोजपा में शामिल हो गए और बलिया से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे। सूरजभान फिलहाल हत्या के मामले में जेल में सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी वीणा देवी मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं।

2005 से अब तक: अनंत सिंह का दौर

2000 के चुनावों में भाई की हार के बाद 2005 के चुनाव में अनंत सिंह खुद राजनीति में आए। फरवरी 2005 में अनंत सिंह पहली बार यहां से जदयू के टिकट से चुने गए। दूसरी बार अक्टूबर 2005 में भी जदयू से ही जीते। 2010 में भी जदयू से ही जीते।

लेकिन, 2015 का चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा और जीता। उस वक्त अनंत सिंह जेल में ही थे और जेल से ही उन्होंने चुनाव लड़ा। अभी भो वो जेल में ही हैं और इस बार का चुनाव भी जेल से ही लड़ेंगे।

2004 के लोकसभा चुनाव के वक्त नीतीश कुमार बाढ़ से लड़ रहे थे, तब अनंत सिंह ने एक चुनावी रैली में उन्हें चांदी के सिक्कों से तुलवा दिया था। अनंत सिंह अपनी शौक और सनक के लिए जाने जाते हैं। शौक ऐसे हैं कि घर पर ही हाथी-अजगर पाल रखे हैं। उन्हें घोड़ों का भी शौक है। कहते हैं कि अगर इन्हें कोई घोड़ा पसंद आ जाए, तो उसे खरीदे बिना चैन नहीं लेते।

कहा जाता है कि एक बार अनंत सिंह को एक मर्सिडीज पसंद आ गई। तो उन्होंने उस आदमी पर दबाव बनाकर पहले तो मर्सिडीज ली और फिर मनमाने तरीके से उसका इस्तेमाल किया। (अनंत सिंह के बारे में और ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Bihar Election 2020; Patna Mokama Bahubali MLA Update | From Anant Kumar Singh To Dilip Singh, Surajbhan Singh - All You Need To Know


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nnycph
via IFTTT
Share:

0 comments:

Post a Comment

Recent Posts

Blog Archive