हाथरस गैंगरेप मामले में अब ठाकुर और सवर्ण आरोपियों के समर्थन में आ गए हैं। पीड़िता के गांव के पास ही बघना गांव में आसपास के 12 गांव के तथाकथित उच्च जाति के लोगों की पंचायत हुई है। इस पंचायत में आरोपियों की पैरवी करने और सवर्णों को एकजुट करने का फैसला भी लिया गया। पीड़िता के गांव के सभी सवर्ण एकजुट हो गए हैं, इनमें ठाकुर और ब्राह्मण भी शामिल है।
गांव में दलितों के गिने-चुने घर ही हैं। अब वो बिलकुल अलग-थलग हो जाएंगे। गांव के युवकों और स्थानीय पत्रकारों ने इस पंचायत के होने की पुष्टि की है। इससे पहले क्षेत्र के पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान ने कहा था कि पीड़िता की हत्या उसके परिजन ने ही की है और सभी आरोपी निर्दोष हैं।
सवर्णों के एक समूह ने आरोपियों के समर्थन में प्रदर्शन भी किया था। शुक्रवार को बघना गांव में हुई पंचायत में मामले की सीबीआई जांच की मांग करने और आरोपियों को न्याय दिलाने का आह्वान किया गया। पंचायत में शामिल सवर्णों का कहना था कि इस मामले में राजनीति हो रही है और निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है। ये फैसला भी लिया गया कि पीड़िता के गांव में किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा।
यानी अब एक तरह से पुलिस को गांव वालों का भी साथ मिल गया है। प्रशासन ने पीड़िता के गांव जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं और उसका परिवार एक तरह से नजरबंद हैं। शुक्रवार देर शाम यूपी सरकार ने हाथरस के एसपी विक्रांत वीर समेत पांच अन्य पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
पीड़िता की भाभी ने बीती रात भास्कर से फोन पर बात करते हुए डीएम पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। पीड़िता की भाभी ने कहा था कि डीएम ने परिवार को मामला उल्टा कर देने की धमकी दी थी। उन्होंने डीएम और एसपी के निलंबन की मांग करते हुए सवाल किया था कि पीड़ित परिवार को डराने-धमकाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
यूपी सरकार ने अभी डीएम प्रवीण कुमार को निलंबित नहीं किया है। निलंबन के फैसले के बाद भास्कर से बात करते हुए पीड़िता के भाई ने कहा है कि प्रशासन अब आरोपियों के परिजन से मिल गया है। उन्होंने कहा कि पीड़िता का परिवार आरोपियों को फांसी से कम किसी भी चीज पर सहमत नहीं होगा। वहीं पीड़िता के गांव के एक युवक ने भास्कर से फोन पर बात करते हुए बताया है कि अभी भी हालात तनावपूर्ण हैं और गांव में हर घर के बाहर पुलिस तैनात है।
पीड़िता के भाई ने छिपकर फोन किया, कहा- हमारा पूरा परिवार नजरबंद है, बाथरूम भी नहीं जाने दे रही पुलिस
बीती रात पीड़िता के भाई ने पुलिस से छिपकर हमें कॉल किया। उनकी आवाज दबी हुई थी। मानो वह कुछ कहना तो चाह रहे हों, लेकिन कह नहीं पा रहे हों। अचानक फोन कट गया। कुछ देर बाद हमने फिर से दूसरे नंबर पर कॉल किया तो बोले, 'हमारा परिवार नजरबंद है। हम घर से नहीं निकल सकते। बाथरूम तक नहीं जा सकते। किसी से बात नहीं कर सकते। प्रशासन हम पर दबाव बना रहा है।’ पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
गैंगरेप आरोपियों के परिवार ने कहा- इनके साथ बैठना-बोलना भी पसंद नहीं करते, हमारे बच्चे इनकी बेटी को छुएंगे क्या?
दिल्ली में भी जब सफदरजंग अस्पताल में मैं पीड़ित के परिजन से बात कर रही थी, तब उसके भाई और पिता बार-बार जाति का जिक्र कर रहे थे। तब मेरे मन में ये सवाल आ रहा था कि क्या अभी भी हमारी वाली दुनिया में इतना गहरा जातिवाद है? गांव पहुंचते ही इस सवाल का जवाब भी मिल गया। गिरफ्तार आरोपियों के परिवार के लोगों से मिली तो बड़े रुबाब से कहते मिले, 'हम इनके साथ बैठना-बोलना तक पसंद नहीं करते, हमारे बच्चे इनकी बेटी को छुएंगे?' पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
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