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Sunday, September 6, 2020

किसी ने पिता का सिर काट दिया, किसी ने पूरे परिवार को ही खत्म कर दिया; पबजी खेलने वालों में हर 4 में से एक भारतीय

क्या आपको पता है कि 10वीं में डिस्टिंक्शन के साथ पास होने वाला एक लड़का 12वीं क्लास में सिर्फ इसलिए फेल हो गया, क्योंकि वो इकोनॉमिक्स के पेपर में पबजी कैसे खेलते हैं? कैसे डाउनलोड करते हैं? ये लिख आया था। 10वीं उसे 73% मिले थे।

ये मामला कर्नाटक का था। उस समय उस लड़के ने मीडिया को बताया कि 10वीं में अच्छे नंबरों से पास होने के बाद उसके घरवालों ने उसे फोन दिलाया। फोन आते ही उसे पबजी खेलने की लत लग गई। लत भी ऐसी कि इसके लिए क्लासेस तक बंक कर देता था। लड़के का कहना था कि उसके दिमाग में हमेशा पबजी ही चलता रहता था और इससे ही उसे समझ आया कि ये गेम कितना खतरनाक है।

कर्नाटक का ये केस बताता है कि पबजी किस तरह दिमाग पर असर डालता है और कैसे एक अच्छा-खासा पढ़ने-लिखने वाला लड़का फेल हो सकता है।

ऐसे कई मामले हैं, जो साबित करते हैं कि पबजी एक गेम नहीं, बल्कि एक बीमारी था। जैसे एक मामला पंजाब का है। यहां एक 17 साल के लड़के ने अपने मां-बाप के अकाउंट से 16 लाख रुपए पबजी पर उड़ा दिए। उसने ये पैसे गेम के अंदर मिलने वाली एसेसरीज और हथियार जैसी चीजें खरीदने पर खर्च किए थे।

ताज्जुब की बात तो ये भी थी कि माता-पिता को इस बारे में पता न चले, इसके लिए बैंक की तरफ से आने वाले मैसेज डिलीट ही कर दिए।

ज्यादा गेम खेलना भी मानसिक रोग, इसे गेमिंग डिसऑर्डर कहते हैं
पिछले साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर में एक फिटनेस ट्रेनर को पबजी की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। कारण ये था कि वो लगातार 10 दिन से पबजी खेल रहा था, जिस वजह से उसके दिमाग पर इस गेम का असर इस कदर हावी हो गया कि वो अपना मानिसक संतुलन खो बैठा। उस समय डॉक्टरों ने बताया था कि उसका दिमाग ठीक तरह से काम नहीं कर रहा था और वो खुद को भी नुकसान पहुंचा रहा था।

ऐसे कई मामले आते हैं, जब गेम खेलने वाला खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगता है या उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगती है। डब्ल्यूएचओ ने ऑनलाइन गेम खेलने की लत को मानसिक रोग की कैटेगरी में शामिल किया है, जिसे 'गेमिंग डिसऑर्डर' कहते हैं। गेमिंग डिसऑर्डर से जूझ रहे व्यक्ति का गेमिंग के ऊपर कोई कंट्रोल नहीं रहता और वो किसी भी जरूरी चीज से पहले गेम को ही प्रायोरिटी देता है।

पबजी खेलने की वजह से ऐसे मामले सामने आने के बाद भी आखिर इसे इतना क्यों खेला जाता है? डॉक्टर शिखा शर्मा इसके दो कारण बताती हैं। डॉ. शिखा राजस्थान के उदयपुर के गीतांजली हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और साइकोलॉजिस्ट भी हैं। उनके मुताबिक, इसके दो बड़े कारण होते हैं। पहला अचीवमेंट और दूसरा मोटिवेशन।

वो बताती हैं, 'गेम में चैलेंज होने के कारण बच्चे इसकी तरफ अट्रेक्ट होते हैं। इसमें ग्रुपिंग होती है। लेवल्स को क्रॉस करना है और बच्चे स्टेज पार करने के बाद मोटिवेट महसूस करते हैं। साथ ही इसे खेलने वाले खुद को अपने साथियों के बीच उनसे बेहतर साबित करने की कोशिश करते हैं।'

पबजी पर बैन लगाना क्यों सही था, इसके 4 कारण
सिक्योरिटी रिसर्चर अविनाश जैन बताते हैं कि पबजी समेत चीन की जिन 118 ऐप्स पर बैन लगाया गया है, वो आईटी एक्ट की धारा-69ए के तहत लगा है। इस धारा के तहत अगर सरकार को लगता है कि किसी वेबसाइट या ऐप से देश की सुरक्षा या अखंडता को खतरा है, तो वो उसे ब्लॉक कर सकती है।

अविनाश के मुताबिक, सरकार ने पबजी मोबाइल लाइट और पबजी लाइट पर बैन लगाया है, क्योंकि इन्हें चीनी कंपनी टेंसेंट ने डेवलप किया है। जबकि, पबजी के पीसी और कंसोल वर्जन पर कोई बैन नहीं है, क्योंकि ये कोरियाई कंपनी ब्लूहोल के बनाए गए हैं।

इसके अलावा अविनाश पबजी पर बैन लगाने के कुछ कारण भी गिनाते है...

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा : ये ऐप डेटा सिक्योरिटी के लिए हार्मफुल हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसके साथ ही इनसे जासूसी होने का भी खतरा है। ऐप के जरिए चीन की सरकार पॉलिटिकल और मिलिट्री इन्फॉर्मेशन हासिल कर सकती हैं।
  2. यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा : ये ऐप कैमरा, माइक्रोफोन और लोकेशन का एक्सेस मांगती हैं और ऐसा शक है कि इस डेटा को चीन की एजेंसियों से साझा किया जाता है।
  3. डेटा लीक होने का खतरा : क्योंकि इन ऐप्स के सर्वर बाहर हैं, इसलिए ये यूजर्स की डिटेल, लोकेशन और पर्सनल डेटा एडवरटाइजर को बेच सकते हैं।
  4. साइबर अटैक का खतरा : पहले भी चीन की ऐप्स में कई स्पाई वेयर मिले हैं, जिसके जरिए यूजर्स के फोन में ट्रोजन आ जाता है। ट्रोजन एक तरह का माल वेयर होता है, जिससे आपका सारा डेटा लिया जा सकता है।

कितना बड़ा है पबजी का साम्राज्य?
साल 2000 में जापान में एक फिल्म आई थी 'बैटल रॉयल'। इस फिल्म में सरकार 100 स्टूडेंट्स को जबरन मौत से लड़ने भेज देती है। इसी फिल्म से प्रभावित होकर ये गेम बनाया गया है। इस गेम को एक साथ 100 लोग भी खेल सकते हैं और एक-दूसरे को तब तक मारते रहते हैं, जब तक कि उनमें से सिर्फ एक न बचा रह जाए।

इस गेम को दक्षिण कोरियाई कंपनी ब्लूहोल ने बनाया था। लेकिन, ब्लूहोल ने इसका सिर्फ डेस्कटॉप और कंसोल वर्जन ही बनाया था। मार्च 2018 में चीनी कंपनी टेंसेंट ने इसका मोबाइल वर्जन भी उतार दिया।

डाउनलोड्स : पबजी दुनिया में सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले गेम्स की लिस्ट में टॉप-5 में है। सेंसर टॉवर की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में पजबी को 73 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। इसमें से 17.5 करोड़ बार यानी 24% बार भारतीयों ने डाउनलोड किया है। इस हिसाब से पबजी खेलने वालों में हर 4 में से 1 भारतीय है।

रेवेन्यू : गेमिंग की दुनिया में सबसे ज्यादा रेवेन्यू कमाने वाला गेम है पबजी। सेंसर टॉवर के मुताबिक, अभी तक पबजी 3 अरब डॉलर यानी 23 हजार 745 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमा चुका है। पबजी का 50% से ज्यादा चीन से ही मिलता है। जुलाई में पबजी ने 208 मिलियन डॉलर (1,545 करोड़ रुपए) का रेवेन्यू कमाया है। यानी जुलाई में पबजी ने हर 50 करोड़ रुपए कमाए हैं।

भारत में कितना बड़ा है गेमिंग मार्केट?
स्टेटिस्टा का डेटा बताता है कि 2019 में दुनिया में गेमिंग का मार्केट 16.9 अरब डॉलर (करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए) का था। ग्लोबल गेमिंग मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है।

भारत के डिजिटल फ्यूचर पर आई केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में देश में गेमिंग इंडस्ट्री 62 अरब रुपए की थी। जबकि, 5 साल पहले 2015-16 में 24.3 अरब रुपए की थी।

वहीं, एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 2.5 अरब से ज्यादा गेमर्स हैं, इनमें से 30 करोड़ के आस पास गेमर्स अकेले भारत में ही हैं। अगले साल मार्च तक भारत में गेमर्स की संख्या 36 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान है।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग का मार्केट बढ़ने के दो कारण हैं। पहला, हमारे देश में यंग पॉपुलेशन बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा है। हमारे यहां 75% आबादी 45 साल से कम उम्र की है। दूसरा, हमारे देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 56 करोड़ से ज्यादा है। 2025 तक देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 100 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान है।



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