अजनाला (अमृतसर). दिल्ली आंदोलन से लौटते समय 12 दिसंबर को अजनाला के बग्गा गांव के बलबीर सिंह की मौत हो गई थी। घर के मुखिया वही थे। किसान अनाज उपजाकर दूसरे लोगों का पेट भरता है, बलबीर सिंह की अंतिम किरया तब हो पाई जब आढ़ती से परिवार ने 60 हजार रुपए कर्ज लिया। बलबीर सिंह की अंतिम किरया शनिवार को उनके घर रखी गई थी। बलबीर सिंह के परिवार पर पहले से 5 लाख रुपए का कर्जा है। वह कर्जा बेटी की शादी के लिए बलबीर सिंह ने लिया था। अब बलबीर सिंह की पत्नी और दाेनाें बेटों के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि घर का खर्च चलाना पहले से ही मुश्किल हो रहा था। उनके जाने के बाद अब वह इस कर्ज काे कैसे भरेंगे?
पहले से ही परिवार पर है 5 लाख कर्ज
बलबीर सिंह की पत्नी सर्बजीत कौर कहती हैं, उनके 2 बेटे हैं। बड़ा बेटा शमशेर बढ़ईगिरी का काम करता है जबकि छाेटा बेटा लवप्रीत मेडिकल स्टोर पर लगा है। 5 साल पहले घर की छत गिर गई थी। उसी समय बेटी मनप्रीत काैर की शादी भी तय हो गई। परिवार काे मजबूरी में बैंक से 5 लाख रुपए का कर्ज लेना पड़ गया। खेती में कमाई न हाेने की वजह से इस लोन की एक भी किस्त परिवार नहीं भर पाया है। सर्बजीत कौर ने बताया कि उनके पास मात्र दो एकड़ जमीन है और परिवार का खर्च इसी जमीन से चलता है।
दूध के लिए परिवार ने दो पशु रखे हैं। तकरीबन 15 हजार रुपए का बिजली बिल बकाया है जिसे कमाई नहीं हो पाने की वजह से परिवार भर नहीं पा रहा। बिजली मुलाजिम अक्सर कनेक्शन काटने आ जाते हैं। सर्बजीत कौर के अनुसार, उनके पति को डर था कि नए खेती कानून लागू हो गए तो उनकी जमीन भी चली जाएगी। इसी वजह से वह धरने में दिल्ली गए थे।
अगले महीने 15 को बेटे की शादी है, इसलिए लौट रहे थे
बलबीर सिंह के छोटे बेटे लवप्रीत सिंह की शादी 15 जनवरी को होनी है। इसकी तैयारियों के लिए ही 12 दिसंबर काे बलबीर सिंह धरने से वापस आ रहे थे कि रास्ते में टांगरा के पास तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी जिसमें उनकी मौत हो गई। बलबीर सिंह की पत्नी कहती हैं कि उनका तो पूरा संसार ही उजड़ गया है।
अब कर्ज कैसे चुकाएंगे और घर कैसे चलाएंगे? उन्हें समझ नहीं आ रहा। घर का खर्च उन्हीं के ऊपर था। उनके रहते जैसे तैसे चलता था अब क्या होगा, समझ नहीं आ रहा। कर्ज कैसे चुकाएंगे। बेटी की शादी के लिए लिया कर्ज अभी चुका नहीं पाए। उनकी किरया के लिए भी 60 हजार का कर्ज लेना पड़ा।
बहू बार-बार दरवाजे को देख रही
मानसा/सरदूलगढ़. साड्डी खेती लई बणे आह कानून रद्द ना कित्ते गए ता जट्टां दे पल्ले कुझ नहीं रहणा, सारे देश का ढिड्ड भरण वाला किसान प्राइवेट कंपनियां दा गुलाम होके रहजु? अपने दोस्तों के साथ अकसर ऐसी बातें करने वाला मानसा के गांव फत्ता मालोका का जतिंदर सिंह आज गांव वालों के बीच नहीं है।
आंदोलनकारियों के लिए राशन की ट्राली ले जाते हिसार में उसकी गाड़ी को किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी, जिसमें उसकी मौत हो गई। 40 दिन पहले उसकी शादी हुई थी, आज मातम है। जतिंदर की मां का रो-रो कर बुरा हाल है। वहीं गुरविंदर कौर पति की मौत के बाद से बेसुध जैसे हालात में है। उसकी तो दुनिया उजड़ गई। उधर, शनिवार को जतिंदर का अंतिम संस्कार किया गया।
मां बोलीं- मेरे जिगर के टुकड़े को छीन लिया
26 वर्षीय जतिंदर सिंह की मौत के बाद परिवार का बेहद बुरा हाल है। उनके बड़े भाई कैनेडा रहते हैं। परिवार के नजदीकियों के अनुसार जतिंदर की शादी बड़े धूमधाम से हुई थी, खुशहाली के कुछ कार्यक्रम बीच-बीच में हो रहे थे। इसी बीच दिल्ली कूच का आंदोलन शुरू हो गया। खेती किसानी में रुचि रखने वाला जतिंदर भी दिल्ली पहुंचा। 12 दिन पहले ही अपने साथियों के साथ सेवा निभाकर लौटा था और दोबारा बुधवार को दो ट्रालियों में मोर्चे पर डटे किसानों के लिए राशन की सेवा लेकर अपने साथियों के साथ रवाना हुआ था।
मालोका के सरपंच एडवोकेट गुरसेवक सिंह कहते है कि नरम स्वभाव व समाजसेवा के कामों को दिल से करने वाले जतिंदर सिंह के ऐसे चले जाने का पूरे गांव को बेहद मलाल है। उधर, जतिंदर की मां कुछ ज्यादा नहीं बोल पा रही हैं, लेकिन बेटे को याद कर बरबस ही रो उठती हैं। और एक ही बात कहती हैं कि सेवा भाव करने वाले उनके परिवार से परमात्मा ने कैसा बदला लिया है। उनके जिगर के टुकड़े को छीन लिया।
पत्नी बोली- मुझे साथ क्यों नहीं ले गए, अकेले चले गए
करीब 40 दिन पहले जतिंदर की पत्नी के रूप में ब्याह कर नई जिंदगी शुरू करने वाली जतिंदर सिंह की पत्नी गुरविंदर कौर को अब भी यकीन नहीं है कि उसका पति इस दुनिया में नहीं है। मौत की खबर के बाद से वह बेसुध है। गुरविंदर को यही समझ में नहीं आ रहा कि जिंदगी ने उसके साथ इतना क्रूर मजाक क्यों किया है।
गुमसुम अपने घर के दरवाजे को निहार रहीं गुरविंदर कौर किसी से ज्यादा कुछ नहीं बोल पति की बाट जोह रही हैं, लेकिन उसकी आंखों में आंसू टूटे हुए अरमान को बयान करने को काफी हैं। पत्नी वैसे तो ज्यादा नहीं बोल रही लेकिन रोते हुए एक ही शब्द बोलती है- ऐसा क्यों किया मुझे भी साथ ले जाते।
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