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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न में दूसरा टेस्ट खेला जा रहा है। बॉक्सिंग डे टेस्ट के दूसरे दिन के खेल की शुरुआत हो चुकी है। शुभमन गिल और चेतेश्वर पुजारा क्रीज पर मौजूद हैं। दूसरे दिन की पहली ही गेंद पर पुजारा के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई टीम ने रिव्यू लिया। हालांकि, बैट और बॉल के बीच कोई संपर्क नहीं होने के कारण ऑस्ट्रेलिया ने यह रिव्यू गंवा दिया। मैच का स्कोरकार्ड देखने के लिए यहां क्लिक करें...
Pujara is given not out as the third umpire deems there not enough evidence of an edge! #AUSvIND pic.twitter.com/UHePzIGKz5
— cricket.com.au (@cricketcomau) December 26, 2020
मयंक खाता नहीं खोल सके
पहली पारी में भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही। ओपनर मयंक अग्रवाल पारी के पहले ही ओवर में पवेलियन लौट गए। वे खाता भी नहीं खोल सके। मिचेल स्टार्क ने उन्हें LBW किया। पहला दिन खत्म होने तक भारतीय टीम ने 1 विकेट गंवाकर 36 रन बनाए थे। इस लिहाज से टीम इंडिया पहले दिन ऑस्ट्रेलिया से 159 रन पीछे थी।
बुमराह ने 4 और अश्विन ने 3 विकेट लिए
ऑस्ट्रेलियाई टीम पहली पारी में 195 रन पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया के लिए पहली पारी में मार्नस लाबुशेन ने सबसे ज्यादा 48 और ट्रेविस हेड ने 38 रन की पारी खेली। तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने 4 और स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 3 विकेट लिए। डेब्यू मैच में मोहम्मद सिराज को 2 विकेट मिले।
यह क्रिकेट इतिहास में 5वीं बार है, जब ऑस्ट्रेलिया टीम बॉक्सिंग-डे टेस्ट के पहले दिन ऑलआउट हुई है। इससे पहले टीम 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट के पहले दिन 98 रन ही बना सकी थी।
बॉक्सिंग-डे टेस्ट: क्या मुक्केबाजी से है कोई कनेक्शन, कैसा रहा है भारतीय टीम का प्रदर्शन?
मैच में शुरुआत से पकड़ नहीं बना सकी ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत ही खराब रही थी। टीम ने 38 रन पर 3 विकेट गंवा दिए थे। इस दौरान जो बर्न्स और स्टीव स्मिथ खाता भी नहीं खोल सके। इसके बाद ट्रेविस हेड और मार्नस लाबुशेन ने पारी संभाली और चौथे विकेट के लिए 86 रन की पार्टनरशिप की। इसके बाद टीम पूरी तरह लड़खड़ाई और आखिरी 71 रन बनाने में 7 विकेट गंवा दिए।
बुमराह ने 4 खिलाड़ियों को पवेलियन भेजा
तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने ऑस्ट्रेलिया के 4 खिलाड़ियों को पवेलियन भेजा। पहला विकेट भी बुमराह ने ही लिया था। ओपनर जो बर्न्स बिना खाता खोले विकेटकीपर ऋषभ पंत के हाथों कैच आउट हुए। उन्होंने टीम को चौथा झटका देते हुए ट्रेविस हेड को 38 रन पर आउट किया। अजिंक्य रहाणे ने उनका कैच लिया। बुमराह ने तीसरे विकेट के तौर पर मिचेल स्टार्क (7) को सिराज के हाथों कैच आउट कराया।
डेब्यू टेस्ट में सिराज को दो विकेट
तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने डेब्यू टेस्ट में दो विकेट लिए। उन्होंने मार्नस लाबुशेन (48) और कैमरून ग्रीन (12) को पवेलियन भेजा। लाबुशेन का कैच शुभमन गिल ने लिया। संयोग की बात है कि गिल का भी यह डेब्यू मैच में पहला कैच रहा। ग्रीन को सिराज ने LBW किया।
स्मिथ पहली बार भारत के खिलाफ खाता नहीं खोल सके
स्टीव स्मिथ पहली बार टीम इंडिया के खिलाफ बिना खाता खोले आउट हुए। अब तक उन्होंने इंडिया के खिलाफ 12 टेस्ट में 1431 रन बनाए। इसमें 7 शतक शामिल हैं। दो बार एक रन पर आउट हुए हैं। भारत के खिलाफ उनका बेस्ट स्कोर 192 रन है, जो उन्होंने 2014 में मेलबर्न में ही बनाया था।
कोहली की गैरमौजूदगी में रहाणे कप्तानी संभाल रहे
भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन एक दिन पहले ही घोषित कर दी गई। टीम में 4 बदलाव किए गए। शुभमन गिल और तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज का यह डेब्यू टेस्ट है। विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा की जगह ऋषभ पंत को मौका मिला। पहले टेस्ट में फ्लॉप रहे ओपनर पृथ्वी शॉ को बाहर कर दिया गया।
मैच में डीन जोन्स को श्रद्धांजलि
पहले दिन टी-टाइम के बीच पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर डीन जोन्स को श्रद्धांजलि दी गई। लीजेंड का बैट, कैप और चश्मा स्टंप्स के पास रखा। इस दौरान जोन्स की पत्नी जाने, बेटी अगस्ता और फोबी के साथ लीजेंड पूर्व क्रिकेटर एलन बॉर्डर भी मौजूद रहे। इसके साथ ही कुछ फैंस भी डीन जोन्स को श्रद्धांजलि देने के लिए बैनर लेकर पहुंचे। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस मैच के लिए 30 हजार फैंस को स्टेडियम में आने की अनुमति दी है।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया में मैच छोड़कर पत्नी अनुष्का के साथ रहने भारत लौट आए। अनुष्का की प्रेग्नेंसी का ये आखिरी चरण है और विराट उनके साथ रहना चाहते हैं। कितना सहज और जरूरी फैसला! लेकिन विराट को नई जिम्मेदारी के लिए हौसला देने के बजाए लानत भेजी जा रही है। धोनी की मिसालें दी जा रही हैं। दरअसल, 2015 में धोनी की पत्नी साक्षी ने जब बेटी को जन्म दिया था, तब वे ऑस्ट्रेलिया में थे। मीडिया ने पूछा कि क्या आप साक्षी के साथ को मिस कर रहे हैं तो धोनी ने तपाक से कहा- कतई नहीं। फिलहाल मैं देश की ड्यूटी पर हूं, बाकी सबकुछ इंतजार कर सकता है।
धोनी को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि उनकी ये बात राजनीति से अघाए ट्रोलर्स को कैसा तर माल दे देगी। गनीमत है कि विराट के मैच छोड़कर लौटने को सीधे देशद्रोह नहीं कहा जा रहा। 'लानत विराट' के कोरस से सोशल मीडिया का चप्पा-चप्पा आबाद है। देशभक्ति का पहाड़ा सुना रहे इन लोगों को गौर से सुनें तो बड़ी जानी-पहचानी बातें सुनाई देती हैं। जैसे प्रेग्नेंट बीवी के लिए कोई इतना बड़ा मौका छोड़कर आता है क्या! या फिर- बच्चा पैदा करना तो औरत का काम ही है। इसके लिए आदमी को घर बैठने की क्या जरूरत!
सूर्य की बजाए हमारी धरती इसी बात के इर्द-गिर्द डोल रही है कि बच्चे पैदा करना और पालना-पोसना जनाना फर्ज हैं। मर्द का काम औरत नाम के खेत में बीज डालना है, सो वो बखूबी करता है। अब ऐसी दुनिया में विराट ने मजाक उड़ाने लायक काम ही तो किया। वो लौटे ताकि अपनी दर्द में तड़पती बीवी का हाथ थाम सकें। ताकि बच्चे की पहली आवाज सुन सकें। ताकि जिस बच्चे के पिता वो कहलाने वाले हैं, उसके हर पल का गवाह हो सकें। ऐसी कितनी ही वजहों के बीच विराट के लौटने की एक वजह शायद ये भी हो कि बच्चे के लिए रतजगा वे अनुष्का के साथ बांट सकें।
कल्पना करें, उस औरत की, जो बच्चे को 9 महीनों तक शरीर का सारा कैल्शियम-प्रोटीन, रक्त-मज्जा देती है। उसे दुनिया में लाने के लिए शरीर पर तेज नश्तर सहती है। गर्भ नाम का तोहफा खुद कुदरत ने औरत को दिया तो यहां तक का काम उसी का है। लेकिन इससे आगे! ये किसने तय किया कि जर्जर शरीर के साथ भी रातों को जागना औरत की ही जिम्मेदारी है। प्रसव के बाद निचुड़ चुके शरीर के साथ मांएं लगभग पूरी-पूरी रात जागती हैं। बच्चा सोए तो भाग-भागकर घर के बाकी काम निपटाती हैं। नींद की कमी से आंखों के नीचे काला परदा झूल आता है। इंची-टेप में कसा शरीर बेडौल और आवाज में झुंझलाहट भर आती है।
दूसरी ओर मर्द का रुटीन सेट रहता है। वो सुबह चाय के साथ अखबार पढ़ता है और खा-पीकर दफ्तर को निकल पड़ता है। शाम को लौटते वक्त दोस्तों के साथ खुशगप्पियां करता और घर पहुंचते ही बेदम हो सबसे पहली कुर्सी पर गिर पड़ता है। बीवी बेचारी लपक कर पंखे चलाती और चाय हाजिर करती है। घर के तमाम हंगामे रुक जाते हैं कि थका शौहर थोड़ा आराम कर सके। मुर्गी, हलवा, पोस्ता की दाल और कटहल पकाने की फरमाइश के बीच औरत भाग-भागकर काम निपटाती है। रात में बच्चे के रोने पर अपराध से दबी-झुकी झट बिस्तर छोड़ उसे घुमाते हुए सुलाने लगती है और मर्द पिता पीठ फेर दोबारा सो जाता है।
पति-पत्नी से मां-बाप दोनों एक ही वक्त पर बने, तब ये फर्क कैसा?
अपनी बताती हूं। मां बनी तो सलाह देने को कोई पास था नहीं। न्यूक्लियर फैमिली। सातवें दिन पति के उदार मैनेजर ने मजाकिया लहजे में तंज कसा, 'क्या सीधे बेटी की शादी के बाद लौटोगे!' फोन के उस पार से हंसी की आवाज आ रही थी। फोन के इस पार भी झेंपी हुई हंसी थी। दो रोज बाद पति दफ्तर लौट गए। सी-सेक्शन के 10वें दिन मैं, घर और बच्चा। उस पर जनवरी की जमा देने वाली ठंड। नहीं कहूंगी कि उस मैनेजर पर मेरा गुस्सा अब तक खत्म हो सका है।
लेकिन मेरे या किसी भी औरत के गुस्से से फर्क ही क्या पड़ता है। जहां विरोध करो, तुरंत सवालों का तमंचा तन जाता है। तुम पढ़ी-लिखी औरतें क्या पैटरनिटी लीव का राग अलापती हो। हमारे यहां तो बच्चा कब पल जाता है, बाप को पता ही नहीं लगता। सही बात है। पिता के बच्चा संभालने की बात ही तब आती है, जब मां या तो मर जाए या कोमा में चली जाए। उससे पहले मां को कोई छुटकारा नहीं।
साल 2015 में फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग ने पिता बनने पर दो महीने की छुट्टी ली थी, तो मर्दानी धरती जैसी डोल ही उठी थी। किस्म-किस्म के कयास लगे कि मार्क आखिर इन दो महीनों में करने क्या वाले हैं। कइयों ने एलान कर दिया कि छुट्टी में मार्क कोई किताब लिख डालेंगे। किसी ने भी ये नहीं कहा कि मार्क छुट्टियों में और बिजी रहने वाले हैं, मार्क को अपना रुटीन बच्चे के हिसाब से सेट करना होगा। या कि मार्क की रातों की नींद अब हराम होने वाली है। इन सारे कयासों की जगह ये सोचा गया कि छुट्टी लेकर मार्क किताब लिखने वाले हैं। मार्क लौट आए। बगैर कोई किताब लिखे। केवल बच्चे और मां के साथ समय बिताकर।
इस वाकये को पांच साल बीते। काफी कुछ बदला। जापान अंतरिक्ष में लकड़ी का सैटेलाइट भेजने वाला है ताकि प्रदूषण न हो। चीन ने अपने यहां गरीबी खत्म करने की मुनादी पिटवा दी। अमेरिका में रिपब्लिकन को हटाकर डेमोक्रेट्स सत्ता में होंगे। कितना कुछ बदला, लेकिन नहीं बदला तो मांओं को लेकर हमारा नजरिया।
भारत 187 में से उन 90 देशों में है, जहां पैटरनिटी लीव को लेकर कोई पक्की पॉलिसी नहीं। जिन निजी कंपनियों में नए पिता को थोड़ी-बहुत छुट्टियां दी भी जा रही हैं, वहां पिता खुद छुट्टियां लेने को राजी नहीं। क्यों भाई? क्योंकि उन्हें डर है कि छुट्टियों से लौटेंगे तो उनका प्रमोशन रुक जाएगा। या साथी उन्हें जोरू का गुलाम कहेंगे। जेंडर इक्वैलिटी पर काम करने वाली अमेरिकी संस्था प्रोमुंडो (Promundo) के सर्वे में 80 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय मर्दों ने माना कि बच्चे की नैपी बदलना, उसे खिलाना या नहलाना औरतों का काम है।
सर्वे करके खलीफागिरी करने वाला अमेरिका भी कोई तीर नहीं मार रहा। वहां भी पिता बनने पर छुट्टी लेने वालों को कंपनी अच्छी नजर से नहीं देखती। छुट्टियां तो अवैतनिक होती ही हैं, साथ ही ऐसे पिताओं का मर्दानापन भी थोड़ा कम हो जाता है। सर्कल में उन्हें 'अलग' नजर से देखा जाता है।
कुल मिलाकर जितनी रिसर्च करो, तस्वीर उतनी साफ है कि ट्रोलर्स की बारात विराट के पीछे क्यों पड़ी। फिलहाल पांच दिनों बाद वक्त अपनी जिल्द बदल रहा है। साल 2021। साइंस इतनी तरक्की कर चुका कि शरीर का हर हिस्सा मर्जी से बढ़ा-घटा सकते हैं, सिवाय दिल और दिमाग के। तो इस साल क्यों न शरीर के इन कलपुर्जों को हवा-पानी दें ताकि विराट की ट्रोलिंग पर वक्त की फिजूलखर्ची छोड़ बाकी मर्द भी ऐसा ही फैसला कर सकें। यकीन जानिए, गर्भवती बीवी की देखभाल या प्रसव के दौरान उसका साथ आपको कतई कम मर्द नहीं बनाएगा, बल्कि रिश्ता कुछ मजबूत ही करेगा।
कोरोनावायरस का एक और नया स्ट्रेन मिला है। नया स्ट्रेन यानी कोरोना का नया रूप। अभी कुछ दिन पहले यह UK में मिला था और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ ही नाइजीरिया में ये नए स्ट्रेन सामने आए हैं
इन खबरों के बीच भारत ने फिलहाल UK से आए पैसेंजर्स का RT-PCR टेस्ट जरूरी कर दिया है। ताकि वे नए स्ट्रेन के कैरियर न बनें और अपने देश में नया कोरोना न फैलने लगे। इन सबके बीच नए स्ट्रेन कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। मसलन- क्या नए स्ट्रेन से कोरोना का वायरस तेजी से फैलेगा? क्या जांच के मौजूदा तरीके इन स्ट्रेन का पता लगा सकते हैं? जो वैक्सीन बन रही हैं, क्या यह नए स्ट्रेन पर असर करेंगी? आइए समझते हैं, इसके बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं...
क्या इन बदलावों से वैक्सीन पर असर पड़ेगा?
फिलहाल तो नहीं पड़ेगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के पूर्व साइंटिस्ट डॉ. रमन गंगाखेड़ेकर के मुताबिक, जो वैक्सीन बन रही हैं, वह पूरे स्पाइक प्रोटीन को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। इस समय वायरस के एक हिस्से में बदलाव दिखा है। इसके आधार पर यह नहीं कह सकते कि नई वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी।
तो क्या जो वैक्सीन बन रही हैं, वह कारगर होगी?
हां, बिल्कुल। देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि जो वैक्सीन बन रही हैं, वह स्पाइक प्रोटीन के अलग-अलग हिस्सों को टारगेट करती हैं। वायरस के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनाती हैं। इस समय वायरस में कुछ बदलाव दिखे हैं, जिससे वैक्सीन की एफिकेसी पर असर नहीं पड़नी चाहिए। पर उन्होंने चेताया भी कि इन म्युटेशन पर नजर रखी जा रही है। अगर यह तेजी से बढ़े और बड़ी संख्या में होते चले गए तो हो सकता है कि हमें नई वैक्सीन बनाने पर काम करना पड़े। पर घबराने की जरूरत नहीं है। यह बदलाव एकाएक नहीं होगा। इसमें महीने या वर्ष भी लग सकते हैं। इस समय वैज्ञानिक स्टडी कर रहे हैं। जैसी परिस्थिति बनेगी, उस अनुसार स्ट्रैटजी बनाई जाएगी।
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां क्या कह रही हैं?
वैक्सीन बना रही फाइजर, मॉडर्ना समेत अधिकांश कंपनियों का दावा है कि उनकी वैक्सीन कोरोना के नए स्ट्रेन पर भी कारगर होगी। बदलते वायरस का उनकी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर असर नहीं होने वाला। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल यानी CDC के मुताबिक अगर वायरस को नेचुरल इंफेक्शन या वैक्सीन के असर से बचना है तो उसके स्पाइक प्रोटीन को कई और म्युटेशन से गुजरना होगा। WHO ने भी कहा है कि लैबोरेटरी स्टडी हो रही हैं। इसमें देखा जा रहा है कि क्या इन नए वायरस के जैविक गुणों में कोई बदलाव तो नहीं है। इस समय वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर स्ट्रेन से जुड़ी पर्याप्त जानकारी नहीं है।
क्या है कोरोनावायरस में हो रहे बदलाव?
हर जीवित प्राणी की तरह वायरस में भी बदलाव हो रहे हैं। SARS-CoV-2 यानी कोरोनावायरस जैसे RNA वायरस में प्रोटीन अमीनो एसिड्स के खास सीक्वेंस से बनते हैं। सरल शब्दों में अगर वायरस एक दीवार तो उसमें लगने वाली ईटें अमीनो एसिड्स। कोरोना जैसे वायरस में 30 हजार बेस पेयर होती हैं यानी 30 हजार ईटें। जैसे ही इन बेस पेयर की पोजिशन बदलती है, उस वायरस का आकार और व्यवहार बदल जाता है। खास तौर पर इंसानों के शरीर को इंफेक्ट करने वाले स्पाइक प्रोटीन का व्यवहार बदल जाता है। ब्रिटेन में जो वैरिएंट मिला, उसे VUI 202012/01 नाम दिया है। अब तक की रिसर्च से पता चला कि यह पहले के मुकाबले 70% अधिक तेजी से फैलता है। गहराई से जांच करने पर पता चला कि 14 बदलाव हुए हैं और पुराने वायरस के मुकाबले जेनेटिक मटेरियल में 3 सिक्वेंस डिलीट भी हुए हैं।
💡New—VIRAL LOAD OF UK🇬🇧 b.1.1.7 VARIANT:
— Eric Feigl-Ding (@DrEricDing) December 23, 2020
➡️New study by @OxfordViromics group indeed finds **higher viral load** for new variant w/ 501 mutation & 69-70 deletion.
📌How much higher? “Inferred viral loads were *3-fold higher* in people w/ new variant”.🧵https://t.co/hwflacs2JD https://t.co/Jfem7FZLns pic.twitter.com/fY0Npep1GS
इन बदलावों से खतरा क्यों बढ़ गया है?
कोरोनावायरस के आकार में हुए बदलाव उस जगह हुए हैं, जहां से यह इंसानों के शरीर में प्रवेश करते हैं। यानी शरीर को इंफेक्ट करते हैं। अमीनो एसिड्स के जो सीक्वेंस डिलीट हुए हैं, वह भी उस जगह पर है, जहां से वे इंसानों से जुड़ते हैं। WHO का कहना है कि अमीनो एसिड्स के डिलीट होने से कुछ RT-PCR टेस्ट की परफॉर्मेंस प्रभावित हो सकती है। फिर भी दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता।
Mutant COVID!?
— Dr. Tom Frieden (@DrTomFrieden) December 19, 2020
Take a deep breath (through a mask if near others).
Yes, this is a concerning mutation. Viruses mutate. This strain may make some PCR tests falsely negative. May make some monoclonal treatment less effective. No information about vaccine. May spread more easily.
अब तक किस तरह के बदलाव हुए हैं?
कोरोनावायरस में कई तरह के बदलाव हुए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार है-
N501Y: ब्रिटेन में यह स्ट्रेन मिला है। इसमें अमीनो एसिड को N लिखा गया है। यह कोरोनावायरस के जेनेटिक स्ट्रक्चर में पोजिशन-501 पर था। इसे अब Y ने रिप्लेस कर लिया है।
P681H: नाइजीरिया में मिले इस कोरोनावायरस स्ट्रेन में पोजिशन-681 पर अमीनो एसिड P को H ने रिप्लेस कर दिया है। अमेरिका के CDC के मुताबिक, इस पोजिशन में बदलाव कई बार हो चुका है।
HV 69/70: यह स्ट्रेन कोरोनावायरस में पोजिशन-69 और 70 पर अमीनो एसिड्स के डिलीट होने का नतीजा है। फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका में भी वायरस में यह बदलाव दिखा है।
N439K: ब्रिटेन में कोविड-19 जेनोमिक्स कंसोर्टियम (CoG-UK) के रिसर्चर्स ने इस नए वैरिएंट के बारे में बताया था। इसमें पोजिशन-439 पर स्थित अमीनो एसिड N को K ने रिप्लेस किया है।