from NDTV Khabar - Latest https://ift.tt/32O1k03
via IFTTT
Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
देश में कोरोना के एक्टिव केस में तेजी से आ रही गिरावट दिवाली के दिन धीमी रही। 41 हजार 658 केस आए और इसके मुकाबले सिर्फ 42 हजार 215 मरीज ठीक हुए। 449 मरीजों की मौत हो गई। ऐसे में एक्टिव केस में सिर्फ 1027 एक्टिव केस कम हुए। यह बीते 45 दिनों में सबसे कम है। एक्टिव केसों में 3 अक्टूबर से लगातार कमी आ रही है।
देश में अब तब 88.14 लाख मरीज कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 82.03 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.29 लाख की मौत हो चुकी है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में शुक्रवार को 1048 नए केस मिले। 833 लोग रिकवर हुए और 11 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 82 हजार 45 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8876 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 70 हजार 93 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते जान गंवाने वालों का आंकड़ा अब 3076 हो गया है।
2. राजस्थान
राज्य में शुक्रवार को 2144 लोग संक्रमित मिले। 1827 लोग ठीक हुए और 12 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 21 हजार 471 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 17 हजार 657 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 1 हजार 770 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2044 हो गई है।
3. बिहार
पिछले 24 घंटे के अंदर राज्य में 581 लोग संक्रमित मिले। 870 लोग रिकवर हुए और 7 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 26 हजार 81 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 6078 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 18 हजार 828 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से 1174 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
पिछले 24 घंटे में 4132 लोग संक्रमित मिले। 4543 लोग रिकवर हुए और 127 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 40 हजार 461 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 84 हजार 82 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 9 हजार 607 लोग ठीक हो चुके हैं। मरने वालों की संख्या अब 45 हजार 809 हो गई है।
5. उत्तरप्रदेश
प्रदेश में शुक्रवार को 2178 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। 2005 लोग रिकवर हुए और 25 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 7 हजार 602 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 23 हजार 95 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 77 हजार 180 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 7327 हो गई है।
एक तस्वीर है, जिसमें अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस अपने पति डगलस एमहॉफ के गले लगी हुई हैं। साथ में दो सुर्ख दिल चमक रहे हैं और लिखा है- मुझे तुम पर गर्व है यानी पति डगलस को पत्नी कमला पर गर्व है। गर्व का ये ताज पहने हुए ही जनवरी में डगलस अमेरिका के पहले 'सेकंड जेंटलमैन' बन जाएंगे। इधर, ट्विटर पर तस्वीर आते ही लोग टूट पड़े। एक खेमा तस्वीर के मकसद को सराहता हुआ, तो दूसरा उसके बहाने आम मर्द मानसिकता को लताड़ता हुआ।
छत्ते पर पत्थर लगते ही जैसे बर्र बिदकते हैं, वैसे ही भन्नाए मर्द भी छतरियों से निकल पड़े। युद्ध का बिगुल बज गया। तीर-बर्छियों के बीच एक जनाब अपनी मासूमियत में लबालब राज खोलते हैं- सारे मर्द एक से नहीं होते। बिल्कुल ठीक। सारे मर्द कतई एक जैसे नहीं। अंगुलियों के पोरों की तरह सबकी शक्ल-सूरत और दिल-दिमाग भी अलग-अलग हैं। बस एक ही बात में लगभग सारे पुरुषों की मानसिकता ठहर जाती है, वो है औरतों के आगे बढ़ने को लेकर, खासकर जब बात राजनीति की हो, तब तो बड़े-बड़े शेर खां के दम फूल जाते हैं।
औरतें पढ़-लिख लें, कुछ गा-गवा लें, थोड़े फूल-पत्ते उकेर लें और बहुत हुआ तो कोर्ट-कचहरी कर लें, लेकिन राजनीति! मियां, औरतों की राजनीति रसोई तक ही ठीक है। वो तक तो नहीं संभलती, मुल्क क्या खाक संभालेंगी। वैसे देखा जाए तो ये बात भी ठीक है। मुल्क संभालना कोई कड़ाही-करछी का खेल नहीं कि पल्लू खोंसा और लग गए। उसके लिए तो ढेरों-ढेर किताबें देखनी होती हैं। हजारों लोगों से मिलना होता है और करोड़ों सपने याद रखने होते हैं। औरतें ये जिगरा कहां से पाएंगी। वे तो आपके सपनों को ही पूरा हुआ देखने को होम हुए जाती हैं।
और वैसे भी राजनीति बड़ा गंदा खेल है। औरतें बेचारी सीधी-सी होती हैं। क्या पता कौन धमका दे, कौन मार-कूट दे या कोई बहकाकर नक्शा ही नाम करा ले तो! लिहाजा, राजनीति को मर्दों ने मर्दाना खेल बना डाला। ठीक वैसे ही, जैसे मर्दाना चुटकुले होते हैं। अपने गांवों को देखिए। सरपंच की जगह रामरती देवी का नाम होगा, लेकिन गांव में चलेगी उसके पति की। सबकुछ सरपंच पति तय करेगा। रामरती घर-दुआर संभालेगी और उपले पाथते हुए पति के बताए कागजों पर दस्तखत कर देगी। हद तो ये है कि जिला स्तर के दफ्तरों में भी रामरती की जगह उसका पति ही फाइलें लिए रुआब से खड़ा दिखेगा। अफसरों तक को इसपर कोई ऐतराज नहीं। और होगा भी क्यों, आखिर उनके यहां भी तो यही रीति होगी।
जिस अमेरिका में एक महिला की जीत का जश्न मनाया जा रहा है, वहां साथ में एक सवाल भी उठ रहा है। साल 1804 में उस देश में पहला आम चुनाव हुआ। तब से लेकर 1920 तक केवल पुरुष ही वोट करते रहे। महिलाओं का मुद्दा उठने पर सीनेट के एक सदस्य ने कह दिया- नो ब्रॉड्स प्लीज। तब ब्रॉड अमेरिका में औरतों को अश्लील ढंग से पुकारने का एक तरीका था। औरत यानी जंघाओं और कूल्हों से बना मांसपिंड, जिसे अपना नेता चुनने जैसा दिमागी हक नहीं दिया जा सकता। तब वहां की औरतों को इस हक के लिए लगभग डेढ़ सौ साल रुकना पड़ा। और तो और, जिस स्विट्जरलैंड की मोहक तस्वीरें देखकर आप-हम उसपर फिदा हुए जाते हैं, वहां औरतों को वोटिंग राइट 1974 में मिला।
अमेरिका और स्विस मुल्क की ये हवा हमारे यहां गांव-गांव बहती है। एक कहावत है, 'जिस घर औरत मुखिया, उस घर डूबी लुटिया। अब भला घर की लुटिया कोई क्यों कोई डुबोना चाहेगा। तो लीजिए साहब, औरत को वहां तक पहुंचने ही न दो, जहां वो कोई फैसला ले सके। उन्हें घर-दुआरे के फेर में इतना लगा दो कि सुध ही बिसार दे। और भूले-भटके किसी जनानी को राजनीति का कीड़ा काट ही ले तो टोपी पहनाकर उसे रसोई में नारे बुलंद करने दो। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, शाम को घर लौटकर शिकायतें सुनकर माथा भन्नाएगा। यही न!
अब आप कहिएगा कि तुम औरतें न ढेर किटकिट करती हो। दे तो रहे हैं अधिकार। वोट देती हो। सुविधा मिले तो नेतागिरी भी कर लेना, लेकिन घर के कामों में कोई हील-हुज्जत न हो। औरत मुंडी हिला देती है। कर लूंगी। चक्करघिन्नी बन अपने-तई सब कर भी डालती है, लेकिन आप कहां मानेंगे। वो भागती हुई पार्टी ऑफिस जा रही है। पीछे से आप कहेंगे- सुनो, आज कटहल के कोफ्ते और खीर भी पका जाना। औरत दिमाग में देश के नक्शे उतार रही है, उधर लताड़ आती है कि थोड़ा मुन्नू को भी गिनती सिखा जाओ।
मने गजब है भायाजी। रात तुम मुर्गे का रोस्ट खाओ और सुबह-तड़के उसे अजान के लिए भी झकझोर दो। मारने का इलजाम लिए बिना जायका लेना कोई तुमसे सीखे। ये तुम्हारा हुनर ही है, जो औरत मुल्क संभालते-संभालते गृहस्थी में रम जाती है। या कभी भूले-बिसरे सपना सिर उठाने लगे तो आपका प्यार तो है ही उसे वापस भुलाने के लिए। पता नहीं, कितने साल पहले मर्द-औरत बने। दोनों में दायरों का बंटवारा कब हुआ, कोई नहीं जानता। ये भी नहीं पता कि पहली आवाज किस औरत की थी। लेकिन आवाजें बढ़ रही हैं। अब चाहे शतरंज का खेल हो या राजनीति, औरतें भी पासे चलेंगी। शुरुआत हो चुकी है। जैसा कमला हैरिस कहती हैं- मैं पहली औरत हूं, लेकिन आखिरी नहीं... और यकीन जानिए, ये हादसा नहीं, जो टाला जा सकेगा।