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Sunday, October 25, 2020

संक्रमित इलाकों में लोगों के बीच जाकर जागरूक करेंगे पेंटर-गायक और डांसर

(रितेश शुक्ल) कोविड-19 संक्रमण ने साफ कर दिया है कि वह न सिर्फ शरीर से बीमार बनाता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। इस दिमागी कोरोना से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब कला और कलाकारों की मदद लेने की शुरुआत की है। संगठन की योजना कलाकृतियों की नीलामी और उससे होने वाली आय का इस्तेमाल कलाकारों को जुटाने और उनके जरिए दुनिया के उन हिस्सों में काम करने की है, जो महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
डब्ल्यूएचओ के आर्ट एंड हेल्थ विंग के प्रमुख क्रिस्टोफर बेली इस पहल की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम इस प्रोग्राम में पेंटर, डांसर, थियेटर आर्टिस्ट जैसे कलाकार शामिल कर रहे हैं, जो प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर जागरूक करेंगे। उन्होंने बताया कि इस पहल में डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की सबसे पुरानी नीलामी संस्था क्रिस्टीज साथ हैं।

यूएन के ‘द फ्यूचर इज अनरिटन’ इनीशिएटिव और डब्ल्यूएचओ के ‘सॉलिडिटरी सीरीज’ को मदद करने के लिए नवंबर 2020 से क्रिस्टीज के ऑर्ट ऑक्शन शुरू किए जाएंगे। लंदन में होने वाले पहली नीलामी ‘मिडिल ईस्ट कंटेंप्ररी आर्ट सेल’ नाम से होगी। सबसे पहले अहमद मतेर की पेंटिंग ‘मैग्नीटिज्म’ नीलाम होगी, जिसकी शुरुआती कीमत लगभग 1.15 करोड़ रुपए है।
बेली ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस गेब्रायसिस ने पदभार संभालने के बाद पूछा था कि हम नया क्या करना चाहते हैं, तो मेरा सुझाव था कि हम ऐसी व्यवस्था बनाएं जिसमें विभिन्न कलाओं का इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए किया जाए।

डॉ टेड्रोस ने यह आइडिया ब्रीफ करने के लिए 15 मिनट दिए। चर्चा के बाद उन्होंने तुरंत यह प्रोग्राम शुरू करने के लिए अनुमति दे दी। बेली बताते हैं- ‘संक्रमण ने साफ कर दिया है कि आज न सिर्फ कलाकारों को समाज की जरूरत है बल्कि समाज को भी कलाकारों की जरूरत है।’

भास्कर का ‘मास्क नहीं, तो फोटो नहीं...’ कैंपेन मजेदार है

भास्कर के ‘मास्क नहीं तो फोटो नहीं’ कैंपेन पर बेली ने कहा कि यह मजेदार आइडिया है। और ऐसेे आइडिया की खासियत होती है कि आप उसे शेयर करना चाहते हैं। मैं भी डब्ल्यूएचओ में अपने साथियों और दोस्तों से यह कैंपेन शेयर करूंगा।



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डब्ल्यूएचओ के आर्ट एंड हेल्थ विंग के प्रमुख क्रिस्टोफर बेली।


from Dainik Bhaskar /national/news/painter-singer-and-dancer-to-be-aware-among-people-in-infected-areas-127850688.html
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पाकिस्तानियों ने यहां गांव के गांव फूंक दिए थे, सेना ने दोबारा बसाया, सड़कें-स्कूल बनाए, आज यहां आर्मी के खिलाफ कोई कुछ नहीं सुनता

(मुदस्सिर कुलु) उत्तरी कश्मीर में बारामुला जिले का बोनियार इलाका 73 साल पहले पाकिस्तानी सेना और कबाइलियों के हमले का गवाह बना था। घुसपैठियों ने इस इलाके में लूटपाट कर गांव के गांव जला दिए थे। लेकिन सेना ने यहां सड़कें, स्कूल, अस्पताल बनवाकर इलाके की तस्वीर ही बदल दी है। 27 अक्टूबर इन्फैंट्री-डे के मौके पर सेना हर साल यहां कार्यक्रम आयोजित करती है, जिसमें स्थानीय लोग, पुलिस और प्रशासन के अफसर शामिल होते हैं। यह इलाका सेना और लोगों के लंबे जुड़ाव का गवाह भी है।
22 अक्टूबर 1947 को करीब 1000 कबाइलियों और पाकिस्तानी सेना मुजफ्फराबाद पर कब्जा करने के बाद बोनियार पहुंचे थे। लेकिन शीरी गांव के मकबूल शेरवानी और गांव वालों ने उन्हें यह कहकर रोके रखा कि बारामुला के बाहर भारतीय फौज खड़ी है। थोड़ा रुक जाएं तो वो खुद उन्हें रास्ता दिखाएंगे। इस तरह इन्होंने कबाइलियों को भारतीय सेना के श्रीनगर पहुंचने तक गांव में ही रोके रखा।

5 दिन बाद 27 अक्टूबर को सिख रेजीमेंंट की पहली बटालियन दिल्ली से श्रीनगर पहुंची और कबाइलियों के मंसूबे नाकाम कर दिए। हालांकि इसमें सेना के कुछ अफसरों और 19 साल के मकबूल को जान गंवानी पड़ी। श्रीनगर में सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया बताते हैं कि 1947 में सेना के पहली बार घाटी में कदम रखने और शहादत देने वालों की याद में 27 अक्टूबर को इन्फैंट्री-डे मनाया जाता है।

हम हर साल यहां कार्यक्रम आयोजित कर गांव वालों से मिलतेे हैं। बोनियार के लोगों के साथ हमारा नाता काफी मजबूत है। वहीं दूसरी ओर, यहां के लोग सेना को बहुत मानते हैं और सेना के खिलाफ सुनना तक पसंद नहीं करते। वे बढ़-चढ़कर सेना भर्ती में भी शामिल होते हैं। फिलहाल यहां के 2000 युवा इस वक्त सेना में कार्यरत हैं।

युवाओं द्वारा हथियार उठाने के मामले भी कम सुनने मिलते हैं। समय-समय पर सेना यहां मेडिकल कैंप भी लगाती है। सेना ने यहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल बनाने के साथ घरों तक पानी की पाइपलाइन भी बनाई है। इस काम में स्थानीय लोगों को भी रोजगार दिया जाता है।
एलओसी से 4 किमी दूर त्रिकंजन गांव में रहने वाले रिटायर्ड स्कूल टीचर 71 वर्षीय राजा नजर बोनियारी बताते हैं, ‘मेरे पिता बताते थे कि घुसपैठियों ने हमारा घर भी जला दिया था। पूरे इलाके में दहशत फैला दी थी। ये लोग हजारा, कगन, गिलगित और पेशावरस से लूट और कब्जे के मकसद से आए थे।

अल्लाह का शुक्र है कि सेना ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।’ राजा बताते हैं कि वे अपने रिश्तेदारों से मिलने 28 बार सीमा के उस पार जा चुके हैं। 65 साल के गुलामउद्दीन बांदे बताते हैं कि ‘हम हर तरह से सेना पर आश्रित हैं। सेना ने यहां इतना कुछ किया है और लगातार कर भी रही है।’

मकबूल न होता, तो पूरे इलाके पर कब्जा कर लेते कबाइली

यहां के लोग सेना के बाद मकबूल को हीरो मानते हैं। शेरी बारामुला के मुश्ताक अहमद बताते हैं ‘यदि मकबूल घुसपैठियों को नहीं रोकता तो वे सेना से पहले श्रीनगर पहुंच जाते। हमें गर्व है कि मकबूल ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।’ 2004 में मकबूल की याद में शेरवानी कम्युनिटी हॉल के बाहर पत्थर लगाया गया। इस मौके पर तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा भी मौजूद थे।



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ओल्ड बारामुला की इसी सड़क से पाकिस्तानी सेना और कबाइली आए थे।


from Dainik Bhaskar /national/news/the-pakistanis-blew-village-here-the-army-resettled-built-roads-and-schools-no-one-listens-against-the-army-here-today-127850086.html
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पाकिस्तान में कट्‌टरपंथियोंं ने मां दुर्गा की मूर्ति से ताेड़फाेड़ की, सिंध में 10 दिन में दूसरे हिंदू मंदिर पर हमला

पाकिस्तान में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हो रहे हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित नागारपारकर में कट्टरपंथियाें ने दुर्गा माता की मूर्ति को खंडित कर दिया है। इतना ही नहीं, इन हमलावरों ने मंदिर को भी जमकर नुकसान पहुंचाया है। इससे पहले सिंध के ही बादिन में 10 अक्टूबर को कट्टरपंथियों ने एक मंदिर में तोड़फोड़ की थी।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि आधी रात को कुछ अज्ञात लोग मंदिर परिसर में घुसे। इसके बाद उन्होंने दरवाजे को बंद कर मूर्ति को तोड़ दिया। उन्होंने जाते-जाते मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया। अभी तक हमलावरों के खिलाफ पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की है। मंदिर के पास रहने वाले हिंदू समुदाय ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
रिपोर्ट के अनुसार, 10 दिन पहले भी सिंध प्रांत के बादिन जिले में एक मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। पाकिस्तानी मीडिया रिपाेर्ट के मुताबिक इस मामले में शिकायतकर्ता अशोक कुमार ने आरोप लगाया था कि मंदिर में तोड़फोड़ मुहम्मद इस्माइल उर्फ चट्टो शीदी ने की थी। जिसके बाद पाकिस्तान पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी थी।



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 मंदिर के पुजारी ने बताया कि आधी रात को कुछ अज्ञात लोग मंदिर परिसर में घुसे। इसके बाद उन्होंने दरवाजे को बंद कर मूर्ति को तोड़ दिया। फोटो: ट्वीटर


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