from NDTV Khabar - Latest https://ift.tt/30yuEqg
via IFTTT
Google news, BBC News, NavBharat Times, Economic Times, IBN Khabar, AAJ Tak News, Zee News, ABP News, Jagran, Nai Dunia, Amar Ujala, Business Standard, Patrika, Webdunia, Punjab Kesari, Khas Khabar, Hindustan, One India, Jansatta, Ranchi Express, Raj Express, India News, Mahanagar Times, Nava Bharat, Deshdoot, Bhopal Samachar, Bharat Khabar, Daily News Activist, Daily News, Jansandesh Times, Dastak News, Janadesh, Times, Dekho Bhopal, Apka Akhbar, Fast News, Appkikhabar, Rajasthan Patrika
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
IF U WANT LATEST NEWS PLEASE FILL OUR CONTACT FORM LINK BOTTON OF THE BLOGGER
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जितने बेहतरीन राजनेता थे, उतने ही अच्छे कवि और वक्ता। उन्होंने कई ऐसे काम किए कि भारत को दुनिया में एक अलग पहचान मिली। प्रधानमंत्री के तौर पर पोखरन परमाणु परीक्षण ऐसा ही एक कदम था। वैसे, कम ही लोगों को पता है कि 1977 में उन्होंने 4 अक्टूबर को यूएन की महासभा में पहली बार हिंदी में भाषण देकर नया इतिहास रचा था।
उस समय अटल जी मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी में विदेश मंत्री थे और उन्हें ही महासभा को संबोधित करने का मौका मिला था। उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किया। पहली बार भारत की राजभाषा यूएन के मंच से सुनाई दी। करीब तीन मिनट का भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया।
यूएसएसआर ने लॉन्च किया स्पूतनिक 1
बात 63 साल पुरानी है। सोवियत संघ ने दुनिया का पहला कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किया और इसका नाम स्पूतनिक-1 रखा। रूसी भाषा में यात्री को स्पूतनिक कहा जाता है। मानव इतिहास के पहले 83.5 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट ने 92 दिन में 1400 बार पृथ्वी का चक्कर लगाया।
पहली बार अंतरिक्ष से पृथ्वी पर रेडियाे संदेश भेजा। भले ही सोवियत संघ नहीं बचा है और कई देश अलग होकर आजाद हो चुके हैं, रूस आज भी स्पूतनिक को अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानता है। इसी वजह से कोविड-19 का वैक्सीन डेवलप किया तो उसका नाम रखा स्पूतनिक-5 और इसे बिना फेज-3 ट्रायल्स के रूसी जनता के लिए उपलब्ध भी कर दिया।
1582: इटली, पोलैंड, पुर्तगाल ने अपनाया ग्रेगोरियन कैलेंडर
इटली, पोलैंड, पुर्तगाल और स्पेन ने पोप ग्रेगरी के आदेश पर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। इसे इक्विनॉक्स और सॉलस्टाइसेस जैसी घटनाओं को एडजस्ट करने के लिए ही बनाया था। यह भी ध्यान रखा कि नॉदर्न हेमिस्फीयर के स्प्रिंग इक्विनॉक्स के आसपास ही ईस्टर को सेलिब्रेट किया जा सके। कई दिन छोड़ दिए थे। 4 अक्टूबर के बाद एकदम से 15 अक्टूबर आ गया था। आज ज्यादातर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर ही मान्य है।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी जाना जाता हैः
कुछ समय पहले हैकर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया और उनसे डोनेशन मांग रहे थे। इससे आप सोच सकते हैं कि जब देश के प्रधानमंत्री ऑनलाइन फ्रॉड से नहीं बच सकते हैं, तो हम कैसे बचेंगे।
अब आंकड़ों की बात करते हैं। देश में पिछले साल एक अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच सिर्फ 92 दिन में हैकर्स ने 128 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया। ये सब उन्होंने नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड में सेंध लगाकर किया।
डिजिटल टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ललित मिश्रा बताते हैं कि हैकर्स ज्यादातर ऑनलाइन फ्रॉड आइडेंटिटी थेफ्ट के जरिए करते हैं, यानी वे हमारी पहचान और निजी जानकारी को चुरा लेते हैं। इसके बाद वे हमारे अकाउंट से ट्रांजेक्शन कर लेते हैं और हमें पता भी नहीं चलता है।
कैसे चुराते हैं हमारी पर्सनल जानकारी?
देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की क्या है स्थिति?
आइडेंटिटी थेफ्ट से बचने का तरीका?
ओपन सोर्स इंटेलीजेंस क्या है?
साइबर क्राइम की दुनिया में इसे 'क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक' कहा जाता है। इसी साल सितंबर में कनाडा में ऐसा ही मामला सामने आया था, जब ऑनलाइन टैक्स रेवेन्यू सर्विस समेत कुछ अन्य सरकारी एजेंसियों पर क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक हुआ।
इसमें हैकर्स ने हजारों लोगों की जानकारी चुराई, फिर कोविड रिलेटेड ग्रांट के लिए एप्लाई किया और पैसा निकाल लिया। इसके लिए हैकर्स ओपन सोर्स इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करते हैं। वे आपकी हर जानकारी जुटाते हैं, जो आपके फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन पोस्ट से भी मिल सकती है।
कौन से हैकर्स ग्रुप जो ज्यादा सक्रिय हैं?
ललित मिश्रा बताते हैं कि दुनिया में एम-ऐजकार्ट, क्रिक दो बड़े हैकर्स सिंडीकेट हैं। पिछले साल इन्होंने ट्रैवल वेबसाइट्स से 90 लाख से ज्यादा यूजर्स का पर्सनल डेटा चुराया था। कुछ समय पहले ब्रिटिश एयरवेज की साइट से 3.80 लाख ट्रेवलर्स का पर्सनल डेटा हैक कर लिया था। एम-ऐजकार्ट ने ट्विटर का डेटा चुराया था।
आइए ऐसे 5 तरीके जानते हैं, जिससे आपके ऑनलाइन आंकड़े चुराए जा सकते हैं। और जानिए आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं...
1. फिशिंग
कैसे रहें सुरक्षित?
2. मेल वेयर
मेल वेयर 4 तरह के होते हैं-
कैसे रहें सुरक्षित?
3. मोबाइल ऐप्स
गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर पर मौजूद सभी ऐप सुरक्षित नहीं होते। ऐप आपसे मोबाइल के सभी डेटा तक पहुंचने की परमिशन मांगते हैं, जिससे हैकर आपकी सारी जानकारी चुरा सकता है। साथ ही आपकी गोपनीय जानकारी भी सार्वजनिक कर सकता है। इसलिए हर किसी ऐप को सभी अनुमति हमेशा ना दें।
कैसे सेफ रहें?
4. स्मिशिंग
कैसे सुरक्षित रहें?
5. फिजिकल खतरे
कैसे बचें ?
तीन साल में हैकर्स ने देश में 547 करोड़ रुपए चुराए
अप्रैल 2017 से लेकर दिसंबर 2019 के बीच देशभर में ऑनलाइन फ्रॉड के 1.1 लाख केस दर्ज हुए। जबकि इन तीन सालों में लोगों के 547 करोड़ रुपए भी चुराए गए।
बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान तो हो गया, लेकिन जिन्हें चुनाव लड़ना है, वो पार्टियां अभी तक ये तय नहीं कर पाई हैं कि वो कितनी सीटों पर लड़ेंगी और कहां से लड़ेंगी? बीता पूरा हफ्ता सभी पार्टियों ने इसी माथापच्ची में गुजारा। वहीं दलित वोटबैंक को साधने के लिए हर पार्टी अपनी-अपनी ओर से कुछ न कुछ कर रही हैं। कोई दलित वोटरों पर पकड़ रखने वाली पार्टियों से गठबंधन कर रहा है, तो कोई दलित नेता को कार्यकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बना रहा है। बिहार चुनाव की पिछले हफ्ते की सियासत को हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर ने कुछ ऐसे देखा...
मेरी उम्र उस समय कुछ 17 साल रही होगी। मेरा एक दोस्त था, जिसे उसके 18वें जन्मदिन पर पिताजी ने बाइक गिफ्ट दी। एक दिन वो मेरे घर आया और मुझसे कहने लगा चलो घूमकर आते हैं। थोड़ी देर में हम एक पेट्रोल पंप पर पहुंचे। वहां बहुत लंबी लाइन लगी थी।
मैंने एक चीज नोट की कि लोग पेट्रोल तो भरवा रहे थे, लेकिन पैसे कोई नहीं दे रहा था। मेरे दोस्त ने भी अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवाया और पैसे नहीं दिए। मैंने जब उससे पूछा तो उसने कहा कि नेताजी की रैली में जा रहे हैं। सब इंतजाम उनकी तरफ से है।
हो सकता है कि ऐसा कभी न कभी आपके साथ भी हुआ है। लेकिन, बिहार में चुनाव की तारीखें आने के बाद अब किराए से बाइक वालों की भीड़ जुटाने का बिजनेस शुरू हो गया है। इसके लिए बाकायदा ठेकेदार हैं, जो नेताओं के लिए भीड़ इकट्ठी करती है और उसके बदले में इन्हें पैसा मिलता है। हालांकि, कोरोना की वजह से इस बार बड़ी-बड़ी रैलियों और भीड़ इकट्ठा करने पर रोक जरूर है, उसके बावजूद इसे चलाने वाले सक्रिय हो गए हैं।
भास्कर ने जब किराए की भीड़ की पड़ताल के लिए ठेकेदारों का स्टिंग ऑपरेशन किया तो चौंकाने वाली बातें सामने आई। पता चला कि महज 300 रुपए में बाइकर्स मिल जाते हैं, जो नेताजी के लिए भीड़ बढ़ाने का काम करते हैं। ये भीड़ नेताओं की जयकार भी करती है और उनकी पार्टी का झंडा भी उठाती है। थोड़ी देर बाद यही भीड़ किसी दूसरी पार्टी के नेता के जयकार करने लगती है।
ऐसे हुआ किराए की भीड़ लाने वाले ठेकेदारों का खुलासा
सबसे पहले नेताओं के लिए किराए की भीड़ जमा कराने वाले ठेकेदारों की पहचान की, उनसे बात की और खुद राजनीतिक पार्टी के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट का काम करने की बात कहकर भरोसा बनाया। भरोसा होते ही ठेकेदार ने एक-एक करके वो सारी बातें बता दीं, जो नेताओं के साथ होती थी।
बातचीत में पता चला कि ये किराए की भीड़ एक तरह से टैरिफ पर काम करती है। ठेकेदार पहले नेताओं से किलोमीटर के हिसाब से डील करते हैं। ये भीड़ नेताओं के साथ टैरिफ वाले समय तक जिंदाबाद करती है।
नीचें पढ़े भास्कर रिपोर्टर और ठेकेदार के बीच बातचीत...
रिपोर्टर - हैलो, नमस्ते भैया...मैं...बोल रहा हूं।
ठेकेदार - बोलो।
रिपोर्टर - बात हुई थी आपसे...बोरिंग रोड पर मुलाकात हुई थी।
ठेकेदार – हां...हां...बताओ।
रिपोर्टर - भैया मैं रहने वाला तो बाहर का हूं, यहां इवेंट मैनेजमेंट का काम कर रहा हूं।
ठेकेदार - हां बोलो क्या?
रिपोर्टर - कुछ पार्टियों की डिमांड आई थी रैली के लिए बाइक के साथ लड़कों की, आपकी मदद मिल जाएगी क्या?
ठेकेदार - ऐसा है न…तुम एक आध घंटे में हमको कॉल करोगे।
रिपोर्टर - भैया अभी....नेताजी को बताना था।
ठेकेदार - हां हो, ओह
रिपोर्टर - अच्छा ये बता दीजिए कितना लगेगा?
ठेकेदार - पर बाइक 300 रुपया देना होगा।
रिपोर्टर - तेल देना होगा अलग से?
ठेकेदार - नहीं…तेल के साथ, कहां से कहां जाना है अगर लॉन्ग डिस्टेंस हुआ तो पर बाइक 500...कम दूरी हुई तो 300 देना होगा।
रिपोर्टर - कितने किलो मीटर का 500 और कितने किलो मीटर का 300 देना होगा।
ठेकेदार - 10 किलोमीटर जाना है तो 300...अगर 15 से 20 किलोमीटर जाना हो तो 500 देना होगा।
रिपोर्टर - कितना मैक्सिमम हो सकता है, कितना लोग मिल सकते हैं?
ठेकेदार - 100 बाइक का हो जाएगा।
रिपोर्टर - कागज पत्र तो होगा उन सभी का, हालांकि कागज पत्र कौन चेक करेगा।
ठेकेदार - रैली में कागज पत्र कौन चेक करता है, पहले पूछ लो बात करके कंफर्म कर लो।
रिपोर्टर - भैया वो तो ज्यादा बता रहे थे, उन्हें ढाई से तीन सौ तक चाहिए था।
ठेकेदार - पहले पूछो तो सही पैसा देंगे या नहीं देंगे।
रिपोर्टर - पैसा तो देंगे, पैसा तो एडवांस देने की बात हुई है।
ठेकेदार - हां तो पैसा एडवांस दिला दो, फिर हम करेंगे आगे। नहीं दिए तो नहीं हो पाएगा।
रिपोर्टर - भैया ढाई तीन सौ की व्यवस्था हो जाएगी न।
ठेकेदार - ढाई तीन सौ नहीं कह सकते बाबू, हम डेढ़ सौ मिनिमम...झूठ नहीं बोलेंगे डेढ़ सौ तक का कर देंगे।
रिपोर्टर - इधर कोई ऑर्डर मिला है क्या?
ठेकेदार - नहीं अभी तो ऑर्डर कोई नहीं मिला है, पहले पूछ लेना रैली निकल रहा है, आचार संहिता लागू हो गई है।
रिपोर्टर - वो दूसरे तरह की रैली निकाल रहा है।
ठेकेदार - हां पहले पूछ लेना, फिर बताना।
रिपोर्टर - ठीक है भैया, व्यवस्था हो जाएगी न ।
ठेकेदार - हां हां हो जाएगी।
भीड़ को नारे लगाने होते हैं, एक गाइड भी होता है
किराए की भीड़ के कई काम होते हैं। सबसे पहला काम तो यही होता है कि इन्हें नेताजी की गाड़ी के पीछे अपनी बाइक दौड़ानी होती है। नेताजी के नारे लगाने होते हैं। नारे क्या लगेंगे, ये नेताजी और ठेकेदार तय करते हैं। भीड़ को गाइड करने वाला भी होता है, जो ये ध्यान रखता है कि बाइकर्स झंडे सही से उठा रहे हैं या नहीं।
ज्यादातर बाइकर्स वो होते हैं, जो बिगड़ैल और आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं
भीड़ बढ़ाने का काम करने वाले इन बाइकर्स में ज्यादातर वो लड़के होते हैं, जो बिगड़ैल और आपराधिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। लूट, चोरी जैसी वारदातों में बाइकर्स का नाम आने के बाद करीब तीन साल पहले पटना के उस समय के एसएसपी मनु महाराज ने इन गैंग्स की पड़ताल की। पटना में ही करीब 50 से ज्यादा गैंग के 150 से ज्यादा लड़कों के नाम सामने आए थे, जो लूट, चोरी समेत कई वारदातों में शामिल थे। कार्रवाई हुई थी, लेकिन गैंग पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ।
समय बदला है, पहले भीड़ आती थी, अब बुलाई जाती है
एक्सपर्ट सुनील सिन्हा बताते हैं कि पहले नेताओं को सुनने के लिए भीड़ अपने साधन से या ट्रैक्टर-ट्रॉली से या बसों से पहुंच जाती थी। लेकिन, अब ट्रेंड बदल रहा है। अब भीड़ जुटाने के लिए नेताओं को मशक्कत करनी पड़ती है।
वहीं, बिहार की राजनीति में लंबे अरसे से नजर रखने वाले धनवंत सिंह राठौर कहते हैं कि पहले नेताओं के पास मुद्दे होते थे, लोग उनकी बात सुनने के लिए खुद आते थे। लेकिन, अब भीड़ में शामिल किसी व्यक्ति से पूछ लिया जाए कि वो किसकी रैली या जुलूस में आया है, तो शायद वो इसका जवाब भी न दे पाए।
डॉ. आशुतोष बताते हैं, बिहार में ऐसे कई बड़े नेता हुए हैं, जिन्हें सुनने के लिए गांधी मैदान भर जाता था, लेकिन अब ऐसा ट्रेंड आया है कि नेताओं को अपनी दमदारी दिखाने के लिए किराए की भीड़ लानी पड़ती है। वो कहते हैं पहले भीड़ आती थी, अब बुलानी पड़ती है।
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ खड़े एक शख्स की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। दावा किया जा रहा है कि ये शख्स हाथरस में 19 वर्षीय युवती के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी संदीप का पिता है।
और सच क्या है ?