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Sunday, October 4, 2020

Coronavirus India Updates:कर्नाटक में कोविड-19 के 10,415 नये मरीज सामने आए

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 65 लाख के पार पहुंच गए हैं जबकि स्वस्थ...

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मुंबई के डिब्बेवालों के लिए अनलॉक के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं

सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार मुंबई के डिब्बेवालों को अब शहर की लोकल...

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Saturday, October 3, 2020

43 साल पहले यूएन में पहली बार हिंदी में भाषण; दुनिया का पहला सैटेलाइट स्पूतनिक अंतरिक्ष में गया; कई देशों के लिए बदला था कैलेंडर

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जितने बेहतरीन राजनेता थे, उतने ही अच्छे कवि और वक्ता। उन्होंने कई ऐसे काम किए कि भारत को दुनिया में एक अलग पहचान मिली। प्रधानमंत्री के तौर पर पोखरन परमाणु परीक्षण ऐसा ही एक कदम था। वैसे, कम ही लोगों को पता है कि 1977 में उन्होंने 4 अक्टूबर को यूएन की महासभा में पहली बार हिंदी में भाषण देकर नया इतिहास रचा था।

उस समय अटल जी मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी में विदेश मंत्री थे और उन्हें ही महासभा को संबोधित करने का मौका मिला था। उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किया। पहली बार भारत की राजभाषा यूएन के मंच से सुनाई दी। करीब तीन मिनट का भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया।

यूएसएसआर ने लॉन्च किया स्पूतनिक 1

स्पूतनिक-1 जिसे सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में भेजा था। यह दुनिया का पहला सैटेलाइट है जिसे सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। इसके बाद ही रूस और अमेरिका में अंतरिक्ष में उपलब्धियां हासिल करने के लिए होड़ शुरू हुई थी।

बात 63 साल पुरानी है। सोवियत संघ ने दुनिया का पहला कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किया और इसका नाम स्पूतनिक-1 रखा। रूसी भाषा में यात्री को स्पूतनिक कहा जाता है। मानव इतिहास के पहले 83.5 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट ने 92 दिन में 1400 बार पृथ्वी का चक्कर लगाया।

पहली बार अंतरिक्ष से पृथ्वी पर रेडियाे संदेश भेजा। भले ही सोवियत संघ नहीं बचा है और कई देश अलग होकर आजाद हो चुके हैं, रूस आज भी स्पूतनिक को अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानता है। इसी वजह से कोविड-19 का वैक्सीन डेवलप किया तो उसका नाम रखा स्पूतनिक-5 और इसे बिना फेज-3 ट्रायल्स के रूसी जनता के लिए उपलब्ध भी कर दिया।

1582: इटली, पोलैंड, पुर्तगाल ने अपनाया ग्रेगोरियन कैलेंडर

इटली, पोलैंड, पुर्तगाल और स्पेन ने पोप ग्रेगरी के आदेश पर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। इसे इक्विनॉक्स और सॉलस्टाइसेस जैसी घटनाओं को एडजस्ट करने के लिए ही बनाया था। यह भी ध्यान रखा कि नॉदर्न हेमिस्फीयर के स्प्रिंग इक्विनॉक्स के आसपास ही ईस्टर को सेलिब्रेट किया जा सके। कई दिन छोड़ दिए थे। 4 अक्टूबर के बाद एकदम से 15 अक्टूबर आ गया था। आज ज्यादातर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर ही मान्य है।

आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी जाना जाता हैः

  • 1302ः बैजेंटाइन साम्राज्य तथा वेनिस गणराज्य के बीच शांति समझौता हुआ।
  • 1824ः मैक्सिको रिपब्लिक बना।
  • 1830ः नीदरलैंड से अलग होकर बेल्जियम नया देश बना।
  • 1943ः अमेरिका ने सोलोमन द्वीप पर कब्जा किया।
  • 1963ः क्यूबा और हैती में चक्रवाती तूफान फ्लोरा से छह हजार लोगों की मौत।
  • 2006ः जूलियन असांजे ने खुफिया वेबसाइट विकिलीक्स की स्थापना की।
  • 2011ः अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) प्रमुख अबू बकर अल बगदादी को वैश्विक आतंकवादी के रूप में चिह्नित किया और साथ ही उस पर एक करोड़ डाॅलर का ईनाम भी रखा।
  • 2012ः फाॅर्मूला वन के बादशाह माइकल शूमाकर ने संन्यास लिया।


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Today History for October 4th/ What Happened Today | Atal Bihari Vajpayee Addressed UN in Hindi | Russian Satellite Sputnik-1 launched in space | Who addressed UN Assembly in Hindi first


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देश में 29.9% ट्रांजेक्शन डिजिटल कार्ड से हो रहा, हैकर्स ज्यादातर फ्रॉड स्किमिंग डिवाइस लगाकर और ऑनलाइन डेटा चुराकर कर रहे; 5 तरीकों से सेफ रहें

कुछ समय पहले हैकर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया और उनसे डोनेशन मांग रहे थे। इससे आप सोच सकते हैं कि जब देश के प्रधानमंत्री ऑनलाइन फ्रॉड से नहीं बच सकते हैं, तो हम कैसे बचेंगे।

अब आंकड़ों की बात करते हैं। देश में पिछले साल एक अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच सिर्फ 92 दिन में हैकर्स ने 128 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया। ये सब उन्होंने नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड में सेंध लगाकर किया।

डिजिटल टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ललित मिश्रा बताते हैं कि हैकर्स ज्यादातर ऑनलाइन फ्रॉड आइडेंटिटी थेफ्ट के जरिए करते हैं, यानी वे हमारी पहचान और निजी जानकारी को चुरा लेते हैं। इसके बाद वे हमारे अकाउंट से ट्रांजेक्शन कर लेते हैं और हमें पता भी नहीं चलता है।

कैसे चुराते हैं हमारी पर्सनल जानकारी?

  • ललित मिश्रा कहते हैं कि देश में ज्यादातर ऑनलाइन फ्रॉड स्कीमिंग डिवाइस के जरिए ही हो रहा है। दरअसल, हमारे जितने भी डिजिटल कार्ड हैं, उनके पीछे एक मैग्नेटिक स्ट्रिप लगी होती है। इसी में यूजर्स की निजी जानकारी सेव होती है। हैकर्स इसे चुराने के लिए एटीएम या पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन में स्किमिंग डिवाइस लगा देते हैं। यह एक पतली डिवाइस होती है।
  • इसके बाद जैसे ही आप किसी शॉपिंग मॉल या एटीएम में जाकर कार्ड से ट्रांजेक्शन करेंगे, आपकी सारी जानकार उस डिवाइस में सेव हो गई। फिर हैकर्स आपके अकाउंट से कभी भी पैसे निकाल सकता है। हैकर्स ओपन सोर्स इंटेलीजेंस का भी इस्तेमाल करते हैं।

देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की क्या है स्थिति?

  • आरबीआई के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल ट्रांजेक्शन का 29.9% डिजिटल कार्ड के जरिए होता है।
  • इनमें से अधिकांश में मैग्नेटिक स्ट्रिप का इस्तेमाल होता है। इन पर हैकर्स कार्ड रीडर की जगह स्कीमिंग डिवाइस लगा देते हैं। इससे हैकर्स आपके कार्ड की क्लोनिंग करके अवैध ट्रांजेक्शन शुरू कर देते हैं।

आइडेंटिटी थेफ्ट से बचने का तरीका?

  • आरबीआई का कहना है कि दुकानदार कार्ड स्वाइप करने वाले एटीएम रीडर की जगह पिन पैड वाली रीडिंग डिवाइस का इस्तेमाल करें।
  • इसके अलावा यूजर्स को पिन नंबर टाइप करके ट्रांजेक्शन करना चाहिए, इसे स्कीमिंग डिवाइस में रीड नहीं किया जा सकता है।
  • कार्ड की जगह UPI ट्रांजेक्शन ज्यादा सेफ है, यह आरबीआई की निगरानी में होता है। यदि कोई फ्रॉड करता है, तो आरबीआई के पकड़ में आ जाता है।

ओपन सोर्स इंटेलीजेंस क्या है?

साइबर क्राइम की दुनिया में इसे 'क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक' कहा जाता है। इसी साल सितंबर में कनाडा में ऐसा ही मामला सामने आया था, जब ऑनलाइन टैक्स रेवेन्यू सर्विस समेत कुछ अन्य सरकारी एजेंसियों पर क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक हुआ।

इसमें हैकर्स ने हजारों लोगों की जानकारी चुराई, फिर कोविड रिलेटेड ग्रांट के लिए एप्लाई किया और पैसा निकाल लिया। इसके लिए हैकर्स ओपन सोर्स इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करते हैं। वे आपकी हर जानकारी जुटाते हैं, जो आपके फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन पोस्ट से भी मिल सकती है।

कौन से हैकर्स ग्रुप जो ज्यादा सक्रिय हैं?
ललित मिश्रा बताते हैं कि दुनिया में एम-ऐजकार्ट, क्रिक दो बड़े हैकर्स सिंडीकेट हैं। पिछले साल इन्होंने ट्रैवल वेबसाइट्स से 90 लाख से ज्यादा यूजर्स का पर्सनल डेटा चुराया था। कुछ समय पहले ब्रिटिश एयरवेज की साइट से 3.80 लाख ट्रेवलर्स का पर्सनल डेटा हैक कर लिया था। एम-ऐजकार्ट ने ट्विटर का डेटा चुराया था।

आइए ऐसे 5 तरीके जानते हैं, जिससे आपके ऑनलाइन आंकड़े चुराए जा सकते हैं। और जानिए आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं...
1. फिशिंग

  • फिशिंग एक फ्रॉड इमेल है, जिसकी मदद से आपसे आंकड़े मंगाए जाते हैं। यह देखने में असली जैसा ही लगता है। लेकिन हैकर फिशिंग ईमेल के जरिए पहले आपको भरोसा दिलाने की कोशिश करता है। फिर बताता है कि वो आपके फायदे के लिए बैंक एकाउंट की जानकारी या अन्य आंकड़े मांग रहा है।
  • फिशिंग में आपके बैंक के नाम से ईमेल आते हैं, जिसमें कहा जाता है कि आपका डेबिट कार्ड रद्द हो गया है और कार्ड नंबर या आधार नंबर बताने पर ही आपको नया कार्ड जारी किया जाएगा। आपको लग सकता है कि बैंक ने ही यह जानकारी मांगी है, लेकिन यह हैकर हो सकता है।

कैसे रहें सुरक्षित?

  • डोमेन नाम या ईमेल एड्रेस में स्पेलिंग की गलतियों पर ध्यान दें।
  • किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें।

2. मेल वेयर

  • यह एक सॉफ्टवेयर होता है, जो किसी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े की चोरी के लिए बनाया जाता है। यह आपके मोबाइल या लैपटॉप से संवेदनशील आंकड़े चुराने, उसे डिलीट करने या फिर आप पर नजर रखने जैसी एक्टिविटी करता है।

मेल वेयर 4 तरह के होते हैं-

  1. वायरस: यह कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में जाकर फाइल/सिस्टम तक आपकी पहुंच को मुश्किल बनाता है।
  2. ट्रोजन: यह आपके सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैक डोर बनाता है, जिससे हैकर आपके सिस्टम पर नजर रख सकता है।
  3. स्पाई वेयर: यह आपकी जासूसी करने के लिए बनाया जाता है। यह आपकी आईडी, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर और नेट व की-बोर्ड चलाने की आदत को पढ़ता है।
  4. की लॉगर: यह स्पाई का ही एक विकल्प है, जो आपके की-वर्ड को रिकॉर्ड कर लेता है।

कैसे रहें सुरक्षित?

  • अच्छा एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टाल करें।
  • कोई नकली सॉफ्टवेयर डाउनलोड ना करें।
  • एंटी वायरस के नकली पॉप-अप पर कभी क्लिक ना करें।
  • ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें।
  • पायरेटेड ऐप या सॉफ्टवेयर से हमेशा बचें।

3. मोबाइल ऐप्स
गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर पर मौजूद सभी ऐप सुरक्षित नहीं होते। ऐप आपसे मोबाइल के सभी डेटा तक पहुंचने की परमिशन मांगते हैं, जिससे हैकर आपकी सारी जानकारी चुरा सकता है। साथ ही आपकी गोपनीय जानकारी भी सार्वजनिक कर सकता है। इसलिए हर किसी ऐप को सभी अनुमति हमेशा ना दें।
कैसे सेफ रहें?

  • किसी ऐप को डाउनलोड करने से पहले परमिशन चेक करें।
  • उसकी समीक्षा और रेटिंग पर ध्यान दें।
  • 50,000 से कम डाउनलोड वाले ऐप ना इंस्टाल करें।
  • पायरेटेड/क्रैक ऐप डाउनलोड ना करें।

4. स्मिशिंग

  • स्मिशिंग यह भी फिशिंग का ही एक तरीका है, जिसमें आप फोन या SMS पर किसी को व्यक्तिगत जानकारी दे देते हैं। इसमें हैकर्स आपसे सोशल इंजीनियरिंग का उपयोग कर आपसे जानकारी मांगते हैं।

कैसे सुरक्षित रहें?

  • यदि आपसे कोई फोन या SMS करके गोपनीय जानकारी मांगता है, तो कतई न दें।
  • किसी मैसेज पर आए लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे अच्छी तरह चेक करें।

5. फिजिकल खतरे

  • आपका लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मोबाइल लेकर भी कोई उससे गोपनीय जानकारी चुरा सकता है। यह कई बार अंजाने में आपका कोई करीबी भी कर सकता है। यह आपके घर या दफ्तर, कहीं भी हो सकता है।

कैसे बचें ?

  • अपनी पर्सनल डिवाइस किसी को मत दें। अगर आपके लैपटॉप, मोबाइल में कोई गोपनीय जानकारी है तो उसे पासवर्ड डालकर सुरक्षित करें।

तीन साल में हैकर्स ने देश में 547 करोड़ रुपए चुराए

अप्रैल 2017 से लेकर दिसंबर 2019 के बीच देशभर में ऑनलाइन फ्रॉड के 1.1 लाख केस दर्ज हुए। जबकि इन तीन सालों में लोगों के 547 करोड़ रुपए भी चुराए गए।



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Online Fraud and Social Media Connection; Five Ways Hackers Steal Information, Know How To Avoid It In Simple Words


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सुना है गठबंधनों में सीटों की कमी चल रही है, इस बार तो लगता है कि नेताजी को बैठने के लिए भी सीट जीतनी पड़ेगी

बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान तो हो गया, लेकिन जिन्हें चुनाव लड़ना है, वो पार्टियां अभी तक ये तय नहीं कर पाई हैं कि वो कितनी सीटों पर लड़ेंगी और कहां से लड़ेंगी? बीता पूरा हफ्ता सभी पार्टियों ने इसी माथापच्ची में गुजारा। वहीं दलित वोटबैंक को साधने के लिए हर पार्टी अपनी-अपनी ओर से कुछ न कुछ कर रही हैं। कोई दलित वोटरों पर पकड़ रखने वाली पार्टियों से गठबंधन कर रहा है, तो कोई दलित नेता को कार्यकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बना रहा है। बिहार चुनाव की पिछले हफ्ते की सियासत को हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर ने कुछ ऐसे देखा...



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Bihar Vidhan Sabha Election 2020 Cartoons | Tejaswi Yadav Mahagathbandhan Seat Sharing, Upendra Kushwaha BSP Alliance, Pappu Yadav Alliance


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ठेकेदार बोला- किसी भी पार्टी के नेता की रैली के लिए 100 से 150 बाइक वाले ला सकता हूं, 10 किमी के 300 और 20 किमी के 500 रुपए लगेंगे

मेरी उम्र उस समय कुछ 17 साल रही होगी। मेरा एक दोस्त था, जिसे उसके 18वें जन्मदिन पर पिताजी ने बाइक गिफ्ट दी। एक दिन वो मेरे घर आया और मुझसे कहने लगा चलो घूमकर आते हैं। थोड़ी देर में हम एक पेट्रोल पंप पर पहुंचे। वहां बहुत लंबी लाइन लगी थी।

मैंने एक चीज नोट की कि लोग पेट्रोल तो भरवा रहे थे, लेकिन पैसे कोई नहीं दे रहा था। मेरे दोस्त ने भी अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवाया और पैसे नहीं दिए। मैंने जब उससे पूछा तो उसने कहा कि नेताजी की रैली में जा रहे हैं। सब इंतजाम उनकी तरफ से है।

हो सकता है कि ऐसा कभी न कभी आपके साथ भी हुआ है। लेकिन, बिहार में चुनाव की तारीखें आने के बाद अब किराए से बाइक वालों की भीड़ जुटाने का बिजनेस शुरू हो गया है। इसके लिए बाकायदा ठेकेदार हैं, जो नेताओं के लिए भीड़ इकट्ठी करती है और उसके बदले में इन्हें पैसा मिलता है। हालांकि, कोरोना की वजह से इस बार बड़ी-बड़ी रैलियों और भीड़ इकट्ठा करने पर रोक जरूर है, उसके बावजूद इसे चलाने वाले सक्रिय हो गए हैं।

भास्कर ने जब किराए की भीड़ की पड़ताल के लिए ठेकेदारों का स्टिंग ऑपरेशन किया तो चौंकाने वाली बातें सामने आई। पता चला कि महज 300 रुपए में बाइकर्स मिल जाते हैं, जो नेताजी के लिए भीड़ बढ़ाने का काम करते हैं। ये भीड़ नेताओं की जयकार भी करती है और उनकी पार्टी का झंडा भी उठाती है। थोड़ी देर बाद यही भीड़ किसी दूसरी पार्टी के नेता के जयकार करने लगती है।

ऐसे हुआ किराए की भीड़ लाने वाले ठेकेदारों का खुलासा

सबसे पहले नेताओं के लिए किराए की भीड़ जमा कराने वाले ठेकेदारों की पहचान की, उनसे बात की और खुद राजनीतिक पार्टी के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट का काम करने की बात कहकर भरोसा बनाया। भरोसा होते ही ठेकेदार ने एक-एक करके वो सारी बातें बता दीं, जो नेताओं के साथ होती थी।

बातचीत में पता चला कि ये किराए की भीड़ एक तरह से टैरिफ पर काम करती है। ठेकेदार पहले नेताओं से किलोमीटर के हिसाब से डील करते हैं। ये भीड़ नेताओं के साथ टैरिफ वाले समय तक जिंदाबाद करती है।

नीचें पढ़े भास्कर रिपोर्टर और ठेकेदार के बीच बातचीत...

रिपोर्टर - हैलो, नमस्ते भैया...मैं...बोल रहा हूं।

ठेकेदार - बोलो।

रिपोर्टर - बात हुई थी आपसे...बोरिंग रोड पर मुलाकात हुई थी।

ठेकेदार – हां...हां...बताओ।

रिपोर्टर - भैया मैं रहने वाला तो बाहर का हूं, यहां इवेंट मैनेजमेंट का काम कर रहा हूं।

ठेकेदार - हां बोलो क्या?

रिपोर्टर - कुछ पार्टियों की डिमांड आई थी रैली के लिए बाइक के साथ लड़कों की, आपकी मदद मिल जाएगी क्या?

ठेकेदार - ऐसा है न…तुम एक आध घंटे में हमको कॉल करोगे।

रिपोर्टर - भैया अभी....नेताजी को बताना था।

ठेकेदार - हां हो, ओह

रिपोर्टर - अच्छा ये बता दीजिए कितना लगेगा?

ठेकेदार - पर बाइक 300 रुपया देना होगा।

रिपोर्टर - तेल देना होगा अलग से?

ठेकेदार - नहीं…तेल के साथ, कहां से कहां जाना है अगर लॉन्ग डिस्टेंस हुआ तो पर बाइक 500...कम दूरी हुई तो 300 देना होगा।

रिपोर्टर - कितने किलो मीटर का 500 और कितने किलो मीटर का 300 देना होगा।

ठेकेदार - 10 किलोमीटर जाना है तो 300...अगर 15 से 20 किलोमीटर जाना हो तो 500 देना होगा।

रिपोर्टर - कितना मैक्सिमम हो सकता है, कितना लोग मिल सकते हैं?

ठेकेदार - 100 बाइक का हो जाएगा।

रिपोर्टर - कागज पत्र तो होगा उन सभी का, हालांकि कागज पत्र कौन चेक करेगा।

ठेकेदार - रैली में कागज पत्र कौन चेक करता है, पहले पूछ लो बात करके कंफर्म कर लो।

रिपोर्टर - भैया वो तो ज्यादा बता रहे थे, उन्हें ढाई से तीन सौ तक चाहिए था।

ठेकेदार - पहले पूछो तो सही पैसा देंगे या नहीं देंगे।

रिपोर्टर - पैसा तो देंगे, पैसा तो एडवांस देने की बात हुई है।

ठेकेदार - हां तो पैसा एडवांस दिला दो, फिर हम करेंगे आगे। नहीं दिए तो नहीं हो पाएगा।

रिपोर्टर - भैया ढाई तीन सौ की व्यवस्था हो जाएगी न।

ठेकेदार - ढाई तीन सौ नहीं कह सकते बाबू, हम डेढ़ सौ मिनिमम...झूठ नहीं बोलेंगे डेढ़ सौ तक का कर देंगे।

रिपोर्टर - इधर कोई ऑर्डर मिला है क्या?

ठेकेदार - नहीं अभी तो ऑर्डर कोई नहीं मिला है, पहले पूछ लेना रैली निकल रहा है, आचार संहिता लागू हो गई है।

रिपोर्टर - वो दूसरे तरह की रैली निकाल रहा है।

ठेकेदार - हां पहले पूछ लेना, फिर बताना।

रिपोर्टर - ठीक है भैया, व्यवस्था हो जाएगी न ।

ठेकेदार - हां हां हो जाएगी।

भीड़ को नारे लगाने होते हैं, एक गाइड भी होता है

किराए की भीड़ के कई काम होते हैं। सबसे पहला काम तो यही होता है कि इन्हें नेताजी की गाड़ी के पीछे अपनी बाइक दौड़ानी होती है। नेताजी के नारे लगाने होते हैं। नारे क्या लगेंगे, ये नेताजी और ठेकेदार तय करते हैं। भीड़ को गाइड करने वाला भी होता है, जो ये ध्यान रखता है कि बाइकर्स झंडे सही से उठा रहे हैं या नहीं।

ज्यादातर बाइकर्स वो होते हैं, जो बिगड़ैल और आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं

भीड़ बढ़ाने का काम करने वाले इन बाइकर्स में ज्यादातर वो लड़के होते हैं, जो बिगड़ैल और आपराधिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। लूट, चोरी जैसी वारदातों में बाइकर्स का नाम आने के बाद करीब तीन साल पहले पटना के उस समय के एसएसपी मनु महाराज ने इन गैंग्स की पड़ताल की। पटना में ही करीब 50 से ज्यादा गैंग के 150 से ज्यादा लड़कों के नाम सामने आए थे, जो लूट, चोरी समेत कई वारदातों में शामिल थे। कार्रवाई हुई थी, लेकिन गैंग पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ।

समय बदला है, पहले भीड़ आती थी, अब बुलाई जाती है

एक्सपर्ट सुनील सिन्हा बताते हैं कि पहले नेताओं को सुनने के लिए भीड़ अपने साधन से या ट्रैक्टर-ट्रॉली से या बसों से पहुंच जाती थी। लेकिन, अब ट्रेंड बदल रहा है। अब भीड़ जुटाने के लिए नेताओं को मशक्कत करनी पड़ती है।

वहीं, बिहार की राजनीति में लंबे अरसे से नजर रखने वाले धनवंत सिंह राठौर कहते हैं कि पहले नेताओं के पास मुद्दे होते थे, लोग उनकी बात सुनने के लिए खुद आते थे। लेकिन, अब भीड़ में शामिल किसी व्यक्ति से पूछ लिया जाए कि वो किसकी रैली या जुलूस में आया है, तो शायद वो इसका जवाब भी न दे पाए।

डॉ. आशुतोष बताते हैं, बिहार में ऐसे कई बड़े नेता हुए हैं, जिन्हें सुनने के लिए गांधी मैदान भर जाता था, लेकिन अब ऐसा ट्रेंड आया है कि नेताओं को अपनी दमदारी दिखाने के लिए किराए की भीड़ लानी पड़ती है। वो कहते हैं पहले भीड़ आती थी, अब बुलानी पड़ती है।



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Bihar Election 2020; Dainik Bhaskar Sting Update | Political Party Pay Money to Fake Crowd For Bihar Vidhan Sabha Chunav Rally


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तस्वीरों में मोदी-योगी के साथ दिख रहा ये शख्स हाथरस केस में दुष्कर्म के आरोपी का पिता है? जानिए पूरा सच

सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ खड़े एक शख्स की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। दावा किया जा रहा है कि ये शख्स हाथरस में 19 वर्षीय युवती के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी संदीप का पिता है।

और सच क्या है ?

  • दैनिक भास्कर की रिपोर्ट से ये पुष्टि होती है कि हाथरस केस में संदीप नाम का शख्स मुख्य आरोपी है। हालांकि, इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें ये जिक्र हो कि संदीप के पिता के भाजपा नेताओं से कोई संबंध अब तक सामने आए हैं।
  • वायरल हो रही फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से बोलता हिंदुस्तान नाम की वेबसाइट पर हमें एक साल पुरानी खबर मिली। इस खबर में तस्वीर में मोदी के साथ खड़े दिख रहे शख्स को श्याम प्रकाश द्विवेदी बताया गया है।
  • दावे से जुड़े की वर्ड सर्च करने से कुछ मीडिया रिपोर्ट हमारे सामने आईं। इनसे पता चलता है कि श्याम प्रकाश द्विवेदी, भाजपा के युवा मोर्चा, काशी प्रांत के पूर्व उपाध्यक्ष हैं। श्याम प्रकाश पर एक युवती ने गैंगरेप का आरोप लगाया है। आरोप है कि जमीन दिलाने के बहाने बुलाकर श्याम प्रकाश और उद्योगपति राशिद फरीदी ने युवती के साथ बलात्कार किया था। भाजपा नेता अभी फरार है।
  • भाजपा नेता श्यामप्रकाश द्विवेदी के नाम पर बने अलग-अलग सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी उसी शख्स की तस्वीर है। जिसे संदीप का पिता बताया जा रहा है।
  • इन सबसे स्पष्ट है कि वायरल हो रही फोटो में मोदी और योगी के साथ खड़ा दिख रहा शख्स संदीप का पिता नहीं है। बल्कि एक अन्य दुष्कर्म मामले का फरार आरोपी भाजपा नेता श्याम प्रकाश द्विवेदी है।


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Fact Check: This person seen in the pictures with Modi-Yogi is the father of the accused of rape in the Hathras case? Know the whole truth


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