यूरिया से फसल और जमीन को होने वाले नुकसान को लेकर किसानों में जागरुकता आई है। 2012 से 2016 के बीच यूरिया की बिक्री 30 से 30.6 मिलियन टन के बीच रही। इस साल ये घटकर 28 टन हो गई है। हालांकि, ये मामूली आंकड़ा है। इसके अलावा मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू करने के चलते यूरिया की खपत में गिरावट आई है। इस योजना के तहत मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) स्तर को 4:2:1 पर लाना है। प्रधानमंत्री ने 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करने को कहा है।
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Wednesday, June 13, 2018
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» देश में यूरिया के लिए होने वाले आंदोलन कैसे थम गए? इसकी किल्लत कैसे दूर हुई?
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